Chapter 93

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humsafar 93

Chapter

93







     सुबह-सुबह सारांश और कार्तिक बाहर जाने के बजाय घर की छत पर ही सुबह की एक्सरसाइज करने मैं लगे थे और साथ ही ऑफिस की बातें भी।  काम की बातें करते हुए ना जाने सारांश को क्या सूझा, उसने कार्तिक को काव्या की प्रेगनेंसी को लेकर छेड़ना शुरू कर दिया। कार्तिक ने पहले तो इग्नोर करना चाहा लेकिन जब उससे रहा नहीं गया तब उसने सारांश को मारना शुरू कर दिया। वह जितना मारता सारांश को उतनी ही हंसी आती। इस वक़्त दोनों अपने बचपन मे लौट गए थे। 

     अवनि उन दोनों के लिए वहीं पर जूस लेकर आई। आते ही जब उसकी नजर सारांश और कार्तिक पर गई तब उसकी चीख निकल गई। वह दोनों अभी इस वक्त जिस हालत में थे उसे देख कोई भी गलत सोच सकता था। कार्तिक इस वक्त बुरी तरह से सारांश के ऊपर चढ़ा हुआ था और बेचारा सारांश उसकी पकड़ से छूटने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा था। अवनि की चीख सुन उन दोनों की हंसी गायब हो गई और दोनों ही झेंप गए लेकिन अवनी को उन्हें चिढ़ाने का मौका मिल गया। 

       उन तीनों को ही शादी की रात याद आ गई जब बारात निकलने से पहले अवनी ने उन दोनों को ऐसे अजीब हालत में पकड़ा था,तभी सारांश का फोन बजा। एक अर्जेंट केस के सिलसिले में सारांश को उसी वक्त हॉस्पिटल के लिए निकलना पड़ा। कार्तिक ने कहा,"यार तू थकता नहीं है! कल दिनभर ऑफिस! फिर देर रात तक घर वापस आ गया और आज सुबह फिर हॉस्पिटल! तू सच में कहीं सुपर हीरो तो नहीं है?"

       "जब जिम्मेदारियां हो तो कोई भी इंसान सुपरहीरो हो सकता है, जैसे हर मां एक सुपर हीरो होती है तो क्या हम थोड़ा सा उनकी तरह नहीं बन सकते. रही बात ऑफिस की तो ऑफिस का काम मेरे अपनों के लिए मेरा जुनून है तो यह सब मेरे दिल का सुकून है। इसमें थकना क्या!" कहते हुए सारांश में अपना जूस का गिलास नीचे रखा और वहां से निकल गया। 

        सारांश अभी दो कदम आगे चला ही था कि वापस उल्टे पैर वह मुड़ा और पीछे से अवनी को कसकर गले लगाकर उसके गाल पर एक किस कर दिया और भाग गया। अवनी शर्मा कर रह गयी। "यह हमेशा से ऐसा ही है। बचपन में बहुत बड़ा हो गया था लेकिन बड़े होने पर बचपना नहीं गया", कार्तिक ने कहा फिर कुछ सोचकर उसने पूछा,"अवनि......! तुम्हारे और सारांश के बीच सब कुछ ठीक तो है ना?"

     "बिल्कुल जीजू!!! आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं", अवनी कार्तिक के अचानक से किए इस सवाल से चौक गई। 

   " नहीं.......! वह मैं बस वैसे ही", कार्तिक ने कहा। उसके दिमाग में शुभ वाली बात घूम रही थी। वह नहीं चाहता था कि अपनी को पता चले तो बस ऐसे ही बात टाल दी और बात बदलते हुए उसने कहा,"कल की पार्टी कैसी रही, मैं तो पूछना ही भूल गया!"

     " सिंपल थी लेकिन बहुत अमेजिंग थी और सबसे अमेजिंग थी हमारी चित्रा मैडम। उसका तो पूछो ही मत, आप उसे मुझसे बेटर जानते हो। वह कभी कोई काम सीधे ढंग से नहीं करती। पता है उसने क्या किया! गाउन के नीचे सैंडल की बजाय उसने स्पोर्ट्स शूज पहन रखा था और अपने जूस में उसने वाइन मिला रखा था। सच में जीजू...! मुझे तो डर लग रहा था कहीं वह नशे में कुछ गड़बड़ ना कर दे लेकिन भगवान का शुक्र है कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया। सबके जाने के बाद पल्लवी आंटी ने जब चित्रा से सवाल किया तो उसने मासूम सी शक्ल बनाकर कहां 'सारांश ने कहा था मैं निक्षय का खून भी पी सकती हूं, वो मुझे कुछ नहीं कहेगा लेकिन मैंने तो सिर्फ वाइन पी है वो भी थोड़ी सी' सीरियसली जीजू सारांश और निक्षय की शक्ल देखने लायक थीl"

       चित्रा के कारनामे सुन कार्तिक अपनी हंसी नहीं रोक पाया और बोला,"वह है ही ऐसी। बचपन से ही उटपटांग हरकतें करना उसकी आदत है। वह कब क्या कर जाएगी कब क्या बोल जाएगी, किसी को पता नहीं चलता। इन्फैक्ट उसे खुद भी पता नहीं चलता। 

      रज्जो किसी काम से छत पर आई और उसने अवनी से कहा "भाभी इनलॉ....! आपको जीजी माँ कॉल रही है।"  रज्जो की बात सुन अवनि ने कार्तिक को बाय बोला और नीचे चली आई। सीढ़ियों से उतरते हुए अचानक किसी ने उसका बाह पकड़कर दूसरी ओर खींच लिया। अवनि पहले तो घबरा गई लेकिन जब सामने शुभ को पाया तो उसके गुस्से की कोई सीमा न रही। "यह क्या बदतमीजी है शुभ? " अवनी ने दांत पीसते हुए कहा। 

     "बदतमीजी नहीं है डार्लिंग! बस थोड़ा सा काम था तुमसे और तुम तो आजकल इतनी बिजी रहती हो ना हमसे बात करने का मौका नहीं मिलता तो सोचा मौका निकाल दिया जाए"  शुभ ने बेशर्मी से कहा। 

.   " तुम्हारी बकवास के लिए मेरे पास टाइम नहीं है जो भी बकना है बको लेकिन सबके सामने और इज्जत से", अवनी गरजते हुए बोली। 

     "सबके सामने.......! बता दु मैं सबको तुम्हारे और मेरे रिश्ते का सच, तुम कहो तो!"  शुभ ने मुस्कुरा कर कहा। 

     "मुझे तुम्हारी बकवास सुनने में कोई इंटरेस्ट नहीं है और अगर तुम्हें लगता है कि हमारे रिश्ते को लेकर सारांश के मन में कोई बात आएगी तो यह तुम्हारा बस सपना भर है", अवनी ने कहा और वहां से जाने लगी। शुभ ने उसे रोकते हुए कहा, "मुझे सारांश के स्टडी रूम का पासकोड चाहिए।"

    " और तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुम्हारे मांगने पर वह पासकोड तुम्हें लाकर आसानी से दे दूंगी!" अवनि ने उसका मजाक बनाते हुए कहा तो शुभ भी मुस्कुरा दिया, "जानता हूं तुम मुझे इतनी आसानी से नहीं ला कर दोगी लेकिन वो क्या है, ना तुम जैसे लोग जो होते हैं वह इमोशनल फूल होते हैं जो खुद पर कोई भी तकलीफ झेल जाए लेकिन अपनों पर जरा सी खरोच भी आए तो उनकी जान निकल जाती है।"

     "तुम्हारे कहने का मतलब क्या है?" अवनि ने शक भरी निगाहों से शुभ को देखा। 

   "मेरे कहने का बस यही मतलब है अपनी मुझे सारांश के स्टडी रूम का पासकोड चाहिए, अगर! अगर!!अगर!!!अगर तुम अपनी बहन से प्यार करती हो तो......! सुना है की वो प्रेग्नेंट है और डॉक्टर ने बहुत संभलकर रहने को कहा है, काफी सारा आराम करने को कहा है। मान लो चलते फिरते अगर कहीं किसी चीज से टकरा गई या पैर फिसल गया या फिर कुछ और हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? तुम होगी अवनि! सिर्फ तुम!!इसीलिए कह रहा हूं कि सीधे-सीधे तो मुझे वह पासकोड लाकर दे दो और तुम्हारी बहन को कभी कुछ नहीं होगा" शुभ ने कहा। 

     "अपनी यह धमकी अपने पास रखो शुभ! तुम्हारे इस कोरी धमकी से मैं नहीं डरने वाली। इस घर में सबके होते हुए तुम मेरी बहन को नुकसान पहुंचाना तो दूर, सोच भी नहीं सकते", अपनी बात रख अवनि वहां से बिना पीछे मुड़े सीधी नीचे उतर गयी और सिया के कमरे में चली गई। अवनी जब सिया के कमरे में गई तो उसने वहां चित्रा और काव्या को पहले से ही मौजूद देखा। सुबह-सुबह चित्रा को आया देख अवनी खुश हो गई और साथ ही हैरान भी लेकिन उसे समझ नहीं आया कि इतनी सुबह सिया ने उन तीनों को यहां ऐसे क्यों बुलाया है! 

      अवनि को देख सिया ने अपने अलमारी में से पायल की 1 जोड़ी लाकर उन तीनों के बीच रख दिया और बोली, "यह पायल मैंने बड़े अरमानों से खरीदा है। जो चाहत मेरी और शरद की पूरी ना हो पाई वह मैं तुम तीनों से उम्मीद करती हूं। बहू और बेटी में कोई अंतर नहीं होता है और तुम तीनों ही मेरी बेटियां हो इसीलिए मैं तुम तीनों से कहती हूं कि तुम तीनों में से सबसे पहले जो मुझे एक पोती का चेहरा दिखाएगा यह हार उसका"  कहते हुए सिया ने एक हार का बड़ा सा डब्बा लाकर उन तीनों के सामने खोल दिया। 

      डब्बे में रखे उस हार को देखकर उन तीनों की आंखें खुशी से चमक उठी। चित्रा ने हार को अपने हाथ में लिया और बोली, "वाओ आंटी! ये हार सच में कितना खूबसूरत है। इसे देखकर मेरा मन कर रहा है कि मैं अभी के अभी शादी कर लूं!"  चित्रा की बात सुन वहां बैठे सभी हंस पड़े। अवनि को कार्तिक की कही बात याद आ गई कि चित्रा कब क्या बोल जाए उसे खुद भी पता नहीं चलता। तभी जानकी ने आकर सिया को बताया पंडित जी बाहर उनका इंतजार कर रहे हैं। 

       सिया उठकर बाहर आई और पंडित जी को हाथ जोड़कर नमस्कार किया। पंडित जी ने भी उनके सामने हाथ जोड़ लिए और अपनी झोली में से कुछ कागज निकालते हुए उन्होंने कहा, " पितृपक्ष आरंभ होने वाले हैं। इसी विषय में पूजा के लिए मैं आपसे बात करने आया था क्या इस साल सिद्धार्थ बेटा आ आएंगे?"

     " नहीं पंडित जी इस बार तो थोड़ा मुश्किल है क्योंकि सिद्धार्थ इस वक्त काफी व्यस्त चल रहा है और बच्चे की पढ़ाई भी है तो मुझे नहीं लगता इस साल सिद्धार्थ पूजा के लिए आ पाएगा", सिया ने कहा। 

    " मैं समझता हूं लेकिन बड़े बेटे होने के नाते मैं उनका फर्ज है कि अपने पितरों का श्राद्ध वह स्वयं करें लेकिन यदि वह नहीं आ सकते तो ऐसे में आपका छोटा बेटा भी यह पूजा कर सकता है", पंडित जी ने कहा तो सिया को भी यह बात सही लगी। 

    " जैसा आपको सही लगे पंडित जी। आप पूजा की तैयारी कीजिए, इस साल यह पूजा सारांश के हाथों ही होगी।" सिया ने कहा और पंडित जी को कुछ दान दक्षिणा देकर विदा किया। 

     कुछ देर बाद सारांश घर लौटा और आते ही वह सीधे नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया। अवनि परेशान सी अपने कमरे में इधर से उधर टहल रही थी। सारांश जब नहा कर वापस आया तो उसने अवनि को परेशान हालत में देखा। उसने अवनी का हाथ पकड़ सोफे पर बैठाया और उसका सर अपने कंधे पर रखकर उस का हाथ पकड़कर उसे शांत करने की कोशिश करने लगा," अब बताओ क्या परेशानी है इतनी बेचैन क्यों हो!"

       पहले तो अवनि थोड़ी झिझकी लेकिन उसने फिर सारांश को सारी बात बताने का फैसला किया। शुभ कि कहीं हर बात उसने सारांश को वैसे ही सुना दी जैसे शुभ ने कहा था। ना ही वह शुभ के सामने झुकना चाहती थी और ना ही काव्या को किसी प्रॉब्लम में डालना चाहती थी। लेकिन वह हैरान हो गई जब सारांश ने उसे कहा," उसे जो चाहिए तुम उसे दे दो। बस उसे लगना नहीं चाहिए कि तुम इतनी आसानी से मान गई हो वरना उसे शक हो जाएगा तुम समझ रही हो मैं क्या कह रहा हूं।"

   "लेकिन वहाँ आपके जरूरी पेपर्स है वो उसके हाथ..........!" कहते कहते अवनि रुक गयी और सारांश की ओर देखने लगी जो मुस्कुरा रहा था। अवनि समझ गयी की ये सब जो कुछ भी शुभ कर रहा है वो सब खुद सारांश ही उसे मजबूर कर रहा है। 

    अवनी तो इतनी देर से परेशान थी। सारांश की बातों ने उसके मूड को फिर से अच्छा कर दिया था। उसे खुश देख कर सारांश ने कहा, "अब जब मैंने तुम्हारा मूड अच्छा कर दिया तब यह तुम्हारा फर्ज बनता है कि तुम भी अब मेरा मूड सही कर दो। पता है सर्जरी में कितना एनर्जी लॉस्ट होता है!" सारांश ने मासूम सी शक्ल बना कर कहा। 

      "अभी इन सब का टाइम नहीं है और वैसे भी मैं कोई चार्जर नहीं हूं", कहकर अवनीउठी और जाने को हुई लेकिन सारांश ने उसका हाथ पकड़ अपनी तरफ खींच लिया ,"तुम चार्जर नहीं, मेरी एनर्जी का सोर्स हो", कहकर सारांश ने उसे गुदगुदी करना शुरू कर दिया। 


      काव्या को बुटीक से कॉल आया और वह डिलीवरी के बारे में पूरी जानकारी लेने लगी। बातों ही बातों में उसे पता चला कि तरुण का ऑफिस आज सुबह से ही बंद पड़ा है और वहां कोई भी नहीं है। काव्या कुछ देर के लिए चौक सी गई फिर उसकी नजर सामने में बैठकर काम कर रहे कार्तिक पर गई। काव्या को अपनी तरफ देखता पाकर कार्तिक ने उससे पूछा, "क्या हुआ? कुछ चाहिए तुम्हें?"

     "नहीं......! वो मैं बस........! कार्तिक! क्या तुम तरुण से मिले थे इन दिनों?" काव्या ने पूछा तो कार्तिक ने भी बिना कुछ छूपाए उसे सारी बातें बता दी, जो कुछ भी उसके और तरुण के बीच हुई थी," क्या हुआ कुछ हुआ है क्या? वह ठीक तो है?" कार्तिक ने पूछा। 

     "नहीं....! मतलब पता नहीं। वो उसका ऑफिस सुबह से बंद है। कुछ लोगों ने बताया कि वह कल रात को ही यहां से शिफ्ट हो गया कहीं और", फिर कुछ सोचकर काव्या ने गहरी सांस ली और कहा शायद अब उसे समझ में आ गया है और शायद अब वह अपनी लाइफ में आगे बढ़ने को तैयार है। चलो फाइनली अब मन में कोई गिल्ट ना रहेगा मेरे। जानते हो कार्तिक, शादी के बाद से लेकर अब तक जब भी मैंने दिल से खुश होने की कोशिश की है तब तब मुझे तरुण के ख्याल ने खुश नहीं होने दिया। लेकिन अब मैं पूरे दिल से खुश हो सकती हूं। अपने बच्चे के साथ हंस बोल सकती हु। सच में कार्तिक, अब ऐसा लग रहा है जैसे आब सब ठीक हो जाएगा" काव्या की बात सुन कार्तिक मुस्कुरा दिया और उठ कर उसके करीब आया। फिर उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर कार्तिक ने कहा, "हां काव्या! अब सब ठीक हो जाएगा। अब सब कुछ बिल्कुल सही हो जाएगा, जैसा होना चाहिए।" कहकर कार्तिक ने उसका माथा चूम लिया। 






क्रमश: