Chapter 4

Chapter 4

मेरे हमसफर 4

Chapter 4   सारांश नर्सरी के बाहर से अपने बच्चों को देख रहा था। उसका ध्यान सबसे ज्यादा अपने बेटे पर ही था। सिया उसके पास आई और कंधे पर हाथ रखकर बोली "दोनों बच्चे ठीक है और इन दोनों की मां भी। फिर भी तुम्हारे माथे पर यह परेशानी की लकीरे क्यों है?"     सारांश बोला, "ऐसा कुछ नहीं है मां। सब ठीक है। अवनी को इतने दर्द में देखा तो.…......"    सिया उसकी बात काटते हुए बोली "तो तुम्हें अवनी के पास होना चाहिए। लेकिन तुम यहां इस तरह बच्चों के पास........! सब ठीक है ना?"     सिया को कोई शक ना हो इसलिए सारांश वहां से सिया को बिना कुछ बोले अवनी के कमरे में चला गया। अवनी अभी भी सो रही थी। सारांश ने डॉक्टर से इस बारे में पूछा तो डॉक्टर बोली "बहुत ज्यादा थक गई हुई है और थोड़ा इंजेक्शन का भी असर है। कोई बात नहीं, थोड़ी देर में होश जाएगा।     सारांश अवनी का हाथ पकड़े वहां बैठा रहा। थोड़ी देर बाद ही अवनी को होश आया और उसने अपने सामने सारांश को पाया तो मुस्कुरा कर बोली "सारांश........!"     सारांश किसी और दुनिया में खोया हुआ था। अवनी की आवाज सुनकर उसने रिएक्ट किया और उसके बगल में बैठ कर उसके बाल सहलाते हुए बोला "सब कुछ ठीक है, सब कुछ। हमारे दोनों बच्चे सही सलामत  है। किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। पापा ने सब ठीक कर दिया।"     अवनी आंखें बंद किए हुए थी। सारांश की बात सुनकर उसने चौंककर आंखें खोली और कहा "पापा ने सब ठीक कर दिया? मतलब?"    सारांश को एहसास हुआ कि उसने अभी अभी क्या कहा। वो अपनी बात संभालते हुए कहा, "हां! पापा भगवान के पास है ना! उन्होंने तुम्हें और हमारे बच्चों को कुछ नहीं होने दिया। तुम दर्द में थी और मैं पापा को याद कर रहा था। जाने क्यों लेकिन आज मुझे उनकी कुछ ज्यादा ही याद आ रही थी। शायद मैं खुद बाप बनने वाला था इसीलिए। तुम ज्यादा मत सोचो और अपना ख्याल रखो।"   अवनी बोली, "हमारे बच्चे?"   सारांश बोला "दोनों अभी नर्सरी में है। कुछ देर में आ जाएंगे।" इतने में सिया कंचन और जानकी वहां आ पहुंचे। सिया सारांश को वहा देखकर बोली, "तुम अब जाओ यहां से। यहां से तुम्हारा काम खत्म। अब कुछ दिन तुम मेरी बच्ची और दोनो बच्चों से दूर रहोगे।"    सारांश मुस्कुराकर बोला, "ऐसे कैसे मां? अवनी अकेले दोनों बच्चों को कैसे संभालेगी?"    जानकी बोली, "उसकी चिंता तुम मत करो। हम लोग है उन्हें संभालने के लिए। अवनी को आराम की जरूरत है और कुछ वक्त तुम दोनों को ही दूर रहना होगा। बरसों से यही नियम चले आ रहे हैं। वैसे भी ये मेटरनिटी वार्ड है तो यहां जेंट्स नॉट अलाउड।"    सारांश ने और कुछ नहीं कहा और वहां से बाहर निकल आया। इस वक्त उसे सबके बीच रहना अच्छा नहीं लग रहा था। इसी बहाने उसे अवनी से दूर रहने का मौका मिल जाएगा वरना जो कुछ भी हुआ उसे वह ज्यादा वक्त तक छुपा नहीं पाएगा।     डिलीवरी रूम में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोच कर ही सारांश बेचैन हो जा रहा था। हालांकि सब कुछ ठीक हो गया था लेकिन फिर भी सारांश यह सारी बातें अपने दिमाग से निकाल नहीं पा रहा था। उसके कदम एक बार फिर नर्सरी की तरफ बढ़ चले। उसने बाहर से ही अपने दोनों बच्चों को देखा जो आराम से सो रहे थे। सारांश की आंखों में नमी तैर गई। उसने ऊपर छत की तरफ देखा और आंखें मूंद ली। उसके होंठ तेरे से हिले "थैंक यू पापा!!"    करीब 3 घंटे के बाद नर्स दोनों बच्चों को लेकर आई और अवनी के पास सुला दिया। अवनी अपने दोनों बच्चों को बड़े प्यार से देख रही थी। वह दोनों बच्चे इतने नाजुक थे कि उन्हें   छूने में भी वह डर रही थी। सिया बोली "जब सारांश हुआ था तब वह भी ऐसा ही था, छोटा सा नाजुक सा। यह दोनों बिल्कुल अपने पापा पर गए हैं।"     कंचन ने देखा तो बोली "बिल्कुल नहीं! यह दोनों बिल्कुल अपने मां पर गए हैं।     सिया और कंचन दोनों ही आपस में उलझे हुए थे, यह देख अवनी की हंसी छूट गई। तभी दरवाजे पर से एक आवाज आई "अब बच्चे अपने मां बाप पर नहीं जाएंगे तो क्या पड़ोसी पर जाएंगे?"    सबने देखा दरवाजे पर चित्रा खड़ी थी। उसकी प्रेगनेंसी को आप भी ना आंटी! कैसे बात करते हो आप लोग! दादी नानी बन गई लेकिन फिर भी बच्चों वाली हरकतें है। खैर कहते भी हैं लोग कि जैसे जैसे उम्र बढ़ती है बचपना पर बढ़ता जाता है, आज देख भी लिया। अब बच्चे किस पर गए हैं यह तो मैं डिसाइड करूंगी, ना दादी की साइड करेगी ना ही नानी। यह हक मेरा है।"    चित्रा ने दोनों बच्चों को बारी-बारी से गोद में लिया और बोली "लड़का मां पर गया है और लड़की बाप पर, यह तो जाहिर सी बात है। वैसे भी उस साडू को बेटी ही तो चाहिए थी। भगवान ने भी उसे उसकी जैसे ही बेटी भी दी है। बस सीरत उसके जैसी ना हो।"     अवनी सारांश की तरफदारी करते हुए बोली "नहीं चित्रा! मैं तो चाहती हूं कि मेरे दोनों बच्चे अपने पापा के जैसे हो, बिल्कुल उनकी कार्बन कॉपी।"    चित्रा अवनी की बलाएं लेते हुए बोली "हाय मेरी जान! नजर ना लगे। अपने पति से इतना प्यार कौन करता है आज की दुनिया में? बीवी जब प्रेग्नेंट होती है तब उसी पति का अफेयर कहीं बाहर चल रहा होता है।"     काव्या उसी वक्त कमरे में दाखिल हुई और बोली "इसका मतलब निक्षय का अफेयर कहीं बाहर चल रहा है? चित्रा! मुझे उस से ऐसी उम्मीद नहीं थी! वह तुमसे कितना प्यार करता था! वह ऐसा कैसे कर सकता है? देखो तुम उससे अलग होने की मत सोचना। अभी तुम प्रेग्नेंट हो और अभी चाहो तो तुम उसे अच्छी तरह सबक सिखा सकती हो।"     चित्रा ने दोनों बच्चों को बिस्तर पर सुलाया और बोली "अफेयर! वह भी निक्षय का! हिम्मत तो करके दिखाए! उसकी टांगे ना तोड़ दी मैंने तो मेरा नाम बदल देना। अगर किसी दिन मुझे खबर लग गई कि उसका मेरे अलावा किसी और के साथ भी कोई चक्कर है तो मैं उसकी बोटियां काटकर कुत्तों को खिला दूंगी।     अवनी को हंसी आ गई "यही बात मैंने सारांश से कही थी। तुम घबराओ मत। ना सारांश ऐसे है और ना ही निक्षय। जितना निक्षय ने तुम्हें संभाला है, तुम्हें समझा है उतना कोई नहीं कर सकता।     चित्रा के चेहरे पर चमक आ गई और वह खोए हुए अंदाज में बोली "यह बात तो सही है। जिस तरह उसने मेरा साथ दिया है मेरे हर फैसले में मेरे साथ खड़ा रहा, उतना कोई नहीं करेगा। वो चाहता तो मुझे छोड़कर किसी और के साथ जा सकता था लेकिन उसने मेरा इंतजार किया। मैं भी ना कहां से कहां बात को ले गई। काव्या! मेरी बेटी कहां है?  कहां है मेरी कुहू?"     काव्या बोली "अपनी दादी के साथ है। फिलहाल तुम अपनी प्रेगनेंसी पर ध्यान दो। बहुत ज्यादा शरारती हो गई है वह। मैं नहीं चाहती कि उसकी किसी बदमाशी से तुम्हें नुकसान पहुंचे। एक बार तुम्हारी डिलीवरी हो जाए उसके बाद जितना मर्जी उसके साथ खेल लेना।     चित्रा कुछ कहती उससे पहले कंचन बोली "काव्या बिल्कुल ठीक कह रही है। कुहू जितनी बदमाश हो गई है उस हिसाब से तो अभी काव्या का प्रेग्नेंट होना मुश्किल है। मुझे डर है वो कहीं अपने दूसरे भाई बहन को नुकसान पहुंचा दे।     सिया बोली "ऐसा बिल्कुल नहीं है। बच्चे बदमाशी नहीं करेंगे तो और कौन करेगा! सिद्धार्थ जब छोटा था तो वह भी बहुत शैतान था। मैं और शरद परेशान थे कि जब हमारा दूसरा बच्चा आएगा तब ना जाने वो कैसे रिएक्ट करें। बच्चे भले ही बदमाशी करें लेकिन जब उन से छोटा कोई आ जाता है तो उतनी ही केयर भी करते हैं, यह बात देखी है मैंने सिद्धार्थ में।     कंचन बोली "यह बात तो है। जब काव्या छोटी थी तब उसे लगता था कि मुझ पर सिर्फ उसका हक है। अवनी के होने से पहले मुझे बहुत संभल कर रहना पड़ता था। जब अवनी इस दुनिया में आई तो काव्या ने भी बहुत प्यार से उसे रखा। कभी-कभी बदमाशी करती थी और उसे डांट भी देती थी। तुम चिंता मत करो काव्या, और अपने दूसरे बच्चे की प्लानिंग करो। ये दूसरा बच्चा तुम्हारे और कार्तिक के रिश्ते को और मजबूत करेगा।     काव्या थोड़ी नर्वस हो गई। चित्रा ने उसकी आंखों में देखा तो समझ गई कि काव्या जरूर कुछ छुपा रही है। उसने काव्या पर जब दबाव बनाया तो वह बोली "एक्चुअली! मैंने अभी तक टेस्ट नहीं किया है, ना ही मैं डॉक्टर से मिली हूं। लेकिन शायद मैं भी......….!"      चित्रा उसकी बात  पूरी करते हुए बोली "मतलब तुम प्रेग्नेंट हो?" चित्रा की बात सुनकर ही सबकी नजर काव्या पर ठहर गई। काव्या ने सबको अपनी तरफ इस तरह घूरते हुए देखा तो बोली "मैंने कहा ना, मैं अब तक श्योर नहीं हूं इस बारे में। मैं अभी कुछ नहीं कह सकती।     चित्रा ने उसका हाथ पकड़ा और लेकर बाहर निकली। अवनी से इतना बोला नहीं जा रहा था लेकिन फिर भी खुश होकर बोली "मतलब क्या दीदी गुड न्यूज़ दे रही है? अगर ऐसा हुआ तो बहुत ही अच्छी बात होगी।    जबतक अवनी ने अपने दोनों बच्चों को फीड कराया इतनी देर में चित्रा काव्या को लेकर वापस आ चुकी थी। ना तो चित्रा के चेहरे पर कोई भाव थे और ना ही काव्या के चेहरे पर लेकिन की नजर उन दोनो पर ही थी। सिया ने आगे बढ़कर पूछा, "क्या हुआ चित्रा? कहां लेकर गईं थी काव्या को? क्या हुआ तुम दोनो ऐसे क्यों खड़ी हो? कुछ हुआ है? कोई बात हुई है?"    चित्रा बोली, "उस निकम्मे कम्मो से ही पूछो आंटी! हम क्या बताए? सारी उसकी करतूत है जो बेचारी काव्या को भुगतना है।"    कंचन घबरा गई और बोली, "ऐसा क्या हो गया जो तुम इतना गुस्सा कर रही हो? ऐसा क्या कर दिया दामाद जी ने?"    चित्रा वैसे ही गुस्सा दिखाते हुए बोली "आपकी बेटी प्रेग्नेंट है। अब इसमें इस बेचारी की क्या गलती है? उस कम्मो को तो मैं छोडूंगी नहीं। अभी मेरी कुहू इतनी छोटी है, उसका ध्यान कौन रखेगा? इतनी जल्दी उसका प्यार बंट जाएगा। मैं तो अपनी प्रेगनेंसी कुछ टाइम के लिए अवॉइड करना चाहती थी लेकिन यहां तो काव्या खुद प्रेग्नेंट है।"     चित्रा की बात सुनकर सभी एक पल को चौंक गए लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि उसके कहने का मतलब क्या था, सबकी आंखें खुशी से फैल गई। खुशियां मित्तल परिवार में आने के बहाने ढूंढ रही थी।