Chapter 86

Chapter 86

YHAGK 85

Chapter

 85




       रूद्र ने विहान और मानसी को अपने नए फ्लैट पर भेज दिया और ऊपर चला आया। शरण्या ऊपर खड़ी ये सब कुछ देख रही थी। उसे रूद्र का यूँ विहान का साथ देना अच्छा तो लग रहा था लेकिन साथ ही मन में एक डर भी था कि कहीं इससे उन दोनों के रिश्ते पर कोई असर ना पड़े। उन दोनों के बीच की मुश्किलें वैसे ही कम नहीं थी। ऐसे मे विहान की यह हरकत और रूद्र का ऐसे सपोर्ट करना कहीं उनकी मुश्किलों को और न बढ़ा दें,, यह सोचकर ही शरण्या डर गई। 


     रूद्र जैसे ही ऊपर आया, वहां का पूरा नजारा ही बदला हुआ था। वहाँ आस पास के लोग जो नेहा के पड़ोसी थे। वो अब फिर से मानसी और पूरे परिवार को लेकर अजीब अजीब बातें कर रहे थे। अब तो सीधे सीधे विहान और मानसी के रिश्ते को लेकर सवाल करने लगे। यहां तक कि मानसी के कैरेक्टर पर उंगली उठाने से भी वह लोग नहीं चुके। इस बार रूद्र को गुस्सा आ गया और उसने सब पर चिल्लाते हुए कहा, "यह सारे नियम कानून का ठेका आप लोगों ने भी ले रखा है क्या? सारे वेद पुराण उपनिषद यह सब आप लोगों ने हीं तो पढ़े हैं। आप लोग बताएंगे ना हमें कि हमें क्या करना चाहिए क्या नहीं! कौन सही है कौन गलत यह आप लोग तय करेंगे! जिस लड़की पर उंगली उठा रहे हैं ना आप, वह भी किसी की बेटी है। यहां जो कुछ हुआ उसमें मानसी की तो कोई गलती नहीं थी। जो भी किया विहान ने किया तो फिर इस तरह मानसी के ऊपर उंगली उठा कर आप लोग साबित क्या करना चाहते हैं? 


      आप मिसेज श्रीवास्तव है ना? आपकी बेटी कोटा में पढ़ती है, है ना? वहां अपने ही मेस के इंचार्ज के साथ उसका अफेयर चल रहा था तब तो आपने अपनी बेटी पर कोई उंगली नहीं उठाई। उस वक्त यही लोग थे जिन्होंने आपकी बेटी की इज्जत पूरे मोहल्ले में उछलने नहीं दि और आप मिसेज वर्मा........! पिछले साल ही आपके पति होटल रूम में किसी औरत के साथ पकड़े गए थे तो क्या इसमें आपकी गलती थी? जिन लोगों के घर में बदचलन लोग भरे पड़े हैं वो लोग दूसरों को शराफत का सर्टिफिकेट बांटते फिर रहे हैं, यह बात हजम नहीं हुई। आपकी बेटी जो चाहे करें लेकिन आपके घर की इज्जत उछलनी नहीं चाहिए। दूसरों की बेटियां चाहे कितने भी पर्दे में रहे, उसे बदचलन कहने से आप लोग पीछे नहीं हटते, खासकर बात जब एक बहू की हो। तब तो हर गलती बहू की ही होती है। घर में कोई बर्तन टूट जाए तो वह बहू ही गलती, कोई सामान यहां से वहां हो जाए तो वो बहू की गलती, गमले में रखा पौधा मुरझा जाए वह भी बहू की गलती, अरे बचपन में आपकी जो दात टूटी थी वह भी बहू की गलती, बॉर्डर पर इंडिया पाकिस्तान की लड़ाई होती है उसमें भी बहू की ही गलती निकाल दो ना!!! सब उसकी वजह से होता है, ऐसा लगता है जैसे बहू होना ही गुनाह है। अरे आप भी किसी के घर की बहू है, आप भी मायके में नहीं रह रही। 


     सच कहते हैं लोग, औरत ही औरत की सबसे बड़ी दुश्मन होती है। बेटा और बेटी में फर्क करना सबसे पहले एक औरत ही सिखाती है। अरे मर्द तो यूं ही बदनाम है, औरत ही अगर औरत का दर्द समझने लगे तो फिर किसी मर्द की हिम्मत नहीं कि किसी औरत के साथ अन्याय कर सकें। अगर भगवान ना करें, किसी दिन आपकी बेटी विधवा हो गई तो अगले ही दिन आप उसके लिए नए रिश्ते तलाशना शुरू कर देंगे लेकिन यहां मानसी ने तो कुछ नहीं किया इसके बावजूद वो बदचलन हो गई, चक्कर चल रहा था उन दोनों का। विहान ने जो किया वो सच्चे और साफ नीयत से किया। वो तो आप लोगों के हाथ में है अगर मैंने कुछ गलत कहा है तो.....!"


       रूद्र ने सामने खड़ी औरतों से सवाल कर दिया। एक बार फिर उन लोगों के मुंह पर किसी ने तमाचा मारा था वो भी बिना हाथ उठाएं लेकिन इस बार विहान की जगह रूद्र खड़ा था मानसी की तरफदारी करने के लिए। खुद को निरूत्तर पाकर बहुत सारी औरतें वहां से चली गई। विहान के पापा बोले, "इस लड़के ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा, कहीं का नहीं छोड़ा.........! आज के बाद उससे मेरा कोई रिश्ता है नहीं है।"


     उन्हें संभालते हुए विहान की मां बोली, "उसकी शादी को लेकर कितने सपने देखे थे हमने, जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि वह यह दिन दिखाएगा। उसने हमें बहुत निराश किया है, बहुत निराश किया उसने हमें।"


    रूद्र बोला, "बिल्कुल आंटी........! उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। इसके लिए तो मैं भी उससे नाराज हूँ लेकिन जो होना था वह हो गया, अब हम इसे बदल नहीं सकते। विहान को मानसी का साथ चाहिए था लेकिन यह आपके संस्कार ही है आंटी जो उसने कभी अमित और मानसी के बीच आने की कोशिश नहीं की। जब तक उसे लगा अमित और मानसी एक साथ खुश है, उसने कभी भी मानसी के जिंदगी में आने की कोशिश तक नहीं की और ना ही मानसी ने कभी कोशिश की। मानसी को अगर विहान की लाइफ में आना होता तो वह कभी उससे दूर जाती ही नहीं, ना कभी अमित से उसकी शादी होती। वो दोनों ही अपनी हद जानते हैं। रिश्तो की मर्यादा आपने अपने बेटे को बहुत अच्छे से समझाइ है।"


    विहान की माँ ने हैरानी से पूछा, "तुम्हारे कहने का मतलब क्या है? क्या वह दोनों एक दूसरे को पहले से जानते हैं?"


रूद्र ने सर झुका लिया और खामोश हो गया। फिर कुछ देर बाद बोला, "आंटी विहान और मानसी तकरीबन दो ढाई साल पहले मिले थे। हम लोग का किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में शहर से बाहर थे और मानसी भी अपने कॉलेज ट्रिप के दौरान वहाँ आई थी। दोनों मिले, दोस्त बने इतना मुझे पता है। बस कुछ दिन, उसके बाद मानसी वापस लौट गई। विहान को सिर्फ मानसी का नाम पता था इसके अलावा और कुछ नहीं, इसके बावजूद उसने उसे ढूंढने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा लेकिन मानसी उसे कहीं नहीं मिली और जब मिली भी तो उसकी शादी अमित से हो चुकी थी। विहान बुरी तरह से टूट गया था। बड़ी मुश्किल से उसने खुद को संभाला है। उसने तो मान लिया था कि मानसी अब उसकी किस्मत में नहीं है लेकिन जब किस्मत ने एक मौका दिया है तो वह एक बार फिर अपने प्यार को खोना नहीं चाहता था इसलिए जल्दबाजी में हीं सही लेकिन उसका फैसला सही था। बस वक्त और तरीका गलत था। लेकिन आंटी आप एक बहुत अच्छी मां है। विहान ने जो किया उसे लेकर आपको तकलीफ हुई है मैं जानता हूं, लेकिन एक बार मां होकर नहीं बल्कि एक औरत होकर सोचिये। मानसी को इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत विहान की है। ऐसे में विहान उसका साथ कैसे छोड़ देता। आपने तो उसे इतने अच्छे संस्कार दिए हैं कि सब से लड़ कर उसने अपने प्यार को चुना। वो भी ऐसे वक्त में जब मानसी खुद की किस्मत से समझौता कर चुकी थी। किसी को अंधेरे से निकालकर रोशनी की किरण दिखाना कोई बुरी बात तो नहीं है ना। और खासकर उस इंसान को जिसे आप प्यार करते हो। विहान ने वक्त रहते अपने प्यार को नहीं समझा और जब तक समझा मानसी उसके जिंदगी से जा चुकी थी। एक औरत बनकर सोचिये तो एक माँ के दिए संस्कारों पर गर्व होगा।"




    नेहा जो अब तक खुद को संभाले सब की बातें सुन रही थी, उससे अब और ज्यादा सुना नहीं गया और शरण्या से खुद को छुड़ाकर वहां से नीचे की तरफ भागी। शरण्या ने उसे पीछे से आवाज भी लगाई,"नेहा........ नेहा......!" लेकिन नेहा ने उसे अनसुना कर दिया। उससे अब विहान और मानसी के बारे में और कुछ नहीं जानना था। वह जितना उन दोनों के बारे मे सुन रही थी उसका दर्द और बढ़ते जा रहा था। उसने खुद को वहां से अलग करना ही बेहतर समझा और भागते हुए अपनी गाड़ी में जा बैठी। इस वक्त उसके हाथ इतनी बुरी तरह से कांप रहे थे की गाड़ी की चाबी भी ठीक से नहीं लगा पा रही थी। उसने गाड़ी के स्टीयरिंग व्हील को कस कर पकड़ा और सिर टीका कर फूट फूट कर रोने लगी। 


      शरण्या नेहा के पीछे पीछे जाना चाहती थी लेकिन रूद्र ने उसे रोक दिया और बोला, "जाने दो उसे! दिल टूटा है उसका, कुछ देर अकेले रहेगी, थोड़ा रो लेगी तो मन हल्का हो जाएगा। उसके लिए आसान नहीं होगा यह सब। तुम या मैं उसका दर्द नहीं समझ सकते इसलिए कुछ वक्त उसे अकेला रहने दो। मैच्योर् है, समझदार है, खुद को संभाल लेगी। ऐसी वैसी कोई हरकत नहीं करने वाली है वो जिसके लिए तुम डर रही हो। शरणया ने बेबस नज़रों से रूद्र को देखा और फिर उन सीढ़ियों की तरफ जहां से नेहा गई थी। 




   नेहा के पापा एकदम से उठे और बोले, "बस.......! बहुत हो गई बेज़्ज़ती! हमारी जिंदगी भर की कमाई जमा पूंजी हमारी इज्जत ही तो थी, आज वह भी मिट्टी में मिल गई। एक अमित क्या गया, हम बर्बाद हो गए। सोचा था कि बाकी जिंदगी चैन से गुजर जाएगी, अपने अमित के बच्चे से देख कर हम जी लेंगे, लेकिन अब उस लड़की से या उस लड़की से जुड़े किसी भी इंसान है हमें कोई मतलब नहीं है। आज से, अभी से वो लड़की हमारे लिए मर चुकी है। उसका नाम भी उस घर में कोई नहीं लेगा। वह आई और हमें बर्बाद करके चली गई। बस जो जिंदगी बची है उसमें हमें चैन से जीने दो। कह देना उस लड़की से, अब हमें उससे कोई लेना-देना नहीं है और ना ही वह हमसे किसी तरह की उम्मीद करें।"


      कहते हुए उन्होंने नेहा की मां का हाथ पकड़ा और वहां से लेकर चले गए। विहान के मम्मी पापा बाकी सब भी एक एक कर मंदिर से अपने घर को चले गए। क्या सोच कर आए थे और क्या हो गया इस बात से सभी को सदमा लगा था और सबसे बड़ा सदमा नेहा और उसके परिवार को। 


     अनन्या बहुत शांत बैठी हुई थी। ललित को कुछ बात करनी थी लेकिन समझ नहीं आ रहा था ऐसे माहौल में कहां से शुरू करें। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, "विहान को ऐसा नहीं करना चाहिए था। जो भी हो लेकिन वो अमित की वाइफ थी और उसके बच्चे की मां भी। एक प्रेग्नेंट औरत के साथ शादी करके आखिर वह साबित क्या करना चाहता है?" अनन्या जो इतनी देर से खामोश बैठी थी वह बोली, "कम से कम शादी के बाद में किसी और को तो प्रेग्नेंट नहीं करेगा! व मानसी से प्यार करता है, उसने सब कुछ भूलकर मानसी को अपनाया है, उसके साथ उसके बच्चे को भी अपनाया है। जब हम किसी से प्यार करते हैं ना हम उसकी हर गलती को माफ कर देते हैं। विहान अगर किसी और से शादी कर लेता तो क्या वह मानसी को भूल जाता? वो खुद को भी धोखा देता और अपनी पत्नी को भी। भले ही उसने वक्त गलत चुना हो लेकिन उसका फैसला बिल्कुल सही था। मैं उसे सपोर्ट करती हूं क्योंकि इससे यह साबित होता है कि वह अपने प्यार को लेकर पूरी तरह समर्पित है। कोई आधी अधूरी जिंदगी नहीं जिएगा और मानसी को भी उसके हिस्से का पूरा प्यार मिलेगा। हर किसी में इतनी हिम्मत नहीं होती है और ना ही इतना जज्बा होता है कि वह किसी एक से ही प्यार करें जैसा कि विहान ने किया। वो पिछले 2 सालों से मानसी को ढूंढ रहा था। ऐसे में अगर वह चाहता था किसी और से दिल लगा सकता था लेकिन नहीं......! उसे सिर्फ मानसी चाहिए थी। मुझे खुशी है कि मैं अपनी जिंदगी में एक ऐसे इंसान से मिली जो किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है और हर हाल में उसके साथ जीना चाहता है। वरना तो लोग सात फेरों के वादों को भुलाने में एक पल भी नहीं सोचते जिसकी किए की सजा पूरा परिवार भगाता है, खासकर एक औरत।"


      ललित से आगे कुछ कहा नहीं गया। उन्हें अच्छे से पता था अनन्या ने जो भी कहा वह सब उनके दिल का दर्द है। जिस दर्द से वह आज भी गुजर रही थी। वो आज भी अपने पति से इतना प्यार करती थी कि उन्होंने सब भूलकर अपने पति को और उनके दिए धोखे को जी रही थी। विहान ने जिन हालातों में मानसी को अपनाया था वह हिम्मत हर किसी में नहीं होती। आज भले ही लोग उन दोनों के रिश्ते पर उंगलियां उठाए, भले ही कितने भी लोग उन दोनों के खिलाफ हो जाए लेकिन वो दोनों एक-दूसरे का हाथ थामकर हर मुश्किलों से लड़ लेंगे।