Chapter 172

Chapter 172

YHAGK 171

Chapter

 171






 लावण्या अपना सब कुछ छोड़ कर वापस अपने मायके आ चुकी थी। रेहान से उसने अपने सारे रिश्ते तोड़ दिए थे। अनन्या जी का बीपी डाउन हो गया था। अपनी बेटी की गृहस्थी को उजड़ता हुआ देख वह बस रोए जा रही थी। उससे भी ज्यादा तकलीफदेह बात यह थी कि आज उनकी बेटी भी उसी तरफ से गुजर रही थी जिस तरह से वो खुद कई सालों से गुजर रही थी। लावण्या ने अपनी माँ को संभाला और उन्हें दवाइयाँ देकर बड़ी मुश्किल से सुलाया। 


   वही मिस्टर रॉय गुस्से में आग बबूला हुए जा रहे थे और हॉल में ही इधर से उधर बेचैनी से चक्कर लगा रहे थे। इतने दिनों से लावण्या तकलीफ में थी। यह सारी बातें कहकर अपने मां-बाप को भी दुखी नहीं करना चाहती थी। वो दोनों तो अपनी दूसरी बेटी की खुशी में खुश थे। ये सारी बातें बता कर वो उन्हें दुःखी नहीं करना चाहती थी। इसीलिए उसने खुद को ऐसे दिखाया जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो। लेकिन अब उसके पास ऐसा करने की कोई वजह नहीं रह गयी थी।


     लावण्या ने अपने पापा को शांत कराने की कोशिश की तो मिस्टर रॉय उसी पर गुस्सा होते हुए बोले, "जब यह बात तुम्हें पहले से पता थी तब तुमने हमें क्यों नहीं बताया? क्यों छुपा कर रखा सबसे? मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिन लोगों से मैं दोस्ती कर रहा हूं, जिस इंसान के साथ मैं पार्टनरशिप कर रहा हूं वह परिवार हर बार मेरे बच्चों के साथ ऐसी हरकत करेंगा। उनकी खुशियों का गला घोंटेगा। क्या गलती थी तुम्हारी? और क्या गलती थी शरण्या की जो तुम दोनों के साथ यह सब कुछ हुआ? उसे उसके किए की सजा मिल कर रहेगी। छोडूंगा नहीं मैं उसे, और ना ही उसके बाप को। अब हमारी पार्टनरशिप और नहीं चल सकती। मै जल्द से जल्द उनसे अपने सारे रिश्ते तोड़ दूंगा। मैं अभी लॉयर से बात करता हूं और इस पार्टनरशिप को तोड़ने के लिए पेपर बनाने को कहता हूं।"


      मिस्टर रॉय अपने गुस्से में इतने ज्यादा बौखला गए हुए थे कि उन्हें एहसास ही नहीं था वो क्या करने जा रहे हैं। उन्होंने अपना फोन निकाला और लॉयर को कॉल करने के लिए जैसे ही नंबर डायल किया, लावण्या ने लपक कर उनका फोन हाथ से छीना और कॉल जाने से पहले ही काट कर फोन एक तरफ रख दिया। मिस्टर रॉय अपनी बेटी की इस हरकत से चौक गए। उनकी आंखों में लावण्या के लिए ढेरों सवाल थे। 


    लावण्या बिल्कुल शांत खड़ी थी। उसने अपने पिता से कहा, "पापा! कुछ भी कहने या करने से पहले उसका अंजाम सोच लीजिए। आप चाहे कुछ भी करेंगे लेकिन इन दो घरों का रिश्ता कभी नहीं टूटेगा। यह रिश्ता कितना पुराना है उतना ही नया भी है और उतना ही गहरा भी। कल तक आप रूद्र से नाराज थे कि उसने शरण्या के साथ बुरा किया। और आज आप रेहान से नाराज हैं कि उसने मेरे साथ बुरा किया। मानती हूँ यह दोनों बातें सच है। रेहान ने जो भी किया, क्यों किया यह बात मेरी समझ से बाहर है। यह सब करते हुए उसने अपने बारे में सोचा या फिर मेरे बारे में, यह मैं अभी भी तय नहीं कर पा रही हूं। लेकिन मैं इतना जानती हूं कि रेहान मुझसे बहुत प्यार करता है। फिर भी उसने ऐसी हरकत क्यों की इसका जवाब तो शायद वह भी नहीं दे पाए। जैसे आप के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि शरण्या इस दुनिया में कैसे आई। मैं आप पर कोई इल्जाम नहीं लगा रही पापा! और ना ही मैं रेहान के किए को सही ठहरा रही हूं। मेरा और रेहान का रिश्ता बस इतना ही था। इस सब के बारे में सोच सोच कर जितना मैं टॉर्चर हुई हूं, उतना ही मैंने रेहान को भी तड़पाया है। मैंने उससे अपने दर्द का बदला ले लिया है। मैं उससे अलग नहीं होना चाहती थी पापा! सपने में भी नहीं। लेकिन सच जानने के बाद मुझ में इतनी हिम्मत नहीं कि मैं उसके साथ एक छत के नीचे रह सकूं। 


     वह मेरा पहला प्यार है और हमेशा रहेगा। इस सब में हम रुद्र और शरण्या के रिश्ते को तो नहीं भूल सकते। रूद्र शरण्या से कितना प्यार करता है यह बात हम सब जानते हैं। उन दोनों के बीच का रिश्ता कितना गहरा है इस बात पर किसी को भी शक नहीं है। आज जिस तरह आप उस फैमिली से हर रिश्ता तोड़ने की बात कर रहे हैं तो क्या आप रूद्र और शरण्या के रिश्ते को भी तोड़ देना चाहते हैं? ये जानते हुए भी कि उन दोनों ने एक-दूसरे से दूर रहकर कितनी तकलीफ सही है? नहीं पापा! आप ऐसा नहीं कर सकते। क्योंकि इस बार अगर गलती से भी यह दोनों अलग हुए तो दोनों मर जाएंगे। आपको मेरी चिंता है ना पापा! तो एक बात आप अच्छे से जान लीजिए! आपकी यह बेटी कमजोर नहीं है। वह खुद को संभालना भी जानती हैं और सर उठा कर चलना भी। मैं एक इंडिपेंडेंट लड़की हूं। मेरा अपना खुद का एक कैरियर है और जिंदगी जीने के लिए मुझे किसी के सहारे की जरूरत नहीं है। मैं अकेली काफी हूं खुद के लिए। मुझे बस रेहान से तलाक चाहिए और कुछ नहीं। अगर वो राहुल की कस्टडी लेना चाहता है तो बेशक ले सकता है, उसके लिए मैं उसे इंकार नहीं करूंगी। लेकिन अगर मैंने भी वही किया जो मम्मा ने किया तो मेरा बेटा भी वही करेगा जो उसके बाप ने किया। मैं चाह कर भी रेहान को माफ नहीं करना चाहती ताकि मेरा बेटा उस रास्ते पर ना चल पड़े। इस सबसे उसे रिश्तो की अहमियत उसे समझ में आएगी। रिश्तो में ईमानदारी कितनी जरूरी है यह उसे समझ आएगा। मेरी वजह से यह दो घरों का रिश्ता खराब नहीं होना चाहिए। 


       शरण्या की मौत की खबर ने आप दोनों के रिश्ते में दरार डाल दी थी लेकिन वो रिश्ता टूटा नहीं था। मैं तो फिर भी जिंदा हूं पापा और मैंने अपनी मर्जी से वह घर छोड़ा है। उस घर के लोगों से अभी भी मेरा रिश्ता है, सिवाय एक को छोड़कर। इसलिए आप इस बारे में ज्यादा मत सोचिए और आराम कीजिए।" अपनी बात रख कर लावण्या अपने कमरे में चली गई। मिस्टर रॉय वहीं बैठ कर अपनी बेटी की कही बातों का मतलब समझने लगे। 




    रुद्र और शरण्या को गोवा पहुंचने में ज्यादा टाइम नहीं लगा। 2 घंटे के अंदर ही वह लोग दोनों अपने होटल के कमरे में थे। वहां पहुंचकर दोनों फ्रेश हुए। उसके बाद रूद्र ने लावण्या को कॉल किया लेकिन लावण्या का फोन बंद था तो उसने अपनी मां को फोन किया। कुछ देर रिंग जाने के बाद शिखा जी ने फोन उठाया और काम से लगाते हुए हौले से बोली, "रूद्र! तुम दोनों पहुंच गए?"


        अपनी मां की इतनी धीमी आवाज सुनकर रूद्र परेशान हो गया और बोला, "माँ! सब ठीक तो है? 


      शिखा जी खुद को नार्मल करते हुए बोली, "हां बेटा! सब कुछ ठीक है। बस थोड़ी तबीयत मेरी............... शायद थकान की वजह से थोड़ा सिर में दर्द था। कोई बात नहीं मैं ठीक हूं। तुम लोग परेशान मत होना। रूद्र को अभी भी पूरी तरह से यकीन नहीं हो रहा था। उसे बार-बार लावण्या का ख्याल आ रहा था। उसने अपनी मां से पूछा, "मां लावण्या कहां है? उसका फोन नहीं लग रहा। सब ठीक तो है ना?"


    शिखा जी अच्छे से जानती थी कि रूद्र से क्या कहना है। जैसा लावण्या ने कहा था, इस बारे में रूद्र को जरा सी भी भनक नहीं लगनी चाहिए वर्ना वो सब कुछ छोड़कर वापस चला आएगा।। उन्होंने बात को छुपाते हुए कहा, "वह अपने मां पापा के साथ उनके घर चली गई है। अनन्या का भी बहुत मन था कि लावण्या उसके साथ आ कर रहे तो हमने भी नहीं रोका और तुम भी ज्यादा परेशान मत होना। जब कुछ अर्जेंट हो तभी कॉल करना। इस वक्त तुम्हारा पूरा टाइम शरण्या के लिए होना चाहिए। मौली हमारे साथ है और हम उसका अच्छे से ख्याल रखेंगे। अगर तुम्हें भरोसा नहीं होगा तो तुम कॉल कर सकते हो और उससे बात कर सकते हो।"


       रूद्र झेंप कर बोला, "कैसी बात कर रही हैं आप मां! आपसे बेहतर और कौन उसे संभाल सकता है। और आप टेंशन मत लीजिए मैं आपको कॉल नहीं करूंगा।"


       इतने में शरण्या अपने बाल सुखाते हुए रूद्र के पास आ गई तो रूद्र ने फोन उसकी तरफ बढ़ा दिया। शरण्या ने फोन लेकर कुछ देर शिखा जी से बात की और फोन काट कर उसे एक तरफ फेंक दिया। शरण्या ने जिस अंदाज में फोन को फेंका रूद्र को उसका अंदाज बड़ा अजीब लगा। इससे पहले वह कुछ पूछता शरण्या ने उसके गले में बाहें डाल दी और धीरे उसकी शर्ट के बटन खोल दिए। रूद्र ने जल्दी से अपने शर्ट के बटन लगाने चाहे तो शरण्या ने खींचकर उसे बिस्तर पर पटक दिया। 


     उन दोनों के बीच अक्सर ऐसा ही होता। हमेशा ही शरण्या उस पर हावी रहती। रूद्र कभी-कभी ही पहल करता और अब जबकि उन दोनों की शादी हो चुकी थी और वो दोनों ही सबकी नज़रों में पति पत्नी थे तो ऐसे में रूद्र को खुद को संभालने की जरूरत नहीं थी। शरण्या जैसे ही उसके करीब आई, रूद्र ने झटके से उसकी कमर पकड़ी और अपनी तरफ खींच लिया। 8 साल की इन दूरियों को रूद्र ने कभी लाँघने की कभी कोशिश नहीं की थी, ना ही उसने शरण्या के आगे घुटने टेके थे। उसे अपनी शादी का इंतजार था। आज इस समय में उन दोनों के बीच की सारी दूरियाँ मिट गई। रूद्र ने भी खुद को जरा सा भी नहीं रोका, ना ही शरण्या ने उसे ऐसा करने दिया। वो तो ना जाने कब से इस पल का इंतजार कर रही थी। इस लम्हे में कौन किस पर हावी हो रहा था यह कहना मुश्किल था। 




     विहान राहुल और मौली को लेकर जैसे ही घर पहुंचा, पूरे घर में सन्नाटा था। ये सन्नाटा उसे बहुत अजीब लग रहा था। जिस घर में आज शादी हुई वह इतना सन्नाटा उसे बेचैन कर रहा था। शिखा जी सोफे पर बैठी आंखें मूंदे हुए थी। बच्चों की आवाज सुनकर उन्होंने आंखें खोली और मायूसी से उन दोनों बच्चों को देखा। मानसी भी वही बैठी हुई थी और घर में हुए सारे तमाशे को अपनी आंखों से देखा था। 


     विहान शिखा जी से कुछ पूछना चाह रहा था लेकिन मानसी ने उसे रोका और बोली, "विहान! घर चले! बच्चे इंतजार कर रहे होंगे।"


     विहान ने भी मानसी के साथ फिलहाल घर जाना ही बेहतर समझा क्योंकि वह दोनों काफी देर से अपने दोनों बच्चों को दादा दादी के पास छोड़े हुए थे। वह दोनों घर के लिए निकल गए। पूरे रास्ते मानसी खामोश रही। उसकी ख़ामोशी विहान को परेशान कर रही थी और किसी अशुभ् का आभाष करवा रही थी। 


     घर पहुंच कर भी मानसी ने कुछ नहीं कहा और सीधे अपने कमरे में चली गई। उसने आदर्श को गोद में लिया और उसे दूध पिलाने लगी लेकिन उसका ध्यान कहीं और था


 विहान ने कपड़े बदले और फ्रेश होकर बाहर आया तो मानसी को कहीं खोया हुआ देखा। वो उसके पास बैठा और मानसी का हाथ पकड़ कर पूछा। 


      पहले तो मानसी कुछ कहने में थोड़ी हिचक रही थी लेकिन फिर आखिर में उसने रूद्र के घर हुई सारी बात विहान के सामने रख दी। रेहान और लावण्या के रिश्ते में आई खटास और उनकी दूरियां, एकदम से यह सारी बातें विहान को अजीब लग रही थी क्योंकि इतने टाइम में उसे एक बार भी नहीं लगा कि लावण्या रेहान से अलग होने का सोच रही थी। लावण्या को यह सारी बातें कैसे पता चली यह बात अभी भी उसे समझ नहीं आ रही थी। जहां तक बात उन दोनों के तलाक की थी, विहान ने कभी नहीं चाहा कि वह दोनों अलग हो क्योंकि उसे अच्छे से पता था उसकी बहन रेहान से कितना प्यार करती है। उसने मानसी को समझाते हुए कहा, "एक ना एक दिन तो यह होना ही था। कोई भी सच कुछ वक्त के लिए छूप जरूर सकता है लेकिन उसे दबाया नहीं जा सकता। माना रेहान से गलती हुई लेकिन अगर उसने लावण्या से पहले ही सारी बातें साफ कर ली होती तो यह नौबत शायद नहीं आती। एक पत्नी सब कुछ बर्दाश्त कर सकती है लेकिन उसके पति के बारे में किसी और से पता चले और वह भी ऐसी बात तो वह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकती।"


     मानसी को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसका ध्यान बार-बार राहुल की तरफ जा रहा था। मां बाप के अलग होने के बाद उस बच्चे पर क्या गुजरेगी यह सोचकर ही उसका दिल बैठा जा रहा था।