Chapter 5
humsafar 5
Chapter
5 सारांश खुश था की जैसा वह चाहता था अवनि ने बिल्कुल वैसे ही रिएक्ट किया फिर भी वह बोला, "लेकिन मुझे ऐसा क्यों लग रहा है मिस् अवनि की आपको अभी भी मुझ पर डाउट है!!!"
"नही नही मिस्टर सारांश!!! आई मीन सर!!! मुझे कोई डाउट नही है...... (थोड़ा सोचकर) एक्चुअली एक डाउट है लेकिन वो वाला नही ... मतलब आप पर नही आपके ऑफर के बारे मे...कुछ....पूछना...था...! " अवनि ने घबराई आवाज मे कहा।
"पूछो" सारांश ने भौहें चढ़ा कर कहा।
"शादी तो पंद्रह दिनों मे है तो क्या मुझे सिर्फ आधे महीने की सैलरी मिलेगी?" अवनि ने मासूमियत से पूछा।
"लेट मि एक्सप्लेन..... शादी की तैयारियो मे मै बिजी रहूँगा तो मेरे पीछे मेरा काम मेरा असिस्टेंट देखेगा। अब इतना प्रेशर हैंडल करने के बाद उसे भी तो छुट्टी चाहिए होगी!!! तो जब तब वह रिलैक्स हो कर वापस नही आता तब तक के लिए मुझे एक असिस्टेंट की जरूरत तो होगी ही। अब इसमे कितना टाइम लगेगा मुझे नही पता क्योकि मैंने उसकी वाइफ को प्रोमिश् किया था की वो जितने दिन चाहे छुट्टी ले सकता। अब इसमे एक महिना भी लग सकता है और दो महीने भी या इससे ज्यादा भी लग सकते है तो तब तक के लिए मै आपको अपने असिस्टेंट की जॉब ऑफर कर रहा हु। अगर आपकी मंद बुद्धि मे ये बात समझ आ गयी हो तो कल ऑफिस आ जाना और कंट्रेट साइन कर लेना फिर कल से ही काम शुरू करते है।" सारांश ने बड़े ही प्यार से अवनि की ओर देखकर कहा।
"ओके सर.... " अवनि ने सर हिला कर कहा।
" अब अगर कोई डाउट नही हो तो जाऊ!!! मेरी मीटिंग है" कहकर सारांश उठा और कार्तिक से विदा लेकर चला गया। उसके जाते अवनि ने कार्तिक के कंधे पर एक घुसा मारा और बोली, " आपको पहले नही बताना था की आपके केबिन मे कोई है!!!! मुझे आपसे अकेले मे बात करनी थी" अवनि ने बच्चो की तरह गुस्सा करते हुए कहा।
"अरे इस मे मेरी क्या गलती? तुमने कहा था बात करनी है ये नही कहा था की अकेले मे बात करनी है। वैसे भी सारांश कोई गैर नही है और देखो कितना अच्छा ऑफर देकर गया तुम्हे! तुम्हारी सारी टेंसन ख़तम" कार्तिक ने कहा।
"टेंसन खतम नही जीजू टेंसन ही टेंसन हो रही है मुझे। मैंने सोचा था आपके साथ काम करूँगी तो थोड़ा कंफिडेंस बढ़ेगा मेरा लेकिन......."
"लेकिन क्या अवनि!!! ऐसा वैसा कुछ मत सोच। सारांश मेरे लिए भगवान से कम नही है। उसके साथ तुम्हे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। बहुत ही शांत और सुलझा हुआ इंसान है वो, उसे शिकायत का मौका मत देना।"
"शांत और सुलझा हुआ???खडूस है पुरा का पुरा और इस खडूस के साथ पता नही मै कैसे काम करुँगी। अगर मेरी मजबूरी नही होती न तो मै कभी......" अवनि अभी अपना रोना रो ही रही थी की दरवाजे पर किसी के हल्के से खासने की आवाज़ आई। उसने गर्दन घुमा कर देखा तो सारांश दरवाजे पर खडा उसे ही घूर रहा था। अवनि का घबराहट के मारे गला सुख गया, "कही इसने मेरी बात तो नही सुन ली" अवनि ने मन ही मन कहा
"डोन्ट वरी मैंने कुछ नही सुना और आपके मुह से अपनी तारीफ तो बिल्कुल भी नही सुनी" सारांश ने हल्की सी स्माइल के साथ कहा तो अवनि समझ गयी और उठ कर खड़ी हो गयी। "आई थिंक मुझे अभी चलना चाहिए, घर पे सब वेट कर रहे होंगे। मै कल आती हु आपके ऑफिस..... दस बजे" कहकर अवनि जाने को हुई तो सारांश ने रास्ता रोक कर सीरियस आवाज मे कहा, "दस नही नौ बजे.. ठीक नौ बजे! मुझे लेट आने वाले बिल्कुल भी नही पसंद"
अवनि ने ऐसे अपना सर हिलाया जैसे सब समझ गयी हो और वहाँ से भाग गयी। सारांश टेढ़ी नज़रो से उसे जाते देखकर खुद को हँसने से नही रोक पाया। उसे हँसता देख कार्तिक ने कहा, "गुड चॉइस सारांश!!!!! मेरी साली को ज्यादा परेशान मत करना। " सारांश ने भी उसे तिरछी नजर से देखकर मुस्कुराया और टेबल से अपना लैपटॉप लेकर चला गया।
अवनि बाहर निकली और ऑटो लेकर घर के लिए निकल गयी। रास्ते भर अवनि सोच मे ही डूबी रही, ' आज कितना कुछ हो गया एक ही दिन में। मेरी लाइफ जैसे मेरी लाइफ न होकर जैसे कोई रोलर कोस्टर हो गयी है। अब ये खडूस..... कहा देख है मैंने इसे??? कुछ याद क्यों नही आ रहा!!!!"
"मैडम आपका घर आ गया।" ऑटो वाले की आवाज से अवनि होश मे आई। उसने पैसे चुकाये और घर मे दाखिल हुई। घर आकर अवनि न देखा उसके पापा किचन मे सबके लिए चाय बनाने की कोशिश कर रहे थे। उसकी माँ को काव्या कुछ डिजाइनस् दिखा रही थी। उन सब को खुश देख कर अवनि का दिल भर आया। बमुश्किल उसने अपने आँसुओ को बहने से रोका।
"अरे अवनि!!!! आ गयी तुम!!! ये लो चाय और पी कर बताओ कैसा बना है।" अखिल जी ने चाय की ट्रे टेबल पर रखते हुए कहा।
"इसमे बताने वाली क्या बात है!! अगर पीने के बाद बेहोश नही हुई तो समझो अच्छी बनी है, क्यों काव्या? " कहकर कंचन जी जोर से हँस पड़ी और काव्या ने भी उनका पुरा साथ दिया।
"बस कीजिये आप लोग मेरे पापा का मजाक उड़ाना। मेरे पापा सबसे बेस्ट है।" अवनि ने अखिल जी से लाड़ लड़ाते हुए कहा।
"देखा!! ये है मेरी बेटी" अखिल जी ने भी उसके गालों को प्यार से छू कर कहा। "अच्छा बेटा..काम हो गया, दे दिये एडवांस?"
"जी पापा दे दिया" अवनि ने कहा और सोचने लगी की अपनी जॉब के बारे मे अभी बताउ की नही, लेकिन कुछ देर सोचने के बाद वह बोली, "गाइज् मुझे आप सबसे कुछ कहना है.. " सबका ध्यान अवनि की ओर गया और शांत हो कर सब उसके बोलने का इंतज़ार करने लगे। अवनि थोड़ा हिचकिचाइ लेकिन सच को थोड़ा सा घुमा कर बोली, "मै जीजू से मिलने गयी थी। वो चाहते है की शादी की तैयारियों मे मै उनके दोस्त की हेल्प करू।"
"दोस्त की हेल्प??? और मेरी शादी का क्या??? और है कौन ये दोस्त?? " काव्या ने एक साथ कई सवाल दागे।
"दोनो एक साथ हो जायेंगे दिदु। और जीजू के वो दोस्त है न उन्होंने मुझे एक जॉब भी ऑफर की है।" अवनि कहा।
"कैसी जॉब? और ये कौन सा दोस्त है कार्तिक का? नाम क्या है? " अखिल जी और कंचन जी बारी बारी से सवाल किया।
"असिस्टेंट का जॉब!! कोई सारांश नाम है उनका!!!! " अवनि ने थोड़ा रुक कर कहा।
"सारांश!!!! तु कहाँ से मिली उससे???" काव्या का मुह खुला का खुला रह गया।
"जीजू के ऑफिस मे.... मै तो जीजू के साथ काम करना चाह रही थी लेकिन उसने खुद सामने से मुझे ऑफर दिया।" अवनि ने काव्या के चेहरे के भाव को देखकर कहा। "मै अपने रूम मे जा रही हु। कल से बहुत भागमभाग होने वाली है तो आज आराम कर लेती हु।" कहकर अवनि कमरे मे चली गयी। काव्या का मुह अभी भी खुला हुआ था और वह बस अवनि को जाते देख रही थी।
क्रमश: