Chapter 158

Chapter 158

YHAGK 157

Chapter

157








 पार्टी खत्म होने के बाद सारे मेहमान अपने अपने घर चले गए। मिस्टर रॉय, अनन्या जी, विहान, मानसी और बाकी सभी घर जाने के लिए निकलने को हुए। विहान के मम्मी पापा अपनी गाड़ि में निकल गए। मिस्टर रॉय भी अनन्या जी के साथ बाहर की तरफ निकले। विहान मानसी को लेकर जैसे ही जाने को हुआ उसकी नजर शरण्या पर गई जो वहीं सोफे पर आराम से पसरी हुई थी और मौली के साथ कुछ बातें कर रही थी। 


   नेविहान ने उसे देखा और के करीब आकर बोला, "तु यहां क्या कर रही है? घर नहीं जाना क्या?"


     शरण्या तो रुद्र के साथ रहना चाहती थी। आज पूरा दिन उसके साथ इतने खूबसूरत पल गुजारे थे उसने कि उसे रूद्र से अलग होने का दिल ही नहीं कर रहा था। वह और भी आलसी होकर बोली, "मुझे नहीं जाना कहीं! तुम लोग जाओ। मैं कल तुम लोगों से सीधे शादी के वेन्यू पर मिलूंगी।"


    विहान उसके सामने खड़ा होकर बोला, "तेरा सही है! तु शायद भूल रही है कि हम लड़की वाले है। हम लोग यहां से जाएंगे तभी कल शादी के मंडप पर पहुंचेंगे। तेरी और रुद्र की शादी होनी अभी बाकी है, अभी हुई नहीं है। तुम दोनों ने अपनी मनमर्जी बहुत की है लेकिन अब नहीं चलेगी। तु मेरे साथ चल रही है मतलब चल रही है। तेरे पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है।"


     शरण्या का चेहरा उतर गया। उसने मासूमियत से रूद्र की तरफ देखा ताकि रूद्र उसे किसी ना किसी बहाने यहां रोक ले। रूद्र कुछ कहता उससे पहले विहान बोला, "खबरदार जो तूने कोई जुगाड़ लगाइ तो! चाहे जो भी बहाना हो शरण्या मेरे साथ जा रही है मतलब जा रही है! तुम लोग अपनी तैयारी करो, हम लोग अपनी तैयारी करेंगे।"


     शरण्या बीच में बोली, "मुझे मौली के साथ रहना है।"


   विहान उसका यह बहाना बहुत अच्छे से समझ रहा था। उसने कहा, "तो फिर ठीक है! हम मौली को अपने साथ ले चलते हैं!"


     शरण्या मुंह बिचका कर बोली, "मतलब मुझे चलना ही होगा?" 


    विहान सख्ती से बोला, "बिल्कुल! मैं तुझे यहां छोड़कर जाने वाला नहीं हूं। तुझे जितना टाइम लगाना है लगा ले! जितने बहाने बनाने हैं बना ले! लेकिन तू मेरे साथ जाएगी।"


   लावण्या ने कुछ कहना चाहा लेकिन विहान ने हाथ ऊपर कर उसे रोक दिया। शरण्या बेचारी सी शक्ल लिए वही बैठी हुई थी। लावण्या और रूद्र को उसकी यही शक्ल देखकर हंसी आ रही थी लेकिन शरण्या के आगे हंसने की हिम्मत उन दोनों ने नहीं की। 


    किसी को भी साथ ना देता देख शरण्या उठी और पैर पटकते हुए वहां से निकल गई। उसके जाते ही जो हंसी सब ने रोक रखी थी, वो एकदम से फूट पड़ी। लावण्या बोली, "वह सच्ची में तुमसे बहुत प्यार करती है। अब जल्दी करो और ले आओ उसे वरना पता नहीं क्या करेगी!"


     रूद्र मुस्कुराते हुए बोला, "बहुत जल्द! बस रजत और नेहा की शादी हो जाए उसके बाद हम अपनी शादी की तैयारी करेंगे।"


    शिखा जी बोली, "तुम दोनों एक काम क्यों नहीं करते! कल रजत और नेहा के साथ ही तुम दोनों भी फेरे ले लो।"


    रूद्र बोला, "नहीं मां! कल का दिन रजत और नेहा के लिए खास है। कल का दिन उन दोनों के नाम ही रहने दीजिए। मैं और शरण्या उसी दिन शादी करेंगे जिस दिन हमने की थी।" कहकर रूद्र अपने कमरे में चला गया। 


 ब् नेलावण्या मुस्कुरा उठी और धीरे से कहा, "हाउ रोमांटिक!!"


    आज घर वाले भी बहुत खुश थे। घर की जो खुशी कहीं खो गई थी वह वापस इस घर में आ चुकी थी। अब सिर्फ शरण्या के इस घर में वापस आने का इंतजार था। शिखा जी रूद्र को पहले की तरह देखकर बेहद खुश थी और उन्हें अपने बच्चों के भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं थी। लेकिन एकदम से उन्हें पुरोहित जी की कही बात याद आ गई। उन्होंने कहा था, "दोनों भाई की जिंदगी एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत है। जिस तरह वह दोनों का व्यवहार है। वैसे ही एक की जिंदगी में खुशी होगी तो दूसरों की जिंदगी से चली जाएगी।"


    रेहान और रुद्र के साथ असल जिंदगी में वैसा ही रहा था। जब रेहान कि जिंदगी में लावण्या आइ, उसके कुछ वक्त बाद रूद्र और शरण्या बरसो के लिए अलग हो गए। रूद्र की जिंदगी से खुशियां चली गई। उसकी आंखों में एक सूनापन सा नजर आने लगा था। जिंदगी से हार चुका था वो। लेकिन फिर शरण्या वापस आई और रूद्र की जिंदगी खुशियों से भर गई। लेकिन अब रेहान का क्या? 


     रेहान और लावण्या के बीच सब कुछ ठीक लग रहा था और रूद्र और शरण्या के रिश्ते के खिलाफ कोई नहीं था। पुरोहित जी की बात याद आते ही शिखा जी बुरी तरह से घबरा गई। उनके चेहरे की तरफ देखकर धनराज जी ने उन्हें संभाला और बोले, "ऐसा कुछ नहीं होगा शिखा जी! सब कुछ ठीक है। हमारे दोनों बेटे खुश है और हमारी दोनों बहुएं हमारे घर की रौनक है। जो भी बाधाएं थी वह सब दूर हो चुकी है। अब सब अच्छा होगा अच्छा सोचो तो अच्छा ही होगा। आप ये भी तो सोचो, अगर रूद्र और शरण्या के बीच यह दूरियां ना आई होती तो क्या हमें कभी उन दोनों के प्यार पर यकीन होता? दोनों इस तरह एक दूसरे से लड़ते थे, हमें यही लगता कि वह दोनों कभी एक दूसरे के साथ नहीं निभा पाएंगे। एक तरह से ये उन दोनों के प्यार की परीक्षा थी और वह दोनों ही इस में पास हो गए। वो दोनों जिंदगी भर एक दूसरे के साथ रहेंगे वह दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हैं इस बात में ना मुझे शक है ना ही ललित को। इसलिए आप परेशान मत हो, सब कुछ ठीक है और अगर कुछ परेशानी आती भी है तो हम उसे देख लेंगे। अपने बच्चों के साथ हम कुछ गलत नहीं होने देंगे। रात बहुत हो गई है चल कर सो जाओ।"


    रूद्र ने मौली को उसके कमरे में सुला दिया और खुद भी अपने कमरे में चला आया। कमरे में आते ही उसका फोन बजने लगा। उसने देखा तो शरण्या का ही फोन था। रुद्र का भी बिल्कुल मन नहीं था कि शरण्या वहां से जाय लेकिन विहान ने जिस तरह से रिएक्ट किया, उसके सामने वह कुछ बोल भी नहीं पाया। 


   लावण्या अपने कमरे में आई तो देखा रेहान बिस्तर लगा रहा था। लावण्या ने अलमारी से कपड़े निकाले और बाथरूम मैं चली गई। फ्रेश होकर, कपड़े बदलकर लावण्या बाहर आई तो देखा रेहान बिस्तर पर आराम से बैठा हुआ था और कुछ काम कर रहा था। लावण्या बस रेहान को छेड़ना चाहती थी। वह बड़े प्यार से चलते हुए उसके करीब गई और बोली, "रूद्र और शरण्या अपनी शादी की सालगिरह पर फिर से शादी करने वाले हैं। कितना रोमांटिक आईडिया है ना! शादी की सालगिरह पर फिर से शादी करना.....! मतलब जिंदगी भर के लिए एक मेमोरी बन जाती है। तुम क्या कहते हो इस बारे में?"


    रेहान अपने लैपटॉप में लगा हुआ था। उसकी उंगलियां कीबोर्ड पर चल रही थी। उसने बिना लावण्या की तरफ देखें कहा, "फिर तो हमें भी आज के दिन शादी कर लेनी चाहिए थी! या फिर कुछ ऐसा करना था जिससे आज का दिन यादगार हो जाए। वैसे भी यह बहुत बकवास आईडिया है।"


   लावण्या उसके बगल में बैठते हुए बोली, "तुम कब से इतने अनरोमांटिक हो गए रेहान! मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी। शादी के सालगिरह पर शादी करना अगर बकवास आईडिया है तो फिर एक काम करते हैं, हमारी शादी की सालगिरह पर हम एक दूसरे को डिवोर्स दे देते हैं। शायद यह बेहतर आइडिया होगा।"


     तलाक का नाम सुनते ही रेहान के हाथ वहीं पर ही रुक गए। उसने हैरानी से लावण्या की तरफ देखा। यही तो वह नहीं चाहता था। यह उसके मन का सबसे बड़ा डर था। इस वक्त उसके दिल में लावण्या को लेकर भले जो भी एहसास हो लेकिन वह उससे प्यार बहुत करता था। तलाक लेकर अलग अलग रहना उसे मंजूर नहीं था। उसने अपना लैपटॉप साइड में रखा और लावण्या पर गुस्सा होते हुए बोला, "लावण्या........! कुछ तो सोच समझकर बोला करो। बीवी हो तुम मेरी, हमारी शादी हुई है और शादी कोई मजाक नहीं होता। रूद्र अगर अपनी बीवी के साथ उसी दिन शादी करना चाहता है तो ये उसकी मर्जी है क्योंकि उन दोनों ने मंदिर में शादी की थी। हमारी शादी धूमधाम से हुई थी, अगर तुम्हें याद हो तो! वरना तो कोई बात ही नहीं है। लेकिन आइंदा डिवोर्स की बात मेरे सामने मत करना वरना बहुत बुरा होगा!"


      रेहान का गुस्सा देख लावण्या अपने बात को संभालते हुए बोली, "कम ऑन रेहान! मैंने तो बस ऐसे ही बोल दिया था। वैसे तुम इतना घबरा क्यों रहे हो जैसे मैं तुम्हें सच में तलाक दे रही हूं! क्या मेरे पास कोई वजह है तुम्हें तलाक देने की जो तुम इतना घबरा रहे हो?"


    रेहान धीरे से बड़बड़ाया, "वजह है तभी तो कह रहा हूं!" और वह कंबल खींच कर सो गया। रेहान इतने धीरे से बड़बड़ाया की लावण्या सुन ना पाए लेकिन लावण्या को अच्छे से पता था कि रेहान के मन में कौन सा चोर है। लावण्या रेहान को परेशान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहती थी। वह भी रेहान के बगल में लेट गयी और लाइट ऑफ कर दिया। 


   रुद्र और शरण्या पूरी साथ एक दूसरे से बातें करते रहे और फिर दोनों ही कब सो गए उन्हें पता ही नही चला। दोनों ही फोन अपने अपने काम से लगाए हुए थे। रूद्र की आदत थी सुबह जल्दी उठने की। जैसे ही उसकी नींद खुली उसने देखा उसके फोन में अभी भी कॉल चालू थी। उसने एक बार फोन उठाकर हेलो बोला, लेकिन शरण्या के उठने का अभी टाइम नहीं हुआ था। उसने भी मुस्कुरा कर फोन काट दिया और अपनी जोगिंग के लिए निकल गया।