Chapter 11
सुन मेरे हमसफ़र 6
Chapter
SMH 6
कुणाल को लेकर कुहू पूल साइड एरिया में पहुंची, जहां सभी मौजूद थे। कुहू के साथ एक हैंडसम लड़के को देख कई लड़कियों को उससे जलन हुई। किसी ने कुणाल को घूरकर देखा और तो किसी ने दूर से लाइन मारी। जिसे देख कुणाल थोड़ा एंबेरेस हो गया।
सोनू भागते हुए कुहू के पास आई और बोली "कुहू दी! यह कुणाल है ना?"
कुहू मुस्कुरा दी तो सोनू कुणाल के सामने अपना हाथ आगे कर बोली "हैलो कुणाल! दी आपके बारे में बहुत बातें करती है। जब आप दोनों साथ में पढ़ते थे, तब भी यह हर रोज मुझे आपके बारे में बात करके पकाती थी।" कुणाल ने भी मुस्कुराकर उससे हाथ मिलाया।
कुहू ने उसके सर पर मारा और बोली "कुछ भी बोलती है ये लड़की!" फिर वह कुणाल का हाथ पकड़ कर बोली "चलो, मैं तुम्हें सब से मिलवाती हूं। सबसे पहले, ये सुहानी है, हमारी बर्थडे गर्ल। जिसे हम सब प्यार से सोनू बुलाते हैं। तुम चाहो तो इसे किसी भी नाम से बुला सकते हो, लाइक टिंकू मिंकु!" सोनू हल्का नाराजगी से कुहू की तरफ देखा लेकिन कुहू को कोई फर्क नहीं पड़ा।
कुणाल मुस्कुराकर बोला "हैप्पी बर्थडे सुहानी!" सोनू ने भी हल्का सा झुक कर थैंक्यू कहा।
कुहू कुणाल को लेकर आगे बढ़ी और दूर खड़ी एक लड़की को आवाज लगाई "काया.........!"
काया भागते हुए आई तो कुहू कुणाल को उससे मिलवाते हुए बोली "यह रही मेरी छोटी बहन, काया!"
काया ने भी कुणाल से हाथ मिलाया और वही बोली जो सोनू ने कहा था। कुहू उससे भी डांट कर चुप करा दिया और बोली "समर्थ भाई को तो तुम जानते ही हो। बाकी यह सभी मेरी काया और सोनू की फ्रेंड्स है, जिन से मिलने या जिन पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है।"
ये सुनकर सोनू और काया ने एक दूसरे को देख कर आंखों ही आंखों में कुछ बातें की और आंख मार दी।
कुणाल सब तरफ देखते हुए बोला "अब तो कोई नहीं रह गया है ना? कितनी बड़ी फैमिली है तुम्हारी! सबके नाम कैसे याद रख लेते हो तुम लोग?"
कुहू उसके कंधे पर मारते हुए बोली "शट अप! इतनी भी बड़ी फैमिली नहीं है हमारी! वैसे भी, अभी तो दो लोग से तुम मिले ही नहीं हो।"
कुणाल कंफ्यूज हो कर बोला "दो लोग? यानी तुम्हारी चित्रा मॉम के बच्चे?"
कुहू बोली "नहीं! नेत्रा और निर्वाण दोनो इंडिया से बाहर रहते हैं। मैं बड़े पापा की बेटी, यानी समर्थ भैया की छोटी बहन शिवि और सोनू के जुड़वा भाई अंशु उसकी बात कर रही हूं। वह दोनों यहां नहीं है।"
कुणाल को बात थोड़ी सी अजीब लगी। "इतनी बड़ी फैमिली है, और अरेंजमेंट देखकर इतना तो समझ में आता है कि सोनू बहुत खास है तुम लोगों के लिए। फिर भी यह दोनों यहां से गायब है, समझ नहीं आया कुछ।"
कुहू उसे समझाते हुए बोली "ऐसा कुछ नहीं है। घर के सारे बच्चे दादी के लिए इक्वल है। अंशु इस वक्त बेंगलुरु में अपनी जॉब देख रहा है। आज उसका भी बर्थडे हैं लेकिन उसे छुट्टी नहीं मिली। और शिवि! वह अपने सेमिनार में बिजी है।"
बाकी सब कुछ ठीक था। कुणाल को सब समझ में आ गया लेकिन अंश के जॉब की बात कुणाल के सर के ऊपर से निकल गई। उसने इस बारे में पूछा तो कुहू ने उसे अंश के सारांश के प्यार में बिगड़ने और अवनी के सख्त होने के बारे में सारी बात डिटेल में समझा दी। जिसे सुनकर कुणाल काफी इंप्रेस हुआ।
कुहू बोली "अभी अगर अंशु होता ना, तो यह जो पार्टी इतनी शांत लग रही है, ऐसी कभी नहीं होती। जान है वह सब की। और लड़कियां तो कुछ ज्यादा ही फिदा रहती है उस पर।" कुणाल हंस पड़ा।
सोनू उन दोनों के पास ही आ रही थी जब उसने अंश का जिक्र सुना। वह उदास होकर बोली "यह पहली बार है जब हम दोनों इस तरह अलग-अलग अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं।" कुहू और काया, दोनों ने सोनू को दोनों साइड से हग कर लिया और उसे चीयर करने की कोशिश करने लगी। कुणाल भी सब से मिलकर काफी खुश था। इतनी बड़ी फैमिली के बारे में उसने सिर्फ फिल्मों में सुना था या फिर कुहू से।
रात के 12:00 बजते ही सबने सोनू को बर्थडे विश किया। उस वक्त तक पूरी फैमिली पूल साइड आ चुकी थी। सोनू ने केक काटा और पहला टुकड़ा एक साइड रख दिया। किसी ने कुछ नहीं कहा। वहां अभी जानते थे कि यह पहला हक अंशु का था, उसके बाद दादी का नंबर।
सुहानी ने एक एक कर सबको केक खिलाया तो सबने एक साथ केक का टुकड़ा लेकर सोनू की तरफ बढ़ा दिया और खिलाने की बजाए उसके चेहरे पर लगा दिया, जैसे अंशु किया करता था।
सोनू ने कुछ तस्वीरें ली और सोशल मीडिया साइट पर अपलोड कर दी। सबसे पहला कमेंट अंश का ही आया। "हैप्पी बर्थडे माय स्वीटी!"
सोनू ने रिप्लाई दिया "सेम टू यू लफंगे! बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर! भाभी मिल गई क्या?"
अंश एकदम से घबरा गया और बोला "नहीं...........! नहीं तो! अभी तक नहीं लेकिन कोशिश जारी है। अच्छा बोल, तुझे क्या चाहिए?"
सोनू को हंसी आ गई "मेरे लिए भाभी लेते आना।"
अंश हंस पड़ा और बोला "तू नहीं सुधरेगी कभी।"
सोनू भी अकड़ कर बोली "हा! हा!! हा!!! और जो सुधर जाए वह.............." दोनों एक साथ बोल पड़े "वह हम नहीं!" और दोनों ही एक साथ हंस पड़े।
रात के 1:00 बज चुके थे। पार्टी लगभग खत्म हो चुकी थी और सभी एक-एक कर जाने लगे तो मिस्टर रायचंद बोले "हमारी तरफ से तो रिश्ता पक्का समझिए।"
लेकिन सारांश बोला "हमारी तरफ से भी इस रिश्ते के लिए पूरी मंजूरी है। लेकिन फिर भी, हमारी बात माने तो एक बार इस बारे में आप कुणाल की मर्जी भी पूछ लेते तो ज्यादा अच्छा होता। बात पूरी लाइफ की है। बच्चों के लाइफ का फैसला हम नहीं कर सकते। यह काम उन्हें ही करने दीजिए। जिंदगी उन्हें साथ में गुजारनी है। आप हमें कल तक बता सकते हैं, हमें कोई जल्दी नहीं है।"
सिया भी आगे आई और बोली "मैं भी सारांश की बात से एग्री करती हूं। बच्चे अगर एक साथ चलने को तैयार हो तभी उनके बस की टिकट करवानी चाहिए, वरना आधे सफर में ही ड्राइवर ने चलती बस से धक्के मार कर बाहर कर देना है।" सभी की हंसी छूट गई और एक-एक कर सब वहां से निकल गए।
कुहू कुणाल को सी ऑफ करने उसके साथ बाहर निकले और उन दोनों को एक साथ देख सोनू और काया ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दी।
बाहर आकर मिस्टर रायचंद बोले "हमें जल्दी से कुणाल और कुहू का रिश्ता कर देना चाहिए, फिर चाहे उसके लिए हमें कुछ भी क्यों ना करना पड़े। चाहे उसे मंजूर हो या ना हो, यह रिश्ता हमारे लिए बहुत जरूरी है। ये मितल्स कुछ सुनने को तैयार नहीं है। मैं ही जानता हूं मुझे कितनी जल्दी है इस रिश्ते की।"
मिसेज रायचंद बोली "लेकिन आप जानते हैं आपके बेटे के बारे में। उसे इस रिश्ते के लिए तैयार करना इतना आसान होगा। आपने इतनी आसानी से उन लोगों को हां कर दिया, लेकिन अब मुझे थोड़ा डर लग रहा है। अगर वो नही माना तो?"
मिस्टर रायचंद सख्त लहजे में बोले "चाहे कुछ भी क्यों न करना पड़े, हमें उसे इस रिश्ते के लिए तैयार करना ही होगा। हमारे घराने की बहू हमारी बराबर की होगी, कोई हॉस्पिटल की मिडिल क्लास नर्स नहीं। मैंने किस तरह कुणाल को उस लड़की तक पहुंचने से रोक रखा है, ये मैं ही जानता हूं। जल्दी गाड़ी में बैठो। उसके घर पहुंचने से पहले हमें घर पहुंचना होगा। आज ही हमें इस बारे में बात करनी होगी।" मिस्टर और मिसेज रायचंद गाड़ी में बैठे और घर के लिए रवाना हो गए।
कुणाल ने जाने से पहले कुहू को हग किया और फिर से मिलने का बोल कर वापस चला गया। उसके जाते ही कुहू पलट कर अंदर जाने को हुई लेकिन सोनू और काया दोनों ने मिलकर उसका रास्ता रोक लिया और कुणाल के नाम से छेड़ने शुरू कर दिया।
इधर कुणाल रास्ते में था, जब अचानक बारिश शुरू हो गई। उसने गाड़ी रोकी और शीशे पर गिरती बारिश की बूंद को देखने लगा। वह बूंदे, जैसे उसे किसी की याद दिला रहे थे। वह चेहरा वो आंखें, उफ्फ............ उन्हें याद करते ही कुणाल के होठों पर बड़ी प्यारी सी मुस्कुराहट की गई। उसने अपनी तरफ का शीशा नीचे किया और एक हाथ बाहर निकाल कर उन बूंदों को अपनी हथेलियों पर आने दिया।
दिल में एक हुंक से उठी। "कहां हो तुम? क्या हम कभी मिल पाएंगे? या फिर मेरा इंतजार कभी खत्म नहीं होगा?"
उसकी गाड़ी में एक गाना कब से रिपीट मोड़ पर चल रहा था। "पिया बसंती रे, काहे सताए आजा।"
दूसरी तरफ, उसी शहर के किसी हिस्से में एक लड़की सफेद सलवार सूट में अपनी दोनों बांहें फैलाए बारिश की बूंदों का मजा ले रही थी। उसके अधर धीरे से हिले "सतरंगी सपने, बोले रे, काहे सताए आजा!"
सबसे बेखबर वो लड़की बारिश की बूंदों के साथ खेल रही थी। इतने में एक अधेड़ उम्र का आदमी, ड्राइवर की वर्दी पहने भागता हुआ उसके पीछे खड़ा हो गया और बोला "बिटिया! बीमार पड़ जाओगे आप, अंदर चलिए!"
उस लड़की ने बिना पीछे पलटे कहा "नहीं! मैं नहीं जाऊंगी। आज बहुत दिनों के बाद मौका मिला है।"
वह आदमी बोला "बिटिया! ऐसे मौके फिर से मिलेंगे। फिलहाल चलिए, सब आपको बुला रहे हैं।"
वो लड़की मायूस हो गई। उसने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढका और धीरे धीरे चलते हुए वापस चली गई। वह बस अपने चेहरे पर आई मायूसी किसी को दिखाना नहीं चाहती थी। लेकिन उसका ड्राइवर इस बात को जानता था।
उसके जाने के बाद वो धीरे से बोला "जानता हूं बिटिया, आपको बारिश की बूंदे बहुत पसंद है। लेकिन अगर आप बीमार पड़ गई तो फिर बड़े साहब को मैं क्या जवाब दूंगा? आप तो जानती ही हो, सब आपकी सेहत के लिए कितना परेशान रहते हैं!"
वह ड्राइवर वहां से जाने को हुआ लेकिन उसकी नजर पास में
कुर्सी पर रखें बैग पर गई। उसने वह बैग उठाया और उसी दिशा में चल पड़ा जहां वह लड़की गई थी।