Chapter 132
YHAGK 131
Chapter
131
क्रिसमस के लिए सबके अपने अपने आइडियाज थे और अपने अपने प्लान! तो सब उसी में लगे हुए थे। लावण्या का कोई प्लान नहीं था और ना ही रेहान का। इशिता के साथ हुए हादसे के बाद रेहान ने क्रिसमस को याद करना ही बंद कर दिया। मानव और राहुल विहान के साथ जाने वाले थे और मौली रूद्र के साथ। शरण्या पहले से तैयार थी, उसे कुछ करने की जरूरत नहीं थी।
रूद्र तैयार हुआ और अपने कमरे से बाहर निकला तो उसे विहान मिल गया। उसके चेहरे पर हल्की परेशानी साफ नजर आ रही थी। रूद्र उसके पास आया और बोला, "क्या हुआ? तेरी शक्ल पर 12:00 क्यों बज रहे हैं? अभी कुछ देर पहले तब तो सब कुछ नॉर्मल था। तेरी किसी पुरानी गर्लफ्रेंड का फोन आया है क्या?" कहकर रूद्र हंस पड़ा।
विहान बस मुस्कुरा दिया और बोला, "नेहा के बारे में तुझसे कुछ बात करनी थी!"
रूद्र के चेहरे के भाव एकदम से गंभीर हो गए और वो विहान के साथ कलडोर में चलते हुए बोला, "नेहा के बारे में क्या बात करनी थी? सब ठीक तो है? देख अगर वो ईशान को लेकर टेंशन में है तो उसकी तरफ से निश्चिंत हो जा, वह अब कभी भी जेल से बाहर नहीं आएगा।"
विहान बोला, "बात ईशान की नहीं है। बात नेहा की है। वह सिंधिया के बारे में.........! तुझे क्या लगता है, यह सिंधिया नेहा के लिए सही होगा?"
रूद्र बोला, "देख भाई! रजत को मैं जितने भी समय से जानता हूं, बहुत अच्छे से जानता हूं। वो एक सीधा साधा इंसान है जिसकी लाइफ में कुछ कर गुजरने की चाहत थी जिस वजह से उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही। इतने सालों से सिंगल रहा। नेहा के बारे में सारी छानबीन उसी ने की थी। उसे नेहा के बारे में बहुत अच्छे से पता है और सारी बातें जानते हुए भी वह नेहा की तरफ कदम बढ़ा रहा है, इसका मतलब यह कि वह वाकई में उसे पसंद करता है। जहां तक मैं रजत को जानता हूं वह बहुत ही अच्छा इंसान है और नेहा को कभी कोई तकलीफ नहीं होने देगा।"
लेकिन विहान के लिए इतना काफी नहीं था। उसके चेहरे पर अभी भी हल्की परेशानी थी तो रूद्र एकदम से उसे रोक कर बोला, "अगर कुछ और बात है तो तू मुझे बता सकता है! हमारे बीच ऐसे छुपाने वाली कोई बात नहीं होनी चाहिए, खासकर जब बात नेहा की है। उसने बहुत कुछ झेला है, वह भी बिना किसी गलती के! उसके एहसान है मुझ पर और उसकी जिम्मेदारी भी। तो मुझसे कुछ मत छुपाना।"
विहान हिचकते हुए बोला, "नेहा एक बहुत अच्छी लड़की है यार! उसके साथ बहुत बुरा हुआ लेकिन अब जो भी हो वो अच्छा हो। मैं नहीं चाहता कि एक बार फिर उसे कोई उम्मीद नजर आए और छिन जाए। मैं रजत पर कोई सवाल नहीं करना चाहता। तुझ पर भरोसा है मुझे लेकिन फिर भी.....! मैं चाहता हूं नेहा की तरफ जो भी हाथ बढ़े वह नेहा का हाथ भी थामे और......... और उसके बच्चे का भी। हर किसी में इतनी हिम्मत नहीं होती। तू समझ रहा है ना?"
बच्चे की बात सुनकर रूद्र सोच में पड़ गया। आगे रजत का फैसला क्या होगा यह खुद भी नहीं जानता था। वह दोनों बातें करते हुए नीचे आए। बच्चे अभी तक तैयार होकर नीचे नहीं आए थे। रूद्र सबके बीच आकर बैठा जहां पहले से धनराज जी, मिस्टर रॉय और बाकी घर वाले पहले से मौजूद थे। लावण्या भी तैयार होकर बस आने ही वाली थी।
रेहान ने एकदम से पूछ लिया, "रूद्र...! कहीं तुम हमारी कंपनी टेकओवर करने का तो नहीं सोच रहे हो?"
रूद्र चौक पड़ा और हैरान होकर बोला, "मैं क्यों वह कंपनी टेकओवर करूंगा? दोनों कंपनी अलग अलग है, उनके काम करने का तरीका अलग है। अगर दोनों को एक साथ मर्ज कर दिया तो फिर हमें भी प्रॉब्लम होगी आज तुम्हें भी। इसलिए बेटर है कि यह दोनों कंपनी अलग ही रहे। वैसे तुम्हारा आईडीया इतना बुरा भी नहीं है लेकिन तुम शायद भूल रहे हो मेरे पास उस कंपनी का एक भी शेयर नहीं है। हां वैसे 5 परसेंट शेयर अभी भी मेरे पास है और इतने से किसी कंपनी को टेकओवर नहीं किया जा सकता।"
रूद्र की बात सुन रेहान को थोड़ी तसल्ली हुई वरना इतने दिनों से वह परेशान सा घूम रहा था। उसको ये बात याद ही नहीं रही कि कंपनी के सारे शेयर उसकी मां और उसकी सासू मां के नाम पर थे। अब वह दोनों उस कंपनी के मालकिन थी।
विहान और मानसी बच्चों को लेकर जाने को हुए तो लावण्या पीछे से आवाज देते हुए बोली, "विहान.....! क्या मैं भी तुम लोगों के साथ चल सकती हु? वैसे भी थोड़ी घुटन सी महसूस हो रही थी। बाहर जाऊंगी, नए लोगों से मिलूंगी तो शायद थोड़ा अच्छा लगे। शरण्या भी घर पर नहीं होगी तो वैसे भी मेरा मन नहीं लगेगा। आज ऑफिस भी नहीं है और कुछ काम करने का मन भी नहीं कर रहा। तुम लोगों को कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?"
विहान मुस्कुरा कर बोला, "ज्यादा सफाई दी तो मार खाएगी! ज्यादा पटर पटर करने की जरूरत नहीं है, चलकर गाड़ी में बैठ। इन चार बच्चों को एक साथ में कैसे संभालूंगा जरा बताना! तू रहेगी साथ में तो थोड़ी हेल्प हो जाएगी।"
मानसी ने सुना उसे एक कोहनी लगा दी। लावण्या उन दोनों की नोकझोंक देख कर मुस्कुराए बिना ना रह सकी। वह भी उन दोनों के साथ बाहर निकल गई। पीछे रेहान बस देखता रह गया। लावण्या ने एक बार भी रेहान से इस बारे में बात करना जरूरी नहीं समझा।
मिस्टर रॉय काफी देर से रूद्र से कुछ बात करना चाह रहे थे लेकिन उन्हें हिचकिचाहट हो रही थी और मौका भी नहीं मिल पा रहा था। शरण्या मौली को लेकर नीचे आई तब रूद्र वहां से जाने को उठा। मिस्टर रॉय ने रूद्र को पीछे से आवाज दी, "रूद्र......!"
रूद्र ने जैसे ही उनकी आवाज सुनी, वह उनकी तरफ पलटा। मिस्टर रॉय के चेहरे पर जो भाव् थे उन्हें देखकर रूद्र समझ गया कि वह काफी देर से उससे कुछ बात करना चाह रहे थे। रूद्र को एकदम से खयाल आया और उसने कहा, "आपके ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए जो फंड देने की बात हुई थी वह आज शाम तक रिलीज हो जाएगी। इस प्रोजेक्ट में आपको जितनी भी जरूरत होगी आप बेझिझक कह सकते हैं। हमें बस उस प्रोजेक्ट के पूरा होने से मतलब है और किसी चीज से नहीं। अगर आप चाहें तो दोनों कंपनी एक साथ मिलकर उसे प्रमोट कर सकती है, बस एक बार वह पूरा हो जाए। आप चिंता मत कीजिए, आज शाम तक आपको अमाउंट का 50% मिल जाएगा। एक साथ इतना बड़ा अमाउंट रिलीज करना हमारे लिए पॉसिबल नहीं हो पाएगा। इसलिए जैसे जैसे काम होते जाएगा आपको फंड मिलते जाएंगे।"
मिस्टर रॉय ने चैन की सांस ली। उन दोनों के बीच के रिश्ते अभी भी कुछ खास अच्छे नहीं हुए थे जिसके तहत रूद्र मिस्टर रॉय को पापा कह कर बुलाता, जिस तरह रेहान बुलाता था। शरण्या ने बड़े गौर से रूद्र के चेहरे की तरफ देखा और समझने की कोशिश करने लगी। रूद्र की बातें, उसकी आदतें और हरकतें बिल्कुल किसी मैच्योर इंसान की थी जिसमें बचपना बिल्कुल भी नहीं था। एक डिसिप्लिन था जो बड़े लोगों में होती हैं लेकिन फिर भी शरण्या अपने उसी रजिया को ज्यादा मिस कर रही थी।
रूद्र ने उसके सामने हाथ हिलाया और कहा, "चले मैडम! वापस घर भी आना है!" शरण्या की तंद्रा टूटी और रूद्र और मौली के साथ बाहर निकल गई।
नेहा के हॉस्पिटल में शाम को क्रिसमस की पार्टी थी जहां चिल्ड्रंस वार्ड में खास इंतजाम किए गए थे। बच्चे खुश थे उनका सैंटा जो आने वाला था। नेहा ने खुद को बिजी रखने के लिए पार्टी की सारी तैयारियां खुद से की। वह खुद उलझन में थी। उस बच्चे को लेकर अभी भी वह कुछ भी तय करने की हालत में नहीं थी। वह बच्चा उस ईशान का था लेकिन वह बच्चा उसका भी तो था! आखिर कैसे वो अपने ही बच्चे की जान ले सकती थी? लेकिन फिर अगले ही पल यह ख्याल आता कि इंशान ने किस कदर उसे चोट पहुंचाई थी। ऐसे में वह ईशान के किसी भी चीज से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती थी। वह खुद इस वक्त दोराहे पर खड़ी थी और उसके दिल और दिमाग के बीच जंग चाल रही थी।
इतने में उसके सर के ऊपर एक बलून फटा और ढेर सारे चमकीले कागज उसके ऊपर गिरने लगे। बच्चे खुश होकर ताली बजाने लगे तभी सेंटा की आवाज सुनाई दी, "हो...! हो.....! हो.....! किसी ने मुझे याद किया? लो मैं चला आया!"
नेहा ने पलट कर देखा तो सेंटा के ड्रेस में दाढ़ी मूछ लगाएं एक इंसान एक हाथ में थैली के साथ वहां आया था। नेहा को लगा उसके हॉस्पिटल का वार्ड बॉय है जिसे उसने सेंटा बन कर आने को कहा था। उसे देख नेहा मुस्कुरा दी और वहां से जाने को हुई तो सेंटा ने नेहा का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया। नेहा हैरान सी रह गई तो उस आदमी ने कहा, "जहाँ खुशियों के रंग हो वहां से मुंह मोड़ कर नहीं जाते। जिंदगी में खुशियों के रंग बहुत कम मिलते हैं लेकिन जितने भी मिले उन सब में रंग जाना चाहिए।"
नेहा उस आवाज को पहचान गई। उसने हैरानी से उस चेहरे की तरफ देखा और फिर उस इंसान के चेहरे पर से दाढ़ी मूछ उतार दिया। नेहा एकदम से बोल पड़ी, "मिस्टर सिंधिया! आप यहां? इस हालत में?"
