Chapter 83

Chapter 83

सुन मेरे हमसफ़र 76

Chapter

76




    


     

     निर्वाण ने जब कुणाल के माथे पर पसीने की बूंद देखी तो उसका मजाक बनाते हुए बोला "इतना घबरा क्यों रहे हो कुणाल? ऐसा क्या कर दिया तुमने जो तुम्हारे माथे पर इतना ज्यादा पसीना है?"


      कुणाल अब क्या ही कहता। उसने टिश्यू लिया और अपने माथे का पसीना पोंछकर बोला "थोड़ी गर्मी लग रही थी इसलिए, और कुछ नहीं।"


     इस बार अंशु ने सवाल किया "लेकिन मार्च महीना तो अभी अभी शुरू हुआ है। तुम्हें इतनी ज्यादा गर्मी क्यों लग रही है? तबीयत तो ठीक है? सुबह का मौसम है, ठंडी ठंडी हवाएं चल रही है। हम तो हाफ टीशर्ट पहनने की सोच नहीं सकते, जबकि हमारी उम्र भी तुमसे कम है।"


      कुहू अंशु पर नाराज होकर बोली "अंशु! तुम्हारे कहने का मतलब कुणाल बुड्ढा हो चुका है?"


     समर्थ धीरे से बोला "देखो तो, कितना बुरा लग रहा है!"


    कुहू भी कहा उसे छोड़ने वाली थी। उसने समर्थ को चिढ़ाते हुए कहा "हां! अगर कुणाल बुड्ढा है तो आप उससे भी कई साल ज्यादा बुड्ढे हो।"


     बेचारे समर्थ का चेहरा उतर गया। उसे लगा नहीं था कि उसकी बहन इस तरह सबके सामने उसकी इंसल्ट करेगी। कार्तिक ने बीच बचाव करते हुए कहा "बहुत हो गया। सब अपने खाने पर ध्यान दो। इस तरह एक दूसरे की टांग खिंचाई करनी है तो थोड़ा सा इंतजार कर लो। कुहू की शादी में सबको मौका मिलेगा। फिर अच्छे से इन दोनों की टांग खिंचाई करना, कोई कुछ नहीं कहेगा।"


    अपने पापा को अपनी साइड ना लेते देख कुहू नाराज हो गई। "पापा! आप भी इन सब का साथ देते हो हर बार।"


     काव्या ने कार्तिक का सपोर्ट किया और बोली "बिल्कुल! जहां मेजॉरिटी होगी हम भी तो वही जाएंगे ना!"


     डाइनिंग टेबल पर हंसी खुशी का माहौल था। सभी एक दूसरे को परेशान करने में लगे हुए थे लेकिन कुणाल की नजरे शिवि के रूम की तरफ थी। उसे शिवि से मिलना था, कई सारे सवाल थे उसके मन में। उस सब के जवाब चाहिए थे। उसे अपने दिल की बात करनी थी। 'लेकिन अभी अभी तो मिली है, इतनी जल्दी कैसे? इस सब में मुझे अगर कोई हेल्प कर सकता है तो वह डैड है। उन्होंने कहा था मुझसे वह मेरी हेल्प जरूर करेंगे। मैं इस तरह अपनी खुशियां अपनी आंखों के सामने खोते हुए नहीं देख सकता। सॉरी कुहू! मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहता था, लेकिन मुझे शिवि से बात करना होगा।'


    इतनी देर में शिवि भी फ्रेश होकर कपड़े बदल कर वापस चली आई और सीधे जाकर सिद्धार्थ के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई। सिद्धार्थ ने बड़े प्यार से अपनी बेटी के लिए नाश्ता परोसा तो समर्थ नाराज होकर बोला "मुझे तो कभी नहीं खिलाया आपने ऐसे!"


     सिद्धार्थ ने समर्थ को ताना मारा "क्यों? तेरी मां तुझे नहीं खिलाती ऐसे? तब तो मैं कुछ नहीं बोलता और शिवि भी कुछ नहीं कहती। तो फिर तुझे क्यों तकलीफ हो रही है?"


    समर्थ ने नाराज होकर श्यामा की तरफ देखा जो उसके लिए प्लेट लगा रही थी। समर्थ ने अपनी मां का हाथ पकड़ लिया और बोला "आज प्लेट लगाने की बारी मेरी है। पूरे हफ्ते आप ही करते हो। घर और ऑफिस दोनों संभालते हो, इसलिए आज रहने दो आप।" श्यामा ने मुस्कुराकर समर्थ के चेहरे को छू लिया।


समर्थ ने भी अपने पापा को देखकर भौंहे टेढ़ी कर दी। यह दोनों बाप बेटे एक दूसरे को परेशान करने का कभी कोई मौका नहीं छोड़ेंगे। शिवि ने आराम से अपना नाश्ता शुरू किया। खाते हुए उसकी नजर कुणाल पर गई जो रह रहकर उसे ही देख रहा था। उसकी यह हरकत शिवि को थोड़ी अजीब लगी लेकिन चेहरा थोड़ा जाना पहचाना भी लगा। उसने कुहू कुछ इशारा किया तो कुहू जल्दी से कुणाल की बांह पकड़ कर बोली "शिवि! मैंने तुम्हें मिलवाया नहीं। तुम तो पहले ही चली गई थी। कुणाल! शिवि के बारे में तो मैंने तुम्हें बता ही दिया था और शिवि! ये कुणाल है, कुणाल रायचंद। तेरे होने वाले जीजू।"


     शिवि एकटक कुणाल के चेहरे को देखे जा रही थी जिससे कुणाल थोड़ा असहज हो रहा था। शिवि खाते हुए बोली "कुणाल रायचंद? हेलो कुणाल!"


     कुहू को शिवि का यह रिएक्शन अच्छा नहीं लगा। अभी कुछ देर पहले निर्वाण ने भी कुणाल को जीजू कहने से इंकार कर दिया था और आप शिवि भी ऐसे ही कर रही थी। उसने शिवि को टोका "शिवि! तेरे होने वाले जीजू है। तू इन्हें नाम से कैसे बूला सकती है?"


    शिवि कुछ कहती, उससे पहले निर्वाण शिवि का साथ देते हुए बोला "कम ऑन कुहू दी! मैंने कहा ना, होने वाले हैं, हुए नहीं है। जब शादी हो जाएगी तो इसे जीजा बना लेंगे। मैं बहुत खुश हूं, कम से कम मेरी एक बहन तो है जो मुझे सपोर्ट करती है और मेरे जैसा सोचती है वरना नेत्रा का तो मैं क्या ही कहूं। उसकी पसंद इतनी बकवास है इतनी बकवास है कि पूछो मत।"


     कुणाल समझ गया की निर्वाण नेत्रा के बहाने उसे ही ताना दे रहा है। उसका दिल किया कि वो अभी जाकर निर्वाण का मुंह तोड़ दे लेकिन सबके होते हुए वो कुछ कर नहीं कर सकता था। वैसे भी शिवि उसके सामने बैठी थी। उसके सामने कुणाल अपना इंप्रेशन खराब नहीं करना चाहता था। लेकिन एक बात उसे थोड़ी अजीब लगी। शिवि भी हर थोड़ी थोड़ी देर में उसे ही देख रही थी जैसे उसे पहचानने की कोशिश कर रही हो। कुणाल के पेट में तितलियां उड़ने लगी। 'अगर शिवि ने मुझे पहचान लिया तो फिर वह पता नही कैसे रिएक्ट करेगी। लेकिन क्या वाकई उसने मुझे पहचाना है या फिर मैं ही पागलों की तरह उसके पीछे पड़ा हुआ था?'


     सब का नाश्ता लगभग हो चुका था। शिवि एकदम से बोली "मैं सबके लिए मोमोज लेकर आई थी। अभी तक तो ठंडे हो चुके होंगे। आप लोग मुझे 5 मिनट दीजिए मैं अभी उसे गर्म करके लेकर आती हूं।"


      मोमोज का नाम सुनकर हमारी थर्ड जनरेशन के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई लेकिन बाकी सब ने मुंह विचका लिया।


    सिया ने अजीब सा चेहरा बना कर कहा, "इतने अच्छे नाश्ते के बाद मोमोज कौन खाता है?"


     अवनी बोली "तीखी मिर्ची वाली चटनी होगी तो ही खाऊंगी वरना नहीं।"


     शिवि भी अपनी शान बघारते हुए बोली "अरे छोटी मां! सब है। आप बस इंतजार करो। तब तक कोई अपनी जगह से उठेगा नहीं।" शिवि उठी और सोफे पर से एक पैकेट उठाकर सीधा किचन में चली गई।


      कुणाल को यही एक मौका सही लगा। उसने अपनी अंगूठी अपनी उंगली से निकाली और जेब में डाल कर बोला "मैं शायद अपनी अंगूठी किचन में भूल गया हूं। काम करते वक्त उतारा था, मैं लेकर आता हूं।" किसी ने कुछ नहीं कहा।  आखिर अंगूठी का सवाल था। कुणाल भी किचन में चला गया जहां अभी सिर्फ शिवि खड़ी थी।


    कुणाल दो पल को झिझका लेकिन बड़ी हिम्मत कर बोला, "मेरी अं........ मेरी अंगूठी है शायद यहां।"


    शिवि ने पहले तो उसे घुरकर देखा फिर अपने काम में लग गई। कुणाल ने एक बार फिर कोशिश की। "हाय! शायद तुमने मुझे पहचाना नहीं। याद है, एक साल पहले मुंबई के एक हॉस्पिटल में...............! हम वहीं मिले थे, अगर तुम्हे याद हो तो!!"


  शिवि मोमोज को माइक्रोवेव से निकालते हुए बोली, "याद है मुझे। तुम नेत्रा के ब्वॉयफ्रेंड हो ना?"


    ये बात सुनकर कुणाल

को लगा जैसे अब उसे हार्ट अटैक आ जायेगा और वो वहीं मर जायेगा।