Chapter 57
YHAGK 56
Chapter
56
शरण्या अपने घरवालों से लड़ झगड़ कर बिना ईशान से मिले गुस्से में होटल से बाहर चली गई और रूद्र उसे मनाकर अपने घर ले आया। रूद्र का इस तरह उसे पैम्पर करना, उसका ख्याल रखना, उसका यू प्यार जताना यह सब शरण्या को थोड़ा अजीब तो लग रहा था लेकिन अच्छा भी लग रहा था क्योंकि इस तरह से किसी ने उसके बारे में ना कभी सोचा था और ना ही कभी उसे एहसास दिलाया था कि वह भी खास है। इस वक्त रूद्र जो कर रहा था वह सबसे अलग था शरण्या को तो बस रुद्र का साथ चाहिए था जो उसे इस वक्त में मिल भी रहा था फिर भी उसे अपने किस्मत पर यकीन नहीं था।
"रूद्र!!! क्या तू सच में मुझसे प्यार करता है? क्या सच में तु मुझे लेकर कितना सीरियस है? क्या तु सच में मुझसे शादी करना चाहता है? अपनी पूरी लाइफ मेरे साथ........ या फिर यह सब सिर्फ एक सपना है?" शरण्या से रहा नहीं गया तो वह रूद्र से पूछ बैठी। रूद्र अपनी धुन में था, वो मुस्कुरा उठा और बोला, "यह सब एक सपना है। हां एक सपना ही तो है, जिसे हम दोनो ने अपनी खुली आंखों से देखा है। तुझे मै बता नहीं सकता इतने वर्ष तक मैं किस तरह तुझसे दूर रहा, तेरे प्यार को समझने में मुझे इतनी देर हुई कि अब मैं तुझे और इंतजार नहीं करवाना चाहता हु। मैं बस जल्द से जल्द तुझे इस घर में चाहता हूं, अपने पास। सबके सामने हक से तुझे प्यार करना चाहता हूं। सारे घर वाले मुझे तेरे नाम से चिढ़ाये, यह चाहता हूं। अब चल जल्दी से इन कैनवस पर अपनी हथेली का छाप दे!"
शरण्या ने देखा, उसकी पूरी हथेली पर रूद्र ने अपने पेंट लगा दिए और खुद कैनवस लेकर खड़ा है। इससे पहले की पेंट सूख जाता, शरण्या ने रूद्र के कहे मुताबिक उस कैनवस पर अपनी हथेली के छाप लगा दिये। शरण्या को अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर रुद्र यह सब क्यों कर रहा था? वो अभी भी अविश्वास से रूद्र को दी जा रही थी। रूद्र ने कैनवस लिया और अपने कमरे की ओर चला गया। वहां उसे अपने अलमारी के अंदर डालते हुए वापस भागता हुआ नीचे आया। उसने शरण्या को गोद में उठाया और किचन की तरफ जाने लगा तो शरण्या बोली, "हम किचन में क्यों जा रहे है? मुझे कुछ बनाना नहीं आता और जहां तक मेरा ख्याल है तुझे भी कुछ बनाने नहीं आता तो फिर दो नौसीखिए लोग जिन्हें किचन में मसालों का कोई नॉलेज नहीं है वह क्या करने जा रहे है?"
रूद्र उसे किचन की स्लैब पर बिठाते हुए बोला, "जब हम दोनों जैसे इंसान एक साथ जिंदगी के एक सफर पर एक साथ निकल पड़े वो भी प्यार से तो फिर यह किचन क्या चीज है? चल देखते हैं क्या बनाया जा सकता है! तेरा तो नहीं पता लेकिन मुझे तो बहुत भूख लग रही है।" शरण्या बोली, "हम लोग बाहर से ऑर्डर कर लेते हैं ना, कुछ भी जो तेरी पसंद का हो और मेरी पसंद का भी।" कहते हुए उसने अपना फोन निकाला। रूद्र ने शरण्या के हाथ से फोन छिनते हुए कहा, "बिल्कुल भी नहीं! आज मैं मेरी जान को बहुत ही बहुत ही बहुत ही स्पेशल फ़ील कराना चाहता हूं। मैं उसे बताना चाहता हूं कि मैं उसके लिए क्या क्या कर सकता हूं। सबसे मुश्किल काम किचन में खाना बनाना है। अगर मै वो कर सकता हूं तेरे लिए तो फिर मैं कुछ भी कर सकता हूं और आज मुझे तेरे लिए कुछ बनाना है। तू बस मुझे देख और मुझे बताते जाना। वैसे बनाना क्या है पहले वह डिसाइड कर लेते हैं।"
रूद्र का कन्फ्यूज्ड चेहरा देखकर शरण्या हंसते हुए बोली, "एक काम करते हैं, खिचड़ी बना लेते हैं! वह सबसे आसान होता है। सादी खिचड़ी, ज्यादा कुछ नहीं। बस हम लोग वही बनाते है। मैं हेल्प करूं तेरी।" कहते हुए शरण्या किचन के स्लैब से उतरने को हुई तो रूद्र एकदम से उसे रोकते हुए बोला, "बिल्कुल भी नहीं, तु बस मुझे बताती जा कैसे बनाना है और क्या क्या डालने हैं! किस तरह करना है! खिचड़ी तो सबसे आसान होती है इसमें कोई दिक्कत नहीं होगी।" रूद्र की बात मानकर शरण्या ने ऑनलाइन खिचड़ी बनाने का रेसिपी निकाला और रूद्र को बताने लगी। रूद्र जिसे इन सब चीजों का कोई आईडिया नहीं था वह भी शरण्या के इंस्ट्रक्शन को फॉलो करते हुए हर एक चीज किचन की अलमारी से निकाल कर बाहर रखने लगा। खिचड़ी आधे घंटे में बनकर तैयार भी हो गई जिसकी खुशबू शरण्या को थोड़ी अलग लग रही थी, नॉर्मल जैसे होती है उससे थोड़ी अलग। शरण्या ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और ना ही रूद्र ने।
रूद्र ने खाना डाइनिंग टेबल पर लगाया और एक ही थाली में दोनों के लिए परोसा। इससे पहले कि शरण्या अपना चम्मच उठा पाती, रूद्र ने पहला निवाला उसकी तरफ बढ़ा दिया और प्यार से देखने लगा। शरण्या बोली, "तूने पहली बार कुकिंग किया, मतलब तुम मुझे यही खिलाकर मारना चाहता है? इसलिए चाहता है कि मैं सबसे पहले खाऊं?" शरण्या की बात सुन रूद्र का चेहरा उतर गया। उसने वह चम्मच जैसे ही अपनी तरफ किया शरण्या ने उसका हाथ पकड़ चम्मच अपने मुंह में डाल लिया। शरण्या के चेहरे के भाव बड़े अजीब से हो गए। उससे कुछ कहते ना बना। रूद्र ने जब देखा तो उस एहसास हुआ कि जरूर खिचड़ी में कुछ गड़बड़ है तो उसने भी उस खिचड़ी को जैसे ही मुह मे रखा उसके चेहरे के भाव भी बदल गए। जो इंसान कभी किचन में पानी तक गरम करने ना गया हो, उसने आज खाना बनाया, यह बहुत बड़ी बात थी। जिसके कारण उसने खिचड़ी में हल्दी की जगह मिर्ची और नमक की जगह चीनी डाल दिया था जिससे खिचड़ी का स्वाद थोड़ा अजीब हो गया था।
रूद्र ने कहा, "मैं बाहर से आर्डर कर दे रहा हूं!" कहकर रूद्र ने अपना फोन निकाला तो शरण्या उसे छीनते हुए बोली, "तुझे ऑर्डर करना है तो कर सकता है, मैं तो यही खाऊंगी। तू अपने लिए मंगा ले कुछ।" शरण्या उसके सामने ही बड़े मजे से उस मीठी खिचड़ी को खाने लगी तो रूद्र बोला, "मत खा इसे शरण्या! बहुत गंदा लग रहा है। मैंने सोचा था तेरे लिए कुछ बना लूंगा मैं लेकिन ऐसा बनेगा मैंने नहीं सोचा था, सॉरी!!!" शरण्या बोली, "तु सॉरी क्यों बोल रहा है? तूने स्पेशली मेरे लिए कुछ बनाया है जो कि मेरे घर में बिल्कुल भी नहीं होता है। तो फिर इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है? और जब किसी ने मेरे लिए इतने प्यार से कुछ बनाया है वह भी खासकर तूने तो फिर इससे ज्यादा टेस्टी और कुछ हो ही नहीं सकता। मैं तो यही खाऊंगी, तुझे खाना है तो खा वरना यह सब मैं अकेले खत्म करने वाली हूं।" शरण्या की बात सुन रूद्र ने अपना चम्मच उठाया और उसके साथ खाने लगा। खिचड़ी इतनी भी खराब नहीं बनी थी जिसे खाया ना जा सके। उन दोनों ने कुछ ही देर में पूरा खाना खत्म कर दिया।
रूद्र शरण्या को अपने कमरे में लेकर गया और इधर उधर कुछ देखने लगा। शरण्या बोली, "तुझे पता है रूद्र! मुझे तेरा कमरा सबसे ज्यादा पसंद है, आज से नहीं हमेशा से। इस कमरे में हर वह खूबसूरती है जो होनी चाहिए, बस तेरे कमरे में किताबें नहीं है वरना तेरे कैनवस तेरे पेंटिंग्स पियानो गिटार सब मिलता है तेरे कमरे में। वैसे एक बात समझ नहीं आई, तूने लिखना क्यों छोड़ दिया? मतलब पहले तो तू हमेशा डायरी और पेन लेकर कहीं भी बैठ जाता था और इस पियानो को देख ऐसा लगता जैसे किसी ने काफी टाइम से इसे छुआ भी ना हो। जबकि तेरे ही घर में है तेरे कमरे में तो तू इसे बजाता क्यों नहीं?"
"लिखना मैंने छोड़ा नहीं है बस यूं ही छूट गया। कुछ दिमाग में ही नहीं आता अब। और रही बात पियानो की तो जब मूड होता है तभी बजा लेता हूं वरना नहीं। वैसे भी रेहान को डिस्टर्ब होता है म्यूजिक से। उसे ऑफिस के काफी सारे काम होते हैं जिसके लिए उसे घर में शांति चाहिए तो मैं भी उसे डिस्टर्ब नहीं करता।" शरण्या कहाँ रूद्र की बात सुनने वाली थी। "अभी तो वह यहां नहीं है! और घर पर भी कोई नहीं है तो तु मुझे सिखायेगा? मुझे सुनना है तेरा म्यूजिक.......! नहीं, एक काम कर, मुझे सिखा। मुझे सीखना है पियानो।"
रूद्र स्टूल खींचते हुए लेकर आया और बोला, "चल बैठ!" शरण्या स्टूल पर बैठी तो रूद्र ठीक उसके पीछे उसी स्टूल पर जा बैठा और उसका हाथ पकड़ कर पियानो पर चलाने लगा। रूद्र का पूरा ध्यान म्यूजिक पर था लेकिन शरण्या का ध्यान अपनी गर्दन से टकराती रूद्र की सांसो पर जिससे एक बार फिर वो कमज़ोर पड़ने लगी थी। शरण्या का ध्यान म्यूजिक में ना देख रूद्र के हाथ वहीं रुक गए। उसने उसकी तरफ देखा और कहा, "क्या हुआ तुझे? तुझे सीखना था ना, तो फिर?
शरण्या उसके सीने से लग गई और बोली, "मेरे लिए ये सब अभी भी एक सपना ही लगता है रूद्र! इतने दिनों तक इस पल के आने का इंतजार किया है कि इसे सच मानने का दिल ही नहीं करता। हर पल ऐसा लगता है कि अभी मेरी आंख खुलेगी और अभी तु मेरे सामने नहीं होगा। कल मैं तेरे सामने आने से भी घबरा रही थी और आज इस तरह तेरे साथ तेरे इतने करीब हूं कि तुझसे दूर रहने का बिल्कुल भी दिल नहीं कर रहा। तेरे इतने करीब हो फिर भी तेरे और करीब आने का दिल कर रहा है।" कहते हुए शरण्या की पकड़ रुद्र पर और मजबूत हो गई।
रुद्र समझ गया इस वक्त वह किस एहसास से जूझ रही है। उसने प्यार से शरण्या की पीठ सहलाई और उसे गोद में उठाकर बेड पर सुला दिया। फिर उसके बाल सहलाते हुए बोला, "मैं तेरा सच हूं शरू! तू आंखें खुली रख या आंखें बंद कर, मैं हमेशा तेरे पास ही रहूंगा। मैं तेरी यह बेचैनी अच्छे से समझ रहा हूं इसीलिए मैं खुद ही बेचैन हूं तुझे जल्द से जल्द अपनी दुनिया में लेकर आने को। इस तरह छुप के प्यार करने में मजा तो आता है लेकिन मैं तुझे सबके सामने प्यार करना चाहता हूं। वह हक चाहता हूं तुझ पर और इसके लिए हम दोनों को थोड़ा सा इंतजार तो करना ही पड़ेगा। लेकिन ज्यादा नहीं करना होगा। मैं पूरी कोशिश करूंगा जल्द से जल्द हमारे बारे में सबको बताने का। वैसे तु सोच नहीं सकती मैं कितना ज्यादा डेसपरेट हूं, तुझ से भी ज्यादा, इतना ज्यादा कि मैंने तो बच्चों के नाम तक सोच लिया है। हमारे बच्चों के नाम!"
शरण्या ने सुना तो हैरानी से उसकी आंखें फैल गई। वो झटके से उठ कर बैठी और बोली, "दिमाग खराब हो गया है तेरा रूद्र! अभी अभी तूने मुझसे शादी के लिए कहा और अभी तु बच्चों के नाम सोच रहा है। अभी तो लावि दी की शादी होनी बाकी है, उन्होंने भी इस बारे में कुछ नहीं सोचा होगा लेकिन तु कुछ ज्यादा तेजी में नहीं निकल रहा?" रूद्र बोला, "वही तो जान! मुझसे इंतजार नहीं हो रहा! पिछले कुछ दिनों में मैंने हम दोनों के फ्यूचर को लेकर इतना कुछ सोच रखा है कि मैं तुझे क्या क्या बताऊ, यह समझ नहीं आ रहा। वो सब छोड़...... सबसे पहले तो हमारे खानदान के नियम के हिसाब से मैं घर का बड़ा बेटा हूं तो मेरे जुड़वा बच्चे होंगे। अब चाहे वह दोनों लड़कियां हो या दोनों लड़के या फिर दोनों! तो अगर लड़कियां हुई तो एक रोली और एक शैली, दोनों लड़के हुए तो वह तो तु डिसाइड करना और एक लड़का एक लड़की हुई तो........!"
शरण्या उसे बीच में टोकते हुए बोली, "लड़की का नाम मौली और लड़के का नाम कार्तिक! मुझे यह दोनों ही नाम बहुत पसंद है। अभी से बता दे रही हूं, याद रखना, बाद में मुझे कोई लड़ाई नहीं चाहिए।" शरण्या की बात सुन रूद्र मुस्कुराए बिना नहीं रह सका और उसे गले लगा कर उसके माथे को चूम लिया।
अचानक से ब्रेक लगने के कारण रूद्र की तंद्रा टूटी और वह 8 साल पहले के अपने उस सपने की दुनिया से बाहर आया। उस दुनिया में जहां उसकी दुनिया उसके पास नहीं थी। उसकी बेटी मौली इस वक्त उसके गोद में सर रखकर सोई हुई थी। उसने हौले से उसका सिर सहलाया और जगाते हुए बोला, "मौली.......! बेटा उठ जाओ! यहां से आगे जाने में हमें थोड़ा टाइम लगेगा, तब तक आप थोड़ा फ्रेशअप हो लो।" मौली अचानक से उठ बैठी और बोली, "डैड.....! हम लोग जहां जा रहे हैं वहाँ मॉम होगी ना? क्या आज मैं मेरी मॉम से मिलूंगी? अगर मिलूँगी तो क्या वो मुझे पहचानेंगी?" रूद्र ने कुछ कहा नही गया और वो गाड़ी का दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया।
क्रमश: