Chapter 177

Chapter 177

YHAGK 176

Chapter

 176




 रूद्र ने रेहान को संभाला और अपने कंधे पर उठाकर उसे गाड़ी में बैठाया। रेहान पूरी तरह से बेसुध हो चुका था रूद्र ने एक भरपूर नजर उस पर डाली और ड्राइव करते हुए घर के लिए निकल गया। वो पूरे रास्ते वह बस यही सोच रहा था कि घर में सब को कैसे संभालेगा। वैसे ही उसके मां पापा रेहान को लेकर परेशान थे। इसकी ऐसी हालत देखकर ना जाने किस तरह रिएक्ट करेंगे यह सोच कर रूद्र परेशान हुआ जा रहा था। 


     रात के 11:00 बज चुके थे और पूरे घर की लाइट ऑफ थी। रूद्र ने घर के दरवाजे पर गाड़ी रोकी और रेहान को लेकर जैसे तैसे घर के अंदर दाखिल हुआ। रूद्र को यह देख कर थोड़ी तसल्ली हुई इस वक्त घर में कोई नहीं जाग रहा था। वो बस सधे कदमों से रेहान को लेकर उसके कमरे की तरफ बढ़ने लगा लेकिन रेहान को संभालना उसके लिए थोड़ा मुश्किल हो रहा था। उसने रेहान को फिर से अपने कंधे पर उठाया और लेकर ऊपर चला गया। 


     हॉल में ही धनराज जी बैठे हुए थे और अपने कमरे के बाहर शिखा जी रेहान को इस तरह देख रही थी। बच्चे सो चुके थे। उन दोनों में से किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह जाकर रेहान को संभालने में रूद्र की मदद कर सकें। उन्हें अच्छे से पता था रेहान को संभलने में थोड़ा टाइम लगेगा लेकिन कितने दिन यह किसी को नहीं पता था। 


    रूद्र रेहान को बाथरूम में लेकर गया और उसके ऊपर शावर ऑन कर दिया। इससे रेहान थोड़ा होश में आया और दीवार के सहारे अपने पैरों पर खड़ा होने लायक हो गया। रूद्र जल्दी से जाकर किचन से नींबू ले आया और एक टुकड़ा उसके मुंह में निचोड़ दिया। रेहान की शक्ल बिगड़ गई। उसने अजीब सा मुंह बनाते हुए रूद्र को गालियां देनी शुरू कर दी। "कमीने क्या कर रहा है? इस तरह कौन करता है और यह है क्या चीज़?"


     रुद्र भौंहे चढ़ाता हुआ बोला, "नींबू है गधे! मना किया था तुझे, इतना मत पीना। एक तो तुझे बर्दाश्त नहीं होता फिर भी......... जब तेरी कपासिटी नहीं है तो फिर तूने ट्राई क्यों किया?"


     रेहान वही शावर के नीचे फर्श पर बैठ गया और बोला, "तु था ना मुझे संभालने के लिए। मेरी लाइफ में जब भी कोई प्रॉब्लम हुई मैंने हमेशा तुझे ब्लेम किया कभी लावण्या को किया कभी किसी और को। अपनी गलती मैंने कभी एक्सेप्ट नहीं की। पिछले कुछ सालों से मैं हमेशा खुद को फ्री करने की कोशिश करता रहा खुद को समझाता रहा कि जो कुछ हुआ उसमें मेरी कोई गलती नहीं थी। हालात ऐसे थे, हो गया। अब जो हो गया उसे बदल तो नहीं सकते। सच कहूं तो जब लावण्या ने मुझे समझाया, उसके इस फैसले के पीछे असली बात बताई तब मुझे एहसास हुआ कि लावण्या गलत नहीं है और सारी गलती मेरी थी। यकीन मान, जब से मैंने अपनी गलती रियलाइज् की है उसके बाद से काफी रिलैक्स फील कर रहा हूं। हाँ लावण्या के जाने का दर्द है मुझे, बहुत ज्यादा दर्द है लेकिन कम से कम अब मैं उससे नजरे तो नहीं चुराउंगा। ऐसा लग रहा है जैसे एक अरसा हो गया उसकी आंखों में देखे हुए लेकिन अब क्या फायदा। अब मुझे वह हक ही नहीं। पता नहीं जिंदगी मुझे अब किस और ले जाएगी। ना जाने कौन सा मोड़ है यह। मेरी मंजिल आज मुझसे बहुत दूर है।"


