Chapter 81
humsafar 81
Chapter
81
श्रेया की बातो पर गौर कर अवनि कुछ देर सोच मे पड़ गयी। आखिर क्या गलत कहा था श्रेया ने! जो सारांश उसके लिए सब कुछ था, जिसके लिए अवनि कुछ भी कर सकती थी उसके लिए क्या वो एक शख्स से नही लड़ सकती थी!!! यही सब सोचते हुए अवनि के चेहरे पर सख्त भाव उभर आये और वह अपने कमरे मे बेचैनी मे टहलते हुए सारांश के आने का इंतज़ार करने लगी।
कुछ देर बाद सारांश कमरे मे आया और अलमारी से टॉवल निकाल कर बाथरूम की ओर जाने लगा। तो अवनि भागती हुई उसके पास गयी, "आपसे कुछ बात करनी थी जरूरी है।"
सारांश ने जब सुना तब टॉवल को साइड मे रख कर अवनि की आंखों में देखने लगा और जानने की कोशिश करने लगा कि आखिर अवनि किस बारे में बात करना चाहती है। जब अवनि कुछ देर खामोश रही तो सारांश ने कहा," हां बोलो अवनि! क्या बात करनी है मैं सुन रहा हूं।"
अवनि बस अपने अंदर की पूरी हिम्मत को समेटने की कोशिश करने मे लगी थी लेकिन उससे जब कुछ कहा नहीं गया तो उसने सारांश से कहा," आप पहले हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो लीजिए।" कहते हुए उसने सारांश को वापस टॉवेल पकड़ा दिया। सारांश ने भी बिना कुछ कहे टॉवल लिया और बाथरूम में चला गया। बाथरूम से निकलकर सारांश अवनि के पास आया और बोला, "अब बताओ! तुम कुछ कह रही थी!"
अवनि ने अपनी पूरी हिम्मत बटोरी और उसने सारांश से कहा, "सारांश......! ये बात मुझे बहुत पहले ही आपको बता देना चाहिए था लेकिन क्या करूं कभी हिम्मत ही नहीं हुई आपसे सच बोलने की। आपने मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाया है लेकिन मैंने आपसे बहुत बड़ी बात छुपाई है।" कहते हुए अवनि की आंखें नम हो गई। उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह सारांश की ओर देखे भी लेकिन इससे पहले वह आगे कुछ कहती इतने में रज्जो आ गई और बोली, "अवनि भाभी! आप की मदर होम को रीटर्न जा रही है इसीलिए आपको कॉल रही है।"
रज्जो की बात सुना अवनी ने हाँ मे सिर हिला दिया और उसके पीछे पीछे चली गई। सारांश इतना तो समझ गया कि अवनि लक्ष्य के बारे में ही बात कर रही थी। वह इसी दिन का तो इंतजार कर रहा था जब अवनि सामने से आकर खुद उसे इस बारे में बताएं। सारांश जानता था कि लक्ष्य सिर्फ उसकी लाइफ में था, कभी उसके दिल में नहीं रहा लेकिन यह बात खुद अवनी के मुंह से ही सुनना चाहता था और शायद आज वह दिन आ चुका था।
कुछ सोच कर सारांश भी उन दोनों के पीछे पीछे नीचे उतर आया। कंचन घर वापस जोने को तैयार थी क्योंकि घर पर अखिल अकेले थे इसीलिए सिया और अवनि ने भी उन्हें रुकने के लिए नही कहा और जाने दिया। श्रेया खाना खाने तक वहीं रुक गयी। कंचन के जाने के कुछ देर बाद चित्रा भी अपने उसी पुराने अंदाज़ मे निक्षय के साथ वहां आई। बड़े दिनों के बाद चित्रा को घर आया देख सिया बहुत ज्यादा खुश हो गयी।
श्रेया ऑफिस के कारण बिजी हो गई थी इसीलिए बड़े दिनों बाद वह चित्रा से मिली। चित्रा श्रेया एक दूसरे को देखकर इतनी ज्यादा खुश हो गयी कि दोनों ने एक कोना पकड़ लिया और बातें करने लगी। उन दोनों को इस तरह से घुलते मिलते देख सारांश ने निक्षय को कोहनी मारी, "तुम्हें पूरा यकीन है ना कि तुम्हारी होने वाली बीवी लेस्बियन नहीं है!"
निक्षय ने एक टेढ़ी नजर से सारांश को घूरा और फिर उन दोनों लड़कियों को जो एक दूसरे से चिपक कर बैठी हुई थी। उन दोनों को ऐसे बैठा देख निक्षय के चेहरे पर एक साथ कई भाव आये गए, जिसे देख सारांश को हंसी आ गई। चित्रा का ध्यान अभी तक अवनि पर नहीं गया था। जैसे ही उसकी नजर अवनी के हाथों में लगी मेहंदी पर गई तो वह चौक गई, "अरे वाह अवनि! यह अचानक मेहंदी सेहंदी और यह सब कुछ! कोई ओकेजन है क्या?"
चित्रा की बात सुन सिया ने कहा, "हां बेटा! वो कल तीज है ना इसलिए। सुहागन अपने पति के लिए व्रत रखती है और कुंवारिया अपने मनचाहे पति को पाने के लिए। तुम दोनों करोगी क्या?"
सिया की बातें सुन निक्षय ने उम्मीद भरी नजरों से चित्रा की ओर देखा। चित्रा और श्रेया ने दो पल सिया को देखा और फिर से एक दूसरे की तरफ देख कर बोली, "व्रत और हम!!! ना...............!"
निक्षय जानता था चित्रा कैसी है। उसे अच्छे से पता था कि वह कभी इस तरह का कोई काम नहीं करेगी फिर भी उसने प्यार भरी नजरों से चित्रा की ओर रिक्वेस्ट करती नज़रों से देखा। चित्रा समझ गई कि निक्षय उसी को देख रहा है तो वह बिना कुछ कहे सीधे डाइनिंग टेबल पर बैठ गई और जोर से चिल्लाई, "जानकी मासी.....! जल्दी से मेरे लिए खाना लगा दो, मुझे बहुत जोर की भूख लग रही है।"
जब तक कि जानकी ने खाना नहीं लगाया तब तक चित्रा किसी बच्चे की तरफ प्लेट को चम्मच से बजाते रही और खाना लगते ही उस पर टूट पड़ी,"मैं तो खाने के बिना जी नहीं सकती हूं बाई गॉड! पता नहीं लोग कैसे भूखे रह लेते हैं। मुझे तो लाइफ में दो चीजें सबसे ज्यादा प्यारी है एक मेरा खाना और दूसरी मेरी नींद, बाकी दुनिया जाए भाड़ में आई डोंट केयर और मैं किसी के लिए व्रत क्यों रखूं। हर बार सिर्फ लड़कियाँ ही पर क्यों होता है की वो व्रत रखें! वैसे भी अगर किसी को रखना है तो वो मेरे लिए व्रत रख सकता है।"
"तो अगर मैं तुम्हारे लिए व्रत रखू तो क्या तुम मेरा व्रत खुलवाओगी?" निक्षय ने पूछा।
"अरे बिल्कुल.....! हमारी चित्रा तो एक्सपर्ट है इन सब में।" सारांश ने कहा तो निक्षय की बोलती बंद हो गई। ऐसे ही हँसी मजाक मे किसी को ध्यान ही नहीं रहा कि कार्तिक घर पर नहीं है लेकिन चित्रा की नज़रे तो कार्तिक को ही ढूँढ रही थी और वह उसके बारे मे किसी से पूछ भी नही पा रही थी। अचानक से अवनी को ध्यान में आया, "जीजू नहीं आए अभी तक?" तो सारांश ने कहा, "हां! इतनी देर तक तो बाहर नहीं रहता! इस वक्त तक तो घर आ जाता है!" सभी की नज़र काव्या की तरफ घूम गयी तो काव्या ने कहा," वो शायद उनकी कोई मीटिंग है, उन्होंने कहा भी था मुझे की देर हो जायेगी। आप लोग खाना खाइए, मैं उनका इंतजार कर लूंगी।"
सिया ने डांटते हुए कहा, "बिल्कुल भी नहीं!!! कोई जरूरत नहीं है भूखा रहने की। कार्तिक जब आएगा तो बहुत गुस्सा करेगा। इस वक्त तुम्हें सिर्फ अपनी नहीं, अपने बच्चे की भी चिंता करनी है। तुम्हें भूख नहीं लगी कोई बात नहीं लेकिन कम से कम उसे तो खाना दो तो तुम्हारे अंदर है।"
"हाँ दिदु! आप खाना खाइए, यह आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। जीजू जब आएंगे तब मैं उन्हें खाना खिला दूँगी।" अवनि ने कहा और सभी ने खाना खाया। श्रेया घर जाने को हुई तब चित्रा ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया और बोली, "एक बात जो सबसे जरूरी है वह तो बताना ही भूल गई! दो दिन बाद मॉम डैड आ रहे हैं, मेरी और निक्षय की सगाई के लिए।"
"तुम दोनों सगाई यहां से करने वाले हो!!! मुझे तो लगा था कि......!"सारांश बोलते बोलते रुक गया फिर निक्षय की ओर देखकर कहा, "मुबारक हो! एक और बकरा हलाल होने जा रहा है।" सारांश की बात सुन सभी हंसने लगे। निक्षय ने कहा, "सही कहा तुमने! वो भी ऐसा बकरा जो खुद हलाल होने की जल्दी मे है।"
"और शादी का क्या? उसके बारे में कुछ सोचा है कब करनी है?" सिया ने पूछा।
" आंटी! अभी सिर्फ सगाई कर रहे हैं। शादी का अभी कुछ सोचा नहीं है। मैं कोई जल्दी नहीं करना चाहता।" निक्षय ने कहा। एक एक कर सभी ने उन दोनों को बधाइयां दी। काव्या भी यह सोच कर खुश थी कि चित्रा अब अपनी लाइफ में आगे बढ़ रही है लेकिन दोनों का यूँ अलग होना उसे अच्छा नहीं लग रहा था। कुछ देर यूँ ही बात करते हुए चित्रा निक्षय और श्रेया, तीनों ही वहां से निकल गए। सारांश ने श्रेया को ड्राइवर के साथ भेज दिया और निक्षय चित्रा के साथ में निकल गया। चित्रा के जाते ही काव्या ने कार्तिक को मैसेज कर दिया ताकि वह घर आ सके। कार्तिक ऑफिस में कोई काम नहीं था लेकिन जब चित्रा आई तो उसके आने की खबर दे दी थी जिस कारण वह ऑफिस में ही रुक गया कार्तिक का बच्चा का सामना नहीं करना चाहता था इसलिए बस जितना हो सके उसको अवॉइड करता था।
इस पूरे समयअवनि की नज़रे बार बार सारांश पर ही चली जाती। सारांश को भी अवनि की घबराहट का अंदाजा था और वह महसूस कर सकता था कि अवनी इस वक़्त कितनी बेचैन है लेकिन फिर भी खुद को नार्मल कर सब से बातें कर रही है। सारा काम निपटाने के बाद अवनि जब कमरे में गई, उस वक़्त सारांश कोई फाइल लेकर बैठा था। अवनि को देखते ही सारांश ने अपना फाइल बंद किया और उसका हाथ पकड़कर बेड पर बैठाया।
" अवनी.....! मैंने पहले भी कहा था, तुम्हारे मन में जो भी बात है, तुम मुझे बेझिझक कह सकती हो। अगर फिर भी तुम्हें मुझसे बात करने में झिझक हो रही है इसका मतलब यह कि मैं तुम्हें अभी तक अपने प्यार पर भरोसा नहीं दिला पाया हूं। तुम अब तक मुझ पर भरोसा नहीं कर पाई हो। और अगर ऐसा नहीं है तो बेझिझक मुझे वह सारी बातें बताओ जो इस वक्त तुम्हारे मन में है। मैं सब कुछ जानना चाहता हूं, वो सारी बातें जो तुम्हे परेशान कर रही है।" सारांश ने कहा।
अवनि ने एक गहरी सांस लेकर अपनी पूरी हिम्मत बटोरी। अपनी आँखे बन्द कर उसने कहना शुरू किया। एक-एक कर अवनि ने शुरू से लेकर अब तक की सारी बातें बताई। अवनि की आंखों में आंसू थे उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह आँखे खोल कर सारांश की ओर देख सके। एक डर उसके मन में अंदर तक बैठा हुआ था, सारांश को खोने का डर। अवनि ने कहा, "अगर सच जानकर आप मुझसे नफरत करते हैं तो बिना कुछ कहे इसी वक़्त मेरी जान ले लीजिए लेकिन मुझे खुद से अलग मत करना, मै नहीं जी पाऊंगी!!!"
अवनि ने वही सारी बातें सारांश को बताइ जो श्रेया ने सारांश को कही थी। सारांश का मन किया की इसी वक्त अवनी को लक्ष्य की सच्चाई बता दें लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई। वह जानता था की अगर अवनि को सच पता चला तो वह और भी ज्यादा डर जाएगी। उसने फिलहाल चुप रहना ही बेहतर समझा और अवनी को अपने सीने से लगा लिया, "बस इतना ही भरोसा है अपने सारांश पर!!!तुम्हें सच में लगा था कि इतनी सी बात पर मैं तुमसे नाराज हो जाऊंगा! मैं तुमसे नफरत करूंगा! सोच भी कैसे सकती हो तुम ऐसा? मैंने तुमसे कहा था तुम्हारी लाइफ में कोई हो सकता है लेकिन तुम्हारे दिल में सिर्फ और सिर्फ मैं हूं, हमेशा से।"
सारांश की बात सुन कर अवनि को काफी राहत मिली। उसने उसकी शर्ट को कस कर पकड़ लिया, "मुझे माफ कर दीजिए सारांश! मेरी वजह से वह आपके पीछे पड़ा है, उसने खुद से कहा कि वह मुझे दर्द देने के लिए आपको चोट पहुंच जाएगा। अगर आप को खरोच भी आई तो वो मेरे लिए मौत से भी बदतर होगा", अवनि ने सिसकते हुए कहा।
"तुम्हें लगता है ऐसे ही किसी के लिए भी मुझ तक पहुंचना आसान है! मॉम ने हमें बचपन से ही इस तरह तैयार किया है कि हम किसी भी सिचुएशन से लड़ सके और यह तो फिर भी एक आम इंसान है। तुम बिल्कुल भी फिक्र मत करो, वो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा और नहीं हमारे बीच आ पाएगा।" सारांश में उसके बाल सहलाते हुए कहा।
सारांश को यू नॉर्मल बिहेव करता देखा अवनि को थोड़ा अजीब लगा। उसने पूछा, "क्या आपको बुरा नहीं लगा मैंने आपसे इतनी बड़ी बात छुपाई। जानती हूं पति पत्नी के बीच कभी कोई राज नहीं होना चाहिए लेकिन में क्या करती मेरा यकीन मानिए सारांश मेरी कभी हिम्मत नहीं है आपको यह सब बताने की और आपके प्यार में मैं खुद भी सब कुछ भूल चुकी थी।"
"अवनि.......! हर किसी की लाइफ में कोई ना कोई सीक्रेट जरूर होता है। अगर हम किसी से अपनी सीक्रेट छुपाते हैं तो या तो उसका अच्छा सोच कर छुपाते हैं या फिर हमारी मन में एक डर होता है। अवनी! ऐसा कोई शख्स नहीं जिसका कोई सीक्रेट ना हो। अगर हमारे घरवाले हम से कोई बात छुपाते है तो इसका मतलब यही है न की वो हमें इन सब चीजों से अफेक्ट् नही होने देना चाहते। तो क्या इन सब के लिए हमें उन से नाराज हो जाना चाहिए, नही न! मॉम ने भी हम बच्चों से काफी कुछ छुपा रखा है सिर्फ इसलिए ताकि हम पर इन सब का कोई असर ने पड़े तो हम ने भी कभी किसी बात को कुरेदने की कोशिश नही की।"
"अगर ऐसा है तो आप का कौन सा सीक्रेट है जो मुझे नही पता?" अवनि ने सिर उठाकर सारांश की ओर देखा और सवाल किया।
"है न! मेरा सबसे बड़ा सीक्रेट तो तुम हो", कहते हुए सारांश ने अवनी का हाथ पकड़ कर अपने चेहरे की ओर ले गया,"और तुम्हारी ये मेहंदी की खुशबू मुझे मदहोश कर देती है।" अवनि ने जब सुना तो उसने शर्माकर सारांश के सीने मे अपना चेहरा छुपा लिया।
क्रमश: