Chapter 11
humsafar 11
Chapter
11
श्रेया हैरानी से अवनि को घूरे जा रही थी। अवनि चलकर उसके पास आई और उसके आँखों के आगे हाथ हिला कर उसे जगाने लगी, "हैलो!! श्रेया!! ऐसे क्या घूर रही है?"
"तु...........! वो बंदा..........!! तु उसके साथ.............!!" श्रेया के मुह से आवाज़ नही निकल पा रही थी।
"अरे वो! वो जीजू के दोस्त है और आज से मेरे बॉस भी" अवनि ने श्रेया को कल कार्तिक के ऑफिस मे हुई सारी बातें बताई। लेकिन ये सुनते ही श्रेया खुशी से लगभग चीखते हुए बोली, "अबे ये तो वही बंदा है जो कल मार्केट मे हम से टकराया था। मतलब हमारी टक्कर हुई थी। जिसने बाद मे मिलने को कहा था...... 'मिस्टर लज़ीज़' याद आया कुछ!! "
"क्या????ये वही है????? तभी मैं कल से सोचु की ये इंसान मुझे जाना पहचाना सा क्यों लग रहा है! हे भगवान! अब मै क्या करू? कही इसने तेरे बदले मुझे परेशान किया तो??? मै जॉब छोड़ दूँगी..... नही छोड़ सकती!! कंट्रैट साइन किया है। अब मै कुछ नही कर सकती।" अवनि खुद मे ही बड़बड़ाने लगी, उसे अंदर ही अंदर घबराहट हो रही थी फिर कुछ सोचकर अवनि ने एक गहरी साँस भरी और कहा, "जो होगा देखा जायेगा" और दोनो घर के अंदर दाखिल हुए।
अवनि और श्रेया के अंदर आने के थोड़ी ही देर बाद अखिल जी भी वहाँ आ पहुँचे। अवनि ने सब को वेन्यु की तस्वीरे दिखाई और आज दिन भर का सारा ब्यौरा दिया साथ ही मंडप की तस्वीरे काव्या के सामने रख दिये। एक से बढ़कर एक डिजाइंस देख काव्या बहुत खुश हो गयी और काफी सोचने के बाद उसने एक डिजाइन पसंद की और उसकी तस्वीर लेकर कार्तिक को भेज दिया।
सारांश जैसे ही घर पहुँचा, लिविंग रूम मे सिया बैठी मिली। सारांश को देखते ही सिया के आँखों मे शरारत तैर गयी, "क्यों बरखुरदार.......! सुना है आज डेट पर गए थे!!! कैसी रही?? डिनर पर जाने का प्लान कब तक बन सकता है?"
"मॉम प्लीज......! हम कोई डेट पर नही गए थे। हम तो शादी के लिए वेन्यु देखने गए थे।" सारांश ने सिया को साइड हग करते हुए कहा। लेकिन सिया ने एक और सवाल से सारांश की बोलती बन्द कर दी, " लेकिन शादी का वेन्यु तो पहले ही तय हो चुका था न!!! फिर ये कौन सी जगह देख आये तुम लोग"
सारांश झेंप गया और नीचे बैठ सिया के गोद मे सर रख दिया। सिया बड़े प्यार से अपने बेटे का सर सहला रही थी तभी एक नौकर तेल की कटोरी ले आया। सिया हल्के हाथो से बालो मे तेल लगाने लगी, "कैसा रहा दिन? कैसी रही दोनो की मुलाकात?"
"स्मार्ट भी है और थोड़ी बेवकूफ भी, उसके भोलेपन पर कभी प्यार आता है तो उसकी बेवकूफियों पर हँसी आती है। खुली आँखे तारों की तरह टिमटिमाते है तो बंद पलके किसी झील की तरह शांत लगते है। वो आपकी ही जैसी है, मॉडर्न और सादगी एक साथ। बस थोड़ा कॉन्फिडेंस और चाहिए फिर तो आप दोनो मे बेस्ट कौन है ये सोचना पड़ेगा।" कहकर सारांश शरारत से मुस्कुराया तो सिया भी मुस्कुरा दी।
सारांश थोड़ा तिरछे बैठा और सिया का पैर अपने हाथो मे लेकर तलवे पर तेल से मालिश करने लगा। सिया बोली, "वैसे ये अच्छा किया तुमने जो शादी की सारी जिम्मेदारी अपने पर लेली। इससे उनकी बहुत बड़ी हेल्प हो जायेगी और और और तुम्हारा इंप्रेसन भी अच्छा पड़ेगा। दोनो घरों के रस्म एक साथ कराने का आइडिया अच्छा था। देखा जाए तो शादी के खर्चो मे उनकी मदद हो जायेगी और तुम्हारी लव स्टोरी मे भी।"
सारांश बात बदलते हुए बोला, "आज आप साईट पर गयी थी न!! जानती है न ज्यादा चलने से आपके एड़ी मे दर्द हो जाता है। किसी और को बोल देती वो चला जाता या फिर मुझे ही कॉल कर देती।"
"तो फिर माँ बेटे का प्यार देखने को नही मिलता।" सारांश ने देखा सामने जानकी हाथ मे कॉफी का मग लिए खड़ी मुस्कुरा रही थी। "थैंक्स मासी!!! यू आर दी बेस्ट और आपकी कॉफी सुपर!!!!" सारांश ने कॉफी मग लेकर एक सिप् लिया।
"कभी कभी बहरवालो से पहले अपनो की ही नज़र लग जाती है।" कहते हुए सिया के भाव थोड़े गंभीर हो गए तो सारांश उन्हे समझाते हुए बोला, "अपनो की नजर नही लगती माँ और अगर लग भी जाए न तो प्यार से सर पर हाथ फेर दो, सारी बलाये टल जायेंगी।" सुन कर सिया और जानकी दोनो मुस्कुरा उठे।
"अच्छा मासी!!आज खाने मे क्या बनाया आपने ?" सारांश ने पूछा।
"आलू पूरी और बूंदी रायता" मासी ने कहा।
"वॉव मासी!! देखा माँ मैंने कहा था न मासी मेरा कितना ख्याल रखती है। " कहकर सारांश उठा और जानकी को साइड से हग करके अपने कमरे मे चला गया जिसके बाद सिया जानकी को देख हल्का सा मुस्कुरा दी। जानकी ने अपना सर झुका लिया आखिर थी तो एक नौकरानी ही जिसे इस घर मे सबने इतना मान समान दिया की इस घर के बच्चे उसे मासी कहते है।
अगले दिन सारांश को बोर्ड मीटिंग के लिए ऑफिस जाना पड़ा और कार्तिक काव्या अवनि और पूरी फैमिली के साथ शॉपिंग के लिए निकल गया। कपड़े की दुकान पर सबने हल्ला बोल रखा था। सब को अपनी अपनी पसंद के कपड़े लेने थे हल्दी मेहंदी संगीत और शादी के लिए। लेकिन अवनि बस सब को देखे जा रही थी। उसका कपड़ो मे कोई रुचि ना लेते देख श्रेया ने उसे कोहनी मारी और इशारे से पूछा मगर अवनि ने ना मे सर हिला दिया।
"यार अवनि तेरा वो बॉस अगली बार कब
मिलेगा??" श्रेया ने धीरे से अवनि से कहा।
अवनि चिढ़ कर बोली, "मुझे क्या पता!!! बॉस वो है मै नही। और अगर तुझे इतनी ही चूल मची है तो जा!!! वही सामने जीजू खड़े है जाकर उन्ही से पूछ ले। इतने टाइम मे कभी दिदु को तो मिलवाया नही शायद तुझे ही मिलवा दे। जा जा पूछ उनसे।" कार्तिक की ओर इशारा करके अवनि श्रेया को वही छोड़ शॉप से बाहर निकल गयी।
श्रेया भी अवनि के पीछे पीछे बाहर आ गयी ,"अरे यार अवनि! इतना क्यो चिढ़ रही है उसके नाम से!!! हो क्या गया है तुझे!!! कुछ किया क्या उसने तेरे साथ?? तु बोल मै अभी उसे ठीक कर दूँगी।
अवनि सोच मे पड़ गयी, आखिर सारांश के नाम से, उसके होने के एहसास से, उसके ख्याल से वो क्यों इतनी बेचैन हो जाती है!!! आखिर इन दो दिनों मे.......!ये कैसा एहसास है जो दिल को घेरे है! आखिर क्यों मै उसके बारे मे सोच रही हु, अवनि झुंझला उठी और नीचे मॉल के लॉबी मे चली गयी।
क्रमश: