Chapter 106

Chapter 106

YHAGK 105

Chapter

105






     नींद किसी की भी आंखों में नहीं थी। घर का माहौल इस वक्त बहुत बोझिल हो गया था। लावण्या की बातों से रेहान को एहसास हुआ कि रूद्र किस हद तक हर्ट हुआ होगा। ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि वह अपने भाई से प्यार नहीं करता था लेकिन उससे ज्यादा वो लावण्या को खोने से डरता था। इसीलिए वह चाह कर भी रुद्र से माफी नहीं मांग पा रहा था। उसके मन में जो अपराध बोध की भावना थी वह उसे जीने भी तो नहीं दे रहा था। 


     रेहान ना तो पूरी तरह से सही था और ना ही पूरी तरह से गलत। उसके और इशिता के बीच जो भी हुआ वो बस एक गलती थी जिसे ठीक करने के लिए उसने पूरी कोशिश की थी लेकिन रूद्र ऐसा कुछ करेगा उसने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी। उन दिनों वो घर पर था भी नहीं और इसी काम के सिलसिले में वह शहर से बाहर गया हुआ था। इशिता के लिए सारे इंतजाम करने के बाद जब वह घर लौटा था तब उसे पता चला कि रूद्र इशिता को लेकर इंडिया से कहीं दूर चला गया है और साथ ही अपने पीछे शरण्या को रोता बिलखता छोड़ गया। यह दोनों ही खबर उसके लिए किसी झटके से कम नहीं थी। उसने तो बस रूद्र को अपनी गलती छुपाने के लिए कहा था, उस गलती को अपने सर लेने के लिए नहीं। इस बात को बरसो गुजर गए थे लेकिन रेहान के सीने में में घाव की तरह चुभते थे। 


   अपने बिस्तर पर करवट बदलते हुए रेहान से जब रहा नहीं गया तो वह उठा और कमरे से बाहर जाने लगा। लावण्या ने उसे पीछे से आवाज लगाई, "इस वक्त कहां जा रहे हो?"


    रेहान बोला, "अगर तुम्हें अपनी बहन के लिए बुरा लगता है ना लावण्या तो मुझे भी अपने भाई के लिए बुरा लग रहा है। तुमने अपनी बातों से जो उसे चोट पहुंचाई है, मुझे पूरा यकीन है वह भी जाग रहा होगा। कम से कम इस वक्त मुझे मेरे भाई के पास जाने दो।" कहकर वह वहां से तेजी से निकल गया। लावण्या भी गुस्से में चादर ओढ़ कर सो गई। 


      रूद्र अपने नए कमरे में आराम कुर्सी पर सर टिकाए बैठा हुआ था और खुली आँखो से एकटक कमरे की छत को निहारे जा रहा था। तभी उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने चौक कर पूछा "कौन!!!"


     रेहान बोला, "मैं हूं !" और दरवाजा खोल कर अंदर आ गया। अंदर आकर उसने हौले से दरवाजा बंद कर दिया ताकि किसी को भी उनकी बातें सुनाई ना दे। "रूद्र वह मैं.......!" रेहान कुछ बोलता उससे पहले रूद्र बोला, "तू चिंता मत कर! देखना यह आइडिया काम जरूर करेगा। हो सकता है कल या परसों वह लोग तुझे कांटेक्ट करें लेकिन इतना ध्यान में रखना, यह तेरी मेहनत है इसका पूरा क्रेडिट भी तुझे मिलना चाहिए। अगर ना मिले तो उसके लिए लड़ना जरूर। कोई तेरी मेहनत को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है तो उसका फायदा तुझे भी मिलना चाहिए। उस ईशान के वादे पर कभी भरोसा मत करना। जो भी हो तुम दोनों के बीच एग्रीमेंट के तहत होना चाहिए। यह बिजनेस का बेसिक रूल है, यह तो तुझे अच्छे से पता होगा। वैसे तूने उस ऑस्ट्रेलियन कंपनी के बारे में कुछ तो जानकारी निकाली होगी या फिर ऐसे ही उसके पीछे पड़े हो?"


     रेहान बोला, "उसकी सारी जानकारी है हमारे पास। ईशान ने खुद सारी इन्वेस्टीगेशन करवाई थी उसके बाद ही हम उस कंपनी से कोलैबोरेशन करना चाहते हैं। पहले हम सिर्फ इतना जानते थे कि उसका मालिक कोई आर एस करके है। फिर पता चला वो मिस्टर रजत सिंधिया यहीं इंडिया से ही है। हमें लगा इंडिया की कंपनी से वह रिलेट करेंगे लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। खैर वह सब छोड़, वो टेंशन में ऑफिस में छोड़ कर आया। जो हुआ सो हुआ, तेरा कहना भी सही है। फिलहाल मैं लावण्या की कही बातों से शर्मिंदा हूं। मैं जानता हूं उसे ऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए था लेकिन........!"


     रूद्र बोला, "लावण्या कुछ नहीं जानती रेहान! उसने जो कुछ भी कहा वो शरण्या के लिए उसका प्यार था। उन बातों से मुझे तकलीफ जरूर हुई लेकिन बुरा नहीं लगा। बल्कि यह जानकर खुशी हुई कि मेरी शरण्या से वह इतना प्यार करती है। अच्छा लगा यह देखकर कि सच जानने के बावजूद अपनी बहन के लिए उसका प्यार कम नहीं हुआ। खुशी हुई यह देख कर। शरण्या हमेशा कहती थी कि उसे कोई प्यार नहीं करता। अब जब यह सब अपनी आँखों से देखेगी तो कभी नहीं कह पाएगी। उससे प्यार करने वाले यहां बहुत है, मैं अकेला नहीं हूं।"


     रेहान बोला, "तुझे अभी भी उम्मीद है उसके होने की? हम सब ने देखी थी उसकी बॉडी को! शरण्या ही थी वो! तू मान या ना मान वो अब जा चुकी है। छोड़ दे अपना यह पागलपन। तेरे सामने तेरी पूरी जिंदगी पड़ी है। इस पागलपन में तेरे पास जो है तू वह भी खो देगा।"


     रूद्र बोला, "खोने के लिए कुछ बचा ही कहां है? अब सिर्फ पाना है मुझे! अपना सब कुछ वापस से पाना है मुझे। तुम लोगों के लिए है यकीन करना आसान होगा लेकिन मैं जानता हूं कुछ नहीं हुआ है उसे। चंद सबूत मेरे यकीन को झुठला नहीं सकते। तुम लोग अपनी आंखों पर भरोसा करो, मुझे अपने दिल पर भरोसा है। ना मैं तुम्हारे भरोसे को झुठला रहा हूं ना ही तुम मेरे भरोसे को झूठलाओगे। अगर तुम्हारी बात पूरी हो गई हो तो रात बहुत हो गई है, जाकर सो जाओ। सुबह तुम्हें फिर ऑफिस भी जाना होगा। फिलहाल तुम भी किसी और की गुलामी ही कर रहे हो।"


    रेहान से कुछ कहा नहीं गया। वह चुपचाप उठा और कमरे से बाहर निकल गया। वह जानना चाहता था, क्या वाकई में रूद्र शरण्या से इतना प्यार करता है? तो फिर वह उसे छोड़ कर गया है क्यों? सिर्फ उसके लिए अपनी पूरी जिंदगी बर्बाद कर ली उसने। रेहान का अंतर्मन उसे धिक्कार रहा था। अपने भाई की इस हालत पर उसे तकलीफ भी हो रही थी। रेहान बुरा नहीं था, बस अपने रिश्तो को लेकर थोड़ा स्वार्थी जरूर हो गया था। अगर ऐसा नहीं होता तो चीजें कभी इतनी ना बिगड़ती! रिश्ते कभी इतनी खराब ना होते और शरण्या सब के बीच इस घर में होती, इस घर की बहू बनकर। सब लोग खुशी से रह रहे होते। 


      सुबह सुबह रेहान की आंख खुली तो देखा लावण्या बिस्तर पर नहीं थी। 8:00 बज चुके थे और उसे ऑफिस के लिए भी निकलना था। कल के तूफान के बाद घर में खामोशी थी। रेहान तैयार होकर कमरे से बाहर निकला उस वक्त तक घर के सभी लोग डाइनिंग टेबल पर जमा थे। 


    रूद्र की नजर जैसे ही रेहान पर गई उसने कहा, "अरे रेहान! आ जाओ जल्दी से, आज मैंने खुद सबके लिए नाश्ता बनाया है और तेरा फेवरेट भी। खा कर देख कैसे बना है?"


    रेहान टेबल पर लगी खाने की अलग-अलग डिशेस को देखकर बोला, "तुझे खाना बनाना आता है या फिर अपने खाने से तू सबका मर्डर करने वाला है?"


     रूद्र बोला, "अब यह तो तू खा कर देखेगा तभी पता चलेगा। अगर बच गया तो ठीक नहीं बचा तो कुछ गड़बड़ हो सकती है। चल खा ले जल्दी से। वैसे भी कल रात को किसी ने कुछ नहीं खाया है। अब ये मौली कहां रह गई?"


     पीछे से मौली की आवाज आई, "मैं यहां हूं डैड!" कहकर वह भागते हुए आकर रूद्र के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई। 


   मौली को स्कूल यूनिफॉर्म मे देख धनराज जी बोले, "अरे वाह! आप स्कूल जा रही है? एडमिशन हो गया आपका? कौन से स्कूल मे?"


    रूद्र बोला, "हाँ पापा! कल ही करवाया। वरना ये लड़की घर बैठे सबका दिमाग खाती। इससे बेहतर था कि मैं इसका एडमिशन करवा दु। वैसे भी अब हम कहीं नहीं जाने वाले। यहीं रहेंगे। इसीलिए सोचा अब इसका स्कूल जाना भी तो जरूरी है तो मैंने राहुल के ही स्कूल मे एडमिशन करवा दिया। दोनो भाई बहन एक साथ जायेंगे और एक साथ रहेंगे तो दोनों मे दोस्ती हो जाएगी। सही कहा ना मैंने?"


     शिखा जी बोली, "बिलकुल सही किया तुमने। वैसे भी दोनों मे कुछ खास बनती नहीं है। साथ रहेंगे तो दोस्ती भी हो ही जाएगी। 


  रूद्र बोला, "यह बिल्कुल सही, और इसी खुशी में आज मैं इन दोनों शैतानों को खुद स्कूल छोड़ने जाऊंगा। राहुल......! आप तैयार हो बेटा?"


       राहुल ने एक नजर मौली को देखा। मौली ने मुंह बिचका कर नजर दूसरी तरफ घुमा ली तो राहुल बोला, "मुझे ड्राइवर स्कूल छोड़ देगा। नहीं तो पापा छोड़ देंगे। मुझे नहीं जाना किसी और के साथ और इस नकचढ़ी के साथ तो बिल्कुल भी नहीं। पहले मेरे घर में घुस आई और फिर अब स्कूल में भी। स्कूल मे नहीं, इसको तो किसी चिड़िया घर में रखना चाहिए।"


     रेहान गुस्से में बोला, "राहुल.......! बहन है वह तुम्हारी, बड़ी है वह तुमसे, तमीज से पेश आओ।"


     राहुल तूनक कर बोला, "मुझे नहीं करनी किसी से कोई बात और यह मेरी बहन नहीं है! ऐसे अचानक से कोई भी आकर मेरे घर में घुस जाएगा और आप उसे मेरी बड़ी बहन बना देंगे तो यह मैं एक्सेप्ट नहीं करूंगा। मैं इस घर का सबसे बड़ा बेटा हूं बस और कोई नहीं।"


    रेहान राहुल को डांट लगाना चाहता था लेकिन रूद्र ने रोक दिया। तभी रुद्र की नजर लावण्या पर गई जो अभी-अभी तैयार होकर निकली थी। रूद्र बोला, "अरे लावण्या! आ जाओ, देखो सब नाश्ता करने बैठे हैं। ऑफिस के लिए देर हो जाएगी।"


    रूद्र ने सबके लिए नाश्ता अपने हाथों से परोसा लेकिन लावण्या टेबल पर से एक सेब उठाकर ऑफिस के लिए निकल गई। रेहान उसे रोकना चाहता था लेकिन रूद्र ने मना कर दिया और बोला, "आज उसे लंच के लिए ले जाना, कहीं बाहर जहां सिर्फ तुम दोनों हो। तुम दोनों के लिए मैंने एक टेबल बुक करवा दिया है। जानता हूं तुम दोनों की लड़ाई हुई है कल, इसलिए उसने तुझसे भी बात नहीं की। अकेले तुम दोनों को वक्त मिलेगा बात करने के लिए तो अपने सारे गिले-शिकवे और तुम दोनों के बीच के जितने भी प्रॉब्लम है उन्हें सॉल्व कर लेना।"


    रेहान बोला, "तू अभी भी सबके लिए इतना कुछ सोचता है? तु ना बहुत बुरा है, बहुत ज्यादा!"


     रूद्र बोला, "पहले खा ले उसके बाद मेरी तारीफ करते रहना।"


    रेहान मुस्कुरा दिया और बैठ कर नाश्ता करने लगा। उसी वक्त उसका फोन बजा। देखा तो कॉल ईशान का था। इतनी सुबह ईशान का फोन आया देख रेहान थोड़ा सोच में पड़ गया। फिर उसने फोन उठाकर कान में लगाते हुए हेलो बोला। उधर से ईशान ने उससे कुछ कहा जिसे सुनकर रेहान के हाथ वही के वही जम गए। उसने कहा, "मैं बस पहुंच रहा हूं!" कहते हुए उसने फोन काट दिया। 


     धनराज जी ने पूछा, "क्या हुआ रेहान? कुछ प्रॉब्लम है क्या?"


    रेहान बोला, "पापा वह ऑस्ट्रेलियन कंपनी....... उन लोगों की तरफ से रिस्पॉन्स आया है! मतलब मुझे यकीन नहीं हो रहा, हर बार जब हम अपना प्रोजेक्ट आइडियाज सबमिट करते थे जब उन्होंने कभी रिस्पॉन्स नहीं दिया और अब जब हमने नहीं किया तब उन लोगों का रिस्पांस आ रहा है!! ईशान ने मुझसे मेरी वाली फाइल मँगवाई है जो मैं अभी तैयार कर रहा था और वह बाकी के सारे फाइल्स जो अब तक मैंने सबमिट किए थे। मुझे यकीन नहीं हो रहा, जिस मौके के लिए मैं दिन-रात मेहनत कर रहा था वो ऐसे ही चल कर मेरे पास आ गया!"


     धनराज जी बोले, "मुझे पता था! रूद्र की बिजनेस की समझ काफी बेहतर है। ही इज अ बॉर्न बिजनेसमैन! पता नहीं इसे आर्टिस्ट बनने की क्या सूझी!"


   रेहान उठा और अपने भाई के गले लग गया। "तू एक आर्टिस्ट है इसके बावजूद तेरी बिजनेस के समझ मुझसे भी ज्यादा अच्छी है। तुझे बिजनेस की समझ मुझसे भी ज्यादा है इसके बावजूद तू हमेशा मेरे से पीछे ही रहता था और हमेशा सेकंड आता था और मैं फास्ट!"


    रूद्र हल्के से मुस्कुराया और बोला, "फर्स्ट आने में और फर्स्ट होने में बहुत अंतर होता है रेहान! तू फर्स्ट आता था क्योंकि तू चाहता था तू फर्स्ट आए! मैं सेकंड आता था........... क्योंकि मैं चाहता था तुम फर्स्ट आए और मैं आज भी यही चाहता हूं।" कहकर रूद्र ने रेहान के कंधे पर हाथ रखकर थपथपाया और वहां से चला गया। 


    रेहान सोच में पड़ गया आखिर रूद्र के कहने का मतलब क्या था? इसका मतलब अब तक की उसकी सारी मेहनत उसकी अकेले की नहीं थी। वह चाहे कितनी भी कोशिश कर ले रूद्र से कभी जीत नहीं सकता था।