Chapter 59
humsafar 59
Chapter
59
कार्तिक और काव्या अवनि को नीचे आने का बोल वही छोड़ नीचे नाश्ते के लिए चले गए। अवनि उठी और अलमारी से टॉवल निकाल कर बाथरूम मे जाने लगी, तभी उसे मानव का ख्याल आया तो वह श्रेया से पूछ बैठी, "झल्ली....! ऑफिस मे सब कैसा है!! मतलब तेरे और मानव के बीच के झगड़े से पूरा ऑफिस परेशान तो नही है न?"
मानव का नाम सुन श्रेया को उस दिन का मानव का व्यवहार याद आ गया। उसका चेहरा उतर गया और आँखे थोड़ी नम हो गयी। श्रेया से कोई जवाब ना पाकर अवनि उसकी ओर मुड़ी और फिर से पूछा। इस बार श्रेया ने उखड़े स्वर मे कहा, "मुझे नही पता उसके बारे मे....! जब मिलेगा तब उसी से पूछ लेना। वैसे भी ऑफिस के पहले दिन से ही हमारी बातचीत बन्द है।"
श्रेया की बात सुन अवनि ने उसे टेढ़ी नज़र से देखा, "एक दिन पहले तुम दोनों पार्टी करते हो और अगले दिन से ही बातचित बन्द हो जाती है........ ये बात कुछ समझ नही आई। कुछ हुआ क्या तुम दोनों के बीच......! मेरा मतलब तुम नशे मे थी और उस हालत मे शायद तुम ने मानव को कुछ ज्यादा ही सुना दिया हो जिससे उसे हर्ट हुआ हो। ये भी तो हो सकता है।"
श्रेया सोच मे पड़ गयी की आखिर ऐसा क्या हुआ होगा उस रात! सुबह उठने के बाद उसे कुछ याद भी नही रहा और मानव से पूछना मतलब अपना इगो हर्ट करना। 'भाड़ मे जाए वो और उसका एटीट्युड' सोच श्रेया ने अपना सर झटका। अवनि भी तैयार होकर बाहर निकली और दोनों साथ मे डाइनिंग टेबल पर आ गए। नाश्ता करते हुए सभी आपस मे बाते कर रहे थे।
अवनि ने अपने कल के एनजीओ मे बिताए पलों के बारे मे बताया और आज फिर से एनजीओ जाने के लिए सिया से पूछा तो सिया ने उसे कहा, "तुम्हे कही भी जाने की मनाही नही है बेटा। तुम जहाँ चाहें जा सकती हो बस साथ मे ड्राईवर को जरूर ले जाना वरना तुम्हारा पति मुझे नही छोड़ेगा। मेरा मतलब हम सभी को तसल्ली रहेगी तुम्हारी सेफ्टी को लेकर। और एनजीओ जाने की बात कर रही हो! तुम चाहो तो सारांश का ये काम तुम संभाल सकती हो, सारांश को भी अच्छा लगेगा।"
एनजीओ संभालने की बात से अवनि थोड़ी घबरा गयी क्योंकि ये कोई छोटा मोटा काम नही था, एक बड़ी जिम्मेदारी थी जिसका अनुभव अवनि को नही था। वह थोड़ा हिचकते हुए बोली, "लेकिन मॉम!!! मै ये कैसे!! मतलब सारांश ने इतने अच्छे से सब कुछ हैंडल किया है, अब पता नही मै अकेले ये सब कैसे........!"
"किसने कहा तुम अकेली हो......! तुम्हारे साथ मै हू, सारांश है! कुछ भी गड़बड़ लगे तो हम सभी है तुम्हारे साथ। तुम्हारे खाली टाइम का इस्तमाल भी हो जायेगा और तुम बोर भी नही होगी और सबसे बड़ी बात, सारांश को भी अच्छा लगेगा की तुमने उसकी एक जिम्मेदारी अपने ऊपर लेली।" सिया ने कहा तो सभी ने उसकी बात का समर्थन किया। अवनि ने भी सिर झुका कर हाँ कर दी... सारांश के भरोसे।
सभी नाश्ता खत्म ही करने वाले थे की उसी वक़्त चित्रा ने एंट्री मारी। उसकी हालत देख वहाँ मौजूद सभी हँस पड़े लेकिन कार्तिक उसे देख असहज हो गया। बिखरे बाल और नाइट सूट मे चित्रा अभी भी नींद मे ही चल रही थी। वह लड़खडाती हुई कदमों से चलती वही सबके साथ बैठ गयी और अपने लिए कॉफी निकाल कर पीने लगी।
" क्या हुआ चित्रु बेबी! रात भर सोई नही क्या?" श्रेया ने उसे पुचकारते हुए पूछा। लेकिन सिया ने कहा, "अब फुर्सत मिली है तुम्हें! मैंने कहा था जल्दी आने को.....!"
"हम्म........! वो गधा, क्या नाम है उसका....! निक्षय, हाँ ये उसका काम था मुझे जगाने का लेकिन पता नही किस काम मे बिजी है की उसने मुझे उठाया ही नही। खुद तो मुर्गे की तरह सुबह सवेरे उठ जाता है।" चित्रा ने बड़े बेरुखी से कहा। फिर जानकी से बोली, "मासी मेरा भी नाश्ता निकाल दो प्लीज!!! उस गधे के हाथ का नाश्ता बिलकुल आपके बनाये खाने के जैसा होता है, दो दिन हुए उसे सारांश के साथ गए। पता नही कब तक आयेगा। लेकिन बाई गॉड! जिससे भी शादी करेगा ,वो लड़की पूरी लाइफ बैठ कर, उंगलिया चाट कर खायेगी।"
"अगर ऐसा है तो तुम्हें क्यों एतराज है? तुम ही कर लो न शादी! वैसे अर्ज़ किया है, सुनने मे आया है की आजकल तुम भी कुकिंग मे हाथ आजमा रही हो, खिचड़ी मे शक्कर मिलाकर बना रही हो।" सिया के अंदाज़ ए बयां पर सभी वाह वाह कर हँसने लगे। सिया की बात का चित्रा ने कोई जवाब नही दिया और अपना नाश्ता खत्म करने मे लगी रही।
सिया का ध्यान कार्तिक और चित्रा के बीच फैली खामोशी को देख कुछ अजीब सा लगा तो उसने पूछ लिया, "ये किट्टू और चिट्टू के बीच कोल्ड वॉर चल रहा है क्या? इतने चुप तो कभी नही रहते थे तुम दोनो!"
कार्तिक के कुछ कहने से पहले चित्रा बोल पड़ी, "अरे आंटी! अब उसकी शादी हो चुकी है। शादी से पहले जितना इज़्ज़त का फालूदा बनाना था बना दिया अब अगर बीवी के सामने उसके इज़्ज़त का भजिया तलूँगी तो अच्छा नही लगेगा न।" चित्रा ने कुछ ना कहते हुए भी कार्तिक का फिर से मजाक बना दिया था। कार्तिक ने उसे घूर कर देखा फिर नज़र दूसरी ओर घुमा ली।
जब सबने अपना नाश्ता खत्म कर लिया तब चित्रा ने अवनि और श्रेया से पूछा, "आज शॉपिंग पर चले?" श्रेया ने अपने ऑफिस की मजबूरी बताई और अवनि ने अपने एनजीओ की मिली नई नई जिम्मेदारी के बारे मे बताया। कार्तिक को वहाँ से जल्दी से जल्दी निकलना था इसीलिए बिना चित्रा को छेड़े उठा और जाने को हुआ तो काव्या भी साथ लग गयी। सिया और श्रेया भी ऑफिस के लिए निकल गयी और चित्रा अपने धुन मे वहीं बैठी खाती रह गयी।
अवनि सामने बैठ कर खाने मे लीन चित्रा को देख रही थी। वह काफी दिनों से चित्रा से कुछ बात करना चाह रही थी लेकिन कोई मौका नही मिला। आज वह उसके सामने बैठी थी तो समझ नही आ रहा था की बात कैसे शुरू करे। आखिर मे अवनि ने अपनी चुप्पी तोड़ी, "चित्रा.....!"
चित्रा ने हाथ रोके और आँखे उठाकर अवनि को देखा।अवनि ने कहाअगर तुम फ्री हो तो मेरे साथ एनजीओ चलोगी?" चित्रा ने कुछ सोचा और कहा, "नही अवनि! मेरा इस वक़्त और सोने का मन है।" चित्रा का जवाब सुन अवनि ने कुछ और नही कहा और उठ कर जाने लगी। फिर कुछ सोचकर रुकी और पलटकर बोली, "चित्रा......! माँ कहती है, प्यार खुशबु और खाँसी को कुछ देर तक दबाया जा सकता है लेकिन छुपाया नही जा सकता........! जब सभी अपनी लाइफ मे आगे बढ़ चुके है तो ऐसे मे मुझे ही नही बल्कि सारांश को भी यही लगता है की अब तुम्हें भी सब भूलकर अपनी लाइफ मे आगे बढ़ जाना चाहिए।"
चित्रा ने अवनि की आँखो मे गौर से देखा और समझ गयी की अवनि के कहने का का मतलब था। उसने अपनी आँखे नीची की और बोली, "मुझे भी यही लगता है।" और मुस्कुरा दी। अवनि तैयार होकर गाड़ी मे बैठी और ड्राईवर से चलने को कहा। हल्के गुलाबी साडी मे अवनि काफी खूबसूरत लग रही थी। लगे भी क्यों ना, आखिर ये रंग सारांश का पसंदीदा था और अवनि के लिए ये सारांश का रंग था।
जाते वक़्त रास्ते मे अचानक ही बारिश शुरू हो गयी। अवनि ने अपनी हथेली बाहर निकली और बारिश के बुंदो को महसूस करते हुए सारांश के साथ पहली बारिश को याद करने लगी। उस रात भी ऐसे ही हथेली पर बूंदों को इकट्ठा कर सारांश पर उछाल दिया था। गाड़ी मे एफ एम रेडियो बज रहा था....
ये मौसम की बारिश, ये बारिश का पानी
ये पानी की बुँदे, तुझे ही तो ढूँढे
अवनि ने आँखे मूंद ली और फिर ड्राईवर से साइड मे रुकने को कहा। गाड़ी को एक तरफ रुकवाकर अवनि ने अपने दोनो पैर बाहर निकला। बारिश आज भी तेज नही था लेकिन भिगाने को काफी था। कुछ देर अपने पैरों को भिगोने के बाद उसने अपने पैरों के साथ भीगी सड़क की तस्वीर ली और कैप्सन मे उसी गाने का एक लाइन लिखा
हवाओं से तेरा पता पूछती हु,
अब तो आजा तु कहीं से
परिंदो की तरह ये दिल है सफर मे,
तु मिला दे जिंदगी से
और उसे इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिया। अवनि का आईफोन सारांश के फोन से लिंक था। अवनि जो भी तस्वीरें लेती वो सभी सारांश को मिल जाती थी। उस वक़्त सारांश भी बाहर गाड़ी मे ही था जब उसकी नज़र अवनि की तस्वीर पर गयी। वह अवनि से पिछले तीन सालों से इंस्टाग्राम पर एक फेक आईडी से जुड़ा था। उसने जब अवनि का पोस्ट देखा तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान खिल गयी।
कार्तिक ने काव्या को उसके बुटीक के सामने छोड़ा। काव्या जब उतरने को हुई तब ना जाने क्यों लेकिन उसने कार्तिक से एक सवाल कर दिया, "कार्तिक.....! क्या तुम सच मे मुझे प्यार करते हो? या फिर सिर्फ इस शादी की वजह से हम दोनो साथ है?" अचानक से पूछे गए एक सवाल का कार्तिक जवाब नही दे पाया और काव्या को अजीब नज़रों से देखने लगा।
क्रमश: