Chapter 12

Chapter 12

YHAGK 11

Chapter

     


     रूद्र शरण्या के साथ उसी के कमरे में था और उटपटांग हरकतें कर उसे परेशान कर रहा था। ना तो उसने यहां आने से पहले कुछ सोचा था और ना ही यहां आने के बाद उसे कुछ समझ आ रहा था कि उसे करना क्या है। उसे शरण्या से अपने और रेहान, दोनों के लिए ही बात करनी थी लेकिन उसे यह भी समझ नहीं आ रहा था कि वह पहले किसके लिए बात करें, खुद के लिए या अपने भाई के लिए? शरण्या उस वक्त अपने बिखरे पन्नों को समेटने में लगी थी जिसे देख रूद्र बोल पड़ा, "वैसे तु यह सब कर क्या रही है? मतलब! कॉलेज खत्म हुए तो तेरा काफी टाइम हो गया और इतने पेपर तो तेरे असाइनमेंट में भी नहीं होते थे, जितने इस वक्त समेट रही है! वैसे तू कर क्या रही है?" रूद्र ने ब्रेड का टुकड़ा चबाते हुए उसकी हाथ में पड़े पेपर की तरफ झांकने की कोशिश की लेकिन शरण्या उससे भी ज्यादा तेज थी। उसने झट से वह पेपर छुपा दिया और अलमारी में रख कर बंद कर दिया। 

     शरण्या उसकी तरफ पलटते हुए बोली, "तु यहां ऐसे ही टाइम पास करने आया था? आज तुझे कोई लड़की नहीं मिली तो तु मेरे पास ऐसे मुह उठाए चला आया? तु मुझे अपनी उन सारी गर्लफ्रेंड की तरह समझता है जो हमेशा तेरे लिए अवेलेबल होती है? तेरी नजरों में मेरी यह जगह है?" शरण्या की बातें रूद्र चुप रह गया। उसकी आवाज में कुछ ऐसा था जिससे रूद्र खाते-खाते रुक गया। उसे समझ नहीं आया कि वह बोले क्या! उसने कभी शरण्या के लिए ऐसा कुछ सोचा ही नहीं, ना कभी महसूस किया और जो महसूस किया वह खुद नहीं समझ पाया तो बोले तो क्या? रूद्र को खामोश देख शरण्या वहां से जाने को हुई तो रुद्र उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,"तुझसे कुछ जरूरी काम था इसलिए आना पड़ा, वरना मैं ऐसे बालकनी से नहीं आता। पहले भी तुझसे बात करने की कोशिश की लेकिन तूने मेरी एक ना सुनी। तुझसे एक नहीं बल्कि दो काम है, एक मेरा है और एक रेहान का। हम दोनों की प्रॉब्लम तू ही सॉल्व कर सकती है। हम दोनों ही की प्रॉब्लम एक जैसी है इसीलिए तेरी हेल्प चाहिए, तभी तो तेरे पास आया हूं।"

     शरण्या की भौहें सिकुड़ गई जिसे देख रूद्र खामोश हो गया तो शरण्या बोली, "लड़की का चक्कर है तुम दोनों भाई का?" रूद्र ने हां में सिर हिला दिया और बोला, "वह मुझे........मैं सोच रहा था.....असल मे मुझे लावण्या से बात करनी थी। उससे पूछना था क्या वह मेरी मां की बहू बनेगी?" कहते हुए उसने जल्दी से ब्रेड का एक और टुकड़ा अपने मुंह में डाल लिया और शरण्या की जवाब का इंतजार करने लगा। लेकिन शरण्या को समझ नहीं आया कि वह इस पागल को क्या जवाब दें। वो गुस्से में उसे धक्के मारकर बालकनी की तरफ ले गई और चिल्लाई, "तू अभी के अभी यहां से निकल जा वरना मैं तुझे इतना मारूंगी इतना मारूंगी कि यहां से तु अपने पैरों पर चलकर नहीं जाएगा और अगर फिर भी नहीं गया ना तो आज तो तेरा शहीद होना तय है बच्चा! तू निकल यहां से, इससे पहले कि मैं खुद पर से कंट्रोल खो दूं!"

