Chapter 126

Chapter 126

YHAGK 125

Chapter

 125




     रात काफी हो चुकी थी। रूद्र ने शरण्या को बड़े प्यार से थपकी देकर सुलाया और उसके सोने के बाद कमरे का दरवाजा बंद कर अपने दूसरे कमरे में चला आया। उसके मन में बहुत कुछ चल रहा था। शरण्या उसकी जिंदगी में वापस आ गई थी लेकिन कब तक.......! एक डर उसके मन को घेरे हुए था। उन दोनों का रिश्ता सिर्फ शरण्या की वजह से ही आगे बढ़ पाया था, लेकिन इतने सालों के बाद आगे क्या होने वाला था से कोई नहीं जानता था। 


      शिखा जी सोने की तैयारी में थी। वह बाथरूम से निकली, उस वक्त धनराज जी बिस्तर पर बैठे कोई फाइल देख रहे थे। शिखा जी उनके करीब आई और बोली, "इस वक्त आप क्या देख रहे हैं? मुझे लगा था इतना कुछ होने के बाद अब आप रिटायरमेंट ले लेंगे! रुद्र वापस आ गया है और उसने सब कुछ ठीक कर दिया। अब तो मेरे लिए वक्त निकाल लिया करिए।"


    धनराज जी ने मुस्कुराकर वह फाइल बंद करते हुए कहा, "यह वही फाइल है जो सिंधिया लेकर आए थे। रूद्र ने मंगवाया था। रूद्र चाहता था एक बार मैं अच्छे से देख लू, बस वही चेक कर रहा था।"


    शिखा जी उनके पास बैठते हुए बोली, "ऐसा क्या है इस फाइल में जो इतने ध्यान से आप देख रहे हैं?"


    धनराज जी उस फाइल पर हाथ फेरते हुए बोले, "इसमें शरण्या के लिए रूद्र का प्यार है।"


     शिखा जी उनकी बातों का मतलब नहीं समझी। धनराज जी बोले, "रूद्र की जो कंपनी है, उसका 65% शेयर रूद्र के पास है जिसमें से 35% शेयर वह शरण्या के हवाले कर रहा है। यानी अपनी कंपनी का मालिक अपनी बीवी को बना रहा है। हमारा बच्चा इतने सालों तक कहां था किस हाल में था यह हम में से कोई नहीं जानता। ना ही वह किसी को कुछ बताएगा। जमी जमाई बिजनेस को हम लोग संभाल नहीं सके। इतना अनुभव होने के बावजूद हम सब मिलकर भी अपना बिजनेस नहीं बचा पाए और हमारा बेटा अकेला अनजान शहर में अनजान लोगों के बीच अकेला........ सब कुछ किस तरह से किया होगा उसने! यह सोच कर ही मेरी आत्मा कांप जाती है। आज वह जिस मुकाम पर है वहां पहुंचने का हर कोई इस बस सपना ही देखता रह जाता है। वह सपना कभी हमने भी देखा था। आज हर किसी को सिर्फ उसकी सफलता नजर आती है। कोई नहीं जानता उस सफलता के पीछे मेरे बच्चे ने कितनी ही रातें जागकर गुजारी होंगी। एक वक्त था जब उसे उसकी नींद बहुत ज्यादा प्यारी थी। रात भर पार्टी करना और दिन भर सोना उसका शौक था। आज यह वही रूद्र है जिसे सोने के लिए नींद की गोलियों की जरूरत पड़ती है। शरण्या के वापस आने से आज बरसों बाद फिर से उसी रूद्र को देखा जिसके रहते घर में हमेशा रौनक बनी रहती थी और जिसे हमेशा मैं डांटते रहता था लेकिन रेहान के साथ उसके रिश्ते को मैं चाह कर भी ठीक नहीं कर पा रहा हूं। रूद्र हमेशा उसके गुस्से को नजरअंदाज कर देता था। रेहान हमेशा रूद्र की गलतियां छुपाता था। दोनों भाई में बहुत प्यार था लेकिन वो प्यार कहीं खो सा गया लगता है। उसने रेहान के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी दे दी! किसी से कुछ नहीं कहा और चुपचाप यहां से चला गया। किसी को भनक तक नहीं लगने दी। इसके बावजूद रेहान स्वार्थी हो रहा है। आज जिस तरह से उसने मौली से बात की और जिस तरह रूद्र ने अपनी बेटी का बचाव किया, मेरी समझ नहीं आ रहा क्या मैंने रूद्र और मौली को इस घर में लाकर कोई गलती की?"


   शिखा जी बोली, "आपने कोई गलती नहीं की। अगर किसी ने गलती की तो वह सिर्फ रेहान ने की थी। हां कुछ गलती रूद्र की भी थी। उसे इस तरह से शरण्या को छोड़कर नहीं जाना चाहिए था। उसकी वजह से शरण्या ने जो सहा है उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता लेकिन उससे कहीं ज्यादा दर्द रूद्र ने सहा। वह तो अपनी हर उम्मीद खो चुका था। इसके बावजूद वह वापस लौटा। अगर वह वापस ना आता तो हम अब तक यही समझ रहे होते कि वह लाश शरण्या की थी। माना शरण्या ने रूद्र की वजह से बहुत बुरा वक्त देखा लेकिन आज शरण्या हमारे बीच है वह भी तो रूद्र की वजह से है। उन दोनों का प्यार सच्चा है इसीलिए भगवान भी उन्हें अलग नहीं कर पाए। शरण्या पिछली सारी बातें भूल चुकी है। ना जाने उससे कब तक याद आए और तब ना जाने क्या हो! भगवान से बस यही प्रार्थना है कि अब जो भी हो सब अच्छा हो। दोनों बच्चों ने बहुत दर्द सह लिया। अब उनकी जिंदगी में खुशियां लौट आए। रही बात रेहान की तो उसे समझना होगा, सब कुछ उसके हिसाब से नहीं चल सकता। यह घर रूद्र का भी है और उसकी जिंदगी उसकी खुशियां भी मायने रखती है। स्वार्थी होकर वह सिर्फ अपने बारे में सोच रहा है लेकिन वह यह भूल रहा है कि सच्चाई कभी छुपती नहीं, एक न एक दिन वह सबके सामने आ ही जाती है। लावण्या को भी 1 दिन सच का पता चल ही जाएगा। तब वह किस तरह से रिएक्ट करेगी यह हम सब जानते हैं। कोई भी लड़की यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकती। अनन्या ने तो ललित भाई साहब को आज तक माफ नहीं किया। ऐसा धोखा एक पत्नी भूले भी तो कैसे! एक औरत सब कुछ बांट सकती है लेकिन अपना पति नहीं! लावण्या का फैसला क्या होगा यह तो सिर्फ लावण्या ही बता सकती है।"


     धनराज जी बोले, "मैं भी वही सोच रहा हूं लेकिन आज एक बात मुझे हैरान कर गई। मौली जो कभी किसी से भी बदतमीजी से बात नहीं करती तबतक जबतक की बात उसके पिता की ना आए। लेकिन जिस तरह उसने रेहान से बात की, उसकी बातों में गुस्सा कम और नफरत ज्यादा थी। मैंने कभी उन दोनों को एक साथ बैठकर बात करते नहीं देखा है। यहां तक कि दोनों आमने सामने भी नहीं आते। क्या मौली इस बारे में कुछ जानती है? मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा!"


     शिखा जी ने सर झुका लिया और धीरे से बोली, "मौली जानती है! अपने बारे में भी और रेहान के बारे में भी! इसीलिए नफरत करती है अपने पिता से। अपने उस पिता से जिसकी वजह से उसके डैड की जिंदगी खराब हुई। जिसकी वजह से उसकी शरण्या मॉम इतने टाइम तक तकलीफ मे रही। बहुत समझदार बच्ची है वह। आज जो रेहान ने किया वह बिल्कुल भी सही नहीं था। किसी के लिए भी नहीं। आप सोइए मैं आती हूं।"


     धनराज जी बोले, "इस वक्त कहां जा रही हो? सारे बच्चे सो रहे हैं!"


    शिखा जी बोली, "जानती हूं सब सो रहे हैं! लेकिन मुझे फिक्र उसकी हो रही है जो शायद इस वक्त जाग रहा होगा!" कहकर वहां से निकल गई। 






 शिखा जी को इस वक्त रूद्र को देखने की की इच्छा हुई और यह बात धनराज जी अच्छे से समझ रहे थे। इतना सब कुछ हो चुका था कि अब अपने बेटे के लिए उनका दिल बात-बात पर घबरा जाता। उन्होंने देखा हल्की मद्धम रोशनी जल रही थी और बिस्तर पर सिर्फ शरण्या सोई हुई थी। रूद्र वहां नहीं था। वह रूद्र के दूसरे कमरे में गई। वहां पूरा अंधेरा था। उन्हें लगा शायद रूद्र सो गया है इसीलिए वहां से जाने को हुई। फिर ना जाने किस ख्याल से उन्होंने कमरे की लाइट ऑन कर दी। 


    उनका शक बिल्कुल सही निकला। रूद्र अपने बिस्तर पर नहीं था, बल्कि खिड़की के पास बैठा किसी सोच में गुम था। कमरे में रोशनी होते ही रूद्र की भी तंद्रा टूटी। उसने पलट कर देखा तो अपनी मां को पाया और कहा, "मां....! आप इतनी रात को यहां क्या कर रही है? सोए नहीं आप?"


    शिखा जी बोली, "तू भी तो जाग रहा है। बच्चे जाग रहे हो तो मां को नींद कैसे आएगी? खासकर तब जब उसका बच्चा परेशान हो! शरण्या वापस आ गई है। तेरा भरोसा तेरा प्यार जीत गया फिर तुझे नींद क्यों नहीं आ रही?"


    रूद्र नजर चुराते हुए बोला, "कुछ नहीं मां! वह शायद दवाई नहीं ली इसलिए नींद नहीं आ रही।"


     शिखा जी मुस्कुरा कर बोली, "तेरी दवाई तो उस कमरे में सो रही है, फिर तुझे नींद कैसे आएगी? आज जो कुछ हुआ उसको लेकर परेशान हो?"


    रूद्र ने कुछ नहीं कहा तो शिखा जी बोली, "मैं समझती हूं रूद्र! मौली को लेकर रेहान का बर्ताव हम में से किसी को भी पसंद नहीं आया। ना जाने उसे किस बात की चिढ़, किस बात का गुस्सा है!"


    रूद्र बोला, "रेहान को मौली से कोई प्रॉब्लम नहीं है मां! उसे डर है, उसे डर है कि कहीं उसका झूठ लावण्या के सामने ना आ जाए! उसे डर है कि लावण्या को सारी सच्चाई ना पता चल जाए और उसका यह डर उसे बेचैन कर दे रहा है। ना चाहते हुए भी उससे वह सब करवा रहा है जो वह नहीं करना चाहता। मैं जानता हूं रेहान को मौली से कोई प्रॉब्लम नहीं है, जब तक कि दुनिया की नजरों में वह मेरी बेटी है। मुझे रेहान से कोई शिकायत नहीं है। आज उसने जो किया बस मुझे गुस्सा आ गया। मेरी बेटी पर कोई भी उंगली उठाए मुझसे बर्दाश्त नहीं होता और उसने हाथ उठाना चाहा, यह मैं कैसे देख सकता था? मौली तो नफरत करने लगी है रेहान से। अब मैं उसे कैसे समझाऊं! जो कुछ भी हुआ उसमें जितना दोष रेहान का है उससे कहीं ज्यादा मेरा है। शरण्या के साथ जो भी हुआ वह सिर्फ और सिर्फ मेरी वजह से हुआ। अगर मैं उससे दूर नहीं जानता तो यह सब होता ही नहीं लेकिन अगर मैं ऐसा नहीं करता तो आज मेरे मौली मेरे पास नहीं होती! क्या सही है क्या गलत कुछ नहीं पता! मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा! अब तक जो हुआ सो हुआ लेकिन अब जो मैं कर रहा हूं वह वाकई में गलत है!"


   शिखा जी ने हैरान होकर पूछा, "गलत क्या है बेटा? अब तो सब कुछ सही हो रहा है, इसमें तुम्हें गलत क्या लगता है?"


    रूद्र बाहर की तरफ देखते हुए बोला, "अपने बीवी को धोखा देना, क्या यह गलत नहीं है? उसके साथ मिलकर मैं उसी को धोखा दे रहा हूं। इतने सालों तक उससे दूर रहा लेकिन कभी उसे धोखा नहीं दिया। आज मैं वही कर रहा हूं धोखे से उसके साथ कुछ लम्हे चुरा रहा हूं, जिंदगी गुजार रहा हूं। जिस दिन उसे इस धोखे का एहसास होगा, वह मुझे माफ नहीं करेगी। सब कुछ भूल कर वो मेरे पास है लेकिन क्या सब कुछ भुला कर वह मेरे साथ होगी? या फिर हमारे रिश्ते में अभी भी अग्नि परीक्षा बाकी है?"


   शिखा जी उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली, "जितना प्यार तु उससे करता है उतना शायद ही कोई किसी से करें! तुझे लगता है कि तू उसे धोखा दे रहा है जबकि ऐसा नहीं है, और तब तुझे नींद नहीं आ रही। अपने भाई को देख! वह तो अपनी बीवी से बेवफाई करके बैठा है और फिर भी चैन की नींद सोया है। तुम दोनों में वाकई बहुत ज्यादा फर्क है। किसी भी मामले में तुम दोनों एक जैसे बिल्कुल नहीं हो। खुद को संभालो रूद्र! तुम्हें इस वक्त शरण्या को भी संभालना है और मौली को भी।"


    शिखा जी रूद्र को खींचकर बिस्तर तक ले आई और लेटाते हुए बोली, "ज्यादा सोच मत और सो जा। अगर नींद नहीं आती तो शरण्या के कमरे में चला जा। मैं नहीं चाहती कि तू रात भर ऐसे ही जाग कर गुजार दे।*


     रूद्र ने भी अपनी मां की बात मानते हुए कंबल सीने तक खींच लिया और उनका हाथ पकड़ते हुए बोला, "रेहान और मौली के बीच तल्ख़ियां बढ़ती जा रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो उन दोनों के रिश्ते का खुलासा होने में देर नहीं लगेगी। जानता हूं सच्चाई एक न एक दिन सबके सामने आ ही जाएगी लेकिन मैं नहीं चाहता कि इस तरह से आए! लावण्या का हक है यह सब जानना लेकिन.........! मौली इस घर से जाने की बात कर रही थी। वह आप सबके साथ रहना चाहती हैं लेकिन इस घर में नहीं। मैंने उसे समझाया तो है लेकिन कब तक मैं उसे समझा पाऊंगा मुझे नहीं पता।"


   शिखा जी बोली, "आज उसके दोनों पिता आपस में लड़ पड़े। एक वो पिता जिसने उसे जन्म दिया और एक वो पिता जिसने उसे अपनी पूरी जिंदगी दे दी। जाहिर सी बात है, वह रेहान से नफरत करेगी। मुझे पता था ऐसा कुछ जरूर होगा। ज्यादा कुछ मत सोच, सब कुछ वक्त के हवाले कर दे। वक्त बड़ा से बड़ा घाव भर देता है। जब तक तु नहीं सोएगा मैं यहां से नहीं जाने वाली।"


    रूद्र ने कुछ कहना चाहा लेकिन तभी शरण्या की चीख सुनाई दी, "रूद्र.......!" रुद्र एक झटके से उठा और शरण्या के कमरे की तरफ भागा।