Chapter 66
humsafar 66
Chapter
66
लक्ष्य नाम का तूफान अपने पीछे घायल श्रेया को छोड़ गया था। मानव उसकी ऐसी हालत देख नही पाया लेकिन उसके पूछने पर भी श्रेया मानव को सच नही बताना चाहती थी। मानव ने उन दोनो के बीच की कुछ बातें सुन लिया था जिससे उसे इतना समझ आ चुका था की ये शख्स जो भी है अवनि उसे जानती है। श्रेया ने जब बताने मे आनाकानी की तो मानव ने पुलिस बुलाने का नाटक किया।
श्रेया घबरा गयी,'कही अवनि को पता ना चल जाए' सोचते हुए उसने मानव को रोका लेकिन मानव ने पलट कर दूसरा सवाल किया, "सच सच बताना! ये जो भी था और जो भी हुआ वो सब अवनि से रीलेट करता है!" श्रेया उसका सवाल सुन हैरान रह गयी। उसको चुप देख मानव ने फिर कहा, "देख श्रेया! मैंने तुम दोनो की सारी बातें सुन ली थी। अब तु मुझ से झूठ बोलने की कोशिश भी मत करना।"
श्रेया ने एक लम्बी सांस भरी और उसे अवनि के अतीत और लक्ष्य के बारे मे सब बताया। सारा सच जानकर मानव को धक्का सा लगा। उसे चुप देख श्रेया बोली, "मानव! इस बारे मे अवनि को पता ना चले, एट लिस्ट अभी कुछ वक़्त के लिए नही!"
"लेकिन इस बारे मे उसका जानना जरूरी है। वो इंसान जिसने तुझे इतनी बुरी तरह मारा यो बेचारी अवनि का क्या हाल करेगा तुझे अंदाज़ा भी है!!!" मानव लगभग चीख पड़ा।
श्रेया उसे शांत कराते हुए बोली, "अवनि ने अभी अभी अपनी नई जिंदगी शुरू की है। वो सारांश को पूरे दिल से चाहने लगी है। ऐसे मे मै नही चाहती की वो इस टेंसन मे अपनी खुशियों को भूल जाए और तुम शायद भूल रहे हो की अवनि अब अकेली नही है। अब उसके साथ सारांश है जो कभी अवनि को खरोच भी नही लगने देगा। वो बहुत प्यार करता है उसे, जान है वो उसकी। इसीलिए कह रही हु की अभी उसे कुछ नही बताना वरना सारांश से उसका ध्यान हट जायेगा और पूरे समय एक डर मे जियेगी। सारांश से बात करनी होगी अवनि के सेफ्टी के बारे मे।"
मानव को श्रेया की बात सही लगी। उसने भी हाँ कर दी और उसका सिर अपने गोद मे लेकर उसे सुलाने की कोशिश करने लगा। श्रेया जब भी आँखे बन्द करती उसको लक्ष्य का चेहरा नज़र आता और वो डर कर बैठ जाती। मानव पूरी रात उसके सिरहाने बैठा रहा और बड़ी मुश्किल से श्रेया को सुलाने मे कामयाब हो पाया। उसके उसे भी नींद आ गयी, तबतक लगभग सुबह हो ही चुकी थी।
पर्दो की ओट से छनकर सुबह की हल्की धूप ने जब अवनि को छुआ तो अवनि की नींद खुली। आने वाले खतरे से अंजान अवनि ने जब अपनी आँखे खोली तो खुद को सारांश के बाहों की कैद मे पाया। अवनि ने मुस्कुरा कर सारांश की तरफ देखा और अपना सिर उठाकर उसके माथे को चूम लिया। ये पहली बार था जब अवनि सारांश को इतने गहरी नींद मे देख रही थी वरना सारांश की रुटिन सुबह पाँच बजने से पहले ही शुरू हो जाती है।
पिछले कुछ दिन सारांश के लिए काफी थकान भरे रहे थे। पूरी रात जाग कर कभी काम तो कभी मीटिंग करना पड़ता था। दोनो ऑफिस का काम देखने के कारण उसका काम दोगुना हो गया था। आज कई दिनों के बाद एक सुकून भरी नींद मिली थी उसे इसीलिए अवनि उसे जगाना नही चाहती थी लेकिन सुबह हो चुकी थी और उसे उठना था। अवनि ने धीरे से सारांश के हाथ को उठाकर निकलना चाहा लेकिन सारांश ने अपनी पकड़ और मजबूत कर ली।
"मत जाओ.... बस कुछ देर और!" सारांश ने नींद भरी आवाज मे कहा और उसे अपनी ओर खींच कर उसकी खुली पीठ पर अपना हाथ रख दिया। उसकी आवाज़ इस वक़्त अवनि को बहुत प्यारी लगी। उसने फिर कोई हरकत नही की और सारांश के सीने पर सिर टिकाए लेट गयी। लेकिन सारांश के हाथ उसकी पीठ पर चलते रहे जिससे अवनि को सिहरन सी हो रही थी।
करीब एक घंटे के बाद सारांश का फोन बजा। अवनि ने फोन उठाया तो देखा कॉल पर सिया थी। सिया ने बताया की वो लोग एक घंटे मे घर आ जायेंगे। सबके वापस आने की बात सुन अवनि और देर तक बेड पर नही रुक सकती थी। "मुझे सब के लिए नाश्ता बनाने जाना होगा, और आप को भी तो ऑफिस........ ! आप को आज ऑफिस जाना है?" कहते हुए अवनि का मन उदासी से भर गया।
अवनि को चुप मायूस देख सारांश ने कहा, "तुम कहो तो हम आज हनीमून पर जा सकते है!" सारांश की आँखों मे शरारत देख अवनि ने चादर समेटा और बाथरूम मे भाग गयी। उसकी इस हरकत पर सारांश मुस्कुरा दिया, "थैंक्स अवनि! मुझे अपनी लाइफ मे जगह देने के लिए और मेरी लाइफ मे आने के लिए।"
अवनि नहाकर निकली और आईने के सामने बैठ कर खुद को तैयार करने लगी। सारांश उस वक़्त गार्डेन मे पौधों को पानी दे रहा था। वो वापस आया और अवनि को अपने बाल सुखाते देखा तो उसने हेयर ड्रायर लेकर खुद ही उसके बाल सुखाने लगा। अवनि की नज़र बस उसे ही देख रही थी। बाल सुखाने के बाद एक बार फिर सारांश ने अवनि के टैटू को देखा और झुक कर उसपर किस कर लिया। अवनि को तो सारांश की हर छोटी छोटी बातें अच्छी लगती लगती थी।
सब के आने से पहले ही अवनि और सारांश ने मिलकर नाश्ता तैयार कर दिया। सिया और जानकी ने जब उस दोनो के चेहरे की रौनक को देखा तो सबसे पहले उनकी नज़र उतारी फिर सब नाश्ता कर अपने अपने काम मे लग गए। "तुम्हारी वन मन्थ एनीवर्सरि आ रही है। कोई प्लान है तुम दोनो का, कुछ सोचा है या मुझे ही कुछ करना होगा?" सिया ने पूछा।
सारांश और अवनि ने एक दूसरे को देखा और फिर सिया को। "मॉम! अभी तक तो कुछ सोचा नही है, देखते है आगे अगर प्लान बनता है तो..!" सारांश ने कहा और अवनि सिर झुकाए तिरछी आँखों से सारांश को देख रही थी।
जाने से पहले सिया ने सारांश खास तौर पर ऑफिस ना जाने की हिदायत दी। सारांश ने भी हाँ मे गर्दन हिलाया और सिया के जाते ही अवनि को गोद मे उठाकर कमरे मे ले गया। शर्म से अवनि के कान लाल पड़ गए, उसकी हिम्मत नही हुई सारांश को देखने की और उसकी पकड़ से छुट्ने की कोशिश करने लगी।
"ज्यादा कुछ सोचने की जरूरत नही है। जल्दी से तैयार हो जाओ हम बाहर जा रहे है।" सारांश ने कहा।
"लेकिन कहाँ? फिर से शॉपिंग पर तो नही! मुझे किसी चीज की जरूरत नही है, सब है मेरे पास।" कहते हुए अवनि ने सारांश के गले मे बाहें डाल दी। सारांश ने भी उसकी कमर पकड़ते हुए कहा, "हनीमून पर...!" अवनि का चेहरा शर्म से लाल हो गया। "अब जल्दी से तैयार हो जाओ। आज मेरी छुट्टी है और आज पूरा दिन तुम्हारे साथ रहना है। एनजीओ हम शाम को चलेंगे।"
तैयार होने बाद अचानक ही सारांश अवनि से श्रेया और मानव के बारे मे पूछ बैठा। अवनि को भी ध्यान आया की वो दोनो साथ मे घर के लिए निकले थे कही रास्ते मे दोनो ने एक दूसरे का सिर ना फोड़ दिया हो है सोच अवनि ने श्रेया को फोन लगाया। अवनि हैरान रह गयी जब श्रेया का फोन मानव ने उठाया और वो भी नींद मे!!! मानव की आवाज़ सुन सारांश शरारत से मुस्कुराया लेकिन अवनि समझ नही पायी।
"हैलो मानव! तुम श्रेया के साथ! वो भी इतनी सुबह! और श्रेया कहाँ है?" अवनि ने सवाल किया।
"वो सो रही है, अभी कुछ देर पहले ही सोई है मै उठा नही सकता। कल रात एक्सीडेंट हो गया था उसका इसीलिए परेशान थी।" मानव ने कहा।
एक्सीडेंट का नाम सुनकर अवनि के होश उड़ गए। वही मानव को ख्याल आया की उसने अभी अभी क्या कहा है। उसने बात संभालने की कोशिश की और बात को घुमा फिरा कर फोन रख दिया।
क्रमश: