Chapter 62
सुन मेरे हमसफ़र 55
Chapter
55
कुणाल फोन पर किसी से बातें कर रहा था और उसे यहां का एड्रेस समझा रहा था। इतने में कुहू उसके पास आई और कहा "तुम्हारे पास मेरे लिए बिल्कुल टाइम नहीं है ना!"
कुणाल ने पलट कर देखा। उसे वाकई कुहू के लिए बुरा लग रहा था। लेकिन वह चाह कर भी कुहू की तरफ अपने कदम नहीं बढ़ा पा रहा था। दोस्त होने के नाते उन दोनों ने एक साथ काफी अच्छा टाइम स्पेंड किया था, लेकिन जब से उन दोनों की शादी तय हुई थी, कुहू कुणाल के लिए थोड़ी अनजानी सी महसूस होने लगी थी। जिस दोस्त को वो जानता था, वह उसके सामने नहीं थी। उसके सामने उसकी मंगेतर थी जिससे वह प्यार नहीं करता था और जिस दोस्त से वह प्यार करता था उस दोस्त को ना जाने कहां खो दिया था।
कुहू ने कुणाल के कंधे पर हाथ रखा और कहा "क्या हो गया है कुणाल? जब से हमारी शादी तय हुई है, तुम इतने खींचे खींचे से रहने लगे हो! कहां गया वह कुणाल जिसे मैं जानती थी! वो कुणाल जो हमेशा मुस्कुराते रहता था। बात-बात पर जोक्स क्रैक करता था। जिंदगी को खुलकर जीता था।"
कुणाल चुपचाप खड़ा उसकी बातें सुन रहा था। उसकी किसी भी सवाल का जवाब उसके पास नहीं था, और जो जवाब था, वह दे नहीं सकता था। कुहू उसके थोड़ा और करीब आई और कहा, "हमारी शादी होने वाली है कुणाल! हम एक दूसरे के लाइफ पाटनर बनने वाले हैं। हम दोनों ही एक दूसरे से अगर बात छुपाएंगे तो फिर पूरी जिंदगी हम कैसे साथ रह पाएंगे?"
कुणाल ने कुहू का हाथ अपने कंधे से हटाया और अपने हाथ में थाम कर बोला "तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो और हमेशा रहोगी। लेकिन कुछ बातें ऐसी होती है जिसे हम किसी के साथ शेयर नहीं कर सकते। मैं समझ सकता हूं तुम क्या कहने की कोशिश कर रही हो। लेकिन ट्रस्ट मी! जब भी कभी मुझे ऐसा लगेगा कि मुझे अपनी फीलिंग्स किसी के साथ शेयर करने की जरूरत है तो मैं सबसे पहले तुम्हारे पास ही आऊंगा। फिलहाल तो मैं अपने बर्ताव के लिए तुमसे सॉरी कहना चाहता हूं। सगाई से पहले भी मैं यहां से गायब था और सगाई के तुरंत बाद में यहां से चला गया। अगर कोई ऐसी प्रॉब्लम नहीं होती तो मैं कभी ऐसे........."
कुहू ने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बंद कर दिया और कहा "मैंने तो तुमसे कुछ पूछा ही नहीं। तुम मेरे पास वापस आ गए ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। मुझे और कुछ नहीं चाहिए। बस तुम मेरे पास रहो, मेरे साथ रहो।" अचानक से न जाने कहां से कुहू के दिमाग में ये बात आई और उसने सवाल कर दिया "कुणाल! तुम हमारे रिश्ते से खुश तो हो ना?"
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निशी ने गुस्से में अव्यांश के जोर से कोहनी मारी थी। अव्यांश ने अपना पेट पकड़ लिया और दर्द में कराहते हुए बोला "जान ही ले लो ना मेरी! क्यों छोड़ रखा है उसे? किसके लिए? मैं तो बस तुम्हें थैंक्यू कह रहा था।"
निशी अपने कमर पर हाथ रख कर बोली "थैंक यू बोल रहे थे? क्यों? क्योंकि मैंने तुम्हें इन रंगाई पुताई वाली लड़कियों से बचाया! लेकिन जहां तक मेरी नजर गई और जहां तक मैंने समझा, तुम तो इंजॉय कर रहे थे! मैंने आकर रंग में भंग डाल दिया तो फिर कैसा थैंक्यू! तुम्हें तो नाराज होना चाहिए मुझ पर।"
अव्यांश के होठों पर मुस्कान आ गई। उसने निशी को छेड़ते हुए कहा "तुम्हें जलन हो रही थी?"
निशी ने चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और बोली "मुझे क्यों जलन होगी? जले मेरी जूती। ऐसी हेल्प मैंने अपने कई दोस्तों को किया है। तुम कोई पहले नहीं हो।"
इस बात से अव्यांश को कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने एक बार फिर निशि को चिढ़ाते हुए कहा, "अच्छा! अगर ऐसी बात है तो फिर मैं वापस चला जाता हूं, उन्हीं लड़कियों के बीच। एटलिस्ट वो लड़कियां मुझे भाव दे रही थी। तुम्हारी तरह भाव नहीं खा रही थी।"
अव्यांश वहां से जाने को मुड़ा तो निशी गुर्राते हुए बोली "मां को बुलाऊं? वह भी तो देखें उनका लाडला शरीफ बेटा क्या कर रहा है।"
मां का नाम सुनकर ही अव्यांश की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। उसने एकदम से पलट कर निशी हाथ पकड़ लिया और बोला "नहीं जाऊंगा यार, नहीं जाऊंगा! तुम्हारे पास ही रहूंगा, हमेशा तुम्हारे साथ। चलो ना, कितना रोमांटिक मौसम हो रखा है। कहीं बैठते हैं, पानी में पैर डालकर। पीछे में गार्डन फाउंटेन है और तालाब भी है। नहीं, तालाब नहीं है। तो क्या हुआ, फाउंटेन में ही पैर डाल कर बैठेंगे। बहुत मजा आएगा।"
निशी ने अव्यांश की पकड़ से अपना हाथ छुड़ाया और "नॉट इंटरेस्टेड!" बोल कर वहां से चली गई। अव्यांश भी निशी के पीछे जाना चाहता था लेकिन उसकी नजर कुणाल और कुहू पर गई। अंशु के चेहरे का रंग एकदम से बदल गया।
सारांश और अवनी जो बाकी गेस्ट के साथ बात करने में बिजी थे। उन दोनों की ही नजर अपने बेटे बहू पर गई। उन दोनों को इस तरह एक दूसरे के साथ कंफर्टेबल होते देख अवनी ने मुस्कुराकर सारांश की तरफ देखा तो सारांश भी मुस्कुरा दिया।
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