      शरण्या को अचानक से इतने गुस्से में देख रूद्र को समझ नहीं आया क्या कि उसने ऐसी कौन सी बात कह दी जो वो इतना भड़क गयी? वह तो रेहान के लिए बात करने आया था तो फिर इतना क्यों भड़क गई? यह उसकी समझ से परे था लेकिन जिस तरह शरण्या उसे धक्के मार कर घर से बाहर निकाल रही थी उससे उसका बालकनी से गिरना तय था। एक तो वह थोड़े-थोड़े नशे में था, उस पर से शरण्या की ऐसी हरकत! रूद्र ने जल्दी से बालकनी की रेलिंग को पकड़ा और दूसरी तरफ लटकते हुए खड़ा हो गया और बोला, "जा रहा हूं यार! जा रहा हूं!! ऐसी कौन सी बात कह दी मैंने जो इतना भड़क रही है? कुछ बात करने आया था मैं, लेकिन नहीं! तुझे तो प्यार की भाषा समझ में आती ही नहीं है। जब देखो मार पिटाई पर उतारू हो जाती है तू। कभी तो प्यार से बात कर लिया कर। एक बार प्यार से बात कर के देख ले, मैं बहुत प्यारा हूं।"

      शरण्या उसका कॉलर पकड़ते हुए खींच कर बोली, "प्यारा!!! और तू!!! हां दिखता है कितना प्यारा है तू! इसीलिए लड़कियां मधुमक्खियों की तरह मंडराती है तेरे चारों ओर लेकिन मैं उन मधुमक्खियों की तरह नहीं हूं। मैं वह मधुमक्खी हूं जो फूल पर नहीं बैठती है लेकिन डंक मारने से बाज नहीं आती तो अपनी हद मत भूल वरना ऐसा डंक मारूंगी तुझे कि तु जिंदगी भर रोएगा। अब निकल यहां से वरना मैंने हाथ छोड़ा तो सीधे ऊपर जाएगा।" रुद्र जल्दी-जल्दी अपने पलकें झपकाते हुए बोला,"अगर मैं गिर जाऊंगा तो या तो मैं मर जाऊंगा या फिर मेरी हड्डी पसली टूट जाएगी तो फिर तू अपनी दुश्मनी कैसे निभाएगी और किसके साथ? उसके लिए तो मेरा सही सलामत और जिंदा रहना जरूरी है ना! मुझे पता है तु ऐसा कुछ नहीं करेगी, इतना तो भरोसा है मुझे तुझ पर।" रूद्र की ऐसी प्यारी बातें सुनकर शरण्या को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ लेकिन उसे अब पूरा यकीन हो चला था कि रूद्र पूरी तरह से टल्ली है। लेकिन उससे इतनी स्मेल भी तो नहीं आ रही थी। 

     उसकी आंखों में कुछ तो ऐसा था जिससे शरण्या नरम पड़ गई। शरण्या को ऐसे सॉफ्ट होता देख रूद्र ने कहा, "जानता हूं तू शाकाल है जो हमेशा मेरे सर पर तांडव करती है और मेरी जिंदगी हराम करने के लिए एक भी मौका नहीं छोड़ती। मेरी लाइफ में जितने भी कांड होते हैं उसमें आधे से ज्यादा तेरी वजह से होते हैं इसके बावजूद तुझे पता है मैं तेरे बारे में क्या सोचता हूं?" शरण्या ने खोये हुए से ही ना में सर हिला दिया। रूद्र के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। अचानक से उसने कहा "लावण्या!!" लावण्या का नाम सुनते ही शरण्या ने मुड़कर पीछे देखना चाहा लेकिन तभी रूद्र ने एक हाथ से उसके चेहरे को थामा और उसके गाल पर एक लंबा सा किस कर दिया। इससे पहले कि शरण्या कुछ सोच समझ पाती, रूद्र बालकनी से नीचे कूद गया और भाग गया। उसने एक बार भी पीछे मुड़कर शरण्या की तरफ देखा नहीं क्योंकि उसे पता था कि इस वक्त वह बहुत ज्यादा गुस्से में होगी। वह गाड़ी में बैठा और वहां से सीधे घर के लिए निकल गया। 

     इधर शरण्या काफी देर तक पत्थर की मूरत सी अपने गाल पर हाथ रखे वही बालकनी में खड़ी रही। उसे लगा जो कुछ भी रूद्र ने किया वह सब सिर्फ और सिर्फ एक सपना भर था। एक ऐसा सपना जो कभी सच नहीं हो सकता या फिर यह उसकी आंखों का धोखा था या मन का वहम! रूद्र यहां आया तो था लेकिन वह कभी ऐसी हरकत नहीं करेगा जो उसने किया। शरण्या का दिल धड़कना भूल गया। नीचे गेट पर गाड़ी के हॉर्न की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी और वह अपने कमरे में आकर बालकनी खिड़की के दरवाजे पर्दे बंद करके बिस्तर पर बैठ गई। उसकी आंखों में आंसू आ गए, अपने दोनों हथेलियों में अपने चेहरे को भरकर अपने आंसुओं को रोकने की हर मुमकिन कोशिश की उसने लेकिन नाकाम रही। यह एहसास जिसे रुद्र एक बार फिर जगा गया था उसे अपने अंदर दबाने में उसे कई साल लग गए लेकिन वह कभी कामयाब ना हो पाई। उसने बिस्तर के साइड में रखा अपना फोटो फ्रेम लिया और उसे खोल कर अंदर से दो तीन तस्वीरों में से एक तस्वीर निकाल ली। यह तस्वीर बहुत खास थी। यह उसकी और रूद्र की बचपन की तस्वीर थी। स्कूल में जब वह दोनों एक साथ किसी बात पर झगड़ रहे थे तब किसी ने यह तस्वीर खींच ली थी। उस वक्त उन दोनों ने कितनी ज्यादा लड़ाई की थी वह भी बिना किसी बात के। आज वही यादें बहुत ही खूबसूरत थी। इस तस्वीर को सब से छुपा कर बरसों से बहुत ही ज्यादा जतन से रखा था उसने। 

      जो एहसास रूद्र को अब हो रहा था, उस एहसास से शरण्या वर्षों पहले गुजर चुकी थी। पहले तो वह समझी नहीं और जब समझी उस वक्त तक रुद्र की पहले ही कई सारी गर्लफ्रेंड बन चुकी थी। जिससे उसे इतना तो पता चल गया था कि रुद्र के लिए प्यार व्यार जैसी कोई चीज मायने नहीं रखती। वह उनमें से नहीं जो किसी एक के लिए खुद को कुर्बान कर देते हैं। अपने जज्बातों को छुपाने के लिए शरण्या ने रूद्र से दूरी बना ली, लेकिन यह भी उसके लिए मुमकिन न था तो उसे सिर्फ एक ही रास्ता सुझा,जो वह दोनों हमेशा से थे। अपने प्यार को नाकाम होता देख शरण्या का गुस्सा रूद्र पर और भी ज्यादा फूट पड़ता और बेवजह उससे लड़ने झगड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती। रुद्र का यू किसी और लड़कियो से मिलना किसी और के इतने करीब आना शरण्या को सिर्फ दर्द ही देता था और यह दर्द भी वह रूद्र से ही हिसाब बराबर करके कम करती थी। आज उसकी यह हरकत ने उस दीवार में दरार डाल दी जिसे शरण्या ने अपने दिलो-दिमाग के चारों ओर खड़ा कर रखा था। इस तरह के दरार से कहीं उसके जज्बात बाहर न निकल जाए,किसी को दिख ना जाए, यह शरण्या का सबसे बड़ा डर था। वह जानती थी अगर रूद्र को पता चल गया कि वह उसके लिए क्या महसूस करती है तो वो सिर्फ और सिर्फ उसके जज्बातों का मजाक ही बनाएगा, या तो सबके सामने या फिर किसी और लड़की की बाहों में। शरण्या ने सारी तस्वीरों को वैसे ही समेटा और फ्रेम में लगा कर रख दिया, तभी उसकी नजर उस प्लेट मे रखें ब्रेड के टुकड़े पर गई जो रूद्र खा रहा था। उसने धीरे से उस टुकड़ी को उठाया जो कि रुद्र का झूठा था और बिना किसी संकोच के अपने मुंह में डाल लिया, एक सुकून सा उसके चेहरे पर नजर आ रहा था। 


     रूद्र चोरी छुपे घर पहुंचा ताकि किसी की नजर उस पर ना पड़े लेकिन रेहान ने उसे आते हुए देख लिया। उसे देखते ही रेहान चुपके से उसके कमरे में घुसा और उसका इंतजार करने लगा। वही रूद्र कमरे में आया और जल्दी से उसने दरवाजा बंद किया ताकि ना कोई उसे देख पाए और ना ही उसे किसी के सवालों का जवाब देना पड़े लेकिन जैसे ही वह दरवाजा बंद करके पलटा सामने बैठे रेहान पर उसकी नजर गई जिससे वह डर गया। "तू यहां क्या कर रहा है? तुझे पता है तू ने कितनी जोर से मुझे डरा दिया? इस तरह भूतों की तरह कौन बैठता है? और वह भी किसी और के कमरे में? कर क्या रहा है तु यहां पर और वो भी इतनी रात को!!!"

     रूद्र एक-एक कर रेहान पर सवालों के गोले दागे जा रहा था लेकिन रेहान ने उसके किसी भी सवाल का जवाब देना जरूरी नहीं समझा। वह आराम से बिस्तर पर पसरते हुए बोला, "तु तो शरण्या से मिलने गया था ना! सही सलामत जिंदा वापस आ गया, यह तो काफी ताज्जूब वाली बात है! सच सच बता.... तू शरण्या के पास ही गया था ना या कहीं और? कहीं इस नाम से कोई और तो नहीं है ना जिस से मिलकर आया तू?"

     रूद्र रेहान के सवालों से तंग आ कर बोला,"अरे यार! इस नाम की बस एक ही पनौती है मेरी कुंडली में और उसी से मिलकर आ रहा हूं। उसका बस चले तो मुझे खड़े-खड़े गोली मार दे। और तुझे मैं सही सलामत नजर आ रहा हूं? उसकी वजह से तीन बार सिर फूटा है मेरा, बस मरने से बचा हु। बालकनी से कूदना पड़ा है मुझे। हाँ बच गया हु उससे, सलामत हूं और जिंदा हूं यह बहुत बड़ी बात है मेरे लिए वरना तूने तो मुझे कुए में धकेलने का पूरा इंतजाम कर रखा था।"

     रेहान को रुद्र के इन सारी बातों में कोई इंटरेस्ट नहीं था। उसने सीधे सीधे सवाल किया, "तूने शरण्या से लावण्या के बारे में बात की? क्या कहा उसने? वह साथ देगी हमारा? लावण्या से मेरी बात करवाएगी? अबे बोल जल्दी?" रूद्र वहां गया तो था लावण्या के लिए और उसने बात भी करनी चाहि लेकिन जिस तरह से शरण्या ने रिएक्ट किया उससे उसे कुछ समझ नहीं आया। रूद्र अपना सर खुजाते हुए बोला, "मैंने तो तेरे लिए लावण्या के बारे में बात की उससे, लेकिन पूरी बात नहीं हो पाई यार। वह तो सुनते ही भड़क उठी और मुझे बालकनी से नीचे फेंक दिया। मैं क्या करता, वो तो वैसे ही है गरम दिमाग की है। मुझ पर तो वैसे ही पता नहीं किस बात का गुस्सा रहता है उसे। अच्छा ही है उसकी शादी हो जाएगी, चली जाएगी यहां से, मेरा पीछा छूटेगा, मैं सुकून के साथ जाऊंगा। तू अपना देख ले, मुझसे नहीं होगा। मैंने कोशिश की ना! मेरी बात बनी और ना ही तेरी, वो तो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है, जवाब क्या देगी! तू जा अपने कमरे में मुझे बहुत नींद आ रही है, मैं चला सोने और मुझे डिस्टर्ब मत करना। कल सुबह तो उठाना भी मत।"कहकर रूद्र ने जूते उतारे और बिना कपड़े बदले ही बिस्तर पर लेट गया और चादर तान ली। रेहान वहीं बैठा रहा जिसे देखकर रूद्र को गुस्सा आ गया। वह रेहान से शरण्या के बारे में और बात नहीं करना चाहता था। जब उसने देखा कि रेहान वहां से हिलने वाला नहीं तो उसने एक लात रेहान को मारी जिससे वह सीधे बेड से नीचे गिरा। रेहान समझ गया कि अब रूद्र से बात करना बेकार है। वो उठा और दरवाजा बंद कर अपने कमरे में चला गया। रूद्र ने भी अपने कपड़े बदले और सोने की कोशिश करने लगा। उस दिन जो हुआ वह काफी नहीं था जो रूद्र ने आज ऐसी हरकत की जिससे उसकी नींद के साथ-साथ उसका नशा भी पूरी तरह से उड़ गया। उसके हाथ में शरण्या का हाथ उसके होठों पर शरण्या के गालो की छुअन! सब कुछ बिल्कुल ताजा थी।

        

   

     

       

क्रमश: