Chapter 95
सुन मेरे हमसफ़र 88
Chapter
88
फाइनली फिल्म खत्म हुई और सभी बाहर निकले। काया ने राहत की सांस ली। थिएटर से बाहर निकलते हुए सभी फिल्म के बारे में बात कर रहे हैं। खास कर जहां हीरो ने हीरोइन को किस किया था। निशी चुप थी लेकिन कुहू और सुहानी बोले जा रही थी। काया बहुत ही ज्यादा अनकंफरटेबल हो रही थी। उसने बीच में है सब को डांटते हुए कहा "क्या कर रहे हो आप लोग? जरा सा भी ध्यान नहीं है कि मैं भी हूं यह पर। घर में सबसे छोटी हूं मैं, मेरे सामने ऐसी बात करोगे आप लोग तो मैं...... तो मैं.....…. तो मैं मम्मी को बता दूंगी।"
निशी खुद भी इस बारे में बात नहीं करना चाहती थी। जाने क्यों, लेकिन फिल्म देखते हुए उसे अव्यांश की नजदीकी याद आ रही थी। लेकिन सुहानी और कुहू, दोनों अपनी अलग ही दुनिया में मस्त थे। काया की बात सुनकर दोनों ने प्यार से काया की दोनो बांह को पकड़ा और बोली "घबरा मत। तेरी लाइफ में जब कोई आएगा तो तू इस तरह घबराएगी नहीं, बल्कि शरमाएगी।"
क्या अपनी बहनों की ऐसी बातों से और ज्यादा घबरा गई। जितना ही वह इस बारे में सुन रही थी, उतना ही बार-बार उसे ऋषभ का ख्याल आ रहा था। मन ही मन उसे याद कर काया गुस्से में जल उठी। 'ऐसे कैसे कोई इंसान ऐसे ही मेरा फर्स्ट किस चुरा ले गया? वाकई मैं उसे जान से मार डालूंगी।' काया मन ही मन चिल्लाई।
निशी ने बात बदलते हुए कहा, "हम लोग डिनर बाहर करने वाले है या घर चले?"
सुहानी और कुहू ने एक साथ कहा, "हम बाहर ही खायेंगे। अगर तुम्हे अंशु के साथ खाना है तो उसे भी अपने साथ ले सकते है। या फिर कहो तो तुम्हे उसके पास भेज दे?" निशी चुप हो गई। इनके सामने कुछ कहने का मतलब अपनी टांग खिंचाई करवाना था।
कुहू को एकदम से याद आया और वो बोली, "काश इस वक्त शिवि भी हमारे साथ होती! काफी टाइम हो गया हमे एक साथ बाहर गए हुए। आज निकले भी तो उसको फुर्सत नही है।"
काया ने कहा, "कोई बात नही। हम उनके हॉस्पिटल चलते है। दादी का मैसेज आया था कि शिवि दी को बड़ी मां से बचने के लिए हमारी जरूरत पड़ेगी। उनके सामने झूठ बोलने से बेहतर है हम चलते है और उनको भी साथ ले लेते है। अगर वो फ्री नही हुई तो हॉस्पिटल के बाहर ही हम खाना खा लेंगे और एक सेल्फी लेकर बड़ी मां को भेज भी देंगे। फिर शिवि दी को डांट भी नही पड़ेगी।" सबको काया का ये आईडिया पसंद आया और वो सभी शिवि के हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े।
*****
इधर शिवि परेशान थी और बार बार अपनी घड़ी देख रही थी। एक घंटा कबका गुजर चुका था लेकिन कुणाल का कही कोई अता पता नहीं था। शिवि ने कुणाल को कॉल भी किया लेकिन कुणाल ने फोन नहीं उठाया। "ये डफर आज आएगा भी या नहीं? या फिर सोया पड़ा होगा कहीं अपने दोस्त के साथ? एक बार मिल जाए मुझे फिर.........!" अपने आप में भुनभुनाती हुई शिवि बाहर निकली।
बाहर आकर शिवि ने देखा, उसकी एक नर्स रिसेप्शन पर साइड में बैठी रोए जा रही थी। शिवि ने देखा तो पूछा, "क्या हुआ उर्वशी? तुम इस तरह रो क्यों रही हो? क्या हुआ है?"
उर्वशी का रोना सिसकियोए बदल चुका था। वो रोते हुए बोली, "मैम! जब किस्मत में ही रोना लिखा हो तो क्या ही किया जा सकता है!"
शिवि को कुछ साझ नही आया तो साथ बैठी दूसरी नर्स ने कहा, "मैम! उर्वशी जिस लड़के को पसंद करती थी, इसके घरवालों ने उसका रिश्ता अनजाने में उस लड़के के ताऊ जी के बेटे के साथ तय कर दिया है। उसपर से भी, उस लड़के ने इस रिश्ते के लिए हां कर दिया है। अब बेचारी रोएगी नहीं तो और क्या ही करेगी।"
शिवि को बहुत बुरा लगा। उसने कहा, "एक बार अपने दिल की बात उसे बताओ। कुछ तो कहो उसे ताकि उसे पता चले कि तुम्हारे दिल में क्या है।"
उर्वशी ने रोते हुए कहा, "लेकिन मैम! उसने भी तो कुछ नहीं कहा। अगर याके दिल में मेरे लिए कोई फीलिंग्स होती तो एक बार तो इस रिश्ते को होने से रोकता। ऐसे शादी के लड्डू नही बांट रहा होता।"
शिवि ने उसे समझाते हुए कहा, "वो लड़का उसके ताऊ जी का बेटा है यानी उसका भाई है। घर परिवार में हमे बहुत से ऐसे समझौते करने पड़ते है, जो नही करने चाहिए। हो सकता है वो तुम्हारे कुछ कहने का इंतजार कर रहा हो। शादी तुम्हारी तय हुई है, ऐसे में अगर तुम चुप रही तो फिर वो कैसे कुछ कह पाएगा? आखिर क्या सोच कर वो तुम्हारे पास आए? एक बार उसे अपने दिल की बात कहकर देखो, हो सकता है वो भी तुम्हारे कुछ कहने का इंतजार कर रहा हो।"
शिवि को पता ही नही चल कब कुणाल वहां खड़ा उसकी बातें सुन रहा था।
उर्वशी को समझाने के बाद शिवि उठी और बाहर की तरफ जाने को हुई तो उसे अपने सामने कुणाल खड़ा नजर आया। शिवि की बातें सुनकर कुणाल सोच में पड़ गया था। कि वो शिवि से अपने दिल की बात कहे या ना कहे। क्योंकि बात यहां सिर्फ कुहू की नहीं थी बल्कि नेत्रा भी उसके साथ जुड़ी थी। अपनी दो बहनों को सामने देखते हुए क्या शिवि उसके बाद उसकी बातों पर भरोसा भी करेगी? यह सोचकर कुणाल परेशान हो रहा था।
शिवि उसके सामने आई और अपना हाथ बांधकर बोली "इंसान को हमेशा वक़्त का पाबंद होना चाहिए। जो लोग वक्त को बर्बाद करते हैं, वक्त 1 दिन उन्हे बर्बाद कर देता है।"
कुणाल ने नजरें नीची कर ली। वो जानता था, शिवि के बुलाने से वह पूरा एक घंटा लेट है। लेकिन वो करता भी क्या? शिवि ने खुद सामने से उसे मिलने बुलाया था, ऐसे में उसे अच्छे से तैयार होना था और अच्छा भी दिखना था, जिसके लिए उसने अपने दोस्त कार्तिक को बहुत बुरी तरह परेशान किया था।
कार्तिक सिंघानिया ने भी परेशान होकर बोल ही दिया "अपनी किसी भी डेट पर तूने इतनी मेहनत नहीं की होगी जितनी तू आज कर रहा है। उसने तुझे बात करने के लिए बुलाया है, तूझे डेट पर नहीं पूछा।"
लेकिन कुणाल भी कहा यह सब सोचने वाला था। उसने सीधे से जवाब दिया "अब तक जितनी भी डेट पर गया हूं, वो लड़कियां मेरे लिए कभी कोई मायने नहीं रखती थी। आज भले ही हमारी डेट ना हो, लेकिन मुझे उस लड़की ने मिलने बुलाया है जिसे मैं प्यार करता हूं। भले ही उसके लिए मैं एक अनजान हूं, और उसके लिए कोई मायने नहीं रखता लेकिन वो रखती है मेरे लिए।"
कार्तिक ने उसके कंधे पर हाथ रखा और समझाते हुए बोला "अभी भी वक्त है। अपने कदम वापस ले ले। मुझे नहीं लगता वो कभी तेरे करीब आएगी।"
कुणाल ने भी उसी कॉन्फिडेंस से जवाब दिया था, "एक बार कोशिश करने में हर्ज ही क्या है! पूरा 1 साल मैंने उसे ढूंढने में गुजार दिया। अब जब वह मिली है तो ऐसे ही हार नहीं मान सकता।"
शिवि ने उसकी आंखों के सामने चुटकी बजाई तो कुणाल होश में आया और बोला "सॉरी! मैं वो थोड़ा लेट हो गया। सॉरी!"