Chapter 134
YHAGK 133
Chapter
133
रूद्र से इशिता का नंबर लेकर लावण्या अपनी स्टडी रूम में चली आई और दरवाजा बंद कर लिया। कांपते हाथों से उसने इशिता का नंबर डायल किया। वह एक इंटरनेशनल नंबर था यानी इशिता इंडिया में नहीं रहती थी। थोड़ी ही देर के बाद रिंग जाने लगी। हर एक रिंग के साथ लावण्या के दिल की धड़कन बढ़ने लगी और वह बेचैन होने लगी। अपने पैरों पर खड़ा रहना उसके लिए मुश्किल हो रहा था। लड़खड़ाते हुए उसने बड़ी मुश्किल से एक कुर्सी पकड़ी और वही बैठ गई। वह मन ही मन भगवान से बस यही प्रार्थना कर रही थी कि रेहान ने उसे धोखा ना दिया हो। जो भी हुआ वो सिर्फ एक गलती हो जिससे उसे माफ करने की एक तो कोई वजह मिले। फिर भी गलती ही सही लेकिन धोखा धोखा ही होता है।
रेहान को लेकर उसके दिल में प्यार और नफरत दोनों थे। पूरी रिंग जाने के बाद दूसरी तरफ से किसी ने फोन उठाया और बोला, "हेलो....!"
लावण्या एकदम से हड़बड़ा गई। उससे कुछ कहते नहीं बन रहा था। यह किसी आदमी की आवाज थी। हो सकता है उसका हस्बैंड हो! अभी वो यह सोच रही थी कि तब तक दूसरी तरफ से उस इंसान ने दो-तीन बार उसे आवाज लगाई।
लावण्या हड़बड़ाते हुए बोली, "हेलो! हेलो!! इ... इशिता.....!"
उस आदमी ने कहां, "वेट अ मिनट!" और इशिता को आवास लगा दी। थोड़ी देर के बाद ही लावण्या को इशिता की आवाज सुनाई दी, "हेलो! कौन बोल रहा है?"
लावण्या की आवाज कांप गयी। उसने कहा, "इशिता....! मैं लावण्या बोल रही हूं! रेहान की बीवी!"
लावण्या की बात सुनकर इशिता शॉक्ड रह गई। उसे समझ नहीं आया आखिर लावण्या के पास उसका नंबर कैसे आया? और फिर लावण्या ने उसे फोन ही क्यों किया? इतने सालों के बाद ऐसा क्या हो गया जो खुद लावण्या ने उसे फोन किया था?"
इशिता बोली, "हा लावण्या! मैं सुन रही हूं। बोलो कैसे फोन किया? सब ठीक तो है ना? रूद्र, मौली! सब ठीक तो है ना?"
लावण्या बोली, "सब ठीक है! रूद्र है अपनी शरण्या के पास और मौली भी। मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी। शायद तुम्हें यह बताने की जरूरत नहीं है, मैं किस बारे में बात करना चाहती हूं! सच मैं जान चुकी हूं। मौली के बारे में जो कुछ भी मुझसे छुपाया गया वह सब मुझे पता है। लेकिन मैं बस तुमसे सिर्फ सच्चाई जानना चाहती हु इशिता! किसी भी रिश्ते को तोड़ना इतना आसान नहीं होता। मैं नहीं चाहती कि मुझे जिंदगी भर ही मलाल रहे कि मैं इस रिश्ते को बचा सकती थी। इस धोके को मैं जिंदगी भर नहीं ढो सकती। मुझे बस तुझसे समझाना है ताकि मैं इस रिश्ते को.........."
लवनयॉ से आगे कुछ कहा नहीं गया। इशिता बोली, "लावण्या! इस बात को बरसों गुजर चुके हैं और एक तूफान भी गुजर चुका है। क्यों फिर से उन्हीं सारी बातों को दोहराना चाहती हो?"
लावण्या बोली, "ये तुम तय नहीं करोगी! शरण्या की जिंदगी का रुख तुमने अपने हिसाब से मोड दी! मेरी जिंदगी का फैसला तुम नहीं कर सकती!"
इशिता कुछ कहते हुए हिचकिचा रही थी। लावण्या बोली, "घबराओ मत! मै जानती हूं तुम इस सब को भूल कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हो। अगर तुम्हारे साथ कुछ गलत हुआ है तो मेरे साथ भी उससे कहीं ज्यादा गलत हुआ। तुम्हारे साथ जो हुआ उसे ठीक करने की बजाए तुमने उससे भी बड़ा गुनाह किया। लेकिन मेरे साथ जो हुआ वह अभी तक सही नहीं हुआ है। सब कुछ ठीक करने के लिए मेरा सच जाना जरूरी है। मैं बिल्कुल नहीं चाहूँगी कि तुम्हारी जिंदगी में कोई परेशानी आए लेकिन इस वक्त मेरे जो हालात है उसे समझने की कोशिश करो। अगर तुम इंडिया में हो तो मुझे तुमसे मिलकर बात करनी है। अगर नहीं, तो तुम चाहो तो मुझे अभी बता सकती हो। मुझे बस अपने सवालों के जवाब चाहिए। क्या उस रात जो हुआ वो एक गलती थी या फिर कुछ और?"
इशिता कुछ देर खामोश रही। लावण्या को उसकी यह खामोशी बेचैन कर रही थी। अपने सपनों का महल उसे अपनी आंखों के सामने बिखरता हुआ नजर आ रहा था। सच्चाई जानते हुए भी वह सब को नकार देना चाहती थी। कुछ देर बाद इशिता बोली, "लावण्या! मैं तुमसे कुछ नहीं छुपाना चाहती। शरण्या मेरे साथ रेडियो स्टेशन में काम करती थी। रूद्र ने उसके शो को स्पॉन्सर किया था जिसके तहत मुझे और पूरी टीम को क्रिसमस की पार्टी के लिए इनविटेशन मिला था। मैं अक्सर उस क्लब में जाया करती थी जहां रूद्र जाता था। मैंने उसे हमेशा नई लड़कियों के साथ देखा है। मैं भी उसके करीब जाना चाहती थी लेकिन कभी मौका नहीं मिला। क्रिसमस की पार्टी मेरे लिए एक सुनहरा अवसर था जिससे भुनाने की कोशिश की थी मैंने। शरण्या और रूद्र को मैंने अक्सर लड़ते झगड़ते देखा था लेकिन उन दोनों के बीच वो प्यार भी मुझे नजर आता था। उस रात जब तुम्हारा और रेहान का झगड़ा हुआ और तुम पार्टी से चली गई उस वक्त मैं रेहान को रूद्र समझ बैठी और मुझे लगा कि तुम रूद्र कि उन्ही गर्लफ्रेंड में से हो। मैंने उसे बार-बार रूद्र कहकर भी पुकारा लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। अगर वह तुमसे यह कहता है कि जो हुआ वह गलती थी तो मैं इस बात से इंकार करती हूं। ना वह नशे में था और ना ही उसने कोई गलती की। गुनाह किया उसने! अगर मुझे जरा सा भी एहसास होता कि वो रूद्र नहीं है तो मैं कभी रेहान को मुझे छूने की इजाजत नहीं देती। पूरी रात वो मुझे नोचता रहा। सुबह होते ही उसने मुझे रेडियो स्टेशन छोड़ा और वहां से चला गया। वहां पहुंचकर जब मैंने रुद्र और शरण्या की प्यार भरी लड़ाई देगी तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि कल पूरी रात जिसे मैं रूद्र समझ रही थी फिर रूद्र नहीं उसका भाई रेहान था। जब तुम दोनों की शादी हुई थी उस वक्त रेहान को अच्छे से पता था कि मैं प्रेग्नेंट हूं। सब कुछ जानने के बावजूद उसने तुम्हें धोखे में रखा। हां लावण्या! उसने तुम्हें धोखा दिया है। बहुत मुश्किल से मैंने अपना घर बसाया है। एक सुकून की जिंदगी जी रही हूं। इसमें रूद्र का बहुत बड़ा हाथ है। शरण्या वाकई बहुत किस्मत वाली है जो उसे रूद्र जैसा लाइफ पाटनर मिला जो उसके अलावा कभी किसी और की तरफ देखता तक नहीं। यकीन नहीं होता यह वही रूद्र है जिसे मैंने हर बार अलग अलग लड़कियों के साथ देखा था। मुझे लगा था रूद्र को मैं बहला लूंगी लेकिन यह मेरी गलतफहमी थी। शरण्या उसकी आत्मा है जिससे अलग होकर उसका कोई वजूद नहीं। एक जिंदा लाश है वो जिसे कुछ महसूस नहीं होता। बहुत वक्त लगा मुझे यह एहसास होने में। तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि मैंने कितनी बड़ी गलती की। भगवान ऐसा जीवनसाथी हर किसी को दे जैसा उन्होंने शरण्या को दिया। हर लड़की को उतना ही प्यार करने वाला पति मिले जितना रूद्र अपनी शरण्या से करता है। मैं बस सब कुछ पीछे छोड़ आई हूं। तुम्हारा फैसला जो भी होगा मुझे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है लेकिन मैं चाहती हु कि रूद्र और शरण्या हमेशा हमेशा के लिए एक हो जाए।"
इशिता ने और भी कुछ कहा लेकिन लावण्या से और सुना नहीं गया। उसने फोन रख दिया और रो पड़ी। उसकी सारी उम्मीद खत्म हो चुकी थी। सब कुछ बिखर चुका था।
उसका दिल कर रहा था अभी इसी वक्त रेहान से सवाल करें और उसे उसके इस धोखे की सजा दे। सब कुछ छोड़ कर इसी वक्त वह घर से निकल जाना चाहती थी। लेकिन फिर उसे एकदम से रूद्र का खयाल आया जिसके चेहरे पर अभी-अभी मुस्कान लौटी थी।
रूद्र शरण्या के साथ नई जिंदगी के सपने देख रहा था। उसका एक कदम और सब कुछ वापस से खराब कर सकता था। दोनों परिवार के रिश्ते अब जाकर थोड़े सही हुए थे। बरसों बाद शरण्या वापस लौटी थी। सिर्फ एक उसकी वजह से दोनों को अलग होना पड़ा था। उसने खुद से कहा, "नहीं लावण्या! अभी कुछ मत कर। जब तक रूद्र और शरण्या की पूरे रीति रिवाज से शादी नहीं हो जाती, तब तक तुझे खामोश रहना होगा। एक बार शरण्या को सब कुछ याद आ जाए, उसके और रूद्र के बीच सब कुछ सही हो जाए और वह बहू बनकर इस घर में आ जाए, उसके बाद ही कुछ करना सही होगा वरना दोनों परिवारों के रिश्ते अगर फिर खराब हो गए तो रूद्र और शरण्या एक बार फिर नहीं मिल पाएंगे।
मानसी नेहा को दूध देने उसके कमरे में गई तो देखा, नेहा के मम्मी पापा अपना सामान बांधने में लगे हुए थे। उन्हें ऐसे देख कर मानसी हैरान होकर बोली, "यह क्या? आप लोग यह क्या कर रहे हैं? वह भी इस वक्त!"
नेहा के पापा ने कहा, "हम अपने घर जाना चाहते हैं बेटा और कितने दिनों तक हम इस घर में रहेंगे? मेहमान भी कुछ दिनों में लौट जाता है और फिर हमारा तो कोई रिश्ता भी नहीं इस घर से, फिर किस हक से हम यहां रहे?"
मानसी उनका हाथ पकड़ कर बोली, "क्या मैं आपकी बेटी नहीं हूं? क्या आपने कभी मुझे दिल से अपनी बेटी नहीं माना? जब इस घर में किसी को कोई एतराज नहीं तो फिर आप लोग इस तरह घर छोड़कर क्यों जाना चाहते हैं? किसी ने कुछ कहा क्या? आप कहिए, मैं बात करूंगी विहान से।"
नेहा की मम्मी बोली, "नहीं बेटा! किसी ने कुछ नहीं कहा। यहां सभी बहुत अच्छे हैं लेकिन हमारे दिल पर जो बोझ है वह हमें इस घर में रुकने की इजाजत नहीं दे रहा। मैं जानती हूं तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है। इतना बड़ा है कि मेरे बेटे के हर गुनाह को माफ कर तुमने हम लोगों को अपना माना है।"
मानसी उनकी बात सुन हैरान होकर नेहा की तरफ देखने लगी तो नेहा ने अपना सर झुका लिया और दूसरी तरफ देखने लगी। मानसी समझ गई कि उन लोगों को अमित के करतूतों का पता चल गया है। उसने कहा, "उस इंसान ने मेरे साथ जो किया सो किया लेकिन आप लोगों ने तो कभी कुछ गलत नहीं किया ना! मां बाप कभी अपने बच्चे को ऐसे संस्कार नहीं दे सकते जैसा वह था। आप सब ने तो पूरी कोशिश की थी ना कि अपने बेटे को एक अच्छा इंसान बनाएं। अगर वह नहीं बना तो इसमें आप लोगों की क्या गलती! नेहा मेरी सबसे पक्की दोस्त है और अपने दोस्त के लिए मैं जितना करो उतना कम है। फिर भी अगर आप लोग जाना चाहते हैं तो मैं आपको रोकूंगी नहीं। लेकिन इस सबसे पहले मुझे विहान से बात करनी होगी। कम से कम उन्हें इस बारे में पता हो ताकि वह घरवालों से इस बारे में बात कर सके और आप लोगों की सुरक्षा के इंतजाम भी करवा सकें। इन्हीं सब वजह से रूद्र ने आप लोगों को यहां रुकने को कहा था। अगर सब कुछ ठीक है तो मैं आप लोगों को नहीं रोकूंगी। लेकिन इतना जरूर कहूंगी, मैं आपकी बेटी हूं और यह घर आपकी बेटी का ससुराल है। आप लोग जब चाहे यहां आ सकते हैं और मानव से मिलने के लिए मैं कभी आप लोगों को मना नहीं करूंगी। उस पर आप दोनों का भी बराबर अधिकार होगा।"
नेहा की मम्मी ने मानसी के आगे हाथ जोड़ लिया तो मानसी ने उनके हाथ पकड़ लिए। नेहा की मम्मी बोली, "ये तुम्हारा बड़प्पन है बेटा। इतना बड़ा दिल किसी का नहीं होता। पर एक बात जानना चाहती हूं, क्या विहान को यह सारी सच्चाई पता है? क्या उसे तुम्हारे बारे में सारा सच पता है?"
मानसी बोली, "उनसे बेहतर इस बारे में और कोई नहीं जानता। जब उन्हे पता चला था, उनके सर पर खुन सवार था। वो उसी वक्त अमित की जान ले लेना चाहते थे लेकिन रूद्र ने उन्हें रोका। वो दोनों मिल कर अमित के खिलाफ सबूत ढूंढ रहे थे ताकि मुझे उस इंसान के चंगुल से बचा सके लेकिन सबसे पहले इतना कुछ हो गया! इस बात की उम्मीद मैंने बिल्कुल भी नहीं की थी। विहान मुझे बहुत प्यार करते हैं। इतना प्यार कि मेरे लिए उन्होंने मानव को अपनाने में जरा सी भी हिचक नहीं दिखाई। अपने सगे बेटे से भी ज्यादा प्यार करते हैं वह मानव से। लेकिन मैं क्या करूं माँ! मेरा अपना खून होते हुए भी मैं उस बच्चे से इतना प्यार नहीं कर पाती जितना विहान करते हैं।"
नेहा की मम्मी बोली, "ये सब उसी के कर्मों के फल है जो हमें भुगतने पड़ रहे हैं। ना जाने मेरी बच्ची की किस्मत में क्या लिखा है। उस इंसान को नरक में भी जगह नहीं मिलनी चाहिए।"
मानसी ने कहा, "नेहा के साथ जो भी बुरा होना था वह हो चुका, अब जो भी होगा सब अच्छा होगा। आप देखना, हर किसी की लाइफ में भगवान एक अच्छा जीवन साथी जरूर लिख रखा होता है, नेहा के लिए भी कोई ना कोई तो जरूर आएगा जो उसका हाथ भी थामेगा और जिंदगी के रास्ते पर एक बार फिर ले जाएगा। मैं विहान से बात करके आती हूं।"
मानसी की बात सुन नेहा के आंखों के सामने रजत का चेहरा घूम गया। वह वहां से उठी और बाथरूम में चली गई। वो अच्छे से जानती थी, सारी सच्चाई जानने के बाद रजत कभी मुड़कर भी उसकी तरफ नहीं देखेगा तो फिर क्यों उसे तकलीफ हो रही थी!!!