Chapter 85
YHAGK 84
Chapter
84
नेहा के घर वाले सब को खाना खिलाने में लगे थे और विहान के मम्मी पापा ने भी उनका पूरा साथ दे रहे थे। शरण्या के मम्मी पापा भी मंदिर पहुंच गए थे। पंडित जी ने वैशाख पूर्णिमा के दिन जो पूजा रखवाई थी, उसमें पूरे घरवाले शामिल हुए थे लेकिन कहते हैं ना हम किसी को बातें बनाने से नहीं रोक सकते। अमित की तेरहवी के दिन जो कुछ भी हुआ उसके बाद कुछ दिनों तक तो किसी ने भी नेहा या उसके फैमिली के सामने कुछ नहीं कहा लेकिन पीठ पीछे बातें और ज्यादा होने लगी। विहान ने जिस तरह से मानसी को डिफेंस किया उस बात को लेकर विहान पर भी उंगली उठाए जाने लगी थी। मानसी बिचारी सफेद साड़ी में खुले बाल बिना किसी श्रृंगार के एक जगह सर झुकाए बैठी हुई थी जैसे कोई अछूत हो।
विहान के मम्मी पापा कुछ बात करना चाहते थे लेकिन लोगों की बातों से उन्हें भी काफी बुरा लग रहा था। उन सबकी नजरों में मानसी के लिए बेचारगी थी जिससे विहान को और ज्यादा तकलीफ हो रही थी। विहान मानसी के पास आया और उसे अपने साथ ले जाना चाहा लेकिन मानसी अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, "विहान......! मैंने कहा था ना मेरे करीब आना तो दूर मुझे छूने की कोशिश भी मत करना। हमारे रास्ते अलग है और अच्छा हैं अलग ही रहने दो। हर रिश्ते हर नाते से मेरा भरोसा उठ चुका है, अब मुझे खुद के साथ अकेले रहने दो। यह मेरी किस्मत है और मुझे यह किस्मत मंजूर है। कम से कम कोई मुझे कुछ ऐसा करने पर मजबूर तो नहीं करेगा जो मैं कभी करना नहीं चाहती। यहां सब लोग हैं। विहान!!! मेरा हाथ छोड़ो, अगर किसी ने देख लिया ना तो मेरे साथ साथ तुम्हारी भी बदनामी होगी। मेरी किस्मत में जो होना है उसे मैं पहले ही एक्सेप्ट कर चुकी हूं लेकिन मैं नहीं चाहती कि तुम्हारा नाम खराब हो।"
मानसी बस विहान को खुद से दूर करना चाहती थी क्योंकि उसे अच्छे से पता था नेहा विहान को कितना ज्यादा पसंद करती है और उसके साथ शादी के सपने देख रही है। अमित ने चाहे जो भी किया हो लेकिन उसके घर वालों के साथ कभी कुछ बुरा नहीं करना चाहती थी। वो नहीं चाहती थी कि नेहा के सपने टूटने का इल्ज़ाम उस पर आए लेकिन विहान कहां यह सब समझने वाला था। मानसी के मुह से हर बार एक ही बात सुनकर विहान का गुस्सा अब बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। जिन बातें को वो सुनना नहीं चाहता था मानसी इसी बात को दोहराती।
विहान ने मानसी की कलाई छोड़ने की बजाए और कस के पकड़ ली और घसीटते हुए उसे मंदिर में ले गया। मानसी ने पूरा जोर लगा कर अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन विहान इतने गुस्से में था कि उसे एहसास ही नहीं उसकी पकड़ से मानसी को तकलीफ हो रही थी। वह जिस तरह मानसी को खींचते हुए मंदिर के भीतर ले गया उससे सबका ध्यान विहान और मानसी पर ही गया। विहान ने भी ना कुछ सोचा ना कुछ समझा और भगवान के चरणों में रखें थाल में से सिंदूर उठाकर मानसी से मांग में भर दिया।
रूद्र शरण्या भागते हुए मंदिर पहुंचे। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, विहान के मम्मी पापा को कुछ भी कहने या करने से रोकना था। शरण्या अभी भी शौक में थी यह जानकर कि उसका भाई जिस लड़की को पसंद करता है और नेहा ना होकर नेहा की भाभी थी। आगे क्या होगा यह सोच कर ही शरण्या का सर फटा जा रहा था। मानसी ना सिर्फ अमित की विधवा थी बल्कि अब तो मां बनने वाली थी। ऐसे में क्या पूरा परिवार उसे अपना पाएगा या नहीं? शरण्या के मन में हजारों सवाल थे लेकिन फिलहाल मंदिर पहुंचना सबसे ज्यादा जरूरी था।
रुद्र और शरण्या भागते हुए ने जैसे ही मंदिर के ऊपरी हिस्से में आए, वहां का नजारा देख उन दोनों के ही होश उड़ गए। शरण्या का ध्यान सबसे पहले नेहा पर ही गया जो वही खड़ी मानसी और विहान को देख रही थी। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे लेकिन आंखों में हजारों सपने टूटने का दर्द जरूर था। नेहा को लगा जैसे वह कोई सपना देख रही हो लेकिन जैसे ही शरण्या उसके पास आई और उसे छूआ, नेहा होश में वापस आई तब जाकर उसे एहसास हुआ कि उसके आंखों के सामने जो कुछ हुआ वह कोई सपना नहीं बल्कि हकीकत है। जिस विहान के साथ अपनी आने वाली जिंदगी के सपने संजोए थे उसी विहान ने उसकी भाभी की मांग भर दि थी।
नेहा दो कदम पीछे हटी और लड़खड़ा कर वहीं गिर पड़ी। शरण्या ने उसे संभाला। विहान के मम्मी पापा को तो जैसे सांप सूंघ गया हो। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका बेटा ऐसी कोई भी हरकत करेगा। कहां तो वह लोग नेहा को अपनी बहू मान रहे थे लेकिन यहां विहान मानसी को पसंद करता है, यह बात किसी के सामने खुलकर नहीं आई थी। मानसी खुद भी विहान के इस हरकत से सदमे में थी। उसने गुस्से में विहान पर हाथ उठा दिया और सबके सामने एक जोरदार थप्पड़ मार दिया। विहान ने इस बात का बुरा नहीं माना। वो अच्छे जानता था की मानसी किस दौर से गुजरी है और गुजर सही है। वह तो बस अपने और मानसी के रिश्ते को एक नाम देना चाहता था, सबके सामने लाना चाहता था लेकिन इस तरह..... उसने खुद भी नहीं सोचा था।
रूद्र ने जल्दी से जाकर विहान को पीछे से थामा तो विहान ने उसका हाथ पकड़ते हुए इशारा किया कि वह ठीक है। विहान के पापा आगे आए और एकदम से उन्होंने गरजती हुई आवाज में कहा, "तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है विहान!!! ये कैसे हरकत की है तुमने? तुम कोई छोटे बच्चे नहीं हो कि इस तरह की गलती करो। इस सब का मतलब जानते भी हो तुम? तुम्हारी हर हरकतों को नजरअंदाज किया है हर गलतियों को छुपाया है उस पर पर्दा डाला है इसका मतलब यह नहीं कि तुम इस हरकत पर उतर आओ। समाज में हमारी कोई इज्जत है, कोई नाम है। तुम्हें उसकी परवाह नहीं कम से कम हमारी थोड़ी तो इज्जत रहने दो ताकि हम सर उठाकर जी सकें। एक विधवा के साथ शादी करके तुम क्या जताना चाहते हो? माफी मांगो सबसे, और चलो यहां से।"
विहान अपने पापा के पैर छूकर बोला, "पापा.......! मैं मानसी से प्यार करता हूं और उससे शादी की है मैंने। माना कोई रस्म नहीं हुई लेकिन फिर भी अब वो मेरी पत्नी है और आपकी बहू भी।" विहान के पापा ने सख्त आवाज में कहा, "वह मेरी बहू नहीं है! ना मैं इस शादी को मानता हूं और ना ही इस रिश्ते को! एक बार भी तुम्हें उस बच्ची का ख्याल नहीं आया? देखो नेहा को......... वह तुम्हें कितना पसंद करती है! हमने नेहा को अपनी बहू माना है। मेरी बात मानो और नेहा से शादी कर लो। मानसी मेरे घर की बहू नहीं बन सकती और ना ही तुम्हारी पत्नी के रूप में मेरे घर की चौखट लाँघ सकती है। अगर तुम्हें मानसी के साथ रहना है तो फिर..........."
इससे पहले कि विहान के पापा आगे बोलते, विहान अपना वॉलेट निकाल कर उनके हाथ में सारे कार्ड्स रखते हुए बोला, "मैं जानता हूं पापा, मैंने जो किया है आप लोग उसे कभी अपनाएंगे नहीं। लेकिन मैं मानसी को इस हालत में नहीं छोड़ सकता। भगवान ना करे, अगर मां के साथ कुछ बुरा हो तो ऐसे में आप उनका साथ देंगे ना कि उन्हें अकेला छोड़ देंगे तो फिर आप मुझसे यह उम्मीद मत कीजिएगा।"
"बदतमीज इंसान.......... तुम इस रिश्ते की तुलना हमारे रिश्ते से कर रहे हो? तुम्हारी मां से मैंने पूरे रीति-रिवाज के साथ शादी की थी। पूरे घर वालों की मर्जी से, इस तरह मंदिर में ले जाकर नहीं। और एक बात साबित हो गई, तुम्हारा दिमाग पूरी तरह से खराब हो चुका है। इस लड़की ने किया है यह सब।"
विहान के पापा ने कहा तो विहान इस बात का जवाब देना चाहता था। रूद्र यह सब समझ गया और जल्दी से विहान को रोकते हुए बोला, "अंकल.....! अब इस समय जो होना था वह हो चुका है। देखा जाए तो यह शादी भले ही पूरे रीति रिवाज से ना हुआ हो लेकिन आप सब की मौजूदगी में मंदिर में हुआ है और अगर देखा जाए तो यह गलत भी तो नहीं है। मैं जानता हूं आप लोगों को बहुत तकलीफ पहुंची है लेकिन मानसी एक न एक दिन आपके घर की बहू बनने ही वाली थी। कल हो या आज क्या फर्क पड़ता है? ये आप लोगों की जिम्मेदारी है कि इन दोनों की शादी आप पूरे रस्मो रिवाज के साथ करें और मासी को अपनी बहू एक्सेप्ट कर ले।"
विहान के पापा धनराज से बोले, "भाई साहब........! ये हमारे घर का मामला है! कोई और इसमें दखल ना दें तो ही बेहतर होगा!" रूद्र खामोश हो गया और दो कदम पीछे हट गया।
विहान ने कुछ कहा नहीं, उसने बस मानसी का हाथ पकड़ा और लेकर वहां से नीचे उतर गया। मानसी ने उसे रोकते हुए कहा, "यह तुमने बहुत गलत किया विहान! तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। मेरी जिंदगी बर्बाद हो चुकी, मेरे पीछे तुम अपनी जिंदगी बर्बाद कर चुके हो। मना किया था ना मैंने तुम्हें! बार बार कहा था तुमसे मेरे पीछे मत आओ, कुछ हासिल नहीं होगा तुम्हें सिवाए दर्द और तकलीफ के। अपनों से दूर हो जाओगे तुम। मेरा तो वैसे ही कोई फ्यूचर नहीं है, मेरे पीछे तुमने अपना फ्यूचर भी बर्बाद कर दिया। अभी भी वक्त है विहान, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा! मेरा हाथ छोड़ो और अपने परिवार के पास जाओ, इसी में हम सब की भलाई है। मेरा यकीन करो विहान, मेरे साथ जो कुछ भी हुआ, आगे जो कुछ भी होगा मैं उस में खुश हूं, कोई तकलीफ नहीं है मुझे।"
विहान उसका हाथ छोड़ने की बजाए और मजबूती से पकड़ते हुए बोला, "लेकिन मुझे तकलीफ है! जो कुछ तुम्हारे साथ हुआ उसमें कहीं ना कहीं मैं भी कसूरवार हूं। माना मैंने जो भी किया वह बिना सोचे समझे किया लेकिन प्यार सोच समझकर नहीं होता। तुमसे प्यार करता हूं और तुम्हारा साथ हो तो मैं कुछ भी कर सकता हूं। माना इस वक्त मेरे पास कुछ नहीं है, हमें पहले पायदान से शुरू करना होगा। अगर तुम सिर्फ इसलिए मेरा साथ छोड़ना चाहती हो कि मेरे पास कुछ नहीं है तो फिर तुम जा सकती हो, मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा लेकिन अब जब मैंने अपने परिवार से बगावत कर दि है तो फिर उनके पास लौट कर जाने का सवाल ही नहीं उठता। अब या तो तुम मेरा साथ दो या ना दो, मैं जिस रास्ते पर आगे बढ़ चुका हूं वहां से पीछे मुडना मेरे लिए नामुमकिन है।"
मानसी बोली, "विहान.......! तुम जानते हो मुझे इस सब से कोई फर्क नहीं पड़ता। एक वक्त था जब मैंने भी तुम्हारा साथ चाहा था लेकिन मैं इतनी स्वार्थी नहीं हो सकती कि तुम्हें सब से दूर कर दु। मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हूं लेकिन मैं कभी नहीं चाहती थी कि नेहा का दिल टूटे। नेहा ने मुझे बहुत प्यार दिया है। मेरी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं उसकी तरफ नजर उठा कर भी देखु। पता नहीं इस वक्त वो किस हाल में होगी?"
विहान उसे समझाते हुए बोला, "एक ना एक दिन उसके सपने टूटने हीं थे। अगर मेरी शादी उससे हो जाती तो उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाती और मैं ये अच्छे से जानता हूं कि तुम यह बिल्कुल नहीं चाहोगी। नेहा एक बहुत अच्छी लड़की है और वह अपनी लाइफ में सारी खुशियां डिजर्व करती है। मुझे तुम्हारा साथ चाहिए था बस, इसके अलावा मैंने कभी कुछ नहीं मांगा।"
रूद्र उसके पीछे पीछे भागा। नीचे सड़क पर जाते हुए उसने विहान के कंधे पर हाथ रखा और रोकते हुए बोला, "ओये हीरो.......! कहां जाएगा अपनी हीरोइन को लेकर? और कैसे जाएगा? सब कुछ तो अपने पापा को लौटा दिया तूने, अब क्या करेगा? अब तेरे ऊपर मानसी की जिम्मेदारी है। कुछ सोचा है या फिर ऐसे ही जोश में सब कुछ छोड़ कर चला आया?" विहान के पास कहने को कुछ नहीं था तो रूद्र ने अपनी गाड़ी की चाबी उसे पकड़ाते हुए बोला
"फिलहाल तू मेरी गाड़ी ले जा। उसी में मेरे नए फ्लैट की चाबी है। कुछ टाइम तुम दोनों वहीं रह लेना मैं तुझे अपने फ्लैट का एड्रेस मैसेज कर दे रहा हूं। यहां की चिंता तू मत करना सब ठीक हो जाएगा। तेरे मम्मी पापा है यार....! कुछ तो सोचा होता उनके बारे में। लेकिन कोई बात नहीं, कुछ वक्त गुस्सा रहेंगे उसके बाद मान जाएंगे क्योंकि मां बाप के लिए बच्चों की खुशी से बढ़कर कुछ नहीं होता। वैसे मैं बहुत खुश हूं। तुम दोनों को एक साथ देख कर सच में बहुत अच्छा लग रहा है और जो कमी है वह भी जल्द पूरी हो जाएगी। अब तुम लोग जाओ यहां से और घर पर जो जो चीज की जरूरत होगी एक लिस्ट बनाकर मुझे भेज देना मैं लेते आऊंगा, ठीक है!"
विहान ने जब रूद्र की बातें सुनी तो उसकी आंखें नम हो गई। वो रूद्र के गले लगते हुए बोला, "थैंक यू सो मच यार! लाइफ में और कुछ हो ना हो लेकिन एक तेरे जैसा बेस्ट फ्रेंड हो ना तो लाइफ आसान हो जाती है। थैंक यू सो मच।"
रूद्र उससे अलग होकर बोला, "साले दोस्त भी बोलता है और थैंक् यू भी बोलता है। एक और शब्द बोला तो तेरी शक्ल बिगाड़ दूंगा। अब चल जा।" विहान ने मानसी को गाड़ी मे बिताया और वहां से निकल गया।
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समस्त पाठकगण के लिए एक आवश्यक सूचना!!!
आने वाले कुछ दिनों में समय ना मिल पाने के कारण अगले कुछ दिनों तक "ये हम आ गए कहाँ!!!" के एपिसोड अपलोड नहीं हो पाएंगे। अगला एपिसोड आप लोगों को शुक्रवार यानी 12 नवंबर को ही मिल पाएगा। तबतक के लिये क्षमा प्रार्थी हु। धन्यवाद!!!