Chapter 49
humsafar 49
Chapter
49
सारांश और अवनि कुछ देर यूँ ही एक दूसरे मे खोये रहे। फिर सारांश ने गाड़ी की डिक्की से कैंपिंग के लिए समान निकाला। उसने सबसे पहले टेंट लगाना शुरु किया तो अवनि ने भी उसका पुरा साथ दिया। फिर कुछ दूर पर आग जलाया और गाड़ी से कुछ मैट्स निकाल कर अपने और अवनि के बैठने के लिए जगह बनाई। अवनि तो बस सारांश की पूरी प्लानिंग देखती रह गयी। कितनी आसानी से उसने सब अरेंज कर दिया जिसके लिए वो और काव्या इतने सालों से प्लान कर रहे थे। वो चाहत जो बरसो से अवनि के दिल मे थी कैंपिंग की वो आज पूरी हुई वो भी सारांश के हाथों। उसने सारांश का हाथ जोर से पकड़ लिया।
सारांश कुछ देर अवनि के चेहरे को बस यू ही देखता रहा फिर उठ खड़ा हुआ और अवनि का हाथ पकड़ उसे टेंट के अंदर ले गया और ज़िप बन्द कर दी। अवनि भी चुपचाप सारांश का हाथ थामे बिना किसी सवाल जवाब के उसके पीछे आँखे मूंदे चल दी। अब उसको किसी भी बात से कोई फर्क नही पड़ता था, उसे जिंदगी से बस एक ही चीज चाहिए थी और वो था सारांश का ढेर सारा प्यार जिसमे खो कर वह सब कुछ भूल जाए।
श्रेया को नई जॉब मिली थी वो भी मानव के ही ऑफिस मे। मानव के साथ काम करने को लेकर श्रेया थोड़ा टेंसन मे थी लेकिन खुशी इस बात से थी की उसके बॉस ने खुद उसे पी ए के लिए अपॉइंट् किया था। वह अपनी ये खुशी सबसे पहले अवनि के साथ बाटना चाहती थी इसीलिए घर के पास ही एक रेस्टुरेंट मे पहुँच कर उसने एक बार फिर अवनि को कॉल लगाया लेकिन उसका फोन कवरेज एरिया से बाहर बता रहा था तो श्रेया झुंझला गई।
"यार...! जब से तेरी शादी हुई है न तब से ही तु कवरेज क्षेत्र से बाहर है। तुझे सारांश क्या मिल गया, तु तो मुझे ही भूल गयी। हाँ वैसे सही भी है...! भगवान करे तु सब को भूल जाए और अपनी नई दुनिया मे हमेशा खुश रहे।" श्रेया अपने आप मे ही बड़बड़ा रही थी तो वही मानव भी पहुँच गया और पूछा, "तुझे क्या पागलपन के दौरे भी पड़ने लगे है आजकल?"
"कमसे कम तेरी तरह मिर्गी के दौरे तो नही पड़ते! और तु अभी क्यों आ रहा है! कहाँ था अब तक? कोई गर्लफ्रेंड मिल गयी क्या? बोल न..! बोल बोल!!!" श्रेया ने एक साथ कई सवाल कर डाले। मानव का चेहरा उतर गया, "काहे की गर्लफ्रेंड!!! अपनी तो किस्मत ही खराब है। जो पसंद आई थी उसके कोई और ले गया।" कहते ही बेचारा मानव श्रेया के काँधे पर सिर रख कर रो पड़ा। श्रेया उसे दिलासा देने लगी और बोली, "बस कर पगले, अब तेरी किस्मत ही ऐसी फूटी हुई है की कोई लड़की तेरी ओर देखती भी नही। कोई नही!!! हर गधे का दिन आता है, तेरा भी जरूर आयेगा। तेरी किस्मत मे भी होगी कोई काली कलुटि लंगड़ी लुली.....! तु परेसान मत हो और इंजॉय कर।"
मानव ने उसे घूर कर देखा लेकिन कुछ बोला नही और वेटर को खाने का ऑर्डर दे दिया। जब वेटर ऑर्डर लेकर जाने लगा तो श्रेया ने उससे वाइन की एक बोतल भी मंगवाई। वाइन का नाम सुन मानव ने भौहें सिकोड कर पूछा, "लगता है शेर मे मुह मे अच्छे से खून लग गया है। थोड़ा कंट्रोल कर वरना घर कैसे जायेगी।" मानव की बात सुन श्रेया तुनक कर बोली, "तुम न बस अपने काम से काम रखो, बाकी सब मै देख लूँगी।"
अवनि सारांश के सीने पर सिर रख कर लेटी हुई थी। वो उसकी धड़कन को यूँ ध्यान से सुन रही थी मानो इससे ज्यादा अच्छा म्युजिक दुनिया मे और कोई नही हो। सारांश के हाथ अवनि के बाल सहलाते हुए उसकी पीठ पर जा पहुँचे। "सारांश.....!" अवनि ने धीरे से बिना सर उठाये ही उसे पुकारा।
"हम्म्...! "
"थैंक यू! थैंक यू सो मच!!! "
"थैंक यू??? लेकिन किस लिए...?" सारांश ने हैरान होकर पूछा तो अवनि ने कहा, "थैंक यू.... मेरी लाइफ मे आने के लिए। थैंक यू मुझे अपना बनाने के लिए। थैंक यू मुझे इतना प्यार करने के लिए। थैंक यू मुझे इतना स्पेशल फील करवाने के लिए।
" हम्म्....! हो गया या और भी कुछ है!!!" सारांश ने अजीब सी शक्ल बना कर कहा तो अवनि उठकर बैठी और बोली, "हाँ....! और सबसे ज्यादा तो मॉम और डैड को........आखिर उनकी ही वजह से आप आज मेरे पास हो और मुझे देवी माँ को थैंक यू बोलना है फिर कार्तिक जीजू भी। उनकी वजह से ही हम आज यहाँ है वरना तो आप अभी मौका ही ढूँढ रहे होते अपने दिल की बात बताने को और मुझे कोई और ही ले जाता। " अवनि ने बुरा से मुह बना लिया। सारांश ने उसे कमर से अपनी और खीचा तो अवनि उसके ऊपर जा गिरी।
"कल से देख रहा हु, बहुत प्यार आ रहा है मुझ पर। वरना पहले तो दूर भागने का कोई मौका नही छोड़ती थी। हुआ क्या है! कल तो माना नशे मे थी लेकिन आज...! कल का हैंगओवर है क्या! " सारांश ने उसे अपने और करीब खीच लिया। अवनि का शर्म से चेहरा लाल पड़ गया। "नही...! लेकिन जब से प्यार को महसूस किया है तबसे ये जाना है की प्यार का नशा पुरानी से पुरानी वाइन के नशे से भी बढ़ कर होता है और आप से भाग कर जाऊंगी कहा! आना तो आपके पास ही है।" अवनि ने नज़रे झुका कर कहा।
"अभी प्यार को महसूस कहाँ किया है। आज मौका भी है और मौसम भी, तन्हाई भी है और इश्क़ का नशा भी। आप कहे तो डूब जाए इस मदहोशी मे।" सारांश ने मदहोश आवाज़ मे कहा तो अवनि ने उसके मुह पर हाथ रखते हुए बोली, "अभी नही...! मैंने कहा था न की मुझे पहले देवी माँ को थैंक यू कहना है। तब तक इंतज़ार करिये। जहाँ इतने वक़्त तक मेरा इंतज़ार किया वहीं कुछ दिन और सही।" कहते हुए अवनि ने उसके माथे पर किस कर लिया और उसके सीने से लग कर लेट गयी।
"अब घर चले.....! मॉम इंतज़ार कर रही होंगी। शादी के बाद से मैंने उनके साथ कभी वक़्त नही बिताया। उन्हे कितना बुरा लग रहा होगा न। सोच रही होंगी की शादी के बाद सिर्फ अपने पति पर ही ध्यान है, बाकी सब को तो भूल ही गयी है।" अवनि ने कहा तो सारांश हँस दिया।
"वो ऐसा कुछ नही सोच रही होंगी। वो मेरी मॉम है, मै उन्हे ज्यादा अच्छे से जानता हु। उन्हे पता है की जिन हालातों मे हमारी शादी हुई उसके बाद तुम्हारे लिए मुश्किल होगा सब के साथ एडजस्ट करना, खास कर हम दोनों के बीच। उन्हे तो खुशी है की हमारे बीच चीजें इतनी जल्दी ठीक हो रही है। और वैसे भी उन्हे तुमसे तुम्हारा टाइम नही बल्कि एक पोती की उम्मीद है।" सारांश ने कहा तो अवनि शरमा गयी।
श्रेया नशेड़ियों की जमात मे अभी नई थी, इसीलिए उसे जल्दी ही नशा हो जाता था। मानव ने बिल पे किया और उसे लेकर एक ऑटो मे बैठाया। ऑटो वाले को श्रेया के घर का पता दे कर उसने श्रेया को अच्छे से थाम लिया ताकि वो गिरे नही। दोनों के बीच भले ही कितनी भी लड़ाई जो, दोनों एक दुसरे को जी भर कर गालियाँ दे दे लेकिन फिर भी मानव ने श्रेया का इस हाल मे साथ नही छोड़ा और उसे लेकर उसके घर पहुँचा। वहाँ कोई नही रहता यह इसीलिए ज्जर की चाबी श्रेया के पर्स से निकाल मानव ने दरवाजा खोला और उसे उसके कमरे मे डाल चादर ओढाई, उसके जूते उतारे और बाहर हॉल मे ही सो गया।
चित्रा और निक्षय भी बाहर ही डिनर कर घर वापस आये। चित्रा जब अपने कमरे मे जाने लगी तो निक्षय ने उससे अपना कमरा पूछा तो चित्रा ने उसे गेस्ट रूम का दरवाजा खोल अंदर जाने का इशारा किया। निक्षय का सामान अभी भी बाहर हॉल मे ही पड़ा था। उन सामानों को उठाकर निक्षय ने कमरे मे डाला और सेट कर दिया। चित्रा तबतक वही दरवाजे पर ही खड़ी रही और निक्षय को काम करता देख रही थी।
अचानक से चित्रा ने निक्षय से नर्म आवाज़ मे कहा, "निक्षय....! प्लीज यहाँ से चले जाओ। अगर तुम मुझसे किसी तरह की कोई उम्मीद रखते हो तो प्लीज मै कभी उन उम्मीदों पर खरी नही उतर पाऊँगी। प्लीज निक्षय, मेरे ऊपर अपना वक़्त बर्बाद करने से बेहतर है किसी ऐसी लड़की को ढूँढो जो सिर्फ तुम्हे प्यार करे। मै किसी और को चाहती हु।"
"जानता हु........! और ये भी जानता हु की अब वो किसी और का है। जैसे तुम उसे भूल नही पा रही वैसे ही मै भी तुम्हे भूल नही सकता। जो तुम खुद नही कर सकती वो मुझसे उम्मीद मत करो। माना मेरी लाइफ मे तुम कोई पहली लड़की नही हो लेकिन वो पहली जरूर हो जो मेरे दिल मे घर कर गयी। अब जब प्यार किया है तो उसे पाने के लिए लड़ना तो पड़ेगा ही न, फिर चाहें वो मेरी लव लाइफ की हिरोइन से ही हो। जैसे तुम्हे उसके वापस आने का इंतज़ार है वैसे मुझे तुम्हारे आने का इंतज़ार है,मेरी दुनिया मे। देखते है किसका इंतज़ार पूरा होता है और किसका अधूरा रही जाता है।" निक्षय ने बड़े प्यार से चित्रा की आँखों मे देखकर कहा। चित्रा भी उन आँखों मे देखती रह गयी।
क्रमश: