Chapter 165

Chapter 165

YHAGK 164

Chapter

164




 शरण्या को वापस देखा सब ने चैन की सांस तो ली लेकिन रूद्र की बातों ने उन सब को परेशान कर दिया। आखिर धूमधाम से शादी करना रुद्र का सपना था। जहां वह पूरी दुनिया को बताना चाहता था कि वो शरण्या से कितना प्यार करता है। लेकिन अब एकदम से सीधे कोर्ट मैरिज की बात सुनकर सभी हैरान थे। 


     शरण्या खुद भी रूद्र के इस फैसले से परेशान थी। उसकी एक गलती की वजह से रूद्र कितना ज्यादा डिस्टर्ब हो गया था यह उसके इस फैसले से साफ पता चल रहा था। शरण्या उससे बात करना चाह रही थी। वह कमरे में इधर-उधर चक्कर लगा रही थी और रूद्र वहीं सोफे पर बैठा अपना कुछ काम कर रहा था। रूद्र शरण्या की बेचैनी साफ समझ रहा था लेकिन उसने एक बार भी शरण्या को इस बात के लिए टोका नहीं। 


    शरण्या से जब रहा नहीं गया तब उसने हिम्मत करते हुए कहा, "रूद्र! कुछ नहीं हुआ है। सब कुछ ठीक है। जैसा था पहले सब वैसा ही है। यह कोर्ट मैरिज का ख्याल तुझे आया कैसे? एक ग्रैंड वेडिंग तेरा सपना है। आज से नहीं बरसों पहले से। यह बात तूने मुझे कई बार कही है। तू एकदम से अपने उस सपने को कैसे तोड़ सकता है?"


    रूद्र बिना उसकी तरफ देखें बोला, "मेरे अंदर क्या कुछ टूटा है इसका अंदाजा भी नहीं है तुझे। मानता हूं मैंने तेरे साथ गलत किया और यह उसकी सजा थी लेकिन इस सजा से बेहतर तू मेरी जान ले लेती तो मुझे इतनी तकलीफ ना होती। मुझसे बदला लेने का क्या खूब तरीका निकाला तूने। तुझे भूख लग रही होगी ना! मैं तेरे लिए खाना लेकर आता हूं। इस कमरे से निकलने की गलती मत करना। आज से तू मेरी नजरों के सामने रहेगी।"


      रूद्र उठा और कमरे से जाने लगा तो शरण्या पीछे से बोली, "तेरी नजरों के सामने...........? तू एक नजर मुझे देख तो ले पहले!"


      रूद्र ने एक बार फिर से उसकी तरफ पीठ किए हुए बोला, "थोड़ा वक्त लगेगा मुझे। जो हुआ उसको भुलाने में भी और खुद को संभालने में भी।" कहकर वो बाहर चला गया। शरण्या वही उसी जगह बैठ गई जहां रूद्र बैठा हुआ था। उसे याद आने लगा किस तरह वह एयरपोर्ट पर वेटिंग एरिया में बैठी हुई थी। अचानक से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा और आवाज दी, "शरण्या!!! तुम यहां?"


     शरण्या ने पलट कर देखा तो उसके ठीक पीछे इशिता खड़ी थी और वह हैरानी से उसे ही देखे जा रही थी। इशिता को देखकर शरण्या थोड़ी हड़बड़ा सी गई कि कहीं रुद्र भी तो यहां नहीं है? 


     उम्मीद के बिल्कुल विपरीत इशिता मुस्कुराते हुए शरण्या से मिली और कहा, "मुझे यकीन नहीं होता शरण्या कि मैं तुमसे यहां मिल रही हूं! थैंक गॉड वरना मुझे लगा था कि मैं ऐसे ही चली जाऊंगी। मैंने रूद्र से कहा भी था कि मुझे तुमसे मिलना है लेकिन उसने मना कर दिया, यह कहकर कि तुम्हें अच्छा नहीं लगेगा। पुरानी सारी बीती बातों को तुम भुला चुकी हो ऐसे में मेरा तुम्हारे सामने आना फिर से कहीं तुम दोनों के बीच कोई प्रॉब्लम ना क्रिएट कर दे। वैसे मैं आज वापस जा रही हूं लेकिन तुम यहां अकेले? कहीं जा रही हो या फिर किसी का इंतजार कर रही हो? और रूद्र कहां है? वह भी तुम्हारे साथ है ना? कहीं तुम दोनों अपनी शादी की शॉपिंग करने बाहर तो नहीं जा रहे? लेकिन तुम्हें नहीं लगता कि इस सब में काफी देर कर दी तुम दोनों ने मेरा मतलब शादी अभी अगले कुछ दिनों में है।"


      शरण्या हिचकते हुए बोली, "ऐसा कुछ नहीं है। मैं किसी का इंतजार कर रही थी।" शरण्या ने साफ साफ झूठ बोला।


      इशिता उसके बगल में आकर बैठते हुए बोली, "चलो कोई बात नहीं। वैसे मैं बहुत खुश हूं कि तुम और रूद्र एक होने जा रहे हो। इतने सालों के बाद मैंने रूद्र के चेहरे पर वापस वही मुस्कुराहट देखी है जो पहले हुआ करती थी। तुम बिल्कुल सही थी शरण्या, तुम रूद्र की आत्मा हो। तुमसे दूर होकर रूद्र जी ही नहीं सकता। 1 साल! सिर्फ 1 साल में मैं यह बात बहुत अच्छे से समझ गई। तुम्हें बता नहीं सकती मैं, रूद्र की जो हालत थी मैं वह बयान नहीं कर सकती। मुझे कभी लगा ही नहीं कि उस घर में मेरे अलावा कोई और भी रहता है। उसे सिर्फ एक बार मुस्कुराते हुए देखा है मैंने जब मौली पैदा हुई थी। मौली का नाम शायद तुमने सोच रखा था अपनी बच्ची के लिए! ये उसके चेहरे से साफ जाहिर हो रहा था। अब जो तुम दोनों मिले हो ना, किसी तीसरे को कभी अपने रिश्ते के बीच मत आने देना। अगर तुम रूद्र से इस बार दूर हुई तो वह मर जाएगा। सच में मर जाएगा। लोग सब कुछ भूलकर आगे बढ़ते हैं लेकिन रूद्र! वह तो तुम्हारे साथ ही जीता है। मैंने उसे सिर्फ तुमसे प्यार करते देखा है। सिर्फ तुम्हारे लिए जीते देखा है, सिर्फ तुम्हें चाहते हुए देखा है। कोई और उसके करीब तो क्या, उसके आसपास भी नहीं आ सकती। नशे की हालत में भी वह तुम्हारे एहसास को पहचानता है। मैं चाह कर भी उसे अपना नहीं बना पाई। इस बात का हमेशा मुझे अफसोस रहता था लेकिन तुम से हार कर भी जो खुशी मुझे है वह मैं तुम्हें नहीं बता सकती। मैंने तुम्हारी और रुद्र की जिंदगी तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और वही रूद्र ने मेरी जिंदगी संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ी।"


      इशिता अपने पीछे एक आदमी और बच्ची को दिखाते हुए बोली, "यह एलेक्स है, मेरे हस्बैंड! और वह हमारी बेटी अलीशा!"


    शरण्या ने जब सुना तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने क्या समझा और चीजें क्या निकल कर सामने आई। इशिता बोली, "रुद्र हमेशा से सिर्फ तुम्हारा है। वो कभी किसी और का हो ही नहीं सकता। वैसे मैं बहुत चाहती थी कि तुम दोनों की शादी में शामिल हो सकू लेकिन यह पॉसिबल नहीं है मेरे लिए। लेकिन मैं हर पल भगवान से प्रार्थना करूंगी कि तुम दोनों एक दूसरे के साथ हमेशा रहे हो। खुश तो तुम दोनों रह ही लोगे अगर साथ हो तो। बस यह साथ कभी ना छूटे। तुम्हें यही लग रहा होगा ना कि मैं तुम्हारे लिए इतना अच्छा कैसे सोच रही हूं? मैं तुम्हारे लिए नहीं, मैं रूद्र के लिए अच्छा सोच रही हूं। वह इंसान जिसने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा, कभी किसी का बुरा नहीं किया मैं नहीं चाहती कि उसके साथ भी कुछ बुरा हो। मैंने जो किया उसकी सजा मुझे भगवान जरूर देगा लेकिन रूद्र ने कभी मेरे साथ कुछ बुरