Chapter 54

Chapter 54

YHAGK 53

Chapter

 53




    रूद्र के इतने रोमांटिक प्रपोजल के बाद शरण्या के उपर उसके पापा ने जो बम फोड़ा उसके बाद उसे समझ नही आया की वो करे तो क्या करे! लावण्या भी उसे लूक देकर चली गयी। शरण्या ने अपना सिर पिट लिया। "पापा.......! मुझे ये रिश्ता नही करना!" शरण्या ने बड़ी हिम्मत कर अपने पापा के सामने अपनी बात रखी। ललित को उम्मीद नही थी कि शरण्या बिना एक बार लड़के से मिले उसे रिजेक्ट कर देगी! उन्होंने हैरानी से शरण्या की ओर देखा और बोले, "बेटा इतनी जल्दी भी क्या है! पहले एक बार आप उससे मिल तो लो; हम आपसे कोई जबरदस्ती तो नहीं कर रहे हैं। लेकिन बिना देखे बिना मिले किसी को बस ऐसे ही रिजेक्ट कर देना यह भी तो सही नहीं है और सिर्फ मिलना ही तो है, कौन सा हम आज ही सगाई की बात कर रहे हैं। पहले रिश्ता तो तय हो जाए उसके बाद ही कोई बात आगे बढ़ेगी, हैं ना बेटा?" 


     शरण्या कुछ और सुनने के मूड में नहीं थी। वह इस टॉपिक को आगे बढ़ाना ही नहीं चाहती थी। जब एक बार उसका रिश्ता रुद्र के साथ तय हो चुका है वैसे में किसी और से मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उसने सीधे सीधे ना बोल कर वहां से जाना ही बेहतर समझा। अनन्या उसकी यह हरकत देख अंदर ही अंदर कुढ गई और लावण्या मन ही मन मुस्कुरा उठी। उसे अच्छा लगा शरण्या का यूँ खुलकर अपनी बात रखना। वरना तो वह ना ही अपनी मां के सामने और ना ही अपने पापा के सामने ही कुछ बोलती थी। इस पूरे घर में सिर्फ एक लावण्या ही थी जो उसके करीब थी। अनन्या ने कभी उसे अपनी बेटी माना नहीं और ललित चाह कर भी उसे पिता का प्यार ना दे सके, लेकिन हर पिता की तरह वह भी अपनी बेटी को एक अच्छा भविष्य जरूर देना चाहते थे। 


     लेकिन शरण्या को यह कहा मंजूर था। इस घर में उसके साथ अब तक जो कुछ भी होता आया था वह सब कुछ उसने आंखें मूंद कर अनदेखा कर दिया लेकिन अब जब बात उसके और रूद्र के रिश्ते की थी। जिसके लिए उसने ना जाने कब से और कितने सपने संजोए थे। उस रिश्ते पर कोई आंच आए यह उसे हरगिज मंजूर नहीं था। सवाल उसकी पूरी जिंदगी का था। सवाल उसकी अपनी खुशियों का था जो सिर्फ रूद्र से जुड़ा था। 


     रूद्र अभी अभी नहा कर बाथरूम से निकला था और अपने बाल सुखा रहा था। तभी शरण्या का कॉल आया। अपने फोन पर उसका नाम देख रूद्र ने मुस्कुराते हुए फोन उठाया लेकिन उसके हेलो बोलने से पहले ही शरण्या बरस पड़ी। "मेरी लाइफ खराब हो रही है, मेरी जिंदगी झंड हो गई है लेकिन तुझे क्या? तू आराम से अपना नहा धोकर फ्रेश हो ले! मेरा चाहे जो भी हो तुझे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए! तुझे क्यों फर्क पड़ेगा मेरे किसी भी बात से, मेरी प्रॉब्लम से तुझे क्या मतलब?" अचानक हुए शरण्या की ऐसे शब्द बाण से रूद्र घबरा गया और बोला, "शांत हो जा मेरी जान, शांत हो जा!!! ऐसा क्या हो गया, ऐसी कौन सी आफत आ पड़ी जो तू ईतनी बेचैन हो गई है? तू तो कभी इतनी परेशान नहीं होती तो फिर अचानक से ऐसा क्या हो गया?"


     शरण्या धम्म से बिस्तर पर जा बैठी और अपने दोनों पैर मोड़ते हुए बिफर पड़ी, "मेरी लाइफ की सबसे प्रॉब्लम ही मेरे पापा है। दिल करता हूं उनको.......... डिसओन कर दु। कभी मुझसे पूछा नहीं कि बेटा तुझे अपनी लाइफ में क्या चाहिए? हमेशा सिर्फ सामान इंसान की जरूरत नहीं होता है रूद्र! कभी प्यार से दो शब्द ही बोल देते तो जिंदगी में कभी कोई मलाल नहीं होता। अपना घर होने के बावजूद भी अपना घर मुझे काटने को दौड़ता है। इसे...... इस घर को कभी अपना कहने का दिल नहीं करता। ये घर जैसे जेल की तरह लगता है मुझे, जहां कब किस बात के लिए मुझे चार बातें सुना दी जाएगी समझ नहीं आता।"


    रूद्र उसे शांत कराते हुए बोला, "शरू! तु इतना क्यों परेशान हो रही है! जहां इतने साल गुजार दिये उस घर में, कुछ दिन और सही। फिर मैं तुझे हमेशा के लिए वहां से ले आऊंगा और तुझे कभी भी उस घर में वापस जाने नहीं दूंगा। फिर चाहे वह लोग तुझे जबरदस्ती क्यों ना वापस बुलाए। तु चाहेगी तब भी मैं तुझे उस घर में नहीं जाने दूंगा। बस कुछ दिन का इंतजार कर ले, तेरे पापा की नजर में मैं पहले खुद को साबित कर दु। उन्हें लगे कि हां उनकी बेटी के लिए मैं सही हूं तो मै खुद आऊंगा तेरे पापा से तेरा हाथ मांगने। अभी तक घर में किसी को पता नहीं है और मैं नहीं चाहता कि इतनी जल्दी किसी को पता चले।"


     "तेरे इंतजार के चक्कर में कहीं कोई और ना मुझे ले जाए! तुझे पता है, आज शाम को जो हम सब डिनर पर जा रहे हैं ना वहां वह लोग भी आ रहे हैं, मुझे देखने! पापा ने जो रिश्ता ढूंढा था मेरे लिए! मैं तो भूल ही गई थी इस बारे में, एकदम से निकल गया मेरे दिमाग से! तेरे चक्कर में मैं पापा को मना करना ही भूल गई। तूने मुझे पहले क्यों नहीं बताया कि तुम मुझे........ तु ना, एक नंबर का पागल है, बेवकूफ है, बहुत बड़ा गधा है!" 


    शरण्या की सुन रूद्र की हंसी छूट गई। वह बोला, "अपने होने वाले पति को इतनी गालियां देना अच्छी बात नहीं होती जान। मैंने तुझे अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाया है, सीधे सीधे शादी के लिए प्रपोज किया है। और यह बात मैंने तुझसे पूछा नहीं है तुझे बताई है, शादी कर ले मुझसे मेरे पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं। लेकिन जान! वहाँ तक पहुंचने के लिए थोड़ी मेहनत मुझे करनी होगी और थोड़ा इंतजार तुझे। रही बात इस रिश्ते की तो मैंने तुझे पहले ही कहा था इंकार कर दे इस रिश्ते से, लेकिन तूने नहीं माना। लावण्या ने भी तो समझाया था ना तुझे! तूने उसकी भी बात नहीं सुनी। अगर आज शाम को ही वो लोग आने वाले हैं तो उन्हें मना नहीं किया जा सकता बात तेरे पापा के इज़्ज़त की है। तुझे उस लड़के से मिलना ही पड़ेगा।"


    शरण्या की आंखों में आंसू आ गए। उसे कुछ कहा नहीं गया लेकिन रूद्र बीच में ही बोल पड़ा, "परेशान मत हो जान, और रोना मत, मैं हूं तेरे साथ हर कदम पर। और मैं कभी भी किसी को भी मौका नहीं दूंगा जो तुझे मुझसे दूर ले जाए। मैंने कहा ना सिर्फ मिलना है उससे, शादी नहीं करनी! वह तो मेरे साथ ही होनी है चाहे कोई कुछ भी कर ले। फिलहाल तेरे पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं, उससे बात कर और सीधे शादी के लिए इंकार कर देना। बात यहीं खत्म हो जाएगी और फिर मैं तो रहूंगा ही वहां पर तेरे साथ, तेरे पास, फिर टेंशन क्यों लेना? तु समझ रही है मेरी बात? अब चल अपने आँसू पोंछ, मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता तेरा रोना! सच मे जान निकाल देगी तु मेरी, सच में मुझे मार डालेगी।" 


    शरण्या ने अपने आंसू पोंछे और मुस्कुराते हुए बोली, "ठीक है! अगर वह गधा मुझसे मिलना चाहता है तो मैं मिलूंगी उससे और बहुत अच्छे से मिलूंगी उससे मैं!" रूद्र हंसते हुए बोला, "ओई पगली! गधा तो तू मुझे बुलाती है, उसे यह नाम मत दे। जो मेरा है वह सिर्फ मेरा है और हमेशा मेरा ही रहेगा। उसे तू चाहे तो घोड़ी बिल्ली चुहिया कुछ भी बुला सकती है!" रूद्र की बातें शरण्या को हंसाने के लिए काफी थे। 


     रूद्र ने फोन रखा और एक गहरी सांस ली। आज शाम के बारे में सोच कर ही उसे टेंशन हो रही थी। अगर शरण्या को कोई वजह ना मिली इस रिश्ते से इनकार करने की तो फिर वह दोनों क्या करेंगे, रूद्र बार-बार यही सोचकर घबरा रहा था। उसे दादी से बात करनी थी लेकिन उससे भी पहले विहान की प्रॉब्लम सॉल्व करनी थी। उसने कुछ सोचा और विहान को कॉल लगाकर मिलने को कहा। विहान भी बस अभी अभी सो कर उठा था। उसे भी रुद्र से जरूरी बात करनी थी इसलिए उसने इस वक्त क्लब आने को कहा क्योंकि इस वक्त वहां कोई नहीं होता है। 


     तकरीबन 1 घंटे बाद ही रूद्र और विहान क्लब हाउस में थे। इस वक्त सच में एक वेटर और एक मैनेजर के अलावा और कोई नहीं था। वहां वह दोनों ही आराम से बात कर सकते थे जहां उनका एक प्राइवेट रूम पहले से मौजूद था। रूद्र ने कहा, "मैंने घर वालों से बात की है, दोनों ही फैमिली डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए तैयार है बस डेस्टिनेशन हमें तय करना है। मानसी जोधपुर से है ना, तो वहां के बारे में वह बेहतर जानती होगी राइट!!! तो क्यों ना हम वहां के उमेद भवन से पूरा फंक्शन ऑर्गेनाइज करें? मेरे कहने का मतलब है कि मानसी को अपने होम टाउन में रहने में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी और वहां के बारे में उसे ज्यादा पता होगा, ऐसे में किसी को भी जरा सा भी शक नहीं होगा कि मानसी को हम वहां क्यों भेज रहे हैं। वहां के लोकल मार्केट से लेकर पूरे उम्मेद भवन के बारे में उसे पता होगा। ऐसे में मानसी से बेहतर चॉइस कोई और नहीं हो सकती और आज शाम के लिए तो सारे प्रपोजल तैयार करके रखना, पूरे घरवाले अगर कन्वेंस हो जाते हैं जोधपुर के लिए तो फिर अमित ना नहीं कह पाएगा और मानसी को यहां से दूर जाना ही पड़ेगा।" 


     "लेकिन रूद्र! मानसी को अकेले कैसे भेजेंगे? मतलब माना कि उसका होमटाउन है लेकिन मानसी अकेले कैसे मैनेज करेगी वहां पर। किस न किसी को तो साथ जाना ही होगा ना।"विहान ने टोका। रूद्र बोला, "सबसे पहले तो हम मानसी को लावण्या और शरण्या के साथ वहां भेजेंगे। लावण्या को ऑफिस से छुट्टी ना मिल पाई तो कम से कम शरण्या उसके साथ होगी ताकि वह खुद भी अपना ओपिनियन रख सके। लावण्या को क्या पसंद है क्या नहीं यह बात शरण्या को अच्छे से पता होगी। हो सके तो मैं भी उसके साथ निकल जाऊंगा, तू यहां पर संभाल लेना। सारे प्रिपरेशन के बहाने मैं और शरण्या मानसी को उलझाए रखेंगे। वैसे भी लड़कियों को शॉपिंग का कुछ ज्यादा ही क्रेज होता है। तो इससे बेटर ऑप्शन और कुछ नहीं हो सकता। नेहा को भेज सकते थे लेकिन उसका हॉस्पिटल है और लावण्या के बारे में भी कुछ खास बोल नहीं सकते है।"


     "मानसी के साथ शरण्या को भेजना तो समझ में आता है लेकिन तू साथ में जाएगा यह बात मुझे समझ में नहीं आ रही। मेरा मतलब दोनो जहाँ होंगे वहां काम कम और लड़ाई ज्यादा करेंगे, फिर तो हो गई सारी तैयारियां।" विहान ने रुद्र का मजाक उड़ाया तो रूद्र ने उसे घूर कर देखा। "तू न अपना दिमाग चलाना बंद कर, कुछ ज्यादा ही सोच रहा है तू। मेरी ओर शरण्या के बीच इतनी भी लड़ाई नहीं होती कि हम दिन रात लड़ते रहे। यहां बात हमारे अपनों की खुशी की है और हम दोनों ही यह बात काफी अच्छे से जानते हैं। शरण्या इस सब मामले में काफी प्रोफेशनल है और मैं भी कोशिश करूंगा प्रोफेशनल होने की। वैसे भी मुझे नहीं लगता कि लड़ाई होगी हमारे बीच लेकिन अगर हुई तो मुझे आदत है उसका गुस्सा झेलने की। अबे यार......! यह सब क्या सोच रहा है तू? यहाँ बात तेरे और मानसी की है और देखना तु, बहुत जल्द हम दोनों मिलकर मानसी को इस सब से बाहर निकाल लेंगे। लेकिन इस बीच अमित का क्या करना है यह तू खुद सोच। यह हक तेरा है, इसके बीच में मैं नहीं बोलूंगा, ठीक है!"


     रूद्र वहां से जाने को हुआ तो विहान ने उसे पीछे से टोकते हुए कहा, "कल रात तु था कहां? मेरा मतलब कल पूरी रात तु किसके साथ था? वाकई में उसी आरजे के साथ था या फिर कोई और थी?" रूद्र मुस्कुराया और कहा, "तेरी कसम मेरे भाई! मेरी वह आरजे शायराना ही थी और मैं उससे बहुत बहुत बहुत प्यार करता हूं। और देख लेना शादी भी उसी से करूंगा। वही बनेगी मेरी मिसेज रूद्र सिंघानिया। तुने हीं कहा था ना! आखिर कब तक हम खानाबदोश की तरह भटकते रहेंगे, कहीं ना कहीं तो ठहरना हीं होगा ना! जैसे मानसी तेरी लाइफ में ठहराव बनकर आई ऐसे ही मेरी जिंदगी में भी एक ठहराव आ गया। अब मैं कोई आजाद पंछी नहीं रहा। मेरी जिंदगी की डोर किसी और के हाथ में और वह मैंने अपनी मर्जी से सौंपा है। आज रात की तैयारी कर ले।" कहकर रूद्र वहां से निकल गया