Chapter 168

Chapter 168

YHAGK 167

Chapter

167






 शरण्या और रूद्र सबके साथ मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस पहुंचे। वहां विहान मानसी के साथ पहले से मौजूद था और उन लोगों का इंतजार कर रहा था। रूद्र जैसे ही गाड़ी से उतरा विहान उसपर बरस पड़ा। "इतना टाइम कौन लगाता है कमीने! तुझे पता भी है कब से यहां रजिस्ट्रार ऑफिसर को मैंने रोक कर रखा है। मुझे लगा आज भी तुम दोनों की शादी होने से रही।"


     रूद्र ने गुस्से में उसे घूरते हुए बोला, "अपनी काली जुबान तु बंद रखेगा तो लंबी जिंदगी जीयेगा। कुछ ज्यादा ही बकवास नहीं करने लगा तू आजकल! अगर फिर से कुछ ऐसा वैसा बोला ना तो तेरी हड्डी पसली भी नहीं बचेगी। सॉरी मानसी लेकिन मैं इसे नहीं छोड़ने वाला।"


    मानसी उन दोनों की बातें सुनकर हंसते हुए बोली, "तुम दोनों बाद में कभी लड़ाई कर लेना। फिलहाल अंदर चलो वरना सच में तुम दोनों को अगली डेट लेनी पड़ जाएगी।"


      मानसी की बात सुन रूद्र ने शरण्या का हाथ पकड़ा और उसे लेकर केबिन में चला गया। बाकी सब भी उसके पीछे-पीछे चल दिए। अंदर केबिन में रजिस्ट्रार ऑफिसर अपने सर पर हाथ रखे बैठा हुआ था। रूद्र और शरण्या को देखकर वह सीधा बैठ गया और बोला, "शादी आप दोनों की है?"


    शरण्या बोली, "नहीं सर! हम यहां हनीमून मनाने आए हैं।"


    ऑफिसर ने अपना सिर पीट लिया। रूद्र अपनी हंसी छुपाते हुए बोला, "सर सॉरी! हम लेट हो गए। अब आप जानते ही हैं लड़कियों को तैयार होने में टाइम लगता है। वह भी अगर दुल्हन हो तो थोड़ा सा ज्यादा लगता है और दिल्ली की ट्रैफ़िक का हाल तो पता ही है आपको।" 


     रूद्र की बात सुनकर ऑफिसर ने अपना चश्मा नाक पर चढ़ाया और फाइल खोलकर बोला, "दूल्हे का नाम रूद्र सिंघानिया और दुल्हन का नाम शरण्या रॉय!" यह सुनकर दोनों ने अपना सर हिलाया तो ऑफिसर ने कहा, "दूल्हे के तरफ से कौन है?"


     रूद्र बोला, "मेरे माँ पापा।"


    रजिस्ट्रार ने फिर पूछा, "और दुल्हन की तरफ से कौन है?"


    शरण्या बोली, "मेरे मां पापा।" यह सुनकर ऑफिसर ने उन दोनों को ही घूर कर देखा और कहा, "जब शादी पूरे घर वालों की मर्जी से हो रही है तो फिर कोर्ट में आकर शादी करने की क्या जरूरत थी? मुझे लगा तुम दोनों भाग कर आए हो।"


    रूद्र कुछ कहता इससे पहले शरण्या बोली, "वो क्या है ना सर! हमारे घर वाले चाहते थे कि हम दोनों शादी कर ले लेकिन हम दोनों ने भाग कर शादी कर ली, बिना किसी को बताए। दिक्कत यह हो गई कि हमारी शादी हम रजिस्टर करवाना भूल गए। अब सोचा की शादी रजिस्टर करवाने से बेहतर है क्यों ना फिर से शादी कर लिया जाए!"


    वह ऑफिसर कंफ्यूज होकर शरण्या की तरफ देखते हुए बोला, "शादी को कितने टाइम हो गए?"


    शरण्या ने आराम से कुर्सी सरकाई और उस पर पसरते हुए बोली, "आज पूरे 9 साल हो गए शादी को। एक बेटी भी है हमारी। मौली बेटा सर को नमस्ते करो!"


     मौली ने भी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह आगे आकर अपने दोनों हाथ जोड़ लिए। रजिस्ट्रार का सर चकरा गया लेकिन उसे अभी पागल नहीं होना था इसलिए उसने जल्दी से फाइल में नजरें गड़ा दी। कुछ पेपर तैयार थे और कुछ पेपर पर सब के सिग्नेचर चाहिए थे। उन दोनों के नाम पढ़ते हुए ऑफिसर ने कहा, "रूद्र और शरण्या। यह तो साक्षात शिव और शक्ति की जोड़ी है। बहुत खूबसूरत नाम है दोनों का। आप लोग यहां साइन कर दीजिए।" कहते हुए ऑफिसर ने फाइल उन दोनों की तरफ बढ़ा दी। 


   रूद्र और शरण्या के साथ-साथ उन दोनों के मां पापा ने साक्ष्य के तौर पर सिग्नेचर किया। रूद्र ने अपने पास वही पुरानी सिंदूर की डिब्बी रखी थी। उसने उसी डिब्बे के सिंदूर से शरण्या की मांग भर दी। तब तक विहान दो मालाएं उठा ले आया जिसे देख रूद्र ने अपना सिर पीट लिया। शादी के सर्टिफिकेट के लिए उन दोनों को ही तस्वीर चाहिए थी जिसके लिए प्रॉपर शादी दिखाना जरूरी था। 


    कुछ देर के प्रोसेस के बाद उन दोनों को ही शादी का सर्टिफिकेट मिल गया और वह सब वापस बाहर निकल गए। बाहर आते ही शरण्या की हंसी छूट गई। उसे हंसते देख विहान ने परेशान होकर पूछा, "अब इसे क्या पागलपन के दौरे पड़े क्या? ये इतना हंस क्यों रही है?"


    रूद्र गाड़ी से अपनी पीठ टिका कर अपनी एक टांग पीछे गाड़ी से लगा दी और बोला, "अंदर रजिस्ट्रार ऑफिसर की शक्ल देख कर उसकी हंसी नहीं रुक रही। अभी यह कुछ टाइम तक पागलों की तरह ऐसे ही हंसते रहेगी।" उसी वक्त ना जाने कहां से कुछ मीडिया कर्मी वहां पहुंच गए और उन दोनों की तस्वीर लेने लगे। रूद्र के कुछ गार्ड्स जो सादे भेष वहां मौजूद थे, उन लोगों ने मीडिया को उनके करीब आने से रोका। 


      एक रिपोर्टर ने चिल्लाते हुए सवाल किया, "सर! आप दोनों की शादी तो हो चुकी थी तो फिर इस तरह से यहां आने की क्या वजह थी?"


     रूद्र का पारा चढ़ गया। उसने शरण्या को गाड़ी में बैठाया और उस रिपोर्टर के पास आकर बोला, "अपनी शादी की सालगिरह मनाने आया था। और कोई जवाब चाहिए आपको? हर किसी के पर्सनल लाइफ में घुसने को रिपोर्टिंग नहीं कहा जाता है। हर चीज की एक लिमिट होती है। जरूरत से ज्यादा कोई भी चीज हानिकारक होती है। और अब जब आपने सवाल पूछ ही लिया है तो मैं बता दू कि आज हमारी शादी की सालगिरह थी और मेरी बीवी की ये ख्वाहिश थी कि हम फिर से शादी करें। हम चाहते तो धूमधाम से शादी भी कर सकते थे तो क्या तब भी आप यह सवाल करते? नहीं करते!" कहते हुए रूद्र ने उस रिपोर्टर के गाल पर हल्की थपकी दी और वहां से निकल गया। 


     सारे रिपोर्टर्स वहां चुपचाप खड़े रहे। किसी ने भी हिम्मत नहीं थी कि वो रूद्र से और कुछ पूछे। रुद्र और शरण्या घर पहुंचे तो शिखा जी पहले से ही उन दोनों की स्वागत की सारी तैयारियां कर चुकी थी। पूरे रीति रिवाज के साथ में उन्होंने अपनी बहू का गृह प्रवेश कराया। उन्होंने लावण्या से उन दोनों के साथ बैठकर अंगूठी ढूंढने की रसम करवाने को कहा तो लावण्या बोली, "यह काम आप करें तो बेहतर होगा माँ! वैसे भी शरण्या मेरी बहन है इसीलिए यह सही नहीं होगा।"


    अनन्या जी बोली, "लेकिन बेटा! तुम रूद्र की भाभी हो इस हक से यह तुम्हें ही करवाना चाहिए।"


    लावण्या बोली, "नहीं मां! रूद्र रेहान से बड़ा है। इसलिए आज से शरण्या इस घर की बड़ी बहू है। यह मां को ही करने दीजिए।"


     उसी वक्त रेहान घर वापस लौटा। उसने रूद्र शरण्या को शादी की मुबारकबाद दी और बोला, "सॉरी यार! ऑफिस में जरूरी मीटिंग थी वरना तेरी शादी में जरूर आता। अभी मैं चलता हु, एक फाईल रह गयी थी उसी को लेने आया था।" कहकर वो अपने कमरे की तरफ जाने लगा तो अचानक लावण्या को याद आया कि उसकी प्रेग्नेन्सी टेस्ट किट तो कमरे में ही रह गई है। अभी इस तरह से वो अपने सारे पत्ते नहीं खोलना चाहती थी। लावण्या घबरा गयी।