Chapter 63

Chapter 63

humsafar 63

Chapter

63

 



      अवनि दरवाजे पर खड़ी सारांश के आने की उम्मीद लगाए हुए थी लेकिन सारांश वहाँ होता तो आता। वहीं अगले परफॉर्मेंस के लिए सारी लड़कियाँ तैयार यही और चित्रा उन्हे समझा रही थी। कार्तिक ने जब अवनि को ऐसे खड़ा देखा तो उसके मन मे एक सवाल उठा, "काव्या किसी और से प्यार करती है इसीलिए ये शादी हमारी शादी उसके लिए सिर्फ समझौता था। और अवनि भी तो किसी और को पसंद करती है........ मेरे दिल मे किसी और के लिए जगह है इसीलिए मुझे इस रिश्ते के टूटने से तकलीफ नही होगी लेकिन अगर कल को अवनि ने भी सारांश के साथ रिश्ता तोड़ने की बात की तो सारांश का क्या होगा? और अवनि इस वक़्त यहाँ क्या कर रही है? किसके आने का इंतज़ार है?"

      अवनि चुपचाप वहाँ खड़ी रही। कुछ देर बाद ही गाना शुरू हो गया जो अवनि के दिल का हाल कह रहा था। 


रघुवर तेरी राह निहारे सातों जनम से सिया

घर मोरे परदेसिया, आओ पधारो पिया


अवनि मायूस होकर वापस जाने को मुड़ी। अभी कुछ कदम चली ही थी की उसके पीछे एक गाड़ी आकर रुकी। अवनि ने पलट कर देखा तो उस कार से सारांश नीले गुलाबी कुर्ता पजामा मे उतरा। अवनि को लगा जैसे वो कोई सपना देख रही हो। सारांश ने जब गाड़ी का दरवाज़ा बन्द किया तब उसकी आवाज़ से अवनि होश मे आई और उसे यकीन हुआ। इससे पहले सारांश ठीक से संभल पाता, अवनि दौड़ कर उसके गले जा लगी। 

      सारांश तो बस उसे सरप्राइज देना चाहता था इसीलिए उसके आने की बात सिर्फ सिया को पता थी। अवनि को यूँ अपना इंतज़ार करता देख, और उसके यूँ गले लगा देख सारांश को बहुत खुशी हुई। उस ने अवनि को कमर से पकड़ हवा मे उठा लिया। अवनि ने भी अपनी बाहें उसके गले मे लपेट रखा था। ये कुछ दिन बरसो की तरह गुजरे थे उन दोनो के लिए। अवनि और सारांश दोनो ही एक दूसरे को छोड़ना नही चाह रहे थे। 

      सारांश ने महसूस किया की अवनि रो रही थी। उसने अवनि के बाल पर एक किस किया और सहलाते हुए उसे और मजबूती से पकड़ लिया। इस वक़्त अवनि की हालत सारांश अच्छे से समझ रहा था। कार्तिक ने जब अवनि को सारांश से मिलते देखा तो वह सारांश के लिए अवनि की तड़प अच्छे से समझ गया। जिन हालत मे अवनि ने शादी की थी उसके बाद उन दोनो मे इतना प्यार देख कार्तिक को कुछ कहते नही बना और उन दोनो को डिस्टर्ब करने की बजाय वापस अंदर चला गया। 

     सारांश अवनि  से अलग हुआ और उसके आँसू पोछ कर कहा, "अवनि.......! अंदर चले, सब इंतज़ार कर रहे होंगे!" लेकिन अवनि ने जैसे कुछ सुना ही नही। वो तो अभी भी सारांश के चेहरे को थामे बस उसे देखे जा रही थी। सारांश ने अवनि का हाथ पकड़ा और उसे अंदर लेकर चला आया। अवनि भी उसका हाथ थामे पीछे पीछे चल दी। 

    कार्तिक जब अंदर आया उस वक़्त चित्रा सब के साथ डांस करने मे व्यस्त थी। उसने हर मुद्रा हर स्टेप इतनी खूबसूरती और नजाकत से पेश किये थे की कार्तिक के साथ हर कोई बस उसे ही देख रहा था। सारांश जब अवनि को लेकर आया तो चित्रा भागती हुई आई और अवनि को खींच कर अपने साथ ले गयी। अवनि भी सारांश के आने से इतनी ज्यादा खुश थी की अपने कदम थिरकने से रोक नही पाई। 

ना तो मैया की लोरी ना ही फागुन की होरी

मोहे कुछ दूसरा ना भाये रे

जबसे नैना ये जा के इक धनुर्धर से लागे 

तबसे बिरहा मोहे सताए रे 

दुविधा मेरी सब जग जाने,जाने ना निरमोहिया

   अवनि और चित्रा, दोनो ही एक ताल पर थिरक रहे थे। सारांश वहीं खड़ा उस पल को अपने कैमरे मे कैद कर रहा था। श्रेया भी उन दोनो को जॉइन करना चाहती थी लेकिन साडी की वजह से नही कर पाई। उसने बस दूर से ही बैठकर सब देखा और मन ही मन बोली, "कितनी खुश लग रही है तु अवनि! डांस तेरा पहला प्यार था और उस कमीने की वजह से अपनी हर खुशी भूल चुकी थी। लेकिन अब तेरे साथ एक ऐसा इंसान खड़ा है जो तेरी हर खुशी तुझे एक एक कर वापस लौटा रहा है। तु फिर से वही पुरानी अवनि लग रही है। भगवान करे! तेरी लाइफ यूँ ही खुशियों से भरी रहे।"

      चित्रा और अवनि ने साथ मे डांस खत्म किया और वापस आ गए। एक एक कर बाकियो ने भी अपना परफॉर्मेंस दिया जब तक की कान्हा जी के जन्म का समय नही हो गया। आधी रात हुई और कान्हा जी पधारे। अवनि ने सारांश का हाथ कस कर पकड़ लिया और नज़र उठाकर उसकी ओर देखा। सारांश की नज़र भी अवनि पर ही थी। उसकी आँखों मे छुपी चाहत सारांश अच्छे से पढ़ सकता था। इसी बीच निक्षय ने सब को चित्रा के बारे मे बताना चाहा। 

        सभी लोग निक्षय को देखने लगे, लेकिन निक्षय ने कुछ बताने की बजाय सीधे चित्रा के उंगली मे एक अंगूठी पहना दी। चित्रा ने कुछ नही कहा और बस मुस्कुरा कर रह गयी। कार्तिक का जैसे दिल टूट गया हो। जिसे अपने दिल की बात बताने आया था उसे कोई और उसकी आँखों के सामने से ले जा रहा था। काव्या ने एक बार कार्तिक के चेहरे की ओर देखा और फिर चित्रा की ओर। काव्या को समझते देर नही लगी की चित्रा इस सब से खुश नही है, लेकिन इस वक़्त कुछ कह भी नही सकती थी। 

       कार्तिक वहाँ सब के बीच रुक नही पाया और घर जाने के लिए तुरंत ही वहाँ से निकल गया। काव्या भी उसके पीछे भागी और जाकर उसकी गाड़ी मे बैठ गयी। कार्तिक के चेहरे पर कोई भाव नही थे। वो बाहर से जितना शांत लग रहा था, उसके अंदर उतना ही बड़ा तूफान मचा था और काव्या ये बात अच्छे से जानती थी। उसने कार्तिक को संभालने की कोशिश की लेकिन कार्तिक किसी से भी बात करने के मूड मे नही था। 

      रात गहरी हो चुकी थी और सब लोग अब वापस घर को लौटने लगे थे। कार्तिक और काव्या तो पहले ही घर के लिए निकल चुके थे। निक्षय और चित्रा भी घर जाने को निकल गए। सिया अखिल कंचन और घर के बाकी सभी लोगो ने  आज वही पंडाल मे ही रहने का प्लान बनाया। अवनि ने श्रेया को घर छोड़ने के लिए मानव को रोका लेकिन श्रेया गुस्सा हो गयी। मानव की भी भौहें तन गयी और वह श्रेया को वही छोड़कर जाने लगा। सारांश ने उसे रोका और श्रेया को मानव के साथ जाने के लिए कहा। रात ज्यादा थी और श्रेया को अकेले घर भेजना सही आईडिया नही होता इसीलिए श्रेया ने भी हाँ कर दी और मानव की बाइक पर बैठ कर चली गयी। 

       अवनि और सारांश भी घर जाने के लिए जैसे हु गाड़ी मे बैठे, अवनि के दिल की धड़कन बढ़ गयी। घर पे सारांश के साथ अकेले मे होने की बात सोचकर ही अवनि को घबराहट सी होने लगी थी लेकिन इस वक़्त का जाने कब से दोनो ने इंतज़ार किया था। पूरे रास्ते अवनि और सारांश ने एक दूसरे का हाथ पकड़े रखा। जब दोनो घर पहुँचे तो वहाँ का डेकोरेशन देख दोनो ही दंग रह गए। घर को बिलकुल वैसे ही सजाया गया था जैसे उनकी शादी के बाद स्वागत मे किया गया था। घर के अंदर भी वैसा ही सब था। सारांश को समझते देर ना लगी की ये सब सिया का प्लान था। सिया ने ही सारा अरेंजमेंट करवाया था और घर वापस ना लौटने का फैसला लिया ताकि आज की रात दोनो को कोई डिस्टर्ब ना करे।

        सारांश ने अवनि को देखा जो अभी भी उसका हाथ पकड़े शर्म से अपना सिर झुकाए हुए थी। उसने प्यार से अवनि के चेहरे को छुआ और बिना कोई पल गवाए उसे गोद मे उठाकर कमरे की ओर बढ़ गया। अवनि ने भी शर्म से अपना चेहरा उसकी गर्दन मे छुपा लिया और किसी भी बात का विरोध नही किया। 


क्रमश: