Chapter 87

Chapter 87

humsafar 87

Chapter

87





  सारांश को सिया की बात समझ मे नही आई कि आखिर वो जानकी को लेकर मॉल मे क्यों जाना चाहती है लेकिन फिर भी उसने सिया के कहे मुताबिक ही किसी को फोन किया और उसे अपने लोगों के साथ तैयार रहने को कहा। कार्तिक ने जब उसके माथे पर परेशानी की लकीरे देखी तो पूछे बिना नही रह सका, "क्या हुआ सारांश, कुछ परेशानी है क्या? बड़ी माँ ने क्या कहा?"

     सारांश ने भी कार्तिक को वही जवाब दे दिया जो सिया ने उसे कहा था लेकिन फिर भी कार्तिक को लगा की बात कुछ और ही है। सिर्फ एक शॉपिंग जाने की बात से सारांश इतना अपसेट नही हो सकता। फिर भी उसने आगे कुछ नही पूछा।  सिया के कॉल आने से पहले सारांश कार्तिक को अपने प्लान के बारे में बता रहा था। उसने एक बार फिर कार्तिक को अपने पूरे प्लांन के बारे में समझाना शुरू किया। 

   " लेकिन सारांश! शुभ बहुत चालाक है। वो तेरी चाल में कैसे फंसेगा! तुझे यकीन है कि तेरा यह प्लान सक्सेसफुल होगा!" कार्तिक ने पूछा। 

    "बस उसी का इंतजार कर रहा हूं। जहां तक मैं उसे जानता हूं, उसे सिर्फ अपने पीछे निशान मिटाने आते हैं लेकिन आगे का रास्ता कैसा है यह समझने में उससे वक्त लगता है। उम्मीद तो यही है कि वह कोई बेवकूफी करें और हमारे जाल में फंसे। इस बार मैं उसे किसी को भी नुकसान पहुंचाने नहीं दूंगा।" सारांश ने कहा तभी उसका फोन बजा। 

    कॉलर का नाम देख सारांश के चेहरे के भाव थोड़े से बदले। उसने फोन उठाया और दूसरी तरफ से किसी ने कुछ कहा जिसे सुन सारांश के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। फोन रखने के बाद उसने कार्तिक से कहा, "हो गया काम! फस गई मछली जाल में।"  कार्तिक ने सुना तो उसने सारांश को थम्स अप का इशारा किया और बाहर चला गया। 


     अवनि चित्रा के घर पहुंची। वहां जाते ही उसे चित्रा के तेज चिल्लाने की आवाज सुनाई थी। वह अपनी मां से लड़ रही थी, "आप जानकी मासी को इंवाइट कर सकती है लेकिन कार्तिक को नही, क्यों?"

   "मुझे कोई शौख नहीं है एक ड्राईवर के बेटे को अपनी बेटी की सगाई पार्टी में बुलाने का, वो भी तब जब मेरी बेटी के दिल मे उसके लिए फीलिंग्स हो। तुम्हे क्या लगता हैं, मुझे नहीं पता की तुम दोनों के बीच का चल रहा है!" पल्लवी ने कहा। 

    "मॉम बस करो आप! सिर्फ और सिर्फ आपकी वजह से आज कार्तिक किसी और का है। सिर्फ आपकी वजह से मैने कभी अपनी फीलिंग्स उस तक पहुँचने नही दी।" चित्रा बिफरते हुए बोली। 

     "लाइफ मे समझदारी का एक ये ऐसा काम किया है तुमने। मुझे फर्क नही पड़ता उसके होने या ना होने से, मुझे फर्क पड़ता है तुम्हारी वजह से। इसीलिए मै नही चाहती की वो मेरे घर आए।" पल्लवी ने भी उसे दो टूक कह दिया। 

    "जो भी हो लेकिन वो मेरा दोस्त है और अगर मेरा दोस्त नही आयेगा तो मै आपके दोस्तों को भी अपनी सगाई मे बर्दास्त नही करूँगी और अगर मेरी मर्जी के खिलाफ अपने ऐसा कुछ किया तो मैं ये सगाई नही करने वाली ये मेरा आखिरी फैसला है।" कहकर चित्रा पैर पटकते हुए अपने कमरे में चली गयी।

     अवनि को अभी उनके सामने जाना सही नहीं लगा, "जाने सब कैसे रिएक्ट करेंगे, कहीं ये समझ ले की मै उनकी बाते सुन रही थी!" सोचकर अवनि बाहर जाने को हुई लेकिन अपने हाथ मे पकडा फोन देख वह रुक गयी। तभी उसके कानों मे चिराग की आवाज पड़ी, "छोड़ो न पल्लवी! और क्या जायेगा अगर वो आ भी गया तो।" 

    "हैसियत क्या है उसकी! माना उसने अपने दम पर अपनी पहचान बनाई है लेकिन उसके पीछे भी सिया का ही हाथ है। सिया उसे अपना बेटा मानती हैं लेकिन कितनों को पता है असली सच्चाई! आखिर ऐसा क्या हुआ कि उसने अपने पति के ड्राइवर के बच्चे और बीवी को अपना बना लिया! आखिर कितने लोग जानते हैं कि सारांश अपना जन्मदिन क्यों नहीं मनाता! आखिर कितने लोग जानते हैं कि शरद भाई साहब की मौत कैसे हुई थी! 

     सिया ने सबको यह कहानी सुनाइ की भाईसाहब को हार्ट अटैक आया था लेकिन अगर उन्हें हार्ट अटैक आया था तो उनके ड्राइवर की मौत भी उनके साथ ही कैसे हुई!!!  सब जानते हैं चिराग कि सारांश के जन्मदिन के दिन ही शरद भाई साहब की मौत हुई थी इसीलिए सारांश कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाता लेकिन यह बात किसको पता है कि जिस दिन सारांश का जन्म हुआ था उसी दिन शरद भाई साहब की मौत हुई थी। सारांश के जन्म होने से पहले ही उसके सिर से पिता का साया उठ गया था। शरद भाई साहब की मौत कोई हादसा नहीं सोचा समझा मर्डर था। उनके ड्राइवर ने अपनी जान पर खेलकर उन्हें बचाने की कोशिश की थी और इसी वजह से उसने अपनी जान भी गंवा दी थी। अपने मालिक के प्रति ईमानदारी का इनाम मिला है उसके बीवी और बेटे को। मैं मानती हूं इसमें कार्तिक की कोई गलती नहीं है लेकिन फिर भी उसके और हमारे हैसियत में जमीन आसमान का अंतर है। 

     और वो शुभ! यह है कौन? कौन है! किसका बेटा है कहां से आया है? किसी को कुछ नहीं पता! ना ही शरद भाई साहब का उससे कुछ लेना-देना है और ना ही वो सिया का बेटा है। उसकी आंखें देखी है!!! ऐसी नीली आंखें उनके पूरे खानदान में किसी की नहीं थी तो फिर यह है कौन? सिया बहुत स्ट्रॉन्ग है लेकिन साथ ही भोली है चिराग! अपने बच्चों के लिए उसने क्या कुछ नहीं किया। वह चाहती तो अपनी जिंदगी एक नए सिरे से शुरू कर सकती थी लेकिन उस ने सब कुछ अपने बच्चे अपने परिवार के नाम कर दिया। एक बार भी अपने लिए नहीं सोचा उसने!  इसीलिए मैं कभी नहीं चाहती कि कोई मेरी सहेली का फायदा उठाए। जानकी को भी मैं पसंद नहीं करती लेकिन मैंने उसे इनवाइट किया ताकि मैं कार्तिक को उसकी असली जगह दिखा सकूं सच कहूं तो यह जानकी भी मुझे कुछ सही नहीं......"

     इससे पहले कि पल्लवी आगे कुछ कहती उसकी नजर दरवाजे पर खड़ी अवनि पर पड़ गई जिसे देखकर वह चुप हो गई, "अरे अवनि बेटा! आप यहां! कुछ काम था या फिर चित्रा के लिएआई हो। आप दोनों ने शॉपिंग का प्लान बनाया क्या आज! मुझे तो कुछ नहीं बताया उसने!", पल्लवी  को लगा कहीं अवनी में सारी बातें सुन तो नहीं नहीं फिर भी उसने मुस्कुराते हुए कहा। 

    " नहीं आंटी! वह आपका फोन घर पर रह गया था। निक्षय की मॉम का कॉल आ रहा था तो मैंने सोचा कि मैं आपको दे आऊ शायद कोई अर्जेंट हो", कहकर अवनि ने वह फोन पल्लवी की ओर बढ़ा दिया और मुस्कुराते हुए वहां से बाहर निकल गयी। अभी जैसे ही दरवाजे तक पहुंची थी कि पल्लवी ने उसे पीछे से आवाज दिया,"अवनि रुको!!! अभी जो कुछ भी तुमने सुना या नहीं सुना! जो भी हो लेकिन मैं नहीं चाहती कि सारी बातें सिया तक पहुंचे। उसे बहुत बुरा लगेगा। उसने अब तक बहुत कुछ सहा है और बहुत से मुश्किलों का सामना करके अपने बच्चों को बड़ा किया है। इसीलिए मैं नहीं चाहती कि उसके पुराने घाव फिर से ताजा हो। जो तुम्हारे सामने हंसते मुस्कुराते तुम्हारी सास खड़ी है ना उसके दिल पर कितने ही घाव लगे हैं ये शायद ही कोई जानता हो। घर के बच्चे भी नही। तुम समझ रही हो ना मैं क्या कहने की कोशिश कर रही हूं।"

      "जी आंटी! मैं सब समझ गई। मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगी", कहकर अवनि बाहर निकल गई। जब घर पहुंची तब देखा सारांश का असिस्टेंट नितिन दरवाजे पर खड़ा था," अरे नितिन आप यहां इस वक्त! कुछ काम था क्या? अंदर आइये न!!!" अवनि ने नितिन को अंदर बुलाया और बैठाया। रज्जो ने जब देखा तो बोली,"भाभी! यह ना बहुत ही अजीब है! कब से कह रही थी कि फाइल मुझे दे दे, मैं उसे सारांश ब्रो तक पहुंचा दूंगी लेकिन नही! से तो फ़ाइल ब्रो को ही देना है!"

    अवनी ने जब नितिन को देखा तो नितिन ने हिचकीचाते  हुए कहा,"वह यह कोटेशन की फाइल है इसीलिए, अगर आप चाहे तो......."

     "नहीं नहीं!!! मैं जानती हूं कि ये फाइल कितनी कॉन्फिडेन्सियल होती है। मैं अभी सारांश को भेजती हूं।" अवनि अच्छे से जानती थी वे फाइल कितनी इंपॉर्टेंट होती है और कॉन्फिडेंशियल भी इसीलिए उसने यह फाइल लेने की कोशिश भी नहीं की और जाकर सारांश के स्टडी रूम के बाहर खड़ी हो गई। तभी सारांश ने रूम का दरवाजा खोला। अवनी ने नितिन के आने के बारे में बताया तो वह नीचे गया और नितिन से फाइल लेकर सीधे अपनी स्टडी रूम में आ गया। अवनि अभी उस वक्त वही अंदर मौजूद थी। 

      सारांश के स्टडी रूम में जाते ही शुभ तुरंत वहां से बाहर निकल गया। उसने वह कोटेशन की फाइल देख ली थी और उसे देखते ही सबके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान उभर आई। अवनि के दिमाग मे बस पल्लवी की बाते ही घूम रही थी। उसके एक एक शब्द जैसे किसी हथौड़े का काम कर रहे थे। एक बार सारांश ने भी उससे कहा था की ऐसे बहुत से राज है जो सिया ने सब से छुपा कर रखा है ताकि बच्चो पर उसका असर ना हो लेकिन शुभ के बारे मे जानकर उसे बहुत ही ज्यादा अजीब लगा। लेकिन ऐसी क्या वजह रही होगी जिस कारण डैड के मर्डर को एक्सीडेंट बताना पड़ा!!!! 

     "अगर सारांश के जन्म से ठीक पहले डैड गुजर चुके थे तो फिर ये शुभ आखिर है कौन? किससे पूछूँ? मॉम को बताना होता तो वो कभी ये बात किसी से छुपाती ही नही, तो फिर जानकी मासी!!! वो तो मॉम की राजदार है वो मॉम की पर्मिसन के बिना कभी कुछ नही बतायेंगी। तो क्या सारांश को पता होगा इस बारे मे!!? पल्लवी आंटी ने कहा था कि इस बारे मे शायद ही कोई जानता है तो फिर बताएगा कौन?" अवनि ये सब सोच ही रही थी की सारांश कमरे मे आया। उसे ख्यालो मे खोया देख अपनी गोद मे उठा लिया और कुर्सी पर बैठ लैपटॉप पर कुछ काम करने लगा। 

    अवनि उसकी पकड़ से छुट्ने के लिए कसमसाई लेकिन सारांश ने उसे हिलने तक का मौका नही दिया। "सारांश छोड़िये न! कोई आ जायेगा!"

    ये मेरा स्टडी रूम है और यहाँ आने की इज़ाज़त किसी को नही होती क्योंकि सब को पता है मै यहाँ से अपना ऑफिस देखता हु और मेरे इंपोर्टेंट पेपर्स होते है। तो अब तुम थोड़ा रिलैक्स हो सकती हो और आराम से सोच सकती हो जो भी तुम सोच रही थी लेकिन सिर्फ मेरे बारे मे!" सारांश ने कहा। अवनि को उसकी बातों मे जलन साफ दिख रही थी। 

     "लेकिन मुझे बहुत ज्यादा नींद आ रही है। मुझे सोने जाना था। यहाँ कैसे सो पाऊँगी? आप अपना काम खत्म कीजिए मै कमरे मे जाती हु।" कहकर अवनि सारांश के गोद से उठने लगी तो सारांश ने उसे उठने नही दिया। "मैने कहा न! तुम आराम से सो जाओ, यही ऐसे ही।" कहते हुए उसने अवनि के चेहरे पर आ रहे बालों की लट को कान के पीछे कर दिया। 

   "तो इसीलिए आप आज ऑफिस नही गए!" अवनि ने पूछा तो सारांश ने कहा, "नही.....! बस पता नही क्यों लेकिन मुझे तुम्हें छोड़कर जाने का दिल ही नही किया! और उसपर भी शुभ..........! जब तक मै उसे कहीं और उलझा नही देता मै तुम्हें ऐसे घर पर नही छोड़ सकता। या तो तुम भी एनजीओ जाओ या फिर मै घर से ही काम करूँगा।" सारांश की बाते सुन अवनि की आँखे नम हो गयी। उसने सारांश के सीने मे अपना चेहरा छुपाया और फिर कुछ देर मे ही उसे नींद आ गयी। सारांश भी कुछ देर एक हाथ से अवनि को थामे दूसरे हाथ से काम करता रहा फिर वह भी उसी हालत मे वही पीछे कुर्सी पर सिर टिकाए बैठे बैठे ही सो गया।