रजत बोला, "क्यों? आज की रात तो यह नॉर्मल कॉस्टयूम है! आज रात ना जाने कितनों ने यह ड्रेस पहनी होगी! मैं नहीं पहन सकता क्या? या फिर आपको मैं सिर्फ फॉर्मल सूट में अच्छा लगता हूं? आप कहे तो मैं अभी इसे उतार दूं। वैसे मैंने अंदर कुछ और कपड़े नहीं पहने हैं लेकिन क्या फर्क पड़ता है, डॉक्टर के सामने तो........!"
नेहा एकदम से चीख पड़ी, "शट अप!!!!" और बाहर की तरफ चली गई। रजत अपने हाथ मे पकड़ा बैग बच्चों की तरफ बढ़ा कर बोला, "इसमें आप सबके लिए गिफ्ट है। आप लोग आपस में बांट दो और लड़ाई मत करना।" कहते हुए वह भी नेहा के पीछे भागा।
नेहा कॉरिडोर से चलते हुए अपने केबिन की तरफ गई। रजत उसके पीछे चलते हुए बोला, "वैसे आप गुस्से में और भी ज्यादा अच्छी लगती हैं। यह बात शायद आपको किसीने कहीं नहीं होगी!"
रजत की बातें नेहा को गुस्सा दिलाने के लिए काफी थी। वो एकदम से रजत की तरफ पलटी और उस पर चिल्लाना चाहा लेकिन उसी वक्त उसका पैर फिसला और वो गिरने को हुई लेकिन रजत ने एक हाथ से उसकी कमर पकड़ ली और दूसरे हाथ से उसकी एक कलाई। नेहा बुरी तरह से घबरा गई और रजत केस सीने से लग गई।
कुछ देर बाद नेहा को खयाल आया तो वह रजत से दूर हुई और अपने दोनों हाथ से अपने पेट को ढँककर घबराते हुए बोली, "सब ठीक है! सब ठीक है!! कुछ नहीं हुआ!"
नेहा की यह हरकत देख रजत को समझते देर न लगी कि नेहा प्रेग्नेंट है। एक पल को जैसे उसकी दुनिया हिल गई हो। उसने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी कि नेहा प्रेग्नेंट हो सकती है। उसने नेहा को पकड़ कर आराम से वहीं पड़े कुर्सी पर बैठाया और उसके लिए पानी लेकर आया। पानी पीने के बाद नेहा थोड़ी शांत हुई और रजत से बोली, "मिस्टर सिंधिया! मैंने कहा था आपसे, हमारे रास्ते अलग है और हमारी मंजिल भी। आप यहां आए, बच्चों के लिए गिफ्ट लेकर आए, मुझे बेहद खुशी है लेकिन आप की हद मेरी हद से बाहर है। इसलिए बेहतर होगा उन्हें लाँघने की कोशिश ना करें। हम दोनों की दुनिया अलग है जो हम दोनों को अलग इंसान बनाती हैं। ना आपकी किस्मत को मैं जी सकती हूं ना ही मेरी किस्मत को आप बदल सकते हैं। मेरे साथ जो हुआ शायद मेरे ही किसी गलती का नतीजा हो! जो हुआ क्यों हुआ यह सोचने की बजाय आज जो मेरे पास है मैं उसी में खुश रहना चाहती हूं। मुझे अपनी लाइफ में किसी के सहारे की जरूरत नहीं है। इतनी कमजोर नहीं हु मैं! मैं और मेरा बच्चा, हम दोनों एक दूसरे के लिए काफी हैं। इसलिए बेहतर होगा आप आइंदा इधर ना आए।"
नेहा उठी और वहां से चली गई। रजत वहीं खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा।