Chapter 20

Chapter 20

humsafar 20

Chapter

20      अवनि नानु और विशाल को एक कमरे मे लेकर गयी, उनका सामान रखवाया और जल्दी से तैयार होकर नीचे आने को कहा। इतने मे कंचन भी वहाँ आ गयी और अवनि को काव्या के कमरे मे उसे बुला लाने को कहा। 

   "विशाल!!!! दीदी जीजाजी नही आये?" कंचन ने पूछा। 

  "मासी, पापा की तबियत थोड़ी ठीक नही थी। वैसे तो कोई बात नही है मगर उनका सफर करना ठीक नही होता इसीलिए माँ उनके साथ ही रुक गयी और मै नानु के साथ आ गया।" विशाल ने कहा। 

  कंचन नानु से बोली, "बाबा!! आज मै बहुत खुश हु। मेरी बच्ची के लिए कार्तिक बिल्कुल सही लड़का है। मेरी काव्या बहुत खुश रहेगी।"   "खुशियोँ को बहुत जल्दी नज़र लग जाती है कंचन, इन्हे संभाल कर रखो" नानु ने गंभीर होकर कहा, कंचन घबरा गयी। 


    अवनि काव्या के कमरे का दरवाजा खटखटाने लगी। "दिदु.....! दिदु.....!!" 

  "आई रुक जा दो मिनट, तु जा मैं आती हु।" काव्या ने कहा। 

  "कैसी बात कर रही है? ऐसे कैसे आएगी? तु कर क्या रही है दिदु? दरवाजा खोल जल्दी।" अवनि को थोड़ा अजीब लगा क्योंकि काव्या कभी इस तरह दरवाजा बंद नही करती। 

   "तु रुक दो मिनट" काव्या बोली । कुछ देर बाद दरवाजा खुला तो अवनि एकदम से उसे अपलक देखने लगी जिससे काव्या थोड़ी असहज हो गयी। "कुछ लगा है क्या मेरे चेहरे पर ?" काव्या ने पूछा। अवनि ने दोनो हाथ कमर पर रखे और सवाल किया, " तुम क्या कर रही थी अभी? मै और श्रेया तो तैयार कर के गए थे फिर???" 

  "अरे कुछ नही,,,,,, वो मुझे वॉशरूम जाना पड गया और फिर से सब पिन अप करना पड़ा। तुझे बुलाती तो लेक्चर सुनने को मिलता इसीलिए खुद से कर रही थी।" काव्या ने आईने मे देखते हुए कहा। 

    "अच्छा ठीक है सब, अब चलो बाहर सब इंतज़ार कर रहे है। विशाल भैया और नानु अभी आये है तैयार हो रहे है।" अवनि ने कहा जिसे सुन काव्या खुश हो गयी। 

    बाहर सारे मेहमान जमा थे। कंचन अपने ख्यालों मे उलझी थी, उसे पता ही नही चला की काव्या उसके पास आ चुकी है। अखिल ने जब काँधे पर हाथ रखा तब वह होश मे आई और काव्या को हल्दी के लिए बैठाया। श्रेया अवनि के पास आई और कान मे धीरे से कहा, "यार ये मिस्टर लज़ीज़ कहा रह गया?"

     अवनि ने भी धीरे से कहा, "सो रहा होगा!!!" इसपर श्रेया ने कहा, "नही यार! उसे तो मैंने सुबह ही देखा था, स्टाफ को कुछ समझा रहा था।" अवनि सोचने लगी की रात भर तो काम करता  रहा.......फिर सुबह सुबह कैसे उठ सकता है!!! शायद झल्ली ने किसी और को देखा होगा। अवनि अभी यह सब सोच ही रही थी की सामने से सारांश कार्तिक को लेकर चला आया था। उसके चेहरे पर थकान के कोई नामोनिशान नही था। ऐसा लग ही नही रहा था की वो रात भर सोया नही। 

     कार्तिक और काव्या रस्म के लिए बैठ गए। नानु सबसे बड़े थे सो उन्हे ही यह रस्म शुरू करने को कहा गया। नानु ने काव्या को पहले हल्दी लगाई और जब कार्तिक को लगाने पहुँचे तभी अवनि और श्रेया बीच मे कूद पड़ी। "अरे ऐसे कैसे? पहले नेग फिर दो पैग" श्रेया बोली जिसे सुन वहाँ मौजूद सब लोग उसे घूरने लगे। "क्या बोल रही है झल्ली" अवनि ने कोहनी मारी फिर बात संभालते हुए बोली, "हमारे कहने का मतलब पहले हमे नेग दीजिये फिर आपको हल्दी लगेगी" 

    कार्तिक ने अपनी माँ की ओर उम्मीद से देखा तो धानी बोली, "मुझे मत देख ऐसे, तेरी साली है तु संभाल!!!" कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। कार्तिक बेचारा कुछ सोच कर बोला, "बोलो कितना चाहिए?" यह सुन दोनो ने एक दूसरे को देखा और बोली "कितना नही... हमें क्या चाहिए ये पूछिये!" कार्तिक पहले तो घबराया मगर चेहरे पर शिकन आने नही दे सकता था, इसीलिए मुस्कुरा कर पूछा, "क्या चाहिए मेरी प्यारी सालियों को?" सारांश को हँसी आगयी। 

     अवनि ने अब तक सारांश को पूरी तरह इग्नोर कर रखा था और सारांश को लगा शायद कल की बात कर लेकर अवनि अभी तक नाराज है। अवनि बोली, "जीजू...! ज्यादा कुछ नही बस आपको अभी सब के सामने दिदु को शादी के लिए प्रपोज़ करना होगा वो भी हमारे कहे अनुसार"

   कार्तिक ने पूछा "कैसे" श्रेया उसे गिटार पकड़ा कर बोली "ऐसे.......गाना गा कर" " दिदु को अपने जितने भी अपने म्युजिक वीडियोज भेजे है उनमे से ही एक सुना दो!" यह सुन कार्तिक के तोते उड़ गए, उसने सारांश की ओर बेचारगी से देखा जिसे देख उसने पलके झपका कर उसे शांत रहने को इशारा किया। "उस बेचारे को क्यों परेशान कर रही है आप? आप कहे तो मै कर दुँ........आप दोनो को प्रपोज़!!" सारांश ने शरारती अंदाज़ मे अवनि और श्रेया को कहा। अवनि ने गुस्से से उसे घुरा। 

    सारांश की बातो से कार्तिक को हिम्मत मिली "अरे क्या फर्क पड़ता है! गाना ही तो गाना है, सारांश गा देगा और गिटार भी!!!" कार्तिक की बात सुन अवनि बोली, " हाँ हाँ!!क्यो नही! फिर शादी के मंडप मे भी आप की जगह आपका दोस्त बैठेगा, है न!!!" अवनि की बात सुन कार्तिक चुप हो गया मगर सारांश बोल पड़ा, "अजी बैठ जायेंगे!!! आप दोनो साथ हो तो कहीं भी बैठ जायेंगे! बस बगल मे आपको बैठना होगा।" श्रेया शरमा गयी मगर अवनि झेंप गयी और सारे लड़के वाले हँस पड़े लेकिन हैरान सी खड़ी सिया को यकीन नही हो रहा था की उसका बेटा सबके सामने बिना अपने इमेज की परवाह किए फ्लर्ट कर रहा है। 

    सबके सामने अपनी बहन को हारते देख काव्या से रहा नही गया और बोली, "कार्तिक प्लीज!!! सुना दो न कोई गाना।" काव्या की बात न कार्तिक काट सकता था और नही सारांश। दोनो के पसीने छूट गए, तभी चित्रा ने एंट्री मारी और उन दोनो दोस्तों पर एक बॉम्ब फोड़ा। "काव्या!!! ये नही गायेगा, अगर इसने गाने के लिए अपना मुह खोला तो सबको पता चल जायेगा की ये कितना बड़ा बेसुरा है और तुम्हे पता चल जायेगा की जिस म्युजिक वीडियोज को देखकर तुम इंप्रेस हुई हो उसका प्लेबैक सिंगर ये सारांश है जो सब के सामने तुम्हारी बहन के साथ फ्लर्ट करके बात को दबाना चाहता है मगर अंदर से फटी पड़ी है इन दोनो की।"

      चित्रा की बात सुनकर सब हैरान थे मगर  कार्तिक के चेहरे को देख सब ठहाके मारके हँसने लगे। कार्तिक उस वक़्त सबके सामने कान पकड़कर काव्या से माफी माँगने के लिए उसकी ओर देख रहा था। काव्या को भी हँसी आ गयी और सब ने रस्म शुरू करने के कहा। सारांश ने चित्रा को अपनी ओर खिचा और धीरे से बोला, "तु हमारी दोस्त है या दुश्मन?" इस पर चित्रा ने बड़े इत्मिनान से जवाब दिया, "देख सरू! मै न किसी लड़की की लाइफ खराब होते हुए नही देख सकती। मैने तो पहले ही कहा था की अगर वो भागना चाहे तो मै उसकी हेल्प करूँगी।" 

    "चिट्टू बस कर यार!!! तेरे जैसे दोस्त हो तो दुश्मन की क्या जरूरत" कहकर सारांश वहाँ से चला गया और चित्रा ने जब कार्तिक की ओर देखा तो उसके चेहरे पर भी वही भाव थे जो अभी अभी सारांश बोलकर गया था। लेकिन चित्रा यहाँ पर ही कहाँ रुकने वाली थी। वह काव्या को हल्दी लगाने के बहाने गयी और सब को सुनाते हुए जोर से कहा, " काव्या!!! क्या तुम इस जलकुकडे को ऐसे ही माफ कर दोगी। आखिर इतने टाइम से ये तुम्हे चीट कर रहा था, कुछ तो पनिशमेंट मिलनी चाहिए, क्यों अवनि!!!सही कह रही हु न मै" उसने उम्मीद से अवनि को देखा और कुछ इशारा किया। 

     अवनि समझ गयी और उसने चित्रा को सपोर्ट करते हुए कहा, "बिल्कुल!!! दिदु अगर आज तुमने जीजू को ऐसे ही माफ कर दिया न तो आगे पता नही क्या क्या.....!" अवनि ने अपनी बात आधी ही छोड़ दी ताकि काव्या को भड़का सके। कार्तिक बीच मे ही बोल पड़ा, "काव्या मेरा यकीन करो मैंने कुछ नही किया, ये सब सारांश का आईडिया था।"  कार्तिक ने सारा सारांश के ऊपर डाल दिया तो काव्या बोली, " ठीक है!!! लेकिन सब कह रहे है तो पनिशमेंट तो मिलेगी और पनिशमेंट ये की मुझे उस प्लेबैक सिंगर को लाइव सुनना है, वो भी अभी।" कहकरकाव्या ने सारांश को गिटार की ओर इशारा किया। 

    कंचन ने बीच मे कुछ बोलना चाहा मगर किसी ने नही सुनी। सारांश ने भी मना नही किया और सब की खुशी के लिए उसने गाना शुरू किया। 

" दिल में तुम्हारे छुपा दी है मैंने तो अपनी ये जां 

अब तुम्हीं इसको संभालो हमें अपना होश कहाँ 

बेखुदी दो पल की, ज़िन्दगी दो पल की 

इंतज़ार कब तक हम करेंगे भला

तुम्हें प्यार कब तक ना करेंगे भला"


    सारांश बिल्कुल किसी प्रोफेशनल की तरह लग रहा था फिर चाहे वो उसकी आवाज़ हो या गिटार पर चलती उसकी उसकी उँगलियाँ। सब लोग मानो लाइव कॉन्सर्ट देख रहे हो। अवनि को यकीन नही हो रहा था की जिसे खडूस समझती है वो इतना अच्छा आर्टिस्ट भी है।