Chapter 29
humsafar 28
Chapter
29
चित्रा आराम से नीचे उतरी और मुस्कुराते हुए चल कर उन दोनो के पास आई। सारांश एकटक उसे देखे जा रहा था और कार्तिक का मुह खुला का खुला रह गया। चित्रा सचमुच हल्के से टचअप मे भी आज बहुत खूबसूरत लग रही थी। चित्रा कार्तिक की ओर देख कर गुमान से मुस्कुराई मगर सारांश ने बीच मे पड़ते हुए कहा, "हाय ब्यूटीफूल ! माई सेल्फ दुल्हे का दोस्त!!! क्या अपने हमारी दोस्त को देखा है!! थोड़ी झल्ली सी थोड़ी पगली सी थोड़ी भूतनी सी।"
"ग्रो अप गाइज!" चित्रा ने उसे घूर कर देखा मगर सारांश ने उससे फिर से चिढ़ाने के अंदाज़ मे पूछा " आप को पहले भी कहीं देखा है शायद.... याद नही आ रहा। लड़के वालो की तरफ से तो नही शायद लड़की वालो के तरफ से होंगी आप। वैसे आप दुल्हन की लगती क्या है! बहन या सहेली!!!"
चित्रा ने गुस्से मे अपने दोनो हाथ आपस मे बांधे और तिरछी आँखो से कार्तिक को देखकर बोली, " सौतन!" और मटकते हुए वहाँ से चली गयी। सारांश की हँसी निकल गयी, वह कार्तिक से बोला, "आज इसको हुआ क्या है! पहले तो कभी इतना तैयार नही हुई। और ये क्या बोलकर गयी? तुम दोनो के बीच कोई बड़ी लडाई हुई है क्या ?"
कार्तिक ने कोई जवाब नही दिया और ईधर उधर देखने लगा। धानी आई और बारात निकलने से पहले कार्तिक की आरती उतारी और नजर का टिका लगा कर उसे बाहर लेकर गयी। बाहर आकर सारांश ने उसे घोड़ी पर बैठाया और लगाम हाथ मे लेकर कुछ दूर आगे तक चला और फिर किसी और को दे दिया। कार्तिक घोड़ी पर बैठा सब को एंजॉय करते देख खुद भी खुश हो रहा था मगर उसकी आँखे भीड़ मे भी किसी को ढूँढ रही थी।
चित्रा सबसे दूर खड़ी सब कुछ होते देख रही थी। आज उसके बेस्ट फ्रेंड की शादी थी उसे खुश होना चाहिए था मगर.......। वह जनवासे मे गयी और बार काउंटर के पास बैठे बैठे वाइन के दो पैग तेजी से गटक लिए और अंदर चली आई। अवनि तैयार होने मे लगी थी। जो लहंगा उसे सिया ने दिया था वो कुछ ज्यादा ही भारी था इसीलिए उसे संभालने मे थोड़ी दिक्कत हो रही थी। उसने जब चित्रा को देखा तो हेल्प के लिए उसे आवाज़ लगाई।
"चित्रा ये झुमके पहनने मे मेरी हेल्प कर दो प्लीज" अवनि ने रिक्वेस्ट की और चूड़िया पहनने लगी। ये वही झुमके थे जो सारांश ने अवनि के लिए पसंद किये थे। अवनि अपने धुन मे थी जब दो ठंडे हाथो के छूने से पूरी तरह काँप गयी। "चित्रा तुम्हारा हाथ इतना ठंडा क्यों......." कहते कहते अवनि रुक गयी। सारांश को देख वह तेजी से पीछे हटी जिसके कारण थोड़ी लडखडा गयी और उसकी पीठ आईने से जा टकराई।
"आप....!!! आप तो बारात मे गए थे न, फिर यहाँ क्या कर रहे है? " अवनि ने हकलाते हुए पूछा।
"क्यो!! तुम ने ही कहा था न की तुम्हे तैयार करने के लिए कोई नही है! तो इसीलिए मै चला आया।" सारांश ने हर पल के साथ अवनि की ओर कदम बढ़ाते हुए कहा। "क्या हुआ! अब नही कहोगी बेगैरत , बेशरम, बेमुरव्वत, बेहया कमजर्फ वगैरह वगैरह...!" सारांश ने चिढ़ाते हुए कहा।
अवनि ने कुछ कहना चाहा मगर सारांश अपनी उंगली उसके होंठो से लगा कर चुप करा दिया और दूसरे हाथ उसके चेहरे की ओर बढ़ाया। उसे ऐसा करते देख अवनि ने घबरा कर अपनी आँखे मूंद ली और उसे अपने ललाट पर सारांश के ठंडे हाथ का स्पर्श हुआ। अवनि वही जम सी गयी, कुछ देर बाद जब उसने आँखे खोली तब वहाँ कोई नही था, उस कमरे मे अवनि अकेली थी। पिछले कुछ दिनों से हो रहे घटनाक्रम से अवनि को समझ नही आ रहा था की सच क्या है सपना क्या। उसे समझ मे नही आ रहा था की सारांश सच मे यहाँ आया था या ये सिर्फ उसका खुली आँखों का सपना।
अवनि ने खुद को संभाला और पलट कर आईने के सामने फिर से तैयार होने लगी तभी उसकी नज़र अपने ललाट पर लगी छोटी सी बिंदी पर गयी। अवनि हैरान रह गयी क्योंकि वह तो बिंदी लगाती नही और कोई भी कमरे मे आया नही तो फिर ये बिंदी उसके माथे पर कैसे? मतलब सारांश सच मे यहाँ आया था!!!! उसके ठंडे स्पर्श को याद कर अवनि के रोंगटे खड़े हो गए।
काव्या तैयार होकर अपनी सहेलियो के साथ बैठी अपने बाल बनवा रही थी तभी कमरे का दरवाजा खुला और अवनि अंदर आते ही बोली, "दिदु वो!!!! मेरे बाल सेट नही हो रहे। जब आपका हो जाए तो मुझे बुला लेना।" कहकर अवनि जाने लगी तभी हेयर ड्रेसर जो काव्या के बाल बना रही थी उसने अपनी असिस्टेंट को इशारा किया और काव्या को उसके हवाले कर खुद अवनि के पीछे हो ली।
यह सब देख वहाँ बैठी काव्या के सर्किल की सारी लड़किया एक दूसरे का मुह ताकने लगी की दुल्हन तो काव्या है फिर अवनि के लिए मेन ड्रेसर ने काव्या को असिस्टेंट के साथ छोड़ दिया। अवनि को भी ये बात थोड़ी अजीब लगी मगर उसने ज्यादा ध्यान नही दिया और उसके साथ चल दी। वह हेयर ड्रेसर ने अपना परिचय देते हुए कहा, "हेलो!!! मेरा नाम त्रिशा है।"
"हाय! मै अवनि" कहकर अवनि मुस्कुरा दी और कमरे मे चली गयी। त्रिशा ने उसे चेयर पर आराम से बैठने को कहा लेकिन तभी उसे ख्याल आया की जल्दी मे उसने अपना बैग तो लिया ही नही जिसमे बाल बनाने के सारे एक्स्ट्रा सामान थे जो उसने खास अवनि के लिए लिए थे। वह जाने को मुड़ी मगर अवनि ने रोक दिया और आराम से बैठने को बोल कर खुद ही कमरे से बाहर निकल गयी।
काव्या के कमरे के बाहर पहुँच कर अवनि ने जैसे ही दरवाजा खोलना चाहा उसके कानों मे काव्या की दोस्त की आवाज़ पड़ी जो की उसी के बारे मे बात कर रही थी। वह नीतू थी जिससे काव्या की हमेशा अनबन होते रहती थी। आज भी यहाँ शादी मे वह काव्या की खुशी मे शामिल होने की बजाय काव्या को नीचा दिखाने का मौका ढूँढने आई थी जो की अब उसे मिल गया था।
नीतू ने मजाक उड़ाने के लहजे मे बोली, "शादी तो तेरी है न काव्या फिर ऐसा क्यों लग रहा है जैसे दुल्हन तु नही तेरी बहन है! उसकी ड्रेस देखी है?"
"तुने मेरी ड्रेस शायद ध्यान से नही देखी है! असली सोने की कढ़ाई है और इसकी कीमत.... तु सोच भी नही सकती।" काव्या ने घमंड से कहा तो नीतू हँसने लगी और बोली, "पता है! पता है!! लाखों मे है......!लेकिन क्या तुम्हे पता है अवनि की ड्रेस की कीमत कितनी है?" यह सुन अवनि के कान खड़े हो गए। वह जानना चाहती थी की सिया के इस गिफ्ट मे ऐसा क्या था जो नीतू इस तरह बात कर रही थी लेकिन आगे उसने जो भी सुना उसे सुनकर अवनि मानो बेहोश ही हो जायेगी।
नीतू ने कहा, "अगर सच मे तुझे मटेरियल की इतनी ही समझ होती तो तु आज डिजाइनर होती ना की एक छोटी सी बुटीक की मालकिन। तुझे अपने लहंगे मे सोने के तार तो दिख गए मगर ये नही पहचान पाई की अवनि के ड्रेस मे भले ही चांदी की तार से कढ़ाई की गयी है ममगर उसमे लगे वो क्रिस्टल, कोई आम क्रिस्टल नही है बल्कि प्योर अनकट डायमंड है हीरे लगे है उसके लहंगे मे। सिर्फ लहंगे मे ही क्यों, वो तो पूरी सर से पाव तक हीरे मे नहाई हुई है। फिर चाहे वो उसका लहंगा हो, उसके झुमके हो या फिर उसकी बिंदी ही देख लो।"
बिंदी की बात सुन अवनि और ज्यादा हैरान हो गयी की आखिर इस छोटी सी बिंदी मे ऐसा क्या है मगर नीतू तो जैसे चुप ही नही होने वाली थी। उसने बोलना जारी रखा, "उसकी बिंदी की चमक तुमने ध्यान से देखी होती ना तो पता चल जाता की उसकी बिंदी मे प्रिंसेस-कट डायमंड लगा है और तुम क्या कह रही थी उस ज्वेलरी शोरूम के बारे मे!! लकी कस्टमर.... वगैरह वगैरह। वो शोरूम बरसो पुराना है और आज तक मैंने तो क्या किसी ने नही सुना किसी लकी कस्टमर मे बारे मे।"
अवनि को लगा मानो अब वही बेहोश हो जायेगी। काव्या का रिएक्सन तो वह देख नही पा रही थी मगर वह ज्यादा देर तक वहाँ खड़े होकर बातें नही सुन सकती थी। एक के बाद एक हुए खुलासे ने उसे अंदर तक हिला दिया था। उसने एक नजर अपने लहंगे पर डाली और यकीन करने की कोशिश करने लगी जो कुछ भी नीतू ने कहा था। त्रिशा ने भी तो अभी उसकी बिंदी की तारीफ की थी।
क्रमश: