Chapter 107

Chapter 107

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Chapter

S2

E1



 शुभ जेल जा चुका था। कुछ ही दिनों में उसकी सुनवाई हुई और दो सुनवाई में ही उसे उम्र कैद की सजा हो गई। सारे सबूत उसके खिलाफ थे। कुछ और लड़कियों ने भी सारांश का साथ दिया और खुलकर शुभ के खिलाफ सामने आई। जानकी ने इस सब पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी मानो उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो और शुभ से उसका कोई रिश्ता ही ना हो। मानव और श्रेया की भी शादी थी जिस में शामिल होने के लिए सभी परिवार बेसब्र थे क्योंकि श्रेया की वजह से ही सारांश और अवनी का रिश्ता जोड़ पाया था और अब सिद्धार्थ और श्यामा के रिश्ते को जोड़ने मे भी कहीं ना कहीं उसी का हाथ था। लेकिन ऑफिस में काम ज्यादा होने की वजह से तय हुआ की सिर्फ अवनि और श्यामा ही उसके शादी के पहले के रस्मों में शामिल होंगे और बाकी सभी शादी मे। कार्तिक भी काव्या और धानी को लेकर अपने घर मे शिफ्ट हो गया तो सिया ने भी उसे रोका नही। 

     
  'वैसे क्या सोचा है जीजी! सिद्धार्थ की शादी के बारे में, शादी कहां से करनी है, कैसे करनी है, इस सब की तैयारी है तो अभी से ही शुरू करनी होगी ना। पंडित जी भी आते ही होंगे, पता नहीं कब का मुहूर्त निकलेगा!" जानकी बोली। 
    "किसी को कुछ भी करने की जरूरत नहीं है मासी! शादी बहुत ही सिंपल और सादे तरीके से होगी। ना हीं मैं और ना ही श्यामा इतने छोटे हैं जो ये सब चाहेंगे। मुझे नहीं लगता कि श्यामा भी ज्यादा कोई तामझाम चाहेंगी शादी में।" सिद्धार्थ ने जानकी को रोकते हुए कहा। 
    "लेकिन बेटा ऐसा कैसे! इस घर में पहली शादी होगी वह भी तुम दोनों की। सारांश और अवनि की शादी तो अचानक से हो गई। हमें तो कोई रस्म करने का मौका भी नहीं मिला।  कम से कम तुम्हारी शादी में तो यह सब कर सकते हैं ना!" जानकी ने कहा। 
   " आप लोगो को जो भी रस्में करनी है आप कीजिए, लेकिन मैं नहीं चाहता कि बाहर से कोई आए और मेरे और श्यामा के रिश्ते पर किसी भी तरह की उंगली उठाए। अगर किसी ने श्यामा के या मेरे पिछले रिश्ते का जिक्र कर दिया या किसी भी तरह से उसे चोट पहुंचाने की कोशिश की है तुम मुझसे बर्दाश्त नहीं हो पाएगा इसलिए कह रहा हूं बाहर से कोई नहीं आएगा। काव्या की गोद भराई में क्या हुआ यह हम सब ने देखा है।" सिद्धार्थ ने कहा। 
     "मेरे ख्याल से सिद्धार्थ बिल्कुल सही कह रहा है जानकी! ना ही सिद्धार्थ का और ना ही श्यामा का यह पहला रिश्ता है। यह दोनों शादी कर रहे हैं यही बहुत बड़ी बात है। मुझे तो बस मेरी बहू को जल्दी से जल्दी  घर लाना है लेकिन फिर भी मुझे लगता है एक बार श्यामा से जरूर बात करनी चाहिए इस बारे में।" सिया ने कहा तभी श्यामा दरवाजे से अंदर आती हुई दिखी। 
     सिद्धार्थ उठा और श्यामा के पास जाकर उसका हाथ पकड़ अपने साथ लाकर बैठा दिया। श्यामा सकुचाई सी सिद्धार्थ के बगल मे बैठी थी लेकिन इससे किसी को कोई फर्क ही नही पड़ रहा था।  सभी बड़े नॉर्मल तरीके से वहां बैठ नाश्ता कर रहे थे। श्यामा थोड़ी असहज होकर बोली, "माँ! आपने मुझे इतनी सुबह-सुबह बुलाया, कुछ काम है"
   " हां बेटा वो पंडित जी आने वाले हैं, शादी के मुहूर्त के लिए। बस उसी के लिए बुलाया था। मैं जानती हूं तुम्हारा तुम्हारे परिवार से रिश्ते अच्छे नहीं है फिर भी। और भी कई सारे लोग होंगे तुम्हारी तरफ से जो तुम्हारी खुशियों में शामिल होना चाहते होंगे। तुम बस यह बताओ कि तुम्हारे तरफ से कौन-कौन  सकता है", सिया ने पूछा। 
    श्यामा के चेहरे के भाव देख सिद्धार्थ समझ गया की कोई नही है जो उसकी शादी मे शामिल होना चाहेगा। "लेकिन फिलहाल बात यह हो रही है कि शादी कैसे होगी? मासी का कहना है कि शादी ग्रैंड हो और भाई का कहना है कि शादी सिंपल तरीके से। आप बताओ भाभी आप कैसे शादी चाहते हो, बिल्कुल वैसे ही होगी। इस बारे में सिर्फ और सिर्फ आपकी राय ही मानी जाएगी और किसी की भी नहीं।" सारांश ने कहा। 
     " घबराने की बात नहीं है। तुम आराम से सोच कर बताओ कि तुम्हें कैसे शादी करनी है ग्रैंड वेडिंग, डिस्टिनेशन वेडिंग या सिंपल वेडिंग? घर से शादी या मंदिर से या फिर कोर्ट मैरिज! तुम जो कहोगी वही होगा", सिद्धार्थ ने कहा तो अवनी बोली, "हाँ दी अब बता ही दो। मैं तो कहती हूं ग्रैंड वेडिंग रखते हैं। हमारी शादी तो अचानक से हो गई, हमें पता भी नहीं चला।", अवनि ने शिकायत की। 
    "कोई बात नहीं मेरी जान! हम फिर से शादी कर लेंगे वह भी ग्रैंड वाली", सारांश ने प्यार से अवनी को कहा तो सिद्धार्थ उसे अजीब नजरों से घूरने लगा, "तेरा यह पीडीए  हो गया हो तो हम काम की बात कर रहे थे। श्यामा यहाँ चुपचाप बैठी है और तुम दोनों अपनी शादी को लेकर शुरू हो गए। जब तक तुम दोनों की शादी होगी ना तब तक छोटे-छोटे बच्चे  चुके होंगे तुम्हारे।"
    "हां बिल्कुल! जैसे आपका बेटा आपकी शादी अटेंड करेगा। यह वाली एक्साइटमेंट मुझे भी तो मिलनी चाहिए", सारांश में चिढ़ कर कहा। दोनों भाइयों के बीच की बहस फिर शुरू हो गई थी। सिया ने उन दोनों को चुप कराते हुए चिल्लाई, "बस करो तुम दोनों। यहां बात श्यामा की हो रही है और तुम दोनों आपस में लड़ने लगे। बस करो सब, बड़े हो चुके हो लेकिन अभी भी बच्चों की तरह लड़ते हो। सिद्धार्थ तुम्हारा एक पाँच साल का बेटा है और सारांश कुछ समय बाद तुम खुद बाप बन जाओगे। अपनी उम्र का कुछ तो ख्याल करो तुम दोनों। श्यामा बेटा आप बताओ क्या करना है, कैसे करना है।"
      इससे पहले कि श्यामा कुछ बोलती, पंडित जी वहाँ  गए। सब ने उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम किया और बैठने को कहा। "पंडित जी जल्दी से बताइए! सिद्धार्थ और श्यामा की शादी के लिए शुभ मुहूर्त कब का है! जितनी जल्दी का हो सके उतनी जल्दी का मुहूर्त बताइएगा।" सिया चहकते हुए बोली
     पंडित जी अपने अपने झोले में से एक पंचांग निकाला और बोले,"अगर इन दोनों की कुंडलियां मिल जाती तो थोड़ी और आसानी होती।"
    सिया ने जानकी को सिद्धार्थ की कुंडली लाने को कहा और बोली,"पंडित जी! सिद्धार्थ की कुंडली तो मिल जाएगी लेकिन श्यामा की कुंडली इस वक्त हमारे पास नहीं है।"
    "कोई बात नहीं बहन जी! आप केवल उनने जन्म की तिथि और समय बता दे वही काफी होगा', पंडित जी ने कहा तो श्यामा ने पंडित जी को अपने जन्म का समय तिथि स्थान बताया। जानकी ने सिद्धार्थ की कुंडली लाकर पंडित जी को दिया। पंडित जी अपनी उंगलियों पर कुछ गणना करने लगे उसके बाद बोले, "दिपावली के बाद की एकादशी सबसे शुभ है उस दिन हरिबोधनी एकादशी भी है और तुलसी विवाह भी। सगाई आप चाहें तो कल कर सकती हैं। कल करवा चौथ भी है, बड़ा ही उत्तम मुहूर्त है दोनों के लिए।"
     "यह तो बड़ा ही उत्तम मुहूर्त है पंडित जी! दोनों को एक दूसरे को जानने और समझने के लिए वक्त भी मिल जाएगा और हमें शादी की तैयारियों के लिए समय।" जानकी ने कहा। 
     "लेकिन उसी दिन तो श्रेया की भी शादी है!" अवनि ने सोचते हुए कहा तो सिया बोली, "कोई बात नही बेटा! शादी तो शाम को होगी और हम लोग सारी रस्में दिन मे कर लेंगे और शाम को उसकी शादी मे शामिल हों जायेंगे। 
तो यह तय रहा, शादी तुलसी विवाह के दिन होगी और सगाई कल ही होगी। अरे हां श्यामा, तुमने बताया ही नहीं कि शादी किस तरह से होगी।"
      सबकी नजर श्यामा पर थी। श्यामा थोड़ी असहज हो गई और सर झुका कर बोलिए, "मैं ज्यादा कुछ नहीं चाहती। बस सब कुछ सिंपल सा क्योंकि मैं जानती हूं मेरे घर वालों को इस बात से कभी खुशी नहीं होगी।"
     पंडित जी ने सिद्धार्थ की कुंडली देखते हुए कहा,"मैंने तो पहले ही कहा था बहन जी! इनके जीवन में दो संतान का योग है। देखिए मेरी बात सच साबित होने जा रही है।" पंडित जी ने मुस्कुरा कर कहा और हाथ जोड़कर सबसे विदा लेकर चले गए। 
     पंडित जी तो चले गए लेकिन उनकी कही आखिरी बात से सब हैरान और परेशान रह गए। खासकर सिया और सिद्धार्थ। श्यामा ने भी यह बात सुनी और उसके मन में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी। सिया उसकी हालत समझ गई और वह सिद्धार्थ से बोली, "सिद्धार्थ! हमने जो पीछे गार्डन मे नये पौधे लगा रखे थे उनमें फूल निकल आए हैं। तुम जाकर श्यामा को वह दिखा दो।"
    सिद्धार्थ सिया की कही बातों का मतलब समझ गया और वह श्यामा का हाथ पकड़ कर उसे पीछे वाले गार्डन में ले गया। उन दोनों के जाने के बाद सिया ने अवनि से पूछा, "अवनि बेटा! कल करवा चौथ है, क्या तुम करना चाहोगी?" 
  " जरूर मॉम! बिलकुल करूँगी।" अवनि ने कहा और सारांश से बोली, "और इस बार आप कुछ नहीं करेंगे। यह व्रत हमारा है और हमें ही इसे करनी है। आप लोगों का इस मे कोई काम नही।"
     सारांश ने कुछ नहीं कहा पर मुस्कुरा कर अपना सर झुका लिया फिर बात बदलते हुए बोला, "तुम चित्रा और श्रेया के साथ शॉपिंग के लिए निकल जाओ। कल के लिए कई सारी खरीदारी करनी होगी ना। मुझे फुर्सत नहीं है वरना मैं चलता तुम्हारे साथ।"
     "कोई बात नहीं, मैं चली जाऊंगी। वैसे भी ऐसी कोई जरूरत नहीं है। मेरे पास पहले से बहुत सारे कपड़े है। मुझे नहीं लगता मुझे शॉपिंग की कोई जरूरत है।" अवनि ने कहा। 
   सिया बोली," अरे ऐसे कैसे जरूरत नही है? लड़कियों को तो शॉपिंग का बहाना चाहिए होता है लेकिन एक तुम हो कि शॉपिंग से ही प्रॉब्लम है। बीवीयों को मौका मिलना चाहिए अपने पति की जेब खाली करने का लेकिन तुम हो की!"
    " अच्छा ठीक है मै ले लूंगी अपने लिए कुछ। अब आप लोग भी तैयार होइये, ऑफिस के लिए निकलना होगा ! मैं चित्रा को फोन कर देती हूं", कहकर अवनि ने चित्रा को फोन किया। चित्रा बात करते हुए काफी उखड़ि हुई सी लगी तो अवनि ने पूछा। चित्र बोली, "कुछ नहीं बस वह.........मॉम से थोड़ी लड़ाई हो गई थी। ज्यादा कुछ नही ये सब आम बात है इस घर मे।"
      "जीजू को लेकर लडाई हुई क्या? कुछ बात हुई है?" अवनी ने पूछा तो चित्रा चुप रह गई। उसे यूं चुप देख अवनि समझ गई उसका अंदाज़ा सही है। उसने कहां ,"चित्रा! हम मिलते हैं मॉल में, मैं श्रेया को भी फोन कर दे रही हूं वह भी  जाएगी। उसे भी कुछ खरीदना था।"

     सिद्धार्थ श्यामा को लेकर गार्डेंन मे पहुँचा और बिना इधर उधर की बातें किए सीधे शब्दों मे बोला,"पंडित जी की कही बातों से परेशान हो!!!  ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। मैं वैसे ही इन सब की नहीं मानता। यह तो बिल्कुल भी मत सोचना कि मैं तुम्हें धोखा दूंगा। मेरे लिए समर्थ ही काफी है, उसके अलावा मुझे कोई दूसरा बच्चा नहीं चाहिए था और ना ही मुझे अपनी लाइफ में किसी की जरूरत थी। तुम्हें देखा तुम्हें जाना तब महसूस हुआ कि मैं कितना अधूरा सा था। मैं उनमें से नहीं हूं श्यामा जो बाहर जाकर जगह जगह मुंह मारते फिरते हैं। इतने सालों में आज तक कभी किसी ने मुझ पर उंगली तक नहीं उठाई और ना ही आगे कभी ऐसा होगा। मेरी लाइफ में तुम हो और हमेशा सिर्फ तुम ही रहोगी इसीलिए पंडित जी ने क्या कहा क्यों कहां वह सब भूल जाओ और कल हमारी सगाई है तो उसकी शॉपिंग करने चलते हैं"
     "एक बात पूछूं .........अगर कल को समर्थ की मां वापस आती है आपकी जिंदगी में तो...........तब क्या करेंगे? क्या आप उसे अपनाएंगे?", श्यामा ने घबराते हुए पूछा। 
     "अगर उसे अपनाना होता मैं कभी उसे जाने ही नहीं देता। वह तो क्या कोई भी मेरी लाइफ में नहीं  सकती यह मेरा वादा है तुमसे और हर कोई जानता है कि सिद्धार्थ अपने अपने वादे पर हमेशा कायम रहता है। अपने हर रिश्ते के प्रति ईमानदार रहा हूं मैं और आगे भी रहूंगा और तुम्हें अपना आईना बनाकर रखूंगा", सिद्धार्थ ने मुस्कुरा कर कहा तो श्यामा भी मुस्कुरा दी। 

     सारांश और सिया ऑफिस जाने के लिए तैयार थे लेकिन सिद्धार्थ को देख वह दोनों चौंक पड़े। "भाई आपको ऑफिस नहीं जाना! आज तो जरूरी मीटिंग थी ना आपकी फिर आप ऐसे कैजुअल कपड़े में!"
     सारांश! कल सगाई है इन दोनों की। तो आज खरीदारी तो करनी होगी ना। सिद्धार्थ....! बेटा तुम जाओ और जाकर सगाई की अंगूठी पसंद कर देना और निहारिका के पास जाकर अपनी और श्यामा के लिए कपड़े भी देख लेना मैं उसे कॉल करके बता दे रही हूं लेकिन इन कपड़ों में तो मत जाओ यह तो घर के कपड़े हैं!" सिया ने कहा तो सारांश सोच में पड़ गया," क्या भाभी को भाई और निहारिका के रिश्ते के बारे में पता भी है! आई होप भाई भाभी से कुछ ना छुपाए"
     "मैं इन्हीं कपड़ों में कंफर्टेबल हू मॉम और मेरा चेंज करने का बिल्कुल भी मन नहीं है। एक काम करता हूं ना  निहारिका के पास चला जाता हूं सबसे पहले। वहीं पर जाकर देख लूंगा कुछ।सिद्धार्थ ने कहा
    सिया समझ गई कि आखिर सिद्धार्थ  ऐसे नॉर्मल कपड़े में क्यों बाहर जा रहा है। वह नहीं चाहता था कि उसके साथ श्यामा को ऐसे सादे कपड़ों में देख कोई उन दोनों का मजाक उड़ाए इसलिए उसने नॉर्मल कपड़े ही पहनें ताकि उस श्यामा की तरह ही दिख सकें। सिद्धार्थ ने खुद आगे बढ़कर श्यामा के लिए कार का दरवाजा खोला। श्यामा को उसकी ये हरकत थोड़ा अजीब सी लगी क्योंकि इससे पहले उसने कभी किसी को इस तरह बर्ताव करते नहीं देखा था। सिद्धार्थ इतना बड़ा आदमी होने के बावजूद बहुत ही सीधा और सरल था। श्यामा को अभी भी समझ नहीं  रहा था कि वह इस सबको किस नजरिए से देखें। वह तो बस वक्त के दरिया में किस्मत की लहरों के संग बहती चली जा रही थी। 
       सिया ऑफिस के लिए निकल गई और सारांश भी उसके पीछे पीछे ही निकला लेकिन कुछ सोच कर वापस मुड़ा और अवनी के पास आया। अवनि उस वक्त अपने फोन में शॉपिंग लिस्ट बनाने में बिजी थी जब अचानक से सारांश ने पीछे से उसे थाम लिया और उसके गर्दन पर हल्का सा काट लिया। "सारांश यह क्या कर रहे हैं आप?" अवनी धीरे बोली क्योकि उसे डर था की कोई देख ना ले। लेकिन इससे पहले कि वह कुछ और सोच पाती सारांश बिना जवाब दिए वहां से भाग गया। अवनि बस मुस्कुरा कर रह गयी। छोटे छोटे यह लम्हे यह उन दोनों के लिए बहुत ही खास होते थे जब दोनों एक दूसरे को अपना प्यार जताते थे। 

