Chapter 14
humsafar 14
Chapter
14 अगले तीन चार दिनों तक सारांश और अवनि वेन्यु पर जाकर वहाँ के अरेंजमेंट देखने मे लगे रहे। सारे इंतज़ाम देखने के बाद दोनो देर शाम घर पहुँचते तो अवनि बेचारी थक कर चूर हो जाती लेकिन वही सारांश को ऑफिस के कुछ जरूरी काम और मीटिंग्स निपटाने होते थे जिस वजह से सारांश वही स्टडी रूम के चेयर पर ही सो जाता।
शादी को एक हफ्ते से भी कम समय बचा था इसीलिए अगले दिन ही सबने फार्म हाउस जाना था। सबने अपना और शादी के लिए जरूरी समान पैक कर शुरू किया। अवनि भी अपना बैग पैक करने मे लगी हुई थी की तभी उसकी नज़र सिया के दिये उस लहंगे पर गयी। इसे एक्सेप्ट कर उसने सही किया या नही!!! दिदु की शादी है तो उनके लिए कुछ करना समझ मे आता है लेकिन मेरे लिए ये सब..... सब सर के ऊपर से जा रहा है। कही मै कुछ ज्यादा तो नही सोच रही। दिदु के लहंगे मे सोने की ज़री की कारीगरी है और मेरे लहंगे मे चांदी की। इन अमीर लोगो को पैसों की कोई वैल्यू नही होती। दस हजार मे मै दिदु के बुटीक से बीस हजार का लहंगा बनवा लेती।"
कुछ सोचकर अवनि ने अपना सर झटका और वापस समान पैक करने मे लग गयी। सारांश ने सब के एक साथ जाने का प्लान बनाया था इसीलिए एक प्राइवेट बस तैयार किया गया था जिसे मोडिफाइ कर पीछे की ओर सामान रखा जा सके।
सुबह सुबह ही कार्तिक और काव्या दोनो अपने परिवार के साथ एक साथ शादी के वेन्यु पर पहुँचे। वहाँ सिया पहले से ही मेन गेट पर स्वागत के लिए खड़ी थी। श्रेया भी अवनि के साथ ही थी, उसने चारो ओर नज़र दौड़ाई मगर उसे सारांश कहीं दिखाई नही दिया। "अगर इससे पूछा तो फिर मेरी क्लास लगा देगी" सोचकर श्रेया चुप हो गयी।
सिया ने एक नजर अवनि को देखा और बिना उसकी ओर देखे सब से बोली "सारांश अभी आता ही होगा, कुछ जरूरी काम से गया है।" अवनि ने ज्यादा ध्यान नही दिया और वहाँ के अरेंजमेंट सब को दिखाने लगी। पूरे एरिया को दो हिस्सों मे बाँटा गया था और बीच मे एक लकड़ी का स्टैंड लगा था जिसमे तीर के डिजाइन का बोर्ड लगा था। एक तीर पर लड़की वाले और दूसरी तीर पर लड़के वाले लिखकर दोनो दो दिशाओं मे थे।
काव्या और कार्तिक की हँसी छुट गयी। "ये सब किसका आइडिया था?" कार्तिक ने पूछा।
"और किसका हो सकता है अवनि के सिवाय!!!" काव्या ने कहा और अवनि को प्यार से गले लगा लिया, "थैंक यू मेरी शादी को और ज्यादा स्पेसल बनाने के लिए।"
अवनि काव्या का रिएक्सन देख बहुत ज्यादा खुश हो गयी, घरवाले भी तारीफ किये बिना नही रह सके। घर के अंदर भी उसी तरह का अरेंजमेंट किया गया था। एक साइड लड़के वाले और दूसरी साइड लड़की वाले जिससे किसी को भी परेशानी ना हो। सबने अपना अपना कमरा चुना और सामान शिफ्ट कर लिया। थोड़ी देर बाद सिया खुद सबको खाने के लिए बुलाने आई।
सब लोग खाना खाने बैठने ही वाले थे की एक मिठी सी आवाज़ गुंज़ उठी, "सरप्राइज.......!" सब की नजरे उस ओर घूम गयी। सामने रफ जींस और चेक शर्ट मे झल्ली सी मगर बहुत खूबसूरत सी लड़की खड़ी थी। सिया उसे देखकर खुशी से बोली, "अरे चित्रा!!! तुम कब आई बेटा?? बताया होता तो सारांश को भेज देती तुम्हे लेने"
"किसी ने मुझे याद किया!!!" सारांश ने अंदर आते ही कहा। फॉर्मल सूट मे सारांश ने किसी हीरो की तरह एंट्री मारी थी जिसे देख श्रेया का दिल मानो बाहर ही निकल कर नाचने को कर रहा था।
"तो कैसा लगा सरप्राइज?" सारांश ने पूछा।
"तुम इसे लेने गए थे!!! इस चितकबरी को!!!" कार्तिक जो इतनी देर से शांत बैठा था बोल पड़ा। उसकी बात सुन चित्रा की भौंहे सिकुड़ गयी। सिया सबके सामने उसका परिचय कराते हुए बोली, "ये चित्रा है, सारांश और कार्तिक के बचपन की दोस्त। पहले चित्रा हमारे पड़ोस मे ही रहती थी। कुछ साल पहले इसकी पूरी फैमिली दूसरी जगह शिफ्ट हो गयी। तीनो साथ ही पलेबढे है इसीलिए चित्रा हमारे परिवार से अलग नही है। और चित्रा इससे मिलो ये है काव्या, कार्तिक की होने वाली पत्नी।" सिया ने काव्या से चित्रा को मिलवाते हुए कहा।
"जान कर बड़ा ही दुःख हुआ। मुझे तुमसे बहुत हमदर्दी है।" चित्रा ने काव्या से हाथ मिलाते हुए कहा तो काव्या और बाकी सब हैरान होकर उसे ही देखने लगे। इससे पहले कोई कुछ और बोलता चित्रा फिर बोल पड़ी, "तुम तो इतनी पढीलिखी समझदार लगती हो, क्या तुम्हारा दिमाग खराब है या फिर आँखे खराब है जो इस जैसे जलकुकडे को पसंद कर लिया। और अंकल आंटी ने तुम्हे रोका नही!!!अगर शादी से पहले या बाद मे भागने का प्लान हो तो मुझे जरूर बताना, वैसे अभी भी देर नही हुई।"
"ओए चितकबरी!!! जबान संभाल के। अगर तूने मेरी शादी मे मेरी होने वाली बीवी को भगाने की कोशिश की या कोई बखेड़ा खडा किया तो......!!!!"
"तो!!! तो क्या!!! बोल....क्या करेगा?"
"तो मै...तो मै....तो मै तुझे ही भगाके ले जाऊंगा"
"मेरी किस्मत इतनी फूटी नही है"
"मतलब तु मानती है की तेरी किस्मत फूटी है!!!" कार्तिक के इस कटाक्ष से चित्रा गुस्से मे तिलमिला उठी। "इन दोनो को रोकना होगा इससे पहले की दोनो एक दूसरे का सर फोड़ दे!" सिया ने सर पर हाथ रखते हुए कहा।
सिया और सारांश ने आकर बीच बचाव किया और दोनो को शांत कराया। सिया ने चित्रा और सारांश को फ्रेश होने के भेज दिया। थोड़ी ही देर मे दोनो ने खाने की टेबल पर सब को जॉइन किया लेकिन चित्रा और कार्तिक की टशनबाज़ी कम नही हुई। दोनो ही आमने सामने बैठे एक दूसरे को चिढ़ाने और परेशान करने का एक भी मौका नही छोड़ रहे थे। सिया सारांश और धानी ने वहीं अपना सर पिट लिया। बाकी सब उन दोनो का बचपना देख मन ही मन हँसे जा रहे थे।
खाना खाकर काव्या जब अवनि से बात करने कमरे मे गयी तो देखा अवनि बैग मे कुछ ढूंढ रही थी। "क्या ढूंढ रही है अवु! कुछ खो गया है क्या? " काव्या ने पूछा।
"मिल गया" अवनि ने लंबी साँस भर कर कहा।
"क्या मिल गया?" काव्या ने पूछा।
"लेटेस्ट रेसिंग गेम की सीडी है, मानव से मंगवाया था खास सिया मैम के बेटे के लिए। मै अभी उन्हे देकर आती हु।" अवनि ने कहा।
"तु जानती है उनके बेटे को!!तुझे कैसे पता उसे ये सब पसंद आयेगा!! तुझे पता भी है उसके बारे मे!!!" काव्या को अवनि की किसी बात का सर पैर नज़र नही आ रहा था।
"उनके फोन के वॉलपेपर मे देखा था।. चार पाँच साल का होगा। बहुत क्यूट है। मै अभी उन्हे देकर आई" कहकर अवनि बाहर निकल गयी।
अवनि की बात सुन काव्या की बोलती बंद हो गयी। उसे जब तक कुछ समझ आता अवनि जा चुकी थी। काव्या को समझ नही आ रहा था की वह अवनि को कैसे बताये की वह सिया मैम के जिस बेटे के लिए गेम की सीडी लेकर गयी है वो कोई छोटा बच्चा नही बल्कि एक ग्रॉन अप मैन सारांश है।
क्रमश: