Chapter 174
YHAGK 173
Chapter
173
आज कोर्ट की तारीख थी। रेहान बुझे मन से तैयार हुआ और कोर्ट के लिए निकल गया। जो बातें लावण्या ने उसे कही थी और समझाई थी, रेहान वह सब कुछ समझ कर भी समझना नहीं चाहता था। वह जो कुछ भी कर रहा था सिर्फ इसलिए क्योंकि ऐसा लावण्या चाहती थी। वो अब ऐसा कुछ नहीं करना चाहता था जिससे लावण्या को जरा सी भी तकलीफ हो चाहे इसके लिए उसे खुद से दूर जाने देना ही पड़े।
शिखा जी सबके लिए नाश्ता लगा रही थी लेकिन रेहान का बिल्कुल मन नहीं था। वह सीधे बिना किसी से कुछ कहे कोर्ट के लिए निकल गया। उसके चेहरे की मायूसी देख ना ही धनराज जी को और ना हीं शिखा जी को कुछ भी खाने का मन हुआ। बच्चे नाश्ता कर चुके थे और आज उन दोनों का ही स्कूल जाने का मन नहीं था, ना ही शिखा जी का उन्हें भेजने का मन था। इसलिए वह दोनों घर पर रह गए।
शिखा जी भी धनराज जी के साथ रेहान के पीछे पीछे कोर्ट के लिए निकल गए। रेहान जब तक फैमिली कोर्ट पहुंचा उस समय बस कुछ लोग यह वहां मौजूद थे और फैमिली कोर्ट अभी खुला नहीं था। रेहान वही बेंच पर बैठ गया और लावण्या का इंतजार करने लगा। कुछ देर के बाद कोर्ट खुला और लोगों की चहल-पहल शुरू हुई।
रेहान की नजर तो बस लावण्या को ही ढूंढ रही थी और मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि लावण्या यहां ना आए लेकिन ऐसा कुछ नहीं होने वाला था। जैसे ही उसे लावण्या की गाड़ी वहां आते दिखी रेहान का चेहरा उतर गया। उसके मन में जो रही सही उम्मीद थी वह भी खत्म हो गई।
रूद्र और शरण्या तय वक्त से पहले ही घर के लिए निकल पड़े। शरण्या अभी कुछ वक्त और वहां रुकना चाहती थी लेकिन रूद्र ज्यादा वक्त तक अपने ऑफिस नहीं छोड़ सकता था क्योंकि रजत की शादी अभी कुछ दिनों पहले ही हुई थी ऐसे में ऑफिस का सारा काम रजत के ऊपर था जिस कारण वो नेहा को ज्यादा वक्त नहीं दे पा रहा था। शरण्या ने नेहा के बारे में सोचा और इसीलिए उसने रूद्र से कुछ नहीं कहा। उनके आने की खबर किसी को नहीं थी।
रूद्र और शरण्या जब घर वापस लौटे उस वक्त उन दोनों ने सोचा कि घर वालों को सरप्राइज देंगे लेकिन घर का माहौल रूद्र को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। वैसे तो घर में अक्सर खामोशी पसरी होती थी क्योंकि इस वक्त घर के लगभग सभी ऑफिस में होते थे और बच्चे स्कूल में। लेकिन इसके बावजूद रूद्र को यहां कुछ सही नहीं लग रहा था।
शरण्या की नजर चारो ओर मौली को ढूंढ रही थी। उसने मौली को आवाज लगाई। मौली इस वक्त राहुल के साथ उसके कमरे में थी और उसे हंसाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन हंसने की बजाए राहुल उल्टा रो पड़ा। मौली अभी राहुल को चुप कराने में लगी थी। उसी वक्त उसे शरण्या की आवाज सुनाई दी। उसकी आवाज सुनते ही मौली खुश हो गई और राहुल का हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए उसे बाहर ले आई।
मौली को देखते ही शरण्या ने अपनी बाहें फैला दी तो मौली भी राहुल का हाथ छोड़ दौड़कर उसके गले लग गई। रूद्र दोनों का प्यार देखकर मुस्कुरा दिया लेकिन जैसे ही उसकी नजर राहुल पर गई उसका मन किसी अनहोनी को सोचकर घबरा गया। राहुल अभी भी रो रहा था।
रूद्र ने राहुल को अपने पास बुलाया और प्यार से उसके चेहरे को छूकर उसके आंसुओं को पोंछते हुए बोला, "क्या हुआ राहुल? तुम रो क्यों रहे हो? और सारे घर वाले कहां है? कुछ हुआ है क्या घर में?"
रूद्र के इतना पूछने की देरी थी, राहुल बुरी तरह से रो पड़ा और उससे लिपट गया। रूद्र राहुल की पीठ सहलाते हुए उसे चुप कराने की कोशिश करने लगा और बोला, "चुप हो जाओ राहुल! क्या हुआ है मुझे बताओ। कहीं कुछ प्रॉब्लम हुई है, कोई भी बात है मुझसे मत छुपाओ। मुझे पता है कुछ ना कुछ जरूर हुआ है वरना तुम दोनों इस वक्त यहां नहीं होते बल्कि स्कूल में होते। कहां है सारे लोग और क्या हुआ हमारे पीठ पीछे यहां पर?"
राहुल बुरी तरह से सिसक रहा था। वह बहुत कुछ कहना चाह रहा था लेकिन उसकी सिसकियों में उसकी आवाज दब कर रह गई। रूद्र ने मौली की तरफ नजर घुमाई तो मौली रूद्र का इशारा समझ गई। उसने नजरें झुका कर कहा, "राहुल के मॉम और डैड अलग हो रहे हैं। सारे लोग कोर्ट गए हैं। उस दिन एक लॉयर अंकल आए थे। उन्होंने कहा कि वह लावण्या आंटी की तरफ से आए हैं और कोर्ट में डिवोर्स केस फाइल करना है। शायद आज उसी की हियरिंग है।"
डिवोर्स का नाम सुनकर रूद्र के होश उड़ गए। शरण्या भी बुरी तरह से चौक गई। उसने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि उन दोनों के ना होने पर यहां इतना कुछ हो जाएगा। वही रूद्र को इस बात का एहसास पहले से था कि उन दोनों को यहां से इतनी जल्दी में बाहर भेज कर लावण्या जरूर कुछ करने वाली है लेकिन इस बारे में उसने शरण्या को बता कर उसे परेशान करना सही नहीं समझा।
शरण्या घबराकर रूद्र से बोली, "मैंने कहा था ना रूद्र! जहां तक मैं अपनी लावी दी को जानती हु, वो रेहान को इतनी आसानी से माफ नहीं करेगी। मुझे पता था वह कुछ ना कुछ जरूर करेगी। वो उनमें से नहीं है जो किसी को माफ कर दे और 100 गलतियां होने के बावजूद एक्सेप्ट कर ले। सिर्फ इसलिए क्योंकि वह उस इंसान से प्यार करती है। रेहान ने लावी दी को धोखा दिया और यह बात वो अच्छे से जानती थी लेकिन उन्होंने अचानक से यह सब किया............! मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है रूद्र।"
रूद्र बोला, "अचानक नहीं शरू! अचानक नहीं!! लावण्या बहुत पहले से यह सब प्लान कर रही थी और वह बस हमारी शादी होने तक का इंतजार कर रही थी इसीलिए तो हमारी शादी होते ही उसने आनन-फानन में हमें इस घर से बाहर भेज दिया ताकि जो उसने सोचा था उसे पूरा कर सकें। रेहान को इसकी भनक तक नहीं थी। उसने एकदम से तलाक के बारे में नहीं सोचा है। मैं तो यह सोच कर परेशान हो रहा हूं कि जब रेहान के सामने यह सारी बातें आई होंगी तो उसने किस तरह से रिएक्ट किया होगा! मुझे उस वक्त उसके पास होना चाहिए था उसे संभालना चाहिए था लेकिन मैं अपनी आने वाली लाइफ मैं इतना खो गया था मुझे किसी बात की सुध ही नहीं रही। बार-बार मुझे लग रहा था कि कुछ गलत हो रहा है। मां ने भी मुझे सीधे-सीधे डांट दिया कि मैं किसी को कॉल ना करूं। हमारे यहां से जाते ही लावण्या यहां से चली गई इसका मतलब यह कि जैसे ही हम घर से निकले लावण्या ने रेहान के सामने अलग होने की बात कर दी। लेकिन मेरी यह समझ नहीं आ रहा कि आखिर रेहान इस फैसले के लिए मान कैसे गया? हमें अभी इसी वक्त कोर्ट जाना होगा। हम ऐसे ही उन दोनों को इतनी बड़ी गलती करने नहीं दे सकते। कोई भी रिश्ता एक बार जब जुड़ता है तो वह कभी टूटता नहीं है फिर चाहे हम लाख कोशिश करें हमारे मन में एक गाँठ बन कर रह जाती है।"
रूद्र एकदम से बाहर जाने के लिए पलटा। शरण्या ने बच्चों को उनके कमरे में भेजा और वह भी रूद्र के पीछे पीछे भागी। रूद्र ने गाड़ी अभी पार्किंग में लगाई नहीं थी। वह वैसे ही दरवाजे के बाहर खड़ी थी। जैसे ही रूद्र ने गाड़ी स्टार्ट की शरण्या भागते हुए आकर गाड़ी में बैठ गयी। रूद्र के पास बिल्कुल भी पेशेंश नहीं बची थी। उसने इतनी तेजी में गाड़ी दौड़ाई कि तय वक्त से आधे समय में ही वह दोनों फैमिली कोर्ट के बाहर खड़े थे।
रेहान और लावण्या दोनों ही कोर्ट रूम में मौजूद थे और उनके सामने उनके अलग होने की सारी प्रक्रिया चल रही थी। लावण्या ने काफी सारे पेपर पर पहले ही सिग्नेचर कर दिए हुए थे और बाकी का काम उनका वकील देख रहा था। रेहान ने अपनी तरफ से कोई वकील नहीं सुना था लेकिन फिर भी कानूनी कार्यवाही के लिए एक वकील तो चाहिए ही था। सारी फॉर्मालिटि उन दोनों ही परिवारों के फैमिली लॉयर देख रहे थे। उन्होंने अफ़सोस करते हुए कहा, "सोचा नहीं था एक दिन ये सब भी देखना पड़ेगा। आगे बढ़ने से पहले तुम दोनों एक बार फिर से सोंच लो।"
रेहान लावण्या के फैसले में उसके साथ था। उससे जहां-जहां कहां गया वहां वहां किसी मशीन की तरह उसने सिग्नेचर करने शुरू कर दिए। वह अपने दिल में अपना दर्द दबाए बैठा था। शांत बैठी लावण्या भी तिरछी नजरों से उसे देख रही थी। रेहान को इस तरह देख उसे बहुत तकलीफ हो रही थी लेकिन वह चाहकर भी अपने फैसले को बदल नहीं सकती थी। उसने जो भी फैसला लिया था बहुत सोच समझ कर लिया था।
रेहान ने सारे पेपर पर साइन किया और उसे लावण्या के वकील के हवाले करते हुए कहा, "आप जाकर इसे सबमिट कर दीजिए। लावण्या को किसी तरह का कंपनसेशन या कुछ भी चाहिए मैं देने को तैयार हूं।"
लावण्या एकदम से बोल पड़ी, "मुझे कुछ नहीं चाहिए और ना ही मेरी कोई डिमांड है।"
लावण्या के वकील ने पूछा, "क्या आप दोनों अपने बेटे की कस्टडी कोर्ट से मांगना चाहेंगे?"
लावण्या बोली, "नहीं! वो हम दोनों का बेटा है और हम दोनों का ही पूरा हक है। वो हम दोनों की बराबर कस्टडी में रहेगा और जब चाहे पापा के साथ रहेगा, जब चाहे अपनी मां के साथ रहेगा। हम उस का बंटवारा नहीं कर सकते और ना ही कभी करना चाहेंगे।"
रेहान ने इस बारे में कुछ नहीं कहा क्योंकि वह भी लावण्या की इस बात से सहमत था। वकील ने सारे पेपर अच्छी तरह से देखें और जैसे ही उठ कर जाने को हुआ वैसे ही किसी ने उसके हाथ से वह फाइल छीन ली और सख्त आवाज में कहा, "इतनी बड़ी बेवकूफी करने जा रहे हो तुम दोनों सोचा भी है इसका अंजाम क्या होगा?"
लावण्या और रेहान के साथ सभी घर वालों की नजर उस ओर उठ गई। रूद्र शरण्या के साथ वहां खड़ा था रूद्र को अचानक से आजाद एक लावण्या पूरी तरह से
चौंक गई। उसने सोचा नहीं था कि रूद्र और शरण्या इतनी जल्दी वापस आ जाएंगे।