Chapter 113
YHAGK 112
Chapter
112
नेहा इस वक्त ऑपरेशन थिएटर में थी और मानसी की डिलीवरी होनी थी। रूद्र को यूं तो नेहा से बहुत कुछ पूछना था। उसके और ईशान के रिश्ते के बारे में बहुत कुछ जानना था लेकिन इस सब की शुरुआत वो कैसे करें उसे खुद समझ नहीं आ रहा था। बहुत से गहरे राज थे जो दफन थे। जिनके बारे में किसी को अंदाजा तक नहीं था।
रूद्र यह बात बहुत अच्छे से समझ रहा था। इन 8 सालों में बहुत कुछ ऐसा हुआ था जो नहीं होना चाहिए था। अगर ईशान ने नेहा को किसी तरह से टॉर्चर किया है या फिर कोई जबरदस्ती की है तो इस बात का भी पता लगाना होगा वरना अगर नेहा को शरण्या के बारे में पता था और सारा सच जानते हुए भी उसने रूद्र को कुछ नहीं बताया, इसका मतलब यह कि सब के पीछे बहुत बड़ी वजह है। वो वजह क्या है रूद्र समझ नहीं पा रहा था और उसे इसकी जड़ तक जाना था।
अमित के जाने के बाद मानसी का विहान के साथ होना, इसमें कहीं से भी कोई फॉल्ट नहीं था। लेकिन नेहा और ईशान की शादी के बाद नेहा की फैमिली का ऐसे अचानक शहर छोड़कर चले जाना, यह रूद्र को खटक रहा था। किसी भी बात की तह तक जाने के लिए सबसे पहले नेहा के घर वालों को ढूंढना जरूरी था। रूद्र अभी यह सब कुछ सोच ही रहा था कि तभी उसकी नजर विहान पर गई जो हाथ में बैग लिए आपकी मम्मी के साथ हॉस्पिटल में दाखिल हुआ था।
विहान आते ही सबसे पहले रूद्र से मानसी के बारे में पूछा तो उसने बोला, "नेहा अंदर ही है। शायद अभी तक डिलीवरी हुई नहीं.........!" अभी उसने ऐसा बोला ही था कि तभी अंदर से बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी।
विहान तो खुशी के मारे वही कुर्सी पर बैठ गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से रिएक्ट करें। यह कोई पहला बच्चा तो था नहीं। जब मानव हुआ था तब भी विहान ऐसे ही एक्साइटेड था लेकिन इस बार उसका खुद का बच्चा इस दुनिया में आया था। अपने बच्चे की रोने की आवाज सुनकर विहान का दिल बेचैन हो उठा।
थोड़ी देर बाद ही नेहा अपनी गोद में एक छोटे से बच्चे को लेकर आई और बोली, "लड़का हुआ है, मुबारक हो!"
विहान भागते हुए नेहा के पास पहुंचा और उसके गोद में छोटे से गुलाबी रंग के बच्चे को देखकर वो बहुत ज्यादा इमोशनल हो गया। नेहा ने जब उस बच्चे को विहान के हाथों में सौंपा उस वक्त विहान के हाथ कांप रहे थे। ना जाने यह कैसे एहसास थे जिसे महसूस करके ही विहान बेचैन हो उठा।
विहान की मम्मी ने बच्चे को संभाला और अपने सीने से लगा लिया। आखिर उनका अपना पोता जो था, उनका अपना खून। रूद्र वहां खड़े यह सब कुछ देख रहा था और इस खुशी को एक बार फिर महसूस करने की कोशिश कर रहा था। उसे याद आया जब उसके कांपते हाथों ने ऐसे ही नन्ही सी बच्ची को पकड़ा था। उस नन्ही बच्ची को देखकर ही रूद्र के मुंह से पहला शब्द निकला "मौली" हां! वही नाम जो शरण्या चाहती थी।
विहान अचानक से वहां से बाहर निकला जिससे रूद्र की तंद्रा टूटी। उसे समझ नहीं आया आखिर विहान मानसी से मिलने की बजाय इस तरह बाहर क्यों जा रहा है! विहान की मम्मी ने बच्चे को वापस नेहा की गोद में दिया ताकि वह उसे कुछ वक्त के लिए नर्सरी में रख सके और खुद अंदर मानसी को देखने चली गई।
रूद्र विहान के पीछे गया। विहान हॉस्पिटल के बाहर निकला और गार्डन में जाकर खड़ा हो गया। अपने दोनों हाथों से चेहरे को ढके हुए विहान खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था। रूद्र ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, "क्या हुआ साले? पहली बार बाप नहीं बन रहा जो इस तरह रिएक्ट कर रहा है। ये तेरा दूसरा बच्चा है, तूने ही कहा था ना मानसी से और तू एसे रिएक्ट कर रहा है?"
विहान बोला, "डर लग रहा है मुझे यार! अपना डर मैं तुझे समझा नहीं सकूंगा और शायद तू समझ भी नहीं पाएगा। मैंने कभी मानव को अपने से अलग नहीं समझा क्योंकि जब उसने पहली हरकत की थी ना, उस वक्त मैं उसके साथ था और हर पल मैंने उसे बढ़ते देखा है फिर इस दुनिया में आते देखा है जैसे इस बच्चे के साथ हुआ। लेकिन जब मैंने मानव को पहली बार गोद में लिया था, उस वक्त जो एहसास हुआ था मुझे, और इस बच्चे को जब मैंने गोद में लिया तो वह एहसास नहीं था। उससे अलग था। न जाने क्यों लेकिन एक पल को मुझे यह महसूस हुआ कि मेरा पहला बच्चा है, मेरा अपना खुन। मैं तुझे अपनी बात नहीं समझा पा रहा हूं। इस वक्त जो कंडीशन है ना मेरी कि....... मैं अपने दोनों बच्चों में फर्क नहीं करना चाहता। अब मुझे मानव के साथ बहुत नरमी से पेश आना होगा। मैं उसे डांट नहीं सकता वरना यह जो लोग हैं ना, वह लोग मेरे मानव को मेरे खिलाफ कर देंगे। मेरे बच्चे के मन में कुछ भी उल्टा सीधा आ सकता है। वैसे तो काफी समझदार है वह लेकिन मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता और नहीं ले सकता हूं।"
रूद्र ने जब उसकी बातें सुनी तब उसने दोनों कंधे से उसे पकड़कर समझाया, "विहान! विहान!! विहान!!! क्या हो गया तुझे? तू इतना क्यों सोच रहा है? आगे क्या होगा क्या नहीं तु अभी सोच कर जो इस वक्त तेरे पास है उसे खो देगा। मानसी इस वक्त ऑपरेशन थिएटर में है। तेरी मम्मी मिलने गई है। वो इस वक्त तुझे ढूंढ रही होगी। उसने तेरे बच्चे को जन्म दिया है। तुम दोनों की प्यार की निशानी है वह, जो तुम दोनों के रिश्ते को और मजबूत करेगा। मानव को छोटा भाई मिला है। इतना मत सोच। ज्यादा सोचेगा तो तेरा दिमाग फट जाएगा। वैसे ही छोटा सा है। इतना बोझ मत डाल उस पर।"
विहान ने सुना तो मुस्कुरा दिया और बोला, "तू बिल्कुल नहीं बदला है ना!"
रूद्र बोला, "अपनों के लिए मैं आज भी वैसा ही हूं। वही रूद्र! अब चल मानसी तेरा इंतजार कर रही होगी।"
रूद्र विहान को लेकर हॉस्पिटल के अंदर आया। विहान को भी एहसास हुआ कि इस वक्त मानसी उससे मिलना चाहती होगी। रूद्र को बाहर छोड़ विहान अंदर चला गया।
वहां खड़े रूद्र की नजर नेहा पर गई जो सिस्टर को कुछ समझा रही थी। रूद्र के लिए यह एक मौका था नेहा से बात करने का। वो धीमे कदमों से और धड़कते दिल के साथ नेहा के करीब पहुंचा और उसे आवाज दी, "नेहा!!!"
नेहा ने पलट कर देखा तो रुद्र उसके सामने खड़ा था। आंखों में उम्मीद लिए उसे ही देख रहा था। नेहा ने अपनी नजरें झुका ली और बोली, "रूद्र.....! तुम इस होस्पिटल में क्या कर रहे हो? तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए। वैसे भी तुम्हें जो चाहिए अब वो तुम्हें यहां नहीं मिलेगा। तुम्हारी जरूरत अब यहां पूरी नहीं हो सकती इसलिए बेहतर है कि तुम दोबारा यहां मत आओ।" कहते हुए नेहा आगे बढ़ गई।
रूद्र ने उसे पीछे से आवाज लगाई, "नेहा....!"
नेहा के कदम वहीं रुक गए तो रूद्र बोला, "बस इतना बता दो कि अपना इलाज करवाने मैं कहां जाऊं?"
नेहा बोली, "मुझे नहीं पता रूद्र! मुझे वाकई में नहीं पता कि तुम्हारे दर्द का इलाज कहां हो सकता है। मुझे जब पता था तब मैंने तुम्हें इस हॉस्पिटल का पता दिया था। अब नहीं दे सकती क्योंकि मुझे खुद नहीं पता।" कहकर नेहा वहां से चली गई।
रूद्र वहीं खड़ा रह गया। वह समझ गया कि शरण्या अब यहां नहीं है और नेहा को उसकी कोई खबर नहीं है। अब ऐसे में वह शुरुआत कहां से करें उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था! एक बार फिर वह घूम फिर कर वहीं आ गया जहां से उसने शुरू किया था, शायद उससे भी पहले क्योंकि उस वक्त नेहा ने आगे बढ़कर खुद उसे कुछ इशारा तो किया था लेकिन अब वह क्या करें?
रूद्र बुझे मन से हॉस्पिटल से बाहर निकल गया। उसके मन में बहुत सी बातें चल रही थी जिस वजह से वह मानसी से भी ना मिल पाया। दूर बैठा ईशान जो रूद्र की हर हरकत पर नजर बनाए हुए था, उसे रूद्र के चेहरे पर उभर आए भाव देख हंसी आ रही थी और वो खुश हो रहा था। उसने तुरंत ही किसी को फोन लगाया और पूछा, "सब कुछ ठीक चल रहा है ना? और वह लड़की? उसकी क्या कंडीशन है?"
दूसरी तरफ से उस आदमी ने जवाब दिया, "लड़की ठीक है। डॉक्टर ने कहा है उसकी कंडीशन धीरे-धीरे इंप्रूव हो रही है। अगर इतनी तेजी से वह रिकवर करती रही तो बहुत जल्द उसे होश में आ जाएगा।"
ईशान उसकी बात सुनकर और भी ज्यादा खुश हो गया। उसने फोन रख दिया और मन ही मन बोला, "सब कुछ मेरे प्लान के हिसाब से हो रहा है और अब शरण्या को होश आने वाला है। इसका मतलब भगवान भी मेरे साथ है। वह भी चाहते हैं कि मैं और शरण्या एक हो जाए और इन सिंघानिया रॉय की दोस्ती मिट्टी में मिल जाए। जो इतने सालों में ना हुआ वह अब हो रहा है। सब कुछ इतना आसान लग रहा है ना! लेकिन इसके पीछे जितनी मेहनत मैंने कि है कोई सोच भी नहीं सकता। अब जाकर मुझे मेरी मेहनत का फल मिलने वाला है। बस एक बार ये डील हो जाए उसके बाद इन सब को सड़क पर लाकर खड़ा कर दूंगा मैं।"
रूद्र थके कदमों से अपने घर पहुंचा। शिखा जी उस वक्त शाम का दिया जला कर उठी थी। रूद्र को देखा तो मुस्कुरा कर कहा, "सुना है मानसी ने बेटे को जन्म दिया है! मैं तो जा ही नहीं पाई उसे देखने। चलेगा मेरे साथ?"
रूद्र बोला, "मां मैं हॉस्पिटल से ही आ रहा हूं और दोनों ठीक है। आप किसी और के साथ चले जाना या फिर मैं ड्राइवर को साथ में भेज दूंगा। अभी मेरा मन नहीं है।"
शिखा जी ने ध्यान से रूद्र को देखा। उसके चेहरे पर उदासी साफ नजर आ रही थी। उन्होंने रूद्र के चेहरे को थामते हुए कहा, "क्या हुआ बेटा? सब ठीक तो है? तु इतना मायूस क्यों लग रहा है? कुछ हुआ है क्या?"
रूद्र उनके दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर बोला, "कुछ नहीं मां! कुछ भी नहीं हुआ है। बस थोड़ी घबराहट थोड़ी बेचैनी सी है। आराम करूंगा तो सब ठीक हो जाएगा।"
मौली ने जब अपने पिता को देखा, तब उसने जल्दी से उनके घर के चप्पल लाकर सामने रखते हुए कहा, "डैड आपके स्लिपर्स!"
रूद्र ने अपने जूते उतारे और स्लीपर पहन लिए। मौली ने वह जूते उठाकर वापस रैक में डाल दिए। रेहान वहीं सोफे पर बैठा मौली की हर हरकत पर नजर रखे हुए था। उसे बुरा लग रहा था, आखिर राहुल और मौली में ज्यादा अंतर नहीं था इसके बावजूद राहुल से ऐसे किसी हरकत की उम्मीद नहीं कर सकते थे। अपनी बेटी को किसी और का ख्याल रखते देख रेहान के दिल में चुभन सी हुई।
रूद्र बिना कुछ कहे अपने कमरे की तरफ चल दिया तो शिखा जी ने उसे पीछे से टोकते हुए कहा, "रूद्र! ललित भाई साहब का फोन आया था। वह तुमसे कुछ बात करना चाहते हैं।"
रूद्र समझ गया कि आखिर मिस्टर रॉय उससे क्या बात करना चाहते थे! उसने कहा, "मां अगर उनका फोन आए तो कह दीजिएगा, उन्हें जो चाहिए जब चाहिए जितना चाहिए मिल जाएगा मुझे कोई एतराज नहीं है। बाकी बातें मैं कल खुद आकर कर लूंगा। इस वक्त मेरा बिल्कुल भी मन नहीं है किसी से बात करने का। बहुत थक गया हूं नींद आ रही है। मैं सोने जा रहा हूं।" कहकर रूद्र बिना किसी से मिले वहां से निकल गया और अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
मौली ने जब सुना तब अपनी दादी से कहा, "कुछ हुआ है। डैड को मैंने इतना अपसेट कभी नहीं देखा। कोई बहुत बड़ी बात है वरना वह कभी झूठ नहीं बोलते। डैड को इनसोम्निया है और दवाई लेने के बावजूद उन्हें नींद नहीं आती। सोने के बहाने वह अकेले रहना चाहते हैं। आप लोग प्लीज उन्हें डिस्टर्ब मत कीजिएगा। शायद शरण्या मॉम को लेकर परेशान हैं, वरना दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है जो उन्हें परेशान कर सके।"