Chapter 15

Chapter 15

humsafar 15

Chapter

15  

    अवनि सिया के कमरे मे पहुँची , उस समय सिया चित्रा के साथ बैठी कल के हल्दी फंक्सन मे पहनने के लिए कपड़े  सेलेक्ट कर रही थी। अवनि को अपने कमरे मे देख सिया ने उसी से सेलेक्ट करने को कहा तो अवनि ने भी एक खूबसूरत लेकिन सिंपल सी दिखने वाली सिल्क की साडी उठाकर सिया की ओर बढ़ा दिया। सिया ने थैंक्स कहा तो अवनि ने भी अपने हाथ मे पकड़े सीडीज उनकी ओर बढ़ा दिया। 

  "ये क्या है अवनि???" सिया ने हैरानी से पूछा। 

  "लेटेस्ट गेमस की सीडीज है, अपने दोस्त से मंगवाया था मैंने आप के बेटे के लिए। आई एम स्योर् उसे बहुत पसंद आयेगी। इस उम्र के बच्चो मे तो क्रेज़ है इन सब का। वैसे वो है कहाँ मै मिली नही अभी तक।" अवनि ने मासूमियत से कहा। 

  "तुम मिली नही मेरे बेटे से!!!"  सिया कभी अवनि तो कभी उस सीडीज को देख रही थी। वही बैठी चित्रा अवनि की बातों को एक फ्रेम मे फिट करने की कोशिश कर रही थी। उसी वक़्त दरवाजे पर किसी के खाँसने की आवाज़ से सब की नजर घूम गयी, सामने सारांश खडा अजीब नजरो से अवनि को घूर रहा था। 

   " ये अवनि तुम्हारे लिए लेकर आई है" कहकर सिया ने वो सीडीज सारांश की ओर बढ़ा दिया। जैसे ही सारांश ने उन्हे थामा चित्रा की इतनी जोर से हँसी छूटी की वह बिस्तर से नीचे गिर पड़ी। अब कंफ्यूज होने की बारी अवनि की थी। चित्रा को यू हँसते देख अवनि थोड़ी झेंप गयी, ये देख सारांश सिया को बोला, "मॉम.........समझाइये इसे!!"

  "मॉम..........!!! " अवनि का सर चकरा गया। 

  "मै आप को ही ढूँढ रहा था, चले.....कुछ काम था, बायदवे थैंक यू" सारांश ने अवनि से कहा और चित्रा जो की अभी भी हँसे जा रही थी उससे बोला, " ज्यादा हँसना भी सेहत के लिए हानिकारक होता है। आज रात तैयार रहना मुझ से हारने के लिए। जल्दी से सब हॉल मे आ जाओ" कहकर वो सीडी सारांश ने चित्रा की ओर उछाल दिया और अवनि को लेकर वहाँ से चला गया। 

     सिया जो इतने देर से अपनी हँसी कंट्रोल किये खड़ी थी, उन दोनो के जाते ही ठहाके मार कर हँस पड़ी जिसकी गूंज बाहर तक सुनाई दे रही थी और बेचारी हमारी अवनि शर्म से लाल हुई जा रही थी। 

    थोड़ी ही देर मे सभी हॉल मे जमा हो गए। डायना के साथ एक और शख्स बैठा था जिसे वह अपने साथ लेकर आई थी। " इनसे मिलिए ये है मिस्टर तरुण। शादी की तैयारियों को ध्यान मे रखते हुए हमें लगा शायद हम अकेले इतना बड़ा प्रोजेक्ट नही संभाल पाएंगे इसीलिए हमने इनकी कंपनी के कोलाबोरेट किया है। अब से ये मेरे पार्टनर है और शादी की तैयारियों मे पूरा पूरा साथ देंगे।" डायना ने कहा और तरुण ने फॉर्मली सबको ग्रिट किया मगर उसकी नजर एक जगह जाकर रुक गयी। 

    "हमें कोई एतराज नही, ये आप पर है की आप कि तरह सब मैनेज करते है। हमें बस रिजल्ट चाहिए और सेफ्टी की गारंटी भी।" सारांश ने कहा। 

  "डोन्ट वरी मिस्टर मित्तल!! आपको शिकायत नही होगी और सेफ्टी की फिक्र मत कीजिये।" तरुण ने कहा और तेज कदमो से बाहर चला गया। बाहर निकल कर उसने आँखे बंद कर एक गहरी साँस भरी मानो कोई तूफान अपने अंदर दबाने की कोशिश कर रहा हो। "तरुण!! आर यू ओके??" डायना ने पूछा।  

   "मै ठीक हु, मुझे क्या होगा!!! चलो अब बताओ क्या करना है।" तरुण ने कहा और डायना कल के हल्दी का पुरा प्लान समझाने लगी। 


   "सॉर्री!!! वो मुझे पता नही था सिया मैम आपकी मॉम है। उनको देखकर लगा ही नही की वो इतने बड़े बच्चे....... आई मीन आप की मॉम है। मुझे लगा वो आपकी बड़ी बहन या भाभी है। और फिर मैंने उनके फोन मे एक बच्चे के साथ तस्वीर देखी थी तो मुझे लगा...... " अवनि  सारांश को अपनी सफाई देना चाह रही थी। 

   "वो बच्चा मेरे बड़े भाई सिद्धार्थ मित्तल का बेटा है यानी सिया मित्तल का पोता है वो।" सारांश ने उसकी गलतफहमी दूर की। 

   "पोता!!!! यानी सिया मैम दादी बन चुकी है।" बेचारी अवनि का मुह खुला का खुला रह गया। सारांश ने पलके झपकाकर हाँ का इशारा किया और हल्के से मुस्कुरा दिया तभी वहाँ के केयर टेकर ने आकर सारांश को कुछ बताया और सारांश वहाँ से बाहर चला गया। अवनि भी पीछे पीछे बाहर गयी तो देखा सारांश एक बड़े से ट्रक से समान अनलोड करवा रहा था। उसके तरीके से लग रहा था जैसे बक्सों मे काँच का सामान हो। अवनि ने भी हाथ बटाना चाहा तो सारांश ने पीछे रहने को कहा। सारांश को डर था की कहीं अवनि को चोट न लग जाए। 

     अवनि ने जब उन बक्सों को खोल कर देखा तो पाया की उन सब मे मिट्टी के दिये और कई तरह के बर्तन रखे थे। अवनि को कुछ समझ नही आया की सारांश करना क्या चाहता है! "अरे वाह!! ये सब इतनी जल्दी आ गए!! " सिया ने कहा जो अभी अभी बाहर निकली थी, उनकी नज़र अवनि पर गयी जो मिट्टी के सामानों को सवालिया नज़रों से देख रही थी। 

    "ये सारे दिये यहाँ की सजावट के लिए है। लाइटिंग के लिए बल्ब के साथ दिये भी होंगे। सारांश को दियो की सजावट बहुत अच्छी लगती है। उसका बस चले तो सिर्फ दियो से ही पूरे घर को रौशन कर दे।"

  "ये सब सच मे बहुत खूबसूरत है। लेकिन मैम! दिये कब तक जलेंगे मतलब इनमे तेल करने के लिए तो इनकी निगरानी करनी पड़ेगी।" 

   "तुम टेंसन मत लो। हमारे एनजीओ से पूरा स्टाफ यहाँ होगा ये सब देखभाल करने के लिए। और देखो इन दियों को!! ये इतने बड़े है की एक घंटे तक ये नही बुझने वाले।" सिया ने इतमिनान से कहा। 

   "आप एनजीओ भी चलाती है!" अवनि ने पूछा। 

  "हाँ!!! लेकिन ये सब जो तुम देख रही हो न, ये सब सिर्फ सारांश के एक बार कहने पर है। इसकी शुरुआत भले ही मैंने की थी मगर ये सब के सब सिर्फ सारांश का ही कहना मानते है। पहले हम सिर्फ चैरिटी के लिए एनजीओ चलाते थे मगर जबसे सारांश ने इसपर ध्यान देना शुरू किया तब से काफी ज्यादा बदल गया सब कुछ। अब हम चैरिटी नही करते बल्कि ऐसे लोग जिन्हे काम की जरूरत है उनके टैलेंट को निखारते है या सिखाते है ताकि वह खुदके पैरो पर खड़े हो सके। इन सबको करने वाले ज्यादातर वो घरेलू औरते है जो फाइनेंसियली अपने पति पर डिपेंड करती है। इन सब को मार्केट तक पहुँचाने काम हमारी कंपनी करती है और ये सब एक्सपोर्ट भी होते है। सारांश ने तो पूरा लुक ही बदल दिया। मैंने कभी नही सोचा था मगर ये सारांश का आईडिया था एनजीओ को कंपनी के साथ जोड़ना और देखो जो औरते सिर्फ घर संभलती थी आज उनके बनाये सामानों की डिमांड इंडिया से बाहर भी है। और सबसे मजेदार बात तो ये है की हम इन्हें ढूँढने नही जाते बल्कि राह चलते जो लोग या बच्चे समान बेचने को घूमते है, वे ही हमें उन तक लेकर जाते है और एक के कारण सौ जुड़ जाते है। "

   अवनि सिया की बाते सुन रही थी और उसकी नजर दूर सारांश पर थी जो कुछ देर पहले फॉर्मल सूट मे था और अब एक नॉर्मल शर्ट पेंट मे किसी आम इंसान की तरह सामान उठवाने मे लगा था और उसका महंगा वाला कोट साइड मे कुर्सी पर पड़ा था।