     एकदम से रेहान को उबकाई आई। उसने पास के पॉड में जल्दी से अपना सर डाल दिया और उल्टी करने लगा। उसकी हालत देख रूद्र उसे संभालना चाहता था लेकिन रेहान को अब होश आ चुका था। पानी, नींबू और उल्टी ने उसका सारा नशा उतार दिया था इसलिए उसने अपने भाई पर रहम नहीं दिखाई और नाक भौंह सिकोड़ते हुए बोला, "तुझे कोई और जगह नहीं मिली जो तू उसी में..........! छी! कितना गंदा है तू! पहले भी तूने किया है क्या ऐसा? यक! आइंदा मेरे साथ बैठकर खाना मत खाना।" 


     एक तो रेहान को उबकाई आ रही थी, ऊपर से रूद्र की ऐसी बातें सुनकर और उसे गुस्सा आ गया। उसने अपना जूता निकाला और जोर से रूद्र की तरफ फेंक कर मारा। रूद्र जल्दी से बाथरूम से बाहर भागा और दरवाजा बंद कर वह बुरी तरह से हंसने लगा। रूद्र खुद भी भीग चुका था इसलिए वह अपने कमरे में गया और अलमारी से कपड़े लेकर फ्रेश होने बाथरूम में चला गया। 




     इधर लावण्या जब अपने घर पहुंची तब उसने खुद को एकदम शांत दिखाया जैसे कुछ हुआ ही नहीं। शरण्या चाहती थी कि उसकी बहन उससे अपने दिल की बात कहे उसके दिल में जो भी गुब्बार था उसे निकालें लेकिन लावण्या ने तो जैसे कसम खा रखी थी इस बारे में उसे कोई बात नहीं करनी थी। 


     वह फ्रेश हुई और अपने कमरे में अपना लैपटॉप लेकर बैठ गई। कुछ ऑफिस के काम निपटाने थे जिसमें उसने अपना पूरा ध्यान लगा दिया। रात हो चुकी थी और शरण्या उसके कमरे में इधर से उधर चक्कर काट रही थी। उसे बेचैन हुआ देख लावण्या बोली, "तु इस वक्त यहां क्या कर रही है?"


    शरण्या उसके सामने बैठते हुए बोली, "अपने कमरे में मुझे मन नहीं लग रहा इसीलिए मुझे आपकी कंपनी इंजॉय करनी थी लेकिन आप तो अपनी कंपनी के काम में लगे हो तो मेरे पास करने को कुछ नहीं है और मैं बोर हो रही हूं।"


     लावण्या ने उसे तिरछी नजर से देखा और बोली, "मैं तुम्हें यहां मेरे कमरे में होने को लेकर सवाल नहीं कर रही। मैंने पूछा तुम इस घर में क्या कर रही हो? तुम और रूद्र अभी-अभी अपने हनीमून से वापस लौटे हो। इस तरह तुम्हें अपने पति को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए था। कोई और अगर तुम्हारे पति को रिझा कर ले गई तो फिर किसी को ब्लेम मत करना।"


     शरण्या हैरान हो गई उसने कुशन उठाकर गोद में रखा और चीढ़ते हुए लावण्या से बोली, "मुझे मेरे रूद्र पर पूरा भरोसा है। कोई और लड़की उसे रिझाना तो दूर उसे करीब भी नहीं जा सकती। उसे ये सब करना होता ना तो बहुत पहले कर चुका होता। वह मेरा सिर्फ मेरा और सिर्फ मुझसे प्यार करता है। उसके बारे में मुझे टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं। वैसे भी मुझे थोड़ा टाइम आपके साथ रहना था और खुद रूद्र ने मुझसे कहा कि मैं आपके साथ रहूँ। क्योंकि वो भी अपने भाई के साथ थोड़ा टाइम स्पेंड करना चाहता है


 मैंने भी सोचा अच्छा है मुझे आपके साथ वक्त गुजारे एक अरसा हो गया और उन दोनों को भी काफी लंबा टाइम हो गया। अगर पूरा टाइम मैं उस से चिपकी रहूंगी तो वो मुझसे बोर हो जाएगा या फिर मैं बोर हो जाऊंगी। आप हमारी टेंशन मत लो। हम दोनों कहीं नहीं जाने वाले। घूम फिर के एक ही जगह आ जाएंगे। ना उसका मेरे बिना दिल लगेगा ना मेरा उसके बिना। वैसे मैंने पिज्जा आर्डर किया है हम दोनों के लिए, वह भी चुपके से। अभी थोड़ी देर में डिलीवरी ब्वॉय आता ही होगा। मैंने उसे बालकनी के नीचे रहने को कहा। अब तक तो आ जाना चाहिए था।"


    शरण्या ने जाकर बालकनी की तरफ से झांका। उसे डिलीवरी ब्वॉय आता हुआ नजर आया। उसने इशारे से उस लड़के को अपनी तरफ आने को कहा और उससे डिलीवरी लेकर वापस कमरे में चली आई। शरण्या ने पिज़्ज़ा का डब्बा लावण्या की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "दिदु चलो जल्दी से खत्म करते हैं वरना यह सब मैं अकेले खा जाऊंगी। इतना सब खाने के बाद अगर मैं मोटी हो गई और रूद्र ने मुझे प्यार करना बंद कर दिया ना तो फिर मैं छोडूंगी नहीं आपको"


       लावण्या मुस्कुराते हुए बोली, "तू चाहे मोटी हो जाए या पतली हो, चाहे तुम बूढ़ी हो जाए तेरा रूद्र तुझे हमेशा प्यार करेगा। उसके प्यार के लिए तुझे खूबसूरत लगने की जरूरत नहीं है। कहते हुए लावण्या ने पिज्जा का स्लाइस उठाया। 


     दोनों बहनों ने जल्दी से पिज्जा खत्म किया और डब्बा डस्टबिन में डाल दिया। अपना हाथ पोंछते हुए लावण्या बोली, "चल अब निकल यहां से। यहाँ तेरा कोई काम नहीं है मुझे ऑफिस का काम निपटाना है तो मुझे थोड़ी प्राइवेसी चाहिए।"


    शरण्या बिस्तर पर दोनों पैर मोड़कर बैठ गई और शिकायत करते हुए बोली, "क्या दी आप मुझे भगाना चाहते हो यहां से? मैं तो यहां आपके साथ टाइम स्पेंड करने आई थी और कुछ और भी सोचा था मैंने।" कहते हुए उसने अपना फोन निकाला और एक लिंक लावण्या को भेज दिया। 


      लावण्या ने अपने फोन में उस लिंक को ओपन करके देखा तो उसकी आंखें हैरानी से फैल गई उसने शरण्या से पूछा, "यह सब क्या है छोटी? तुझे किसने दिया यह लिंक और तेरे दिमाग में चल क्या रहा है? देख अगर रूद्र को पता चल गया ना तो तेरे साथ साथ मेरी भी बैंड बजा देगा। "


   शरण्या उसके मुंह पर हाथ रखते हुए बोली, "दिदु धीरे! कोई सुन लेगा और यह बात सिर्फ आपके और मेरे बीच में है रूद्र तक यह ना पहुंचे तो बेहतर है। बाकी आप इनमें से कोई एक डिसाइड कर लो फिर उसके बाद मैं इस आइटम को आर्डर कर सकती हूं।"


     लावण्या ने अपना सिर पीट लिया।