Chapter 131
YHAGK 130
Chapter
130
रूद्र लावण्या का चेहरा देख रहा था और उस चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। लावण्या के चेहरे पर थोड़े सख्त भाव थे लेकिन रूद्र के चेहरे पर हल्की सी भी शीकन नहीं थी। वह बिल्कुल शांत बैठा रहा। उसने इस मामले में कुछ कहना सही नहीं समझा।
रेहान ने जब लावण्या का सवाल सुना तब थोड़ा घबरा गया और लड़खड़ाती जुबान में बोला, "कैसी बात कर रही हो तुम लावण्या? पहली बार हमारी लड़ाई हुई थी उस दिन, इसीलिए मैं इस दिन को याद नहीं करना चाहता। और वैसे भी उसके बाद हमारी शादी हो गई, राहुल हमारी जिंदगी में आया तो मेरी कोई भी पार्टी तुम्हारे और राहुल के बिना होती है क्या? कहीं और जाने की बजाय घर में सब के साथ इंजॉय करना मुझे ज्यादा अच्छा लगता है।"
रेहान का जवाब सुनकर लावण्या ने एक तीखी मुस्कान दी और रूद्र की तरफ् देखते हुए कहा, "वैसे रूद्र! इशिता कहां है? तुम दोनों तो बहुत पहले अलग हो गए थे ना! अब तक तो उसने अपनी नई लाइफ शुरू कर दी होगी।"
रूद्र अपनी फाइल में बिजी था। उसने बिना लावण्या की तरफ देखे कहा, "हां उसकी एक बेटी है। तकरीबन 3 साल की होगी। गया था उसकी शादी में। उसका हस्बैंड उससे बहुत प्यार करता है। बहुत खुश है वह अपनी लाइफ में। जब उसकी बेटी हुई थी तब उसने तस्वीर भेजी थी, बड़ी प्यारी है वो। बिल्कुल अपने पापा पर गई है। अच्छा लगता है जब उन तीनों को एक साथ खुश देखता हूं। फाइनली वह भी अपनी लाइफ में सेटल हो गई है।"
रूद्र का ध्यान फाइल के कुछ पन्नों पर था जिन्हें वो बड़े ध्यान से देख रहा था जिस वजह से उसे ध्यान ही नहीं रहा कि उसने क्या जवाब दिया है और ना ही उसे यह ध्यान रहा कि सारे घर वाले वहीं पर थे। अनन्या जी और मिस्टर रॉय हैरानी से एक दूसरे को देख रहे थे। जिस वजह से लावण्या रूद्र से नफरत करती थी आज वही लावण्या रूद्र से उसी बारे में बात कर रही थी, वह भी इतने नॉर्मल होकर! यह उनके समझ से बाहर था।
इशिता का जिक्र सुनकर रेहान थोड़ा असहज हो गया। उसे वहां बैठना सही नहीं लगा और उठते हुए बोला, "मै ऑफिस के लिए निकलता हूं, कुछ जरूरी काम था।"
लावण्या बोली, "कम ऑन रेहान! आज सब को छुट्टी दे रखी है हमने, आज भी तुम्हें काम करना है? कम से कम आज के दिन तो अपने बच्चों के साथ रहो तुम।"
रेहान एकदम से बोल पड़ा, "मेरा एक ही बेटा है लावण्या!!"
लावण्या मुस्कुरा कर बोली, "तो मैंने कब कहा कि तुम्हारे दो बच्चे हैं!! इसमें इतना घबराने वाली क्या बात है? देखो तो, इस सर्दी में भी तुम्हारे माथे पर पसीना आ रहा है। तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?"
रेहान का हाथ अपने माथे पर चला गया जहां पसीने की हल्की बूंदे छलक आई थी। पेन पकड़े रूद्र के हाथ वहीं रुक गए। उसे सारा माजरा समझते देर न लगी। रेहान अपनी सफाई में कुछ कहता उसी वक्त मौली भागते हुए आई और पीछे से रुद्र के गले से लिपट गई। रूद्र एक हाथ से उसके चेहरे को छूकर बोला, "क्या हुआ मेरा बच्चा? फिर से लड़ाई हुई क्या तुम लोगों की?"
मौली बच्चों की तरह जिद करते हुए बोली, "डैड......! मुझे भी एक छोटा बेबी चाहिए। मानव मुझे अपने छोटे बेबी के साथ खेलने नहीं दे रहा।"
रूद्र को हंसी आ गई। उसने कहा, "जब आप छोटे थे ना, तब मैं भी ऐसे ही करता था। किसी को भी आपके पास नहीं आने देता था। आप भी जब बड़े हो जाओगे ना और जब आपकी शादी होगी, आपका कोई बेबी होगा तो आप भी उसी तरह पोजेसिव बिहेव करोगे।"
मौली बच्चों की तरह मचलते हुए बोली, "लेकिन मैं आपकी बेटी हूं डैड!! और वह मानव का भाई है। मुझे भी एक छोटा बेबी चाहिए। भाई या बहन कुछ भी, लेकिन चाहिए!!!"
रूद्र के लिए यह हालात बड़े अजीब थे। मौली ने कभी भी इस तरह बच्चों वाली हरकत नहीं की थी। ऐसे हालात में वह मौली को क्या जवाब दें यह उसे समझ नहीं आ रहा था। रूद्र ने एकदम से बात पलटते हुए कहा, "वैसे कुछ डिसाइड किया आज कहां जाना है? आज पूरे दिन मैं फ्री हूं। हम जहां चाहे जा सकते हैं।
लावण्या बोली, "यहां पास में ही एक मॉल है जहां बच्चों के लिए क्रिसमस पार्टी रखी गई है। तुम लोग चाहो तो वहां जा सकते हो।"
राहुल और मानव जैसे ही अंदर आए, क्रिसमस पार्टी का नाम सुनकर ही वह दोनों खुशी से उछल पड़े और बोले, "वाव! क्रिसमस पार्टी!! हम जरूर जाएंगे।"
उन दोनों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी लेकिन रूद्र बिना मौली की तरफ देखें समझ गया और बोला, "अब आपको कहां जाना है?"
मौली रूद्र के गले से और लिपटते हुए बोली, "आज तो अटल जी का भी जन्मदिन है ना!"
मौली की बात सुन रूद्र मुस्कुराए बिना ना रह सका और बोला, "फिर तो प्रॉब्लम हो गई! राहुल और मानव को क्रिसमस पार्टी में जाना है और आपको कहीं और! फिर कैसे होगा?"
मौली ने कहा, "कोई बात नहीं! आप अगर चाहे तो उन दोनों चंगु मंगू को अपने साथ ले जा सकते हैं, मैं विहान मामू के साथ चली जाऊंगी।"
विहान इससे पहले भी मौली को अपने साथ घुमाने ले जा चुका था। वह सारी बातें याद आते ही वह घबराते हुए बोला, "मैं राहुल और मानव को अपने साथ ले जाने को तैयार हूं। साथ में और 10 बच्चों को भी ले जाने को तैयार हूं लेकिन मौली को नहीं! वह अकेले शैतानों के पूरे फौज के बराबर है। मुझे माफ कर दे ये मेरे से नहीं होगा।"
राहुल और मानव ने सुना तो उन्हें बहुत अजीब लगा। राहुल ने मौली को चिढ़ाते हुए कहा, "अब यह अटल जी कौन है? तुम्हारे नानू है क्या?"
मौली मुस्कुरा कर बोली, "कितनी अजीब बात है ना! जो सेंटा कभी इंडिया नहीं आया उस सैंटा का इंतजार करोगे लेकिन जो इंसान इस देश के लिए इतना कुछ कर गया उसका नाम तक नहीं जानते हो तुम लोग? सो सैड ना! तुम लोग जाओ सेंटा को मनाने, मुझे तो अटल जी की समाधि पर जाना है उन को बर्थडे विश करने। पापा मैं तैयार होकर आती हूं।"
रूद्र ने हां में सर हिला दिया तो मौली वहां से चली गई। रजत काफी देर से खड़ा था तो रूद्र बोला, "तुम्हें कहीं जाना है आज?"
