Chapter 84

Chapter 84

YHAGK 83

Chapter

 83




    मानसी को अचानक से कुछ याद आया और वो एकदम से नेहा से पूछ बैठी, "नेहा.......! विहान के मम्मी पापा उस दिन यहां क्यों आए थे? मतलब इससे पहले तो वह कभी हमारे घर नहीं आए। जहां तक मुझे याद है मैंने उन्हें देखा तक नहीं था तो फिर वह लोग यहां क्या करने आए थे?" 


     नेहा बाहर की तरफ देखते हुए बोली, "किस्मत भी अजीब सा मजाक करती है भाभी! जब हम खुशियों के इंतजार में होते हैं और जब खुशियां हमारे दरवाजे पर आती है लेकिन एकदम से हमारी किस्मत ऐसा रंग दिखाती है कि हम चाह कर भी खुश नहीं हो पाते और फिर जब हम दर्द में डूबे होते हैं खुशियां एकदम से ऐसे दरवाजे पर आ जाती है कि हम चाह कर भी खुश नहीं हो पाते। हमारी लाइफ में भी यही सब तो हो रहा है। उस दिन विहान के मम्मी पापा हमारे रिश्ते के बारे में बात करने आए थे। शरण्या ने हीं बताया मुझे। इस पल का मैंने ना जाने कब से इंतजार किया था और जब वो दिन आया भी तो ऐसे मौके पर के कोई कुछ कह भी नहीं पाया। खैर छोड़िए यह सब.......! अगर मेरी किस्मत में विहान का साथ लिखा है तो फिर कैसे भी करके हम साथ होंगे ही। लेकिन अगर नहीं लिखा तो चाहे कुछ भी कर ले हम कभी साथ नहीं हो सकते। फिर भी एक उम्मीद मन में है भाभी! एक दिन हम जरूर साथ होंगे।अब वह सब छोड़िए और जल्दी से खाना खा लीजिए। इसमें आप ना नुकूर नहीं कर सकती क्योंकि जब तक आप खाना नहीं खाएंगे घर में कोई नहीं खाएगा।"


     मानसी ने सुना तो मुस्कुरा उठी। नेहा ने अपने हाथों से अपनी भाभी को खाना खिलाया और कमरे से बाहर चली गई। मानसी का चेहरा एक बार फिर कुछ सोचते हुए सख्त हो गया। उसने अपना फोन उठाया और सीधे सीधे विहान को कॉल लगा दिया। विहान उस वक्त काफी थका हुआ था और सो रहा था। पिछले कुछ वक्त से उसका दिमाग इन्हीं सब में उलझा हुआ था जिस वजह से वह काफी थका हुआ सा रहता था। अभी वह नींद में ही था तभी उसका फोन बजा। उसने बिना नंबर देखें आधी नींद में फोन उठाया और कान से लगाते हुए हेलो बोला। उधर से मानसी की आवाज आई, "विहान.........! क्या तुम फ्री हो?"


     मानसी की आवाज सुनकर विहान की नींद एकदम से उड़ गई। वह हड़बड़ा कर बिस्तर पर उठ बैठा और बोला, "तुम्हें यह पूछने की जरूरत ही नहीं है मानसी! तुम जब चाहे मुझे फोन कर सकती हो। मेरे पास तुम्हारे लिए वक्त ही वक्त है। बोलो क्या बात करनी है?"


    मानसी सीधे सीधे मुद्दे पर आई और बोली, "विहान.....! अब तो अपनी जिद छोड़ दो। जब किस्मत ही नहीं चाहती तो फिर तुम क्यों सब से लड़ना चाहते हो? क्यों खुद को आजमाना चाहते हो? इस सब से कुछ नहीं मिलने वाला। अगर हमें साथ हो ना होता तो हम कभी अलग होते ही नहीं, और ना मैं कभी अमित के चंगुल में फंसती। भूल जाओ मुझे!!! भूल जाओ कि हम कभी मिले भी थे। हमारे बीच कभी कोई एहसास भी था। अब हम चाह कर भी एक नहीं हो सकते विहान। मैं प्रेग्नेंट हूं और मैं नहीं जानती कि यह बच्चा............. विहान यह बच्चा इस घर की उम्मीद है और मैं इस उम्मीद को नहीं तोड़ सकती। इस घर ने मुझे बहुत प्यार दिया है, फिर चाहे अमित ने मेरे साथ जो भी किया हो। इस घर के लोग अभी भी मेरे अपने हैं। हमारे रास्ते न कभी मिले थे और ना कभी मिलेंगे। अब इस जिद को छोड़ दो क्योंकि यह जिद हमें कहीं नहीं लेकर जाएगी, हम अपनों से दूर हो जाएंगे और विहान......! मुझे उम्मीद है तुम मेरी बात समझ रहे हो। बस अब इस बारे में मैं ना कुछ कहना चाहती हूं ना ही कुछ सुनना चाहती हूं। तुमने जो मेरे लिए किया है उसका एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी लेकिन इससे ज्यादा अब कुछ नहीं चाहती। बस इतना सा रहम कर दो मुझ पर कि अब क्भी खुद को मेरे साथ जोड़ना की कोशिश मत करना।"


    विहान ने कुछ कहना चाहा लेकिन तब तक मानसी फोन रख चुकी थी। विहान को कुछ समझ नहीं आया कि आखिर उसे क्या करना चाहिए। बड़ी मुश्किल से उसने अमित को मानसी की लाइफ से निकाला था और अब यह बच्चा.....! आखिर क्यों किस्मत उसे मानसी से मिलने नहीं देना चाहती थी? क्यों वक्त हालात सब उन दोनों के खिलाफ है? क्या प्यार की राह इतनी मुश्किल होती है? यह सोचते हुए विहान की आंखों में आंसू आ गए। 


    दो हफ्ते बाद अमित की माँ ने उसके नाम से घर में पूजा रखी थी और मंदिर में दान की व्यवस्था करवाई थी। वैशाख पूर्णिमा का दिन था और उस दिन मंदिर पंडित जी ने विशेष पूजा का भी प्रबंध किया था। विहान के मम्मी पापा जल्द से जल्द विहान और नेहा की शादी करवाना चाहते थे ताकि विहान अपने फ्यूचर को लेकर जिम्मेदार हो सके। अमित को गए अभी लगभग एक महीना ही हुआ था ऐसे में उन दोनों के रिश्ते की बात चलाना सही तो नहीं था लेकिन शुभ काम जितनी जल्दी हो सके इतना जल्दी कर देनी चाहिए यह सोचकर ही उन दोनों ने आज ही मंदिर में उन दोनों के रिश्ते की बात करने की सोची और ललित अनन्या से इस बारे में सलाह मशविरा कर दोनों निकल गए। 


     मंदिर में इस समय पूजा चल रही थी। उसके बाद अमित के घर वालों ने सब को खाना खिलाना शुरू किया। विहान के मम्मी पापा ने भी इस सब में उनका पूरा साथ दिया आखिर वह लोग भी उनके रिश्तेदार बनने जा रहे थे। और विहान भी उनके साथ ही था। मानसी को सफेद साड़ी में लिपटा देख विहान को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन इस वक्त वह सबके सामने उससे कुछ कह भी नहीं सकता था। 


      इधर शरण्या को सब पता चला कि उसके छोटे पापा और छोटी मां विहान का रिश्ता लेकर नेहा के मम्मी पापा से मिलने आए मंदिर गए हैं तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा। वह भागते हुए अपने कमरे में आई और सबसे पहले यह खुशखबरी उसने रूद्र को बताने की सोची। एक दो रिंग में ही रूद्र ने फोन उठा लिया। उस टाइम वह अपनी आर्ट गैलरी जाने की तैयारी कर रहा था। शरण्या की खिलखिलाती हुए आवाज सुनकर रूद्र बोला, "क्या बात है!!! आज तुम कुछ ज्यादा ही खुश लग रही हो। पिछले कुछ दिनों से तो हमेशा तुम्हारी मायूस आवाज ही सुनता आया हूं। आज एकदम से इतनी खुशी!!! आखिर इस खुशी का राज क्या है?"


     शरण्या बोली, "कभी कभी ना, खुशियां हमारे पीछे पीछे चलती है लेकिन हम उसे देख नहीं पाते लेकिन जब वह अचानक से हमारे सामने आ जाती है तो इंसान ऐसे ही खुश हो जाता है। जब एक तकलीफ के बाद खुशी आती है ना उस खुशी का मजा दुगना होता। मेरे साथ भी ऐसा ही है। 


     रूद्र बोला, "ऐसी कौन सी खुशी मिल गयी तुझे? मैंने तो कुछ किया भी नहीं! मतलब समझ रही है ना तु........."


     शरण्या बुरी तरह से शरमा गई और बोली, "तेरा क्या दिमाग खराब है? खुशखबरी का मतलब सिर्फ वही एक नहीं होता! और जब तूने कुछ किया नहीं तो तु उम्मीद कैसे कर सकता है? खुशखबरी यह है कि अब विहान की भी शादी तय होने जा रही है। वो तो पिछले महीने ही हो गई होती अगर अमित भैया वाला इंसीडेंट ना हुआ होता तो........ खैर! आज मंदिर में उनके नाम से पूजा रखवाई गई है ना तो छोटे पापा और छोटी मां दोनों गए हैं। वही मंदिर में ही विहान और नेहा के रिश्ते की बात करने। वैसे देखा जाए तो मंदिर से बेहतर जगह और कोई हो ही नहीं सकती। उन सब पर इतना कुछ गुजरा है, इसी बहाने उस घर में थोड़ी तो खुशियां आएंगी।"


      रूद्र ने सुना तो उसके हाथ से फोन गिरते गिरते बचा। उसने जल्दी से अपना फोन संभाला और सवाल किया, "विहान के मम्मी पापा नेहा के साथ उसकी शादी की बात करने गए हैं?"


     शरण्या बोली, "हाँ....! लेकिन तू इतना परेशान क्यों हो रहा है? तुझे यकीन ही नहीं हो रहा है इस बात पर? वैसे भी विहान और नेहा तो एक दूसरे को डेट कर रहे थे ना! मतलब ऑफिशियली ही नहीं अनऑफिशियली तो कर ही रहे है। मैंने ही बताया उन्हें, और फिर से नेहा ने भी इस बात को कंफर्म किया था। हालांकि मैंने विहान से नहीं पूछा लेकिन मुझे नहीं लगता है इसमें उससे पूछने वाली कोई बात है। 


     रूद्र ने अपना सिर पीट लिया और बोला, "तुझे किसने कहा था उनको विहान और नेहा के बारे में बताने को? तेरा दिमाग खराब है क्या? तूने नेहा से पूछ लिया लेकिन एक बार भी विहान से नहीं पूछा? शरण्या........! बात दोनों तरफ से होती है। किसी एक से पूछने से नहीं होता। विहान ने कभी भी नेहा को कहा कि वह उसे प्यार करता है? और तुझे ऐसा क्यों लगता है कि विहान नेहा को पसंद करता है? तुझे एहसास भी है तूने क्या किया है? और विहान कहां है? कहीं वह भी तो मंदिर नहीं चला गया सबके साथ? उसे पता भी नहीं है यार!!!"


   शरण्या हैरान होकर बोली, "तेरे कहने का मतलब क्या है? विहान नेहा से को पसंद नहीं करता तो किसे करता है? इतने दिनों से वो नेहा के घर के आसपास मंडरा रहा है, इस सब से क्या मतलब है? वो उसके घरवालों की वह इतनी मदद कर रहा है, इससे तो यही समझ में आता है ना कि विहान भी नेहा को पसंद करता है जैसे नेहा उसे करती है। नए साल के दिन भी वह पूरी रात नेहा के हॉस्पिटल में ही था। अपने सारे प्रोग्राम को कैंसिल करके वह ऐसे ही हॉस्पिटल में नेहा को टाइम देगा? तेरा दिमाग तो ठिकाने पर है? तेरा दोस्त है वह, इसके बावजूद तुझे उसके दिल की बात नहीं पता?"


      रूद्र उसे समझाते हुए बोला, "विहान किसी लड़की को पसंद करता है। वह भी आज से नहीं पिछले दो सालों से। उसकी लाइफ में कोई है जिसके लिए वह पागल है। और तु सोच भी नहीं सकती वो कौन है! एटलिस्ट वह नेहा तो बिल्कुल भी नहीं है। शरण्या...........! विहान मानसी को पसंद करता है नेहा को नहीं। और यह जो स्यापा तूने फैलाया है ना........ पता नहीं विहान के साथ क्या होने वाला है! एक तो वैसे ही उन दोनों के रास्ते में बहुत सी मुसीबतें है। अब जाकर लगा शायद वह और मानसी एक हो सकते हैं तो इस बीच मासी की प्रेगनेंसी......... तू सोच भी नहीं सकती कि विहान मानसी से कितना ज्यादा प्यार करता है। जब से वह उससे मिली है तब से उसने किसी और लड़की की तरफ नजर उठाकर नहीं देखा। ऐसे में तुझे लगता है कि वो नेहा से शादी के लिए तैयार होगा? कभी नहीं! 


    शरण्या के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे यकीन नहीं हुआ जो कुछ भी उसने अभी सुना। अपने कानों पर यकीन करने के लिए उसने फिर सवाल किया, "तेरे कहने का मतलब विहान नेहा से नहीं बल्कि उसकी भाभी से प्यार करता है? मानसी भाभी शादीशुदा है, अमित भैया की पत्नी है वह और अभी प्रेग्नेंट है। वह ऐसा कैसे कर सकता है? तु जाक कर रहा ना! देख इस बारे में मजाक नहीं। मैं जानती हूं तू मेरी टांग खिंचाई करने से बाज नहीं आता लेकिन यहां बात तेरे दोस्त की है। ऐसे मामले में इस तरह नहीं..........!"


     रूद्र ने एक गहरी सांस ली और बोला, "मैंने जो भी कहा बिल्कुल सच कहा है। इसमें झूठ कुछ भी नहीं। विहान मानसी से प्यार करता है वह भी आज से नहीं पिछले काफी समय से, जब उसकी अमित से मुलाकात भी नहीं हुई थी। लेकिन यहां बस इतनी सी नहीं है। घरवाले किस तरह से रिएक्ट करेंगे उस सब से भी बढ़कर, नेहा किस तरह से रिएक्ट करेगी? मैंने उसे नहीं रोका, कभी नहीं रोका क्योंकि मुझे पता था विहान कभी मानसी के शादीशुदा लाइफ में इंटरफेयर नहीं करेगा लेकिन जिस लड़की से वह प्यार करता है उसको ऐसे बीच मझधार में छोड़ देना, क्या ये सही होगा? एक वह वक्त था जब उसने मानसी के प्यार को नहीं समझा। उसके जाने के बाद पागलों की तरह उसे ढूंढता रहा लेकिन अब जब किस्मत में उसे और एक मौका दिया है अपने प्यार को पाने का तो क्या तू चाहेगी कि विहान को उसका प्यार ना मिले? अगर नेहा से उसकी शादी तय हो गई ना, तो वह कभी नेहा से प्यार नहीं कर पाएगा। तू खुद सोच कर देख फिर सारा सिचुएशन कितना अजीब हो जाएगा। हमें इस सब को यहीं रोकना होगा। तु चलेगी मंदिर?"


      "हाँ मैं चलूंगी!" शरण्या ने कहा और जल्दी से उसने अपने कपड़े बदल लिए।








क्रमश: