Chapter 180
YHAGK 179
Chapter
179
राहुल अपनी ही सगाई के लिए लेट नहीं होना चाहता था इसलिए सुबह जल्दी उठ गया था। अपना बाकी का काम करने के बाद वह फ्रेश हुआ और तैयार होने लगा। मानव भी उसकी हेल्प करने सुबह ही आ चुका था और तब से वह दोनों अपने कमरे में ही थे। मानव को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वह राहुल को तैयार करवा कर जल्दी से सगाई की वैन्यू पर पहुंचे।
राहुल भी लगभग तैयार हो ही चुका था लेकिन ऐन मौके पर उसके पैंट की ज़िप् कपड़े में फंस गई जिसे निकालने में मानव परेशान हो गया था। वह घुटने के बल बैठा और उसके जिप् को ठीक करने लगा। उसी वक्त मौली की चीख उन दोनों को सुनाई दी। मानव और राहुल ने एक साथ घबराकर दरवाजे की तरफ देखा तो पाया कि मौली आंखें बड़ी बड़ी कर उन दोनों को ही देख रही थी। उसे वहां थे मानव समझ गया कि मौली ने उन दोनों को जिस हालत में देखा था उस तरह किसी को भी शक हो सकता था। उसके मुँह से पिन छुटकर गिर गया।
मानव जल्दी से उठा और हड़बड़ाते हुए बोला, "मौली देख ना, इसके पैंट की ज़िप फस गई है। निकल ही नहीं रही।"
राहुल उसकी तरफ घूरकर देखते हुए बोला, "तो अब क्या मौली इसे ठीक करेगी? तेरी वजह से हुआ है अब तू ठीक करेगा। जल्दी ठीक कर मैं अपनी सगाई में लेट नहीं होना चाहता। ना कभी स्कूल में लेट हुआ, ना कॉलेज में ना ऑफिस में। लगता है तेरी वजह से मैं लेट हो जाऊंगा वो भी अपनी ही सगाई में।"
मानव को इस तरह डाँट पढ़ते देख मौली ने कहा, "क्यों उस बेचारे को बुरा भला कह रहे हो? जाहिर सी बात है तुम्हारी गलती है। वह क्यों तुम्हारी जीप खराब करेगा? तुम कोई छोटे बच्चे नहीं हो जो कोई और तुम्हें पैंट पहना रहा था। जल्दी से ठीक करो, दादी मां नीचे बुला रही है।"
मानव ने उन दोनों को देखा और फिर बैठ कर कोशिश करने लगा। एक से दो बार में ही वो ज़िप ठीक हो गई। राहुल इतनी देर में बुरी तरह से झुँझला गया था। उसने कुछ कहा नहीं और उन दोनों को वहीं छोड़कर अपने कमरे से निकल गया। मौली भी उसके पीछे पीछे निकली।
मानव अभी तैयार नहीं हुआ था उसकी ड्रेस अभी भी बेड पर रखी हुई थी। उसने अपने कपड़े उतारे और चेंज करने के लिए जैसे ही शर्ट उठाने को हुआ किसी ने उसकी शर्ट उससे पहले झपट ली। मानव ने चौक कर देखा तो मौली अभी भी कमरे में ही थी। मानव ने अपनी शर्ट लेने की कोशिश की तो मौली ने शर्ट अपने पीछे छुपा ली और कहा, "अगर तुम्हें अपने कपड़े चाहिए तो रिश्वत देनी पड़ेगी।"
मौली के चेहरे पर एक शरारती मुस्कुराहट थी। मानव ने दो पल उसे देखा, कुछ सोचते हुए उसके करीब आया और एक झटके से उसकी कमर में हाथ डाल कर अपनी तरफ खींच लिया। मानव की इस हरकत से मौली थोड़ी घबरा गई क्योंकि मानव ने अभी तक शर्ट नहीं पहनी थी और उसका परफेक्ट बॉडी उसे नजर आ रही थी। जिसे देख मौली थोड़ी शर्मा भी रही थी।
मानव उसके थोड़ा करीब आया और कान में बोला, "किस तरह की रिश्वत चाहिए तुम्हें और कहां?"
मौली को लगा जैसे वो अपनी ही बातों में फंस गई है। इस वक्त वह मानव की पकड़ से छूटना भी चाहती थी और नहीं भी। वह दोनों ही अभी कुछ वक्त पहले ही एक साथ एक रिलेशनशिप में आए थे इस बारे में किसी को भी खबर नहीं थी। मानव ने देखा मौली आंखें मूंदकर उसकी बाहों में कैद थी। उसने कहा, "अगर तुम नहीं बताओगी तो मुझे शर्ट नहीं मिलेगी और अगर शर्ट नहीं मिलेगी तो मैं इसी तरह बाहर चला जाऊंगा। फिर किसी और लड़की ने मुझ पर लाइन मारी तो तुम्हें जलन तो नहीं होगी? वैसे सोच लो, नुकसान तुम्हारा है। मेरा क्या!"
माली ने आंखें खोली और गुस्से में उसे देखते हुए कहा, "तो मेरे पीछे भी लड़कों की कोई कमी नहीं है। एक आंख मार दूंगी ना कई बेहोश होकर गिर जाएंगे।" फिर उसने शर्ट मानव की मुंह पर मरते हुए कहा, "यह ले पकड़ अपनी शर्ट और पहन कर आ जा। सब लोग निकलने वाले हैं। किसी ने तेरे बारे में पूछा तो मैं जवाब नहीं दूंगी।" लेकिन इससे पहले कि वह अपनी बात पूरी कर पाती मानव में उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चुप करा दिया।
मौली सर से पांव तक सिहर गई। उसने मानव को कस कर पकड़ लिया। कुछ देर बाद मानव उससे अलग हुआ और बोला, "बिना तेरे रिश्वत के तुझे जाने दूंगा? अब जा और मेरा इंतजार कर।"
मौली अपनी नाराजगी दिखाते हुए बोली, "इंतजार ही तो कर रही हूं तेरा। कब तु घर वालों से बात करेगा। आज दादी भी पूछ रही थी। दिल किया बता दु सब कुछ लेकिन तुझे ही टाइम चाहिए।"
मानव उसे मनाते हुए बोला, "अभी अभी तो हम साथ आए हैं। थोड़ा छुप छुप के मिल लेते उसके बाद अपनी आजादी होने को मैं पूरी तरह से तैयार हूं।"
मौली ने उसकी गर्दन पकड़ ली तो मानव थोड़ा घबराते हुए बोला, "क्या कर रही है? अभी जान ले लेगी मेरी? वैसे तेरी मर्जी, सच कहूं तो पता नहीं हमारे घर वाले कैसे रिएक्ट करेंगे। क्या कहूंगा मैं तेरी मॉम से "बुआ मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूं!" कैसा लगेगा यार।"
मौली उसके सीने पर मारते हुए बोली, "प्यार करने से पहले सोचना चाहिए था। मुझे प्रपोज करने से पहले भी सोचना चाहिए था। अब सबको बताना है तो तुझे इतना सोचना पड़ रहा है। मैं तेरा खून कर दूंगी। तुझे जो सोचना है सोंच। तू मुझे लेकर सीरियस है तो घर वालों से बात कर वरना जो भी रिश्ता आएगा उसके लिए हां कर दूंगी। अब यह तेरे ऊपर है।" कहकर मौली वहां से चली गई।
मानव बेचारा अपने सर पर हाथ रख कर सोचने लगा। वह मौली को लेकर सीरियस था और उसके साथ अपनी पूरी लाइफ गुजारना चाहता था। यह फिलिंग्स उसकी आज की नहीं बल्कि बचपन की थी। वह हमेशा से मौली से प्यार करता आया था लेकिन इस रिश्ते को किस तरह नाम दे उसे समझ नहीं आ रहा था। आखिर दुनिया की नजरों में उन दोनों का ही रिश्ता कुछ और था। उन दोनों के प्यार की भनक किसी को भी नहीं थी।
सभी हॉल में जमा थे। कुछ देर के बाद मानव भी तैयार होकर सबके बीच चला आया। रूद्र ने एकदम से मानव को देखते ही सवाल कर दिया, "तेरा बाप कहां है? वह साला यहां आएगा या सीधे वही मिलेगा हमें?"
मानव एकदम से रूद्र की आवाज सुनकर सकपका गया और बोला, "जी....... जी........ अंकल........ पापा......... पापा आपको वही मिलेंगे वेन्यू पर। वह बोल रहे थे कि वहां भी कुछ काम करवाना था अब तक तो पहुंच ही गए होंगे उन्होंने कहा था वह सुबह ही निकल जाएंगे मॉम भी उनके साथ ही थी।"
कुछ सोच कर रूद्र ने भी हां में सिर हिलाया और चारों तरफ नजर घुमाई। सारे लोग आ चुके थे लेकिन रेहान अभी भी अपने कमरे में था। उसने रेहान को आवाज लगाई तो रेहान अपने हाथ में कुछ सामान लिए बाहर आया। रूद्र बोला, "तेरे बेटे की सगाई है तेरी नहीं जो तू इतना टाइम ले रहा है। दूल्हे का बाप है तु।"
रेहान मुस्कुराते हुए बोला, "दूल्हे का बाप हूं इसीलिए तो मुझे थोड़ा ज्यादा बन सँवरकर जाना चाहिए ताकि समधन जी पर इंप्रेशन अच्छा बन सके।"
वहां मौजूद सभी हंसे बिना ना रह सके कार्तिक और ऋषभ अभी भी एक-दूसरे से लड़ रहे थे। रूद्र ने जब उन्हें देखा तो वह दोनों ही शांत हो गए फिर उसने रेहान से कहा, "चले हम लोग लेट हो रहे हैं।"
रेहान बोला, "तुम लोग जाओ मैं लावण्या का इंतजार कर रहा था। वह आ जाएगी तो हम दोनों साथ में चले आएंगे। तुम लोग जाओ।" रूद्र ने भी इस बारे में उससे दोबारा पूछना जरूरी नहीं समझा। अगर लावण्या यहां आ रही है तो ऐसे में उसे और रेहान को अकेला छोड़ना सही होता। यह सोच कर वह सब के साथ बाहर चला आया। शरण्या रूद्र की गाड़ी में बैठ गई। रूद्र ने ड्राइवर को शिखा जी और धनराज जी के साथ भेज दिया।
मानव चाहता था कि मौली उसके साथ उसकी गाड़ी में आए लेकिन कुछ देर पहले हुई उनकी नोकझोंक से वह वैसे ही मानव से चिढ़ी हुई थी। बेचारा मानव उसे उम्मीद भरी नजरों से देख रहा था लेकिन मौली ने उसे देखने की बजाए मुंह फेर कर रूद्र की गाड़ी की तरफ बढ़ गई।
ऋषभ और कार्तिक भी उस गाड़ी में बैठने वाले थे लेकिन मौली उस पर धौंस जमाते हुए बोली, "ओए चंटू बंटू तुम लोग जाओ पीछे की गाड़ी में। मॉम डैड के साथ मैं जाऊंगी, सिर्फ मैं।"
दोनों बेचारों का मुंह बन गया। वो दोनों ही अपने लिए एक अलग गाड़ी चाहते थे लेकिन रूद्र ने सख्ती दिखाते हुए और उनकी उम्र का हवाला देकर उन्हें पर्सनल गाड़ी देने से मना कर दिया। जब तक वह दोनों बालिग नहीं हो जाते और उनका ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बन जाता तब तक उन्हें गाड़ी चलाने की इजाजत नहीं थी। अगर गाड़ी चलाने की इजाजत थी तो घर के कंपाउंड में ही, उससे बाहर बिल्कुल भी नहीं। मौली के अलावा घर के सारे बच्चे उससे डरते थे और वह खुद अपनी बीवी से डरता था।
कार्तिक और ऋषभ जाकर पीछे गाड़ी में बैठ गए जहां राहुल बैठा हुआ था। उसने मानव को बाहर खड़े देखा तो आवाज लगाई और बोला,,"दुल्हन भाग जाएगी मेरी, तब तुझसे सगाई करूंगा और शादी भी, सोच ले।"
मानव ने उसे घूर कर देखा। कार्तिक और ऋषभ मुंह बंद करके हंसे जा रहे थे। राहुल के चेहरे पर जरा सी भी मुस्कुराहट नहीं थी। वैसे भी वह कब हंसता था कब सीरियस होता था उसके चेहरे से बिल्कुल भी नहीं पता चलता था। मानव वैसे ही मौली की बात से चिढ़ा हुआ था। बिना कुछ बोले गाड़ी में बैठा और गाड़ी स्टार्ट कर कंपाउंड से निकल गया।
रेहान के हाथ में एक छोटा सा डब्बा था जिसमें दो बड़े खूबसूरत कंगन जिन्हें रेहान ने खुद अपनी पसंद से बनवाया था ताकि आज के दिन वह लावण्या को गिफ्ट दे सके। उसने घड़ी में टाइम देखा लावण्या को वहां आने में अभी वक्त लग रहा था। उसने फोन निकाला और लावण्या का नंबर डायल कर दिया। कुछ देर रिंग जाने के बाद दूसरी तरफ से लावण्या ने फोन उठाकर कहा, बस 5 मिनट में पहुंच रही हूं कहकर बिना रेहान को कुछ बोलने का मौका दिया उसने फोन रख दिया। इस वक्त घर में सिर्फ अकेला रेहान था और कोई नहीं।