रजत ने जैसे ही कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोला, रूद्र बोला,"नेहा के हॉस्पिटल जाना होगा, है न?"
बेचारा रजत! उससे कुछ कहते नहीं बना तो रूद्र मुस्कुरा कर बोला, "लोग बीमार होते है तो हॉस्पिटल जाते है, तुम तो हॉस्पिटल जाकर बीमार हो रहे हो! लगता है नेहा के लिए आज सैंटा आने वाला है।"
रजत ने सर झुका कर कहा, "ऐसा कुछ नहीं है सर!"
रूद्र बोला, "अपने ज़माने मे हमने भी रेडियो स्टेशन के बड़े चक्कर काटे है। ऐसे चक्करों को बड़े अच्छे से समझते है, क्यो विहान?" रूद्र की बात सुन विहान मुस्कुरा दिया लेकिन फिर उसकी प्रेग्नेन्सी के बारे में सोच कर चुप हो गया। उसने मानसी तरफ देखा जो इसी बारे मे सोच रही थी। रजत वहाँ रुका नहीं और चला गया।
छोटा आदर्श एकदम से रोने लगा। शरण्या लाख कोशिशों के बावजूद उसे चुप नहीं करा पाई। रूद्र ने देखा तो शरण्या के पास गया और आदर्श को अपनी गोद में ले लिया। उसे समझते देर न लगी और उसने मानसी को आवाज देते हुए कहा, "मानसी...! इसे भूख लगी है।"
मानसी जल्दी से आई और आदर्श को अपनी गोद में लेकर चली गई। शरण्या हैरानी से रूद्र को देखने लगी तो रूद्र ने बोला, "एक्सपीरियंस है भई! तुम्हें चाहिए तो बोलो....... .एक्सपीरियंस!"
रूद्र ने जिस शरारत से कहा, शरण्या ने उसे कंधे पर एक मुक्का मारा और शरमा कर वहां से चली गई। रेहान सबके बीच बैठा हुआ था लेकिन उसे लावण्या आज पूरी तरह से बदली हुई नजर आ रही थी। वह वहां से उठकर जाना चाहता था लेकिन जा नहीं पा रहा था। मिस्टर रॉय को कुछ काम था इसलिए वह वहां से उठकर धनराज जी के साथ दूसरी तरफ चले गए। अकेला बैठा रेहान को मौका मिल गया वहां से साइड होने का तो वह भी बहाना बनाकर वहां से निकल गया। लेकिन जैसे ही वह वहां से निकला लावण्या उसे सुनाते हुए बोली, "मॉम....! जब आपको पता चला कि डैड ने आपको चीट किया है, उस वक्त आपको कैसा लगा था?"
रेहान के कदम सीढ़ियों पर ठहर गए। लावण्या यही तो चाहती थी। अनन्या जी ने जब अपनी बेटी के मुंह से अचानक ऐसी बात सुनी तो उन्हें बहुत अजीब लगा। उन्होंने हैरानी से लावण्या की तरफ देखा तो लावण्या बोली, "आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया मॉम! जब आपको पता चला कि डैड ने आपको धोखा दिया है उस वक्त आपको कैसा लगा था? मैं समझ सकती हूं वह दर्द बयान नहीं किया जा सकता। बहुत तकलीफ होती है ना, अगर आपका पति आपके अलावा किसी और की तरफ देखे भी। एक लड़की अपना सब कुछ बांट सकती है लेकिन अपना पति नहीं। नफरत हो गई होगी आपको डैड से। दिल कर रहा होगा सब कुछ छोड़ छोड़कर चले जाए, है ना?"
अनन्या जी को वो सारे पल याद आ गए। उनके सीने में एक टीस सी उठी। उन्होंने आंखें मूंद ली और खुद को शांत करने की कोशिश करने लगी। लावण्या उनके गले लगते हुए बोली, "मुझे माफ कर देना मॉम! मैं जानती हूं मैं आपकी तकलीफ को बढ़ा रही हूं लेकिन फिर भी, यह वह घाव है जो वक्त के साथ कभी भरता नहीं। यह वह दर्द है जो कभी कम नहीं हो सकता। मुझे बस शरण्या की चिंता है। जब उसे सब कुछ याद आएगा तब क्या होगा? सच कहूं माँ तो जब मुझे पता चला कि डैड ने आपको चिट् किया है और शरण्या मेरी सगी बहन नहीं है, उस वक्त मुझे डैड से नफरत हो गई थी। लेकिन वह मेरे डैड है मैं उनसे प्यार करना भी नहीं छोड़ सकती! किसी भी रिश्ते में प्यार और रिस्पेक्ट दोनों जरूरी होता है। सिर्फ मेरे लिए उस घर में रुकी, है ना? अगर मैं नहीं होती तो आप बहुत पहले ही उन्हें छोड़ कर चली गई होती। तब भी कुछ नहीं बिगड़ा था मॉम! आप उस वक्त भी उन्हें तलाक दे सकती थी, मैं आपको सपोर्ट करती। किसी धोखे को उम्र भर जीने से बेहतर है उस रिश्ते को ही खत्म कर दिया जाए क्योंकि वह एक धोखा हमसे हमारी सारी खुशी छीन लेता है। उस रिश्ते में सिर्फ गांठ रह जाती है उन्हें तोड़ देना चाहिए, है ना रेहान?"
लावण्या की सारी बातें सुनकर ही रेहान कांप गया। उससे कुछ कहा नहीं जा रहा था। अनन्या जी बोली, "रिश्ते जोड़ना जितना आसान होता है उन्हें तोड़ना उससे भी ज्यादा मुश्किल होता है और निभाना तो और भी ज्यादा मुश्किल! किसी रिश्ते में अगर धोखा मिले तो चाहे हम लोग उस रिश्ते को तोड़ने की कोशिश करें तो भी इतना आसान नहीं होता। मैं अगर तेरे डैड से तलाक ले भी लेती फिर भी हम दोनों के बीच एक कड़ी थी और वह थी तुम। एक बच्चे के लिए मां-बाप दोनों जरूरी होते हैं और अपने बच्चे के लिए एक औरत कोई भी दर्द सहने को तैयार हो जाती है। मैं चाहती तो सब कुछ छोड़ कर एक नई जिंदगी शुरु कर सकती थी लेकिन फिर तुम्हारा क्या होता?"
लावण्या बोली कोई भी बच्चा अपने मां-बाप के बीच प्यार को देखकर ही बड़ा होता है माँ! उन्हें महसूस करके ही खुश रहता है। अगर दोनों मे प्यार ना हो तो उनका अलग हो जाना ही सही है। मुझे बस अपनी बहन की फिक्र है। उसकी माँ ने जो आपके साथ किया वही उसके साथ हुआ।"
अनन्या जी बोली, "ऐसा नही बोलते बच्चा! जो कुछ भी हुआ वो किसी के भी साथ ना हो। जितनी गलती श्रृजिता की थी उससे कहीं ज्यादा गलती तेरे डैड की थी। शरण्या की इस सबमें क्या गलती? उसके साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था। रूद्र उससे बहुत प्यार करता है। जो भी हुआ वो क्यो हुआ ये तो नही पता लेकिन रूद्र की आँखों मे मुझे सच्चाई नजर आती है। बाकी सब सिर्फ शरण्या के फैसले पर टिका है।"
रेहान से और कुछ सुना नहीं गया और वो वहाँ से चला गया। लावण्या के आँखों मे नमी थी।