    अवनि जब मॉल पहुंची तब तक वहां चित्रा और श्रेया दोनों ही पहुंच चुके थे और उसी का इंतजार कर रहे थे। अवनि ने सबसे पहले उन दोनों को सिद्धार्थ और श्यामा की इंगेजमेंट की खबर दी जिसे सुन वे दोनों ही बहुत ज्यादा खुश हो गए। "मैं सच में दि के लिए बहुत ज्यादा खुश हूं।आखिरकार उनकी लाइफ में भी खुशियां ने दस्तक दे ही दी। सच में...! दी ने अब तक जितना भी सहा है उसके बाद भगवान ने उन्हें यह खुशियां दी। बस अब उनकी खुशियों को किसी की नजर ना लगे" श्रेया ने कहा। 
    "लेकिन अभी फिलहाल उनके लिए शॉपिंग करनी है। कल सगाई है और करवा चौथ भी। सारांश ने जबरदस्ती भेजा है शॉपिंग के लिए। उन्हें पता नहीं शॉपिंग मे इतना मजा क्यों आता है! अब चल जल्दी काम निपटाते हैं", अवनि ने चिढ़ कर कहा। 
     " अवनि!!! शॉपिंग कोई काम नहीं होता है वह तो फन होता है जो तुम्हारी समझ में नहीं आएगा। पता नही कैसी लड़की है ये। काश काव्या दि होती हमारे साथ तो मजा ही  जाता। उन्हें भी पता नही इतनी जल्दी को थी! मेरी शादी तक तो रुक जाती। अच्छा है अवनि जो तूने और सारांश ने बेबी प्लानिंग कर ली है वरना तो तु भी घर मे बैठी बोर हो रही होती।" श्रेया ने कहा और आगे बढ़ गयी। 
    अवनि श्रेया की बातें सुन अचानक से रुक गयी। "बेबी प्लानिंग!!! नही, मैंने और सारांश ने तो इस बारे मे कभी सोचा ही नही और ना ही कभी बात ही की। तो फिर क्यों मै अभी तक....!" सोचते हुए बरबस ही अवनि को श्यामा का ख्याल  गया और वह डर से काँप गयी। 

क्रमश: