Chapter 78

Chapter 78

humsafar 78

Chapter

78




    हॉस्पिटल के कॉरिडोर मे लक्ष्य की आवाज़ सुन अवनि बुरी तरह से डर गयी। उसने अपने चारों ओर देखा तो वो कहीं नही था। अवनि को लगा शायद यह उसका वहम है लेकिन उसे वहम क्यो होगा वो भी अचानक से इतने दिनों के बाद! वो भी लक्ष्य की आवाज़!!! ये सब अवनि के समझ के परे था। वह सब कुछ भूल कर सारांश के पास  भागते हुए गयी। 

      डॉक्टर के केबिन मे अवनि की नज़र जब सारांश पर गयी तब जाकर उसे राहत मिली और वह अपना सारा डर भूल गयी लेकिन तुरंत ही सारांश को डॉक्टर के केबिन मे अकेले एक नर्स के साथ देख अवनि की भौहें टेढ़ी हो गयी। वह नर्स अवनि के आने से कुछ ज्यादा खुश नही लग थी। उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे मानो अवनि ने उसे डिस्टर्ब कर दिया हो। अवनि ने दवाइयाँ उस नर्स को दे दी ताकि वह सारांश की ड्रेसिंग कर सके, लेकिन जिस तरह वह सारांश को ललचाई नज़र से देख रही थी, अवनि का पारा चढ़ गया। 

    अवनी का दिल किया की अभी नर्स से सारी मेडिसन वापस ले, लेकिन उसे ड्रेसिंग करनी नहीं आती थी इसलिए उसने गुस्से में अपने हाथ की मुट्ठिया भींच ली। नर्स की नजर जब अवनि के गुस्से भरे चेहरे पर गई तो वह थोड़ी घबरा गयी। उसने जल्दी से सारांश की ड्रेसिंग की और केबिन से बाहर चली गयी। उसके जाते ही सारांश ने एक चैन की सांस ली। उसने अवनि का हाथ पकड़ अपनी गोद में बिठा लिया फिर उसके चेहरे को प्यार से छू कर बोला,"कुछ हुआ है क्या अवनि? इस वक्त तुम्हारी आंखों में गुस्से से ज्यादा डर दिख रहा है मुझे!"

      अवनि उसके सीने से लग गई और बोली, "आप को देख कर सारा दर्द, सारा डर भूल जाती हू। जब तक आप मेरे पास है, मुझे कुछ नही हो सकता। लेकिन आप भी एक बात सुन लीजिए, कोई जरूरत नही है आप को इतना अच्छा दिखने की और ऐसी मधुमक्खियों को अट्रैक्ट करने की।" अवनि ने सीने पर मुक्का मारा तो सारांश को हँसी आ गयी। "और आप को देख कर लगता है शायद मैंने डिस्टर्ब कर दिया आप दोनों को!!! बहुत इंजॉय कर रहे थे उसकी कंपनी को!" अपनी ने दांत पीसते हुए कहा। 

    " सो तो है! लेकिन कुछ भी कहो यार, थी बहुत खूबसूरत लेकिन तुम्हें देखते ही भाग गई" सारांश के इतना कहने भर की देर थी और अवनि ने उसे मारना शुरू कर दिया। वह गुस्से में उठकर जाने लगी लेकिन सारांश ने उसे और कसकर पकड़ लिया और फिर से अपनी गोद में बिठा लिया। 


    कमरे में वापस आकर अवनि ने सारांश के कपड़े उतारने में मदद की और टॉवल भीगा कर उसके पूरे बॉडी को पोछा। अवनी ने खुद भी अपने कपड़े बदले और सोने चली गई।सारांश का हाथ पकड़े अवनि को नींद नहीं आ रही थी। उसके दिमाग में बस आज रात हुई घटना घूम रही थी। मॉल के झूमर का यूँ अचानक से गिरना और हॉस्पिटल मे लक्ष्य की आवाज़, ये सब अवनि को आपस मे जुड़े हुए लग रहे थे। क्या ये सब लक्ष्य का ही प्लान किया हुआ था "लेकिन उसे पता कैसे चला की मै यहाँ हु?" अवनि सोच मे पड़ गयी। 

       सारांश भी मॉल में हुई इस घटना के बारे में ही सोच रहा था। उसका शक भी बार-बार लक्ष्य की ओर जा रहा था। लेकिन अगर यह उसने नहीं किया है तो इतनी परफेक्ट टाइमिंग किसी और की कैसे हो सकती है! और अवनि इतनी डरी हुई क्यों थी? क्या उसने कुछ ऐसा देखा है? एक जरा सी चूक और आज बहुत बड़ा हादसा हो सकता था। मुझे अपनी नहीं लेकिन अवनी की फिक्र है। सारांश जानता था अवनि को नींद नहीं आ रही इसलिए उसने धीरे-धीरे उसके बाल सहलाएं जिससे उसे नींद आ गई और सुबह में घर वापस जाना था इसलिए वह खुद भी सो गया। 

     अगले दिन सुबह-सुबह दोनों घर पहुंचे। घर पहुंचते ही अवनि ने जब काव्या को वहां देखा तो चौक गई और भागकर उसके गले जा लगी। जानकी ने जब अवनि को इस तरह भाग कर काव्या के पास जाते देखा तो वह बोली, "अरे अवनि बेटा संभाल कर! तुम्हारी काव्या दीदी अब अकेली नहीं है।"

     जानकी की बात सुन अवनि को कुछ समझ नहीं आया तो उसने तिरछी नजर से काव्या को देखा। काव्या को मुस्कुराते देख अवनि चौक गई और पूछा, "दिदु क्या आप प्रेग्नेंट हो" अवनि का सवाल सुन काव्या ने हां में सर हिला दिया। "मतलब मैं मासी बनने वाली हू!!! ओ दिदु.........!थैंक यू सो मच!" फिर उसने सिया की ओर देख कर पूछा, "मॉम....! क्या दिदु अब हमारे साथ रहेंगी?"

     " हां बेटा! अब आपकी दिदु आपके साथ ही रहेगी। डॉक्टर ने उन्हें चलने फिरने से मना किया है और खूब सारा आराम करने को कहा है। धानी भी यहाँ नहीं है और कार्तिक कितना ख्याल रख पाएगा उसका। इसलिए मैं उसे यहां ले आई। अब घर भी भरा रहेगा और सब का मन भी लगा रहेगा पहले की तरह।" सिया ने कहा। 

    सिया की बात सुनकर अवनी और सारांश दोनों ही खुश हुए लेकिन तभी कार्तिक की नजर सारांश की गर्दन पर लगी बैंडेज् पर गई। "यह क्या हुआ तुम्हें? ये चोट कैसे लगी?"कार्तिक ने पूछा तो सिया और सभी का ध्यान उधर गया।  सिया भी वह चोट देखकर घबरा गयी और उसने सवालिया नजरों से सारांश की ओर देखा। 

     अवनि ने कल रात हुए मॉल के हादसे की एक-एक खबर सिया को बात दी। "आप ठीक हो बेटा?" सिया ने अवनि से पूछा। 

  "जी मॉम मैं ठीक हूं। मुझे कुछ नहीं हुआ, इन्होंने मुझे कुछ होने ही नहीं दिया। बस इनको चोट लग गयी",अवनी ने कहा। शुक्र है हादसा ज्यादा बड़ा नहीं था और सारांश को हल्की सी चोट ही आई थी। घबराने वाली कोई बात नहीं थी।  सारांश ने बात बदलते हुए कहा, "अरे अवनि! यह सब छोड़ो और तुमने जो गिफ्ट खरीदा था सेअब के लिए, वह तो निकालो!" 

      अवनि को ध्यान आया तो उसने बैग खोलकर सबको  गिफ्ट देना शुरू कर दिया। लास्ट में एक गिफ्ट बॉक्स बचा जिसे देख अवनि हैरान हो गई। सारांश ने वो बॉक्स उठाकर काव्या की ओर बढ़ा दिया और बोला, "यह तुम्हारे होने वाले बेबी के लिए।" सारांश की बात सुन अवनि का माथा ठनका, "मतलब आप को पता था दिदु की प्रेग्नेंसी के बारे मे?" सारांश की तो मानो चोरी पकड़ी गई, उसने अपने होंठ भीच लिए। उससे कुछ कहते नहीं बना  तो अवनि ने सोफे पर रखा एक कुशन सारांश को दे मारा। 

      कार्तिक की हंसी छूट गई, उसने कहा," किसी ने शर्त लगाई थी कि सबसे पहले अपनी बीवी से कौन पिटेगा!" कार्तिक की बात सुन अवनि ने कहा,"फिर तो जीजू....! आप बहुत पहले यह शर्त जीत चुके हैं।" कार्तिक ने एक तीखी नज़र सारांश पर डाली और विजयी मुस्कान के साथ उसे देखा। फिर थोड़ा करीब आकर धीरे से बोला, "वैसे सच मे ये चोट काँच से लगी है या फिर अवनि....... मेरा मतलब जंगली बिल्ली ने पंजा मारा!!!"

     "ज्यादा दिमाग मत दौड़ाया कर, मेरी बीवी बहुत सीधी है।" सारांश ने कहा तो कार्तिक ने कहा, "वो तो दिख ही रहा है। इसीलिए शर्त हार गया और बीवी से पिट गया। वैसे मौके पर चौका मारना कोई तुझ से सीखे, सेलिब्रेशन के बहाने हनीमून हाँ..!"

    "और पहली बॉल पर सिक्सर मारना कोई तुझ से सीखे।" कार्तिक के नहले पर सारांश ने दहला मारा और उठ कर अपने कमरे में चला गया, उसके पीछे पीछे अवनि भी चली गई। सारांश जैसे ही फ्रेश होकर निकला उसे ऑफिस के कॉल आ गया जिस कारण उसे तुरंत ही ऑफिस के लिए निकलना पड़ा। 

      अवनि के आने से कार्तिक भी थोड़ा सा रिलैक्स हो गया और वह भी आज सारांश के साथ ही ऑफिस के लिए निकल गया। अवनी तैयार होकर नीचे आई और सीधे काव्या के कमरे में गयी। वहां जाकर उसने अपने इस पूरे हफ्ते के ट्रिप की एक एक बात बताई।

    अवनि के चेहरे की रंगत बता रही थी कि वह कितनी खुश है, फिर भी काव्या ने पूछा,"अवनि! तु खुश तो है ना?" इस पर अवनि ने कहा, "खुश.......! मैं तो बहुत बहुत बहुत खुश हूं। सारांश मेरा बहुत ज्यादा ख्याल रखते है। मुझे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं और मेरे बिना कहे सब समझ जाते हैं।" अवनि अभी काव्या से बात कर ही रही थी तभी उसकी मां का फोन आ गया। अवनि ने फोन उठाया और चहकते हुए बोली, "हेलो मां! आपने भी नहीं बताया ना मुझे दिदु के बारे में।" 

    "वो सब छोड़ और ये बता की तुझे याद तो है न की कल तीज का त्योहार है या भूल गयी!!!" कंचन ने कहा। 

     अवनि ने अपने सिर पर हाथ दे मारा, "अरे नही माँ....! अच्छा हुआ अपने याद दिलाया वरना तोऐ भूल ही गयी थी।"

    "माँ..! इसे सिर्फ एक ही बात याद रहती है आजकल..!" काव्या ने कुछ कहना चाहा तो अवनि ने झट से उसका मुह बन्द कर दिया। किसी को भी कुछ सोचने की जरूरत नही थी की काव्या क्या कहना चाह रही थी। कंचन ने आगे कहा, "बेटा काव्या ऐसी हालत मे ये व्रत नही कर सकती लेकिन क्या तु ये कर पायेगी? सोच कर बताना! पर दिन पूरी रात निर्जला रहना पड़ता है, वो भी सिर्फ अपने पति की सलामती के लिए।"

   सलामती की बात सुन अवनि को कल की घटना याद आ गयी। और किसी के लिए नही लेकिन सारांश के लिए उसे ये व्रत करना था फिर चाहें जो भी हो। उसने कहा, "माँ....! मुझे ये करना है। शादी के बाद ये मेरा पहला व्रत है, से मै कैसे छोड़ सकती हु।" 

    "अरे माँ इससे मत पूछो, पूछना है तो सारांश से पूछ लो की वो इसे करने देंगे या नही!!!" काव्या ने कहा। उसकी बात भी सही थी, अगर सारांश को पता चला की अवनि ने इतना कठिन व्रत लिया है तो वह गुस्सा हो जायेगा। लेकिन अवन्ने भी मन बना लिया था की उसे ये करना ही है इसीलिए उसने तय किया की वो शाम को सिया से बात करेगी ताकि वह भी सारांश को समझा सके। 

     कुछ देर तक समझाने के बाद कंचन ने फोन रख दिया। अवनि और काव्या फिर से अपनी बातो मे मशगूल हो गए की तभी अवनि का फोन बजा। उसने बिना नम्बर देखे ही फोन उठा लिया और बोली, "हाँ माँ.....! और क्या बताना था? पता है मुझे तीज के बारे मे, आप ज्यादा टेंसन मत लीजिए।" 

     दूसरी तरफ से आवाज़ आई, "ओह.....! तो मेरी जान अपने पति के लिए व्रत रखने वाली है!!! लेकिन क्या फायदा! कितनी जिंदगी बची ही है उसके पास! क्या करोगी ये सब करके?" 

      उस आवाज़ को सुन अवनि एकदम से चौंक गयी। ये आवाज़ उसको डराने के लिए काफी थी ऊपर से सारांश को लेकर उसनेजो बाते कही थी उससे अवनि और भी ज्यादा डर गयी। इससे पहले वह कुछ बोल पाती लक्ष्य ने गुनगुनाते हुए कहा, "ओ बेशरम! ओ बेहया! ओ बेवफ़ा......! तेरा की हाल है!" और उसने फोन काट दिया।