Chapter 93
YHAGK 92
Chapter
92
रूद्र की आंखों से नींद गायब थी लेकिन शरण्या गहरी नींद में सो चुकी थी। बस उसका चेहरा निहारते हुए रूद्र की पूरी रात कट गई। रूद्र सोचता ही रह गया जो कुछ भी अभी इस समय में उन दोनों के बीच हुआ, उसकी वजह क्या थी? आखिर शरण्या इतनी बेचैन क्यों थी और इस तरह से इतनी जिद्दी क्यों हो गई? अब तक तो उसने अच्छी तरह से सब कुछ संभाल रखा था और वो खुद भी इस बात को मानती थी। फिर अचानक से ऐसा क्या हो गया जो शरण्या पर किसी बात का कोई असर नहीं हो रहा था।
रूद्र ने शरण्या के चेहरे पर बाल की एक लट को दूसरी तरफ किया तो शरण्या की नींद खुली। उसनें रूद्र को अपनी तरफ देखता पाया तो अपनी नजरें नीची कर ली। वो जानती थी उसने कल रात उसे क्या करने पर मजबूर किया था। वह खुद भी इस बात से शर्मिंदा थी लेकिन पूरी दुनिया में खुद को अकेला पाकर शरण्या पूरी तरह से बेचैन हो गई थी। अचानक से एक सच ने उसके सारे रिश्ते सारे नातो को बेगाना कर दिया था। रूद्र के अलावा ऐसा कोई नहीं था जिससे वह अपनेपन की उम्मीद कर सकती थी। अचानक से उसे ऐसा लगने लगा, शायद रूद्र को जब उसकी सच्चाई पता चलेगी तब वह भी उससे किनारा कर लेगा। बस यही बात शरण्या की मन में बैठ गई।
शरण्या ने आंखें मूंद ली और रूद्र से बोली, "मुझे माफ कर देना। पता नहीं मुझे कल क्या हो गया था? मैं तुझे खो नहीं सकती इसीलिए तुझे पाने की जीद कर बैठी। मन में एक डर सा बैठ गया था।"
रूद्र बोला, "लेकिन तेरे मन में यह डर आया क्यों? कोई सपना देखा था क्या? या फिर किसी ने तुझसे कुछ कहा? देख!! मुझसे झूठ बोलने की कोशिश मत करना! तुझे कसम है मेरी।"
शरण्या में हिम्मत नहीं थी कि वह आंखें खोलकर रूद्र की तरह देख सके। उसने वैसे ही आंखें मूंदे कहा, "तेरी कसम!!! मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा। बस मन में एक डर सा लग रहा था कि कहीं तू मुझे.........!"
रूद्र ने जल्दी से उसके मुंह पर हाथ रखा और डांटते हुए बोला, "अपने डर की वजह से तूने जो मुझे डराया है, उसका क्या? तूने जो चाहा वह तेरा हक था, सिर्फ तेरा हक था! मैं उसके लिए तुझसे नाराज नहीं हूं। लेकिन उसके लिए तूने जिस तरीके का इस्तेमाल किया मैं उससे नाराज हूं। अगर तुझे कुछ हो जाता तो मैं क्या करता? अपनी जिद मनवाने के लिए तु किस हद तक चली गई थी तुझे एहसास भी है? आंखें खोल और मुझे देख! मेरा सामना कर! इस तरह आंखें मूंदकर तु मेरी नाराजगी और बढ़ा रही है।"
शरण्या ने सुना तो बड़ी मुश्किल से हिम्मत करके धीरे से अपनी आंखें खोली और रूद्र को देखा। उसके चेहरे पर नाराजगी साफ झलक रही थी और शरण्या की आंखों में लाचारी। रूद्र उसे बहुत कुछ सुनाना चाहता था, बहुत ही ज्यादा उसे डांटना चाहता था लेकिन शरण्या की आँखें देखकर उससे कुछ कहते नहीं बना। अपने गुस्से और नाराजगी को अपने अंदर दबाकर उसने शरण्या का हाथ पकड़ा और कहा, "तूने जो हरकत की है, उसके लिए मैं तुझको माफ कर रहा हूं। लेकिन तूने दुबारा अगर ऐसी कोई भी हरकत की तो मैं तुझे कभी माफ नहीं करूंगा। तेरी जिंदगी सिर्फ तेरी नहीं है। तुझसे ज्यादा उस पर मेरा हक है। और इस जिंदगी को अगर तूने गलती से भी चोट पहुंचाने की कोशिश की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
फिर उसके हाथ को अपने सर पर रखाकर बोला, "मेरी कसम खा कर बोल कि तू आगे से ऐसी कोई हरकत नहीं करेगी। तु खुद का ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखेगी और ऐसी बातें तु अपने सपने में भी नहीं लाएगी। वादा कर मुझसे, मेरी कसम खा!"
शरण्या के होठों पर मुस्कुराहट चली गई। उसने कहा, "मेरी जिंदगी अब मेरी कहा है। मैं तो तेरी हो चुकी और जो मेरा है ही नहीं मैं उसे नुकसान क्यों पहुंच जाऊंगी? तेरी कसम, मैं तेरी अमानत का खुदसे ज्यादा ख्याल रखूंगी। वैसे रात के अंधेरे में मुझे कुछ पता ही नहीं चला!" कहते हुए शरण्या ने उसके गले में बाहें डाल दिया। रूद्र उसके हाथों को पकड़ते हुए बोला, "शेरनी के मुंह में खून लग गया है। अब तो घर में जल्द से जल्द बात करनी होगी वरना तुने मुझे कच्चा
चबा जाना है।" शरण्या की हंसी छूट गई, "मैं तो तुझे अभी ही खाना चाहती हूं।"
रेहान के लिए आज का दिन बहुत खास था। लावण्या ने उसके लिए सरप्राइज प्लान किया था वह बहुत ही ज्यादा खूबसूरत था। शिखा जी मंदिर में पूजा कर बाहर निकली। उस वक्त रेहान और लावण्या दोनों ही वहां खड़े थे। उन दोनों को देखते ही शिखा जी ने पहले तो दोनों की नजर उतारी फिर रेहान को जन्मदिन की बधाई दी। रूद्र इस समय तक घर नहीं लौटा था। शिखा जी ने जब इधर उधर नजर दौड़ाई तो लावण्या समझ गई कि वह रूद्र को ढूंढ रही है।
लावण्या बोली, "माँ....! रूद्र घर पर नहीं है। अगर होता तो यहां आपके सामने जरूर होता और आपका आशीर्वाद लेता। इस वक्त वो बाहर है, अपने किसी खास दोस्त के साथ। शायद उसे आने में थोड़ी देर हो जाए।"
शिखा जी बोली, "हां उसने बताया था इस बारे में। पता नहीं यह लड़का कब सुधरेगा? दिन में ऐसे काम करता है जैसे कितना जिम्मेदार हो। रात को वापस से अपनी उसी जिंदगी में चला जाता है। पता नहीं ये लड़का सोता कब है? मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा।"
लावण्या प्यार से उनको पीछे से पकड़ते हुए बोली, "आप चिंता क्यों कर रही है माँ! वो अपने आप में ही जिम्मेदार है। और वह आज से नहीं, हमेशा से है। खुद को लेकर थोड़ा लापरवाह हो जाता है, आखिर कितना करेगा वो भी! दिन में सारी जिम्मेदारियां निभाता है, कम से कम रात को तो उसे अपने तरीके से जीने को मिलना चाहिए, है ना? हर किसी में इतनी हिम्मत नहीं होती है कि वह दूसरों के लिए भी जीए और खुद के लिए भी वक्त निकाले। हमें तो खुश होना चाहिए कि रूद्र ऐसा कर पा रहा है। वह सब छोड़िए माँ, नाश्ता तैयार है, चलीए सब लोग नाश्ता कर लेते हैं।"
लावण्या उन्हें लेकर डाइनिंग टेबल तक आई। उस समय तक रुद्र के अलावा सभी वहां मौजूद थे। नाश्ता करते हुए रेहान ने सब को एक खुशखबरी सुनाई जो लावण्या ने उसे पिछली रात ही बताया था। "मां पापा!! आप दोनों का प्रमोशन होने वाला है!"
शिखा और धनराज ने हैरानी से एक दूसरे की तरफ देखा और फिर रेहान की तरफ सवालिया नजरों से देखने लगे। रेहान मुस्कुराया तो शिखा जी एकदम से बोल पड़ी, "कहीं मैं दादी तो नहीं बनने वाली?"
रेहान बस मुस्कुरा दिया लेकिन कहा कुछ नहीं। शिखा जी की नजर सीधे लावण्या पर जा टिकी। लावण्या ने शर्म से अपनी नजर झुका ली। धनराज ने जब सुना उनकी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा। "यह बात और किसको पता है?लावण्या बेटा! आपने अपने घर में बताया सबको?"
लावण्या ने ना में सर हिला दिया और बोलि, "यह बात मैंने सबसे पहले रेहान को बताइ और आप सब लोगों को पता है। फिलहाल मैंने वहां किसी को कुछ नहीं बताया। यहां तक कि शरण्या भी इस बारे में कुछ नहीं जानती। 2 दिन पहले ही मैंने अपना कुछ टेस्ट करवाया था तब जाकर मुझे पता चला अपनी प्रेगनेंसी के बारे में। रेहान......! मेरे कुछ रिपोर्ट्स अभी हॉस्पिटल में ही है। क्या तुम उन्हें ला दोगे प्लीज?"
रेहान खाते-खाते एकदम से रुक गया और बोला, "मैं तो हॉस्पिटल नहीं जा पाऊंगा। आज कुछ अर्जेंट मीटिंग है मेरी लेकिन कोई बात नहीं मैं रूद्र को फोन कर दे रहा हूं। वह तो फ्री ही होगा। वह जाकर ले आएगा। मैं अभी उसे कॉल कर देता हूं।" कहकर रेहान ने अपना फोन पॉकेट से निकाल लिया और रूद्र का नंबर डायल करने लगा।
लावण्या ने सुना तो अचानक उसे कुछ याद आया और उसने जल्दी से रेहान के हाथ से फोन लेकर बंद कर दिया। रेहान को थोड़ा अजीब लगा तो लावण्या बोली, "इस वक्त उसे क्यों डिस्टर्ब करना? बाद में मैं ही उसे फोन कर दूंगी, ठीक है अगर मुझे याद नहीं रहा तो तुम दोपहर के करीब उसे फोन कर देना। अगर वह तब तक घर आ गया तो ठीक, वरना......... अभी इस वक्त उसे डिस्टर्ब मत करो।"
रेहान उसे ताना देते हुए बोला, "बहुत ज्यादा तरफदारी नहीं कर रही हो तुम उसकी? ये ज्यादा हो रहा है, मै देख रहा हूं तुम्हारा!"
रेहान ने अपना बैग उठाया और ऑफिस के लिए निकल गया। दोपहर के बाद एकदम से रेहान को याद आया और उसने रूद्र को फोन लगा दिया। रूद्र और शरण्या एक बार फिर सो चुके थे। फोन की घंटी सुनकर रूद्र की आंख खुली तो उसने अलसाई की आवाज में फोन उठाकर हेलो कहा।
उधर से रेहान की आवाज आई, "इस टाइम कौन सोता है भाई? हैप्पी बर्थडे....! तुझे भी और मुझे भी! अगर तू भूल गया है तो!! सुबह से ना कोई फोन ना कोई मैसेज, घर भी नहीं आया है। तु पूरी रात घर से बाहर है। थोड़ी तो शर्म कर लेता। आज सुबह पूजा के बाद मां ढूंढ रही थी तुझे।"
रूद्र ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला लेकिन उससे पहले रेहान एक बार फिर बोल पड़ा, "वह सब छोड़! तेरा जो भी काम हो वह सब बाद में करना और बाद में सो लेना। अभी जाकर हॉस्पिटल से लावण्या की रिपोर्ट उठा ले आ।
हॉस्पिटल का नाम सुनते ही रूद्र चौक गया और एकदम से बोला, "हॉस्पिटल......! लावण्या........! क्या हुआ है उसे? वह ठीक तो है? और कैसे रिपोर्ट है यह?"
रेहान बोला, "तुझे अपने आप से फुर्सत मिले तब तो तुझे कुछ पता चलेगा ना! तू चाचा बनने वाला है! लावण्या प्रेग्नेंट है। अब जा और जाकर उसकी रिपोर्ट कलेक्ट कर ले वरना वह मुझ पर ही बरस जाएगी। शरण्या को अभी इस बारे में कुछ पता नहीं है। शाम को वह खुद जाकर उसे बताएगी और अपने घर वालों को भी। चल बाय...!" कहकर रेहान ने जल्दी से फोन रख दिया।
रूद्र को एकदम से याद आया कि उसने रेहान को जन्मदिन की बधाई दी ही नहीं है और रेहान ने फोन काट भी दिया है। उसे दोबारा फोन करने के लिए उसने अपना फोन खोला फिर एकदम से उसके मन में यह बात आई कि फोन पर बधाई देने से बेहतर है घर पहुंच कर उसे खुद जन्मदिन विश करें। शरण्या अभी भी उसके सामने सोई हुई थी। रूद्र ने प्यार से उसके चेहरे पर हाथ फेरा और उसे जगाते हुए बोला, "शरू....! शरू.......! उठ जा, तुम्हारे लिए एक गुड न्यूज़ है। लेकिन समझ नहीं आता मैं तुझे क्या कहूं? ये कहूँ कि तू मासी बनने वाली है या यह कहूं कि तू चाची बनने वाली है?"
शरण्या आधी नींद में थी। वह वैसे ही बड़बड़ाई, "मैं क्यों चाची या मासी बनने लगी? मैं तो तेरे बच्चों की मां बनूंगी, तू देख लेना!" शरण्या को रूद्र की बात समझ आने में थोड़ा वक्त लगा लेकिन जैसे ही समझ में आया वह एकदम से हड़बड़ा कर उठ बैठी और बोली, "क्या कहा तूने? तेरे कहने का मतलब क्या है? लावण्या दी प्रेग्नेंट है?"
रुद्र ने हां में सिर हिला दिया और बोला, "फिलहाल इस बारे में वह खुद ही बताना चाहती है। और तुम्हारे घर पर भी शाम को आएगी तो वह खुद बताना चाहती है। उसके सरप्राइस का कबाड़ा मत कर देना।"
शरण्या खुशी से उछलते हुए रूद्र के गले से जा लगी। रूद्र ने प्यार से उसे थामा और उसकी पीठ सहलाते हुए बोला, "अब फिर से तू मुझे उकसा रही है। जा कर फ्रेश हो जा, उसके बाद मुझे हॉस्पिटल जाकर लावण्या की रिपोर्ट उठाने हैं। तुझे घर छोड़ दूंगा, तेरे घर पर भी सब परेशान हो रहे होंगे तेरे लिए।"
शरण्या ने सुना तो उसके चेहरे पर आई हर खुशी गायब हो गई। उसने मन ही मन कहा, "मेरे घर पर मेरा इंतजार करने वाला कोई नहीं है! क्योंकि मेरा अपना तेरे अलावा और कोई नहीं!"