Chapter 19

Chapter 19

humsafar 19

Chapter

19     अवनि गहरी नींद मे सोई थी, तभी कोई चुपके से दरवाजा खोलकर अंदर दाखिल हुआ और बेड के किनारे बैठ गया। उसकी नज़रों की चुभन से अवनि की आँखे खुल गयी, "सारांश!!!" अवनि चीखना चाहती थी मगर उसने अपने हाथ से उसका मुह जोर से दबा दिया। अवनि आँखे खोले उसे देख रही थी। इस वक़्त उसे बिल्कुल भी डर नही लग रहा था और ना ही वह उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी। सारांश ने अपना हाथ हटाया और धीरे धीरे उसके उपर झुकता चला गया। अवनि ने अपनी आँखे मूंद ली और चादर को कस कर मुट्ठी मे भींच लिया। 

   "अवनि! अवनि!! अवनि!!!...... " श्रेया की आवाज सुन झटके से उठ बैठी। उसने अपने चारो ओर नज़र घूमा कर देखा तो कमरे मे उसके और श्रेया के अलावा कोई नही था। एसी ऑन होने के बावजूद अवनि पसीने से तरबतर हो गयी थी। श्रेया उसकी ऐसे हालत देख घबरा गयी। "क्या हुआ तुझे? तबियत ज्यादा खराब लग रही है! मै आँटी को बुलाकर लाती हु।" 

   "नही श्रेया! मै ठीक हु। शायद कोई बुरा सपना देखा मैने इसीलिए। तु टेंसन मत ले" अवनि ने श्रेया को रोकते हुए कहा फिर मन ही मन बोली, 'शायद......! वो एक बुरा सपना ही था, बहुत बुरा सपना!! शायद का तो सवाल ही पैदा नही होता।'

  श्रेया ने अवनि की ओर चाय बढ़ा दिया जो सारांश ने खास उसके लिए ही बनाया था। रात के बारह बज रहे थे और इस वक़्त चाय देख अवनि हैरानी से श्रेया को घूरने लगी, मगर उसकी सर मे अभी भी दर्द था सो बिना सवाल किये वह चाय पीने लगी, श्रेया ने भी उसे डिस्टर्ब नही किया और ना ही ज्यादा सवाल किया। 

श्रेया अवनि एक ही कमरे मे थी इसीलिए उन दोनो के अलावा उस कमरे मे और कोई नही था। चाय पीने के बाद अवनि को सच मे अच्छा फील हो रहा था। वह तारीफ करते हुए बोली, "अरे वाह!! तेरी चाय मे तो सच मे जादू है। बहुत अच्छा लग रहा है अब। कहाँ से सीखी?"

   "चाय और मै!!! ये तो सारांश ने बनाया था तेरे लिए..... " श्रेया ने कहा तो अवनि चौँक गयी। " क्या??!! " अवनि ने हैरानी से श्रेया को देखा। "हाँ... वो तो मै पानी लेने गयी थी किचन मे तो देखा उसको चाय बनाते हुए। मुझे लगा शायद अपने लिए बना रहा होगा लेकिन उसने कहा ये मैं तुम्हे देदु। इससे तुम्हे आराम मिलेगा। असली जादूगर तो वो है!" श्रेया ने कहा। 

   फिर से सारांश का नाम सुनकर अवनि झल्ला गयी और बाथरूम मे घुस गयी। थोड़ी देर बाद जब अवनि बाहर निकली तब तक श्रेया सो चुकी थी। अवनि ने भी सोने की कोशिश की मगर नींद नही आई। जब भूख महसूस हुई तब किचन मे चली गयी। उसे यकीन नही हो रहा था की सच मे सारांश ने उसके लिए चाय बनाई थी। लेकिन किचन मे फैले उसके परफ्युम की खुशबू से यकीन हो गया। 

    अवनि के आँखों के सामने फिर वही सब घूम गया। 'सारांश की खुशबू कितने अच्छे से पहचान गयी तु अवनि!! अब तक वो सिर्फ तुझे इफेक्ट करता था पर अब सोते जागते....वो तुझ पर हावी हो रहा है अवनि संभल जा!!'। अवनि ने अपना सर झटका और बिना खाना खाये वापस अपने कमरे की ओर चल दी। 

      पूरे घर की लाइट ऑफ थी सिवाय सबसे आखिर वाले एक कमरे के। अवनि नही जानती थी की वो कमरा किसका है, फिर भी उस कमरे की ओर चल दी। अंदर कमरे से कुछ टाइप करने की आवाजे आ रही थी। अवनि ने झाँक कर देखा सारांश गोद मे लैपटॉप लिए सोफे पर बैठा काम कर रहा था। उसका पूरा फोकस स्क्रीन पर था। अवनि ने देखा तो उसकी पलके झपकना भूल गयी। पहली बार अवनि उसे चश्मे के साथ देख रही थी। अब उसे समझ मे आया क्यों लोग कहते है की काम करता मर्द सबसे ज्यादा खूबसूरत दिखता है और उसपर  आँखों पर चश्मा चार चाँद लगाते है। 

     सारांश काम करते करते अचानक रुक गया, उसे अवनि के होने का एहसास हो गया था। उसके होंठो पर मुस्कान आ गयी, तभी उसका फोन बजा। "हाँ शुक्ला जी!!! घबराइये मत सुबह तक सब हो जायेगा। मुझे सिर्फ चार घंटे और लगेंगे। इस को पूरा करके आपको पाँच बजे तक भेज दूंगा" कहकर वापस अपने काम मे लग गया। 

   फोन की आवाज़ से अवनि को होश आया और वह वहाँ से तुरंत निकल गयी मगर सारांश की बातें उसकी कानों मे पड़ ही गयी। "सुबह के पाँच बजे तक? फिर ये सोयेगा कब? आज दिनभर भी मैंने आराम करते नही देखा है और कल हल्दी का हंगामा होगा । जो भी हो मुझे इससे क्या! मैं क्यों उसके लिए परेशान हो रही हु!!" सोचकर अवनि सोने चली गयी मगर पूरी रात करवटे बदलने के बाद भी नींद नही आई। 

     

  अगली सुबह!!!!

     पूरा गार्डेन एरिया पीले सफेद फूलों से सजा हुआ था। ठीक बीच मे लड़का लड़की के एक साथ बैठने का इंतज़ाम किया गया था लेकिन दोनो के बीच एक झिना सा पर्दा था जिससे दोनो को अलग किया गया था। शामियाने से लेकर हर ओर देखने पर किसी को भी पता लगता था की आज यहाँ हल्दी है। मिट्टी के उन्ही बर्तनों मे हल्दी गुलाब की पंखुडियो के बीच रखा गया। सारी लेडीज ने पीले ब्लाउज के साथ सफेद साडी पहना तो सारे जेंट्स पीले कुर्ते और पाजामे मे थे सिवाय चित्रा के। वह आज भी अपने नॉर्मल अवतार मे थी। 

    रस्म शुरू होने वाले थे  तो कंचन ने अवनि से काव्या को देखने कहा। अवनि जैसे ही मूडी सामने से चले आ रहे शख्स को देख खुशी से चीख पड़ी, "नानु!!!! विशाल भैया!!!"  अवनि के कजिन विशाल  व्हील चेयर पर बैठे नानु को लेकर आरहे थे। वह दौड़ कर गयी और दोनो के पैर छुकर आशीर्वाद लिया। कंचन ने दोनो का स्वागत किया और तैयार होने के लिए अवनि के साथ भेज दिया। 

     "अबे यार क्या कर रहा है? शांति से थोड़ी देर खडा नही रह सकता!!! मै काव्या नही हु जिसके छूने से तुझे गुदगुदी हो रही है। पता नही सब को क्या सूझा जो तुझे धोती पहनाने के लिए मुझे भेज दिया। और धोती पहनना जरूरी है क्या? अब तु जल बिन मछली की तरह मचलना बंद कर और मुझे कॉनसंट्रेट करने दे" सारांश ने झुंझला कर कहा। 

    बेचारा कार्तिक!! सीधे खड़े होने की पूरी कोशिश मे लगा था। दोनो पिछले आधे घंटे से उस धोती मे उलझे हुए थे मगर धोती थी की बंधने का नाम नही ले रही थी। तभी चित्रा वहाँ आई और बड़े इत्मिनान से सेब का बाइट लेकर कहा, "हो गया तुम दोनो का!!!  वैसे तुम लोग अगर चाहो तो मुझ से हेल्प माँग सकते हो। " 

     "हाँ बिल्कुल!!! लेकिन पहले खुद तो ढँग के कपड़े पहनना सिख ले फिर किसी और को पहनाना। लड़कियो वाले कपड़े पहनने आते हैं तुझे? ये शर्ट और ये फटी जींस, बस यही आता है तुझे। ये धोती वोती तेरे बस की नही है तु रहने दे" कार्तिक ने लगभग उसे उकसाते हुए कहा। 

    चित्रा को गुस्सा आया और वह पलट कर जाने लगी तो सारांश ने रोक कर मिन्नत करने लगा। उसने झटके से धोती सारांश के हाथ से छिना। जिस काम को करने दोनो ने आधा घंटा बर्बाद किया वो काम दो मिनट मे चित्रा ने कर दिखाया। वे दोनो अजीब नज़रों से उसे घूर रहे थे। "थैंक्स" कार्तिक के मुह से निकला तो चित्रा गुस्सा गयी, "आज तक कभी तूने इस सरू को थैंक्स बोला है जो मुझे बोल रहा है?? तेरे इसी थैंक्स का उस्तरा बना कर तेरा सर गंजा कर दूँगी। बड़ा आया!!! " कहकर चित्रा जाने के लिए पलटी। 

    कार्तिक ने उसे पीछे से पकड़ कर हग किया, "तु दुनिया की सबसे अच्छी दोस्त है" कहकर उसके गाल पर एक थैंक यू किस कर दिया और बाहर चला गया। सारांश भी हँसते हुए बाहर निकल गया और पीछे चित्रा अपने गाल पर हाथ रखे बुत बने खड़ी रह गयी। 

क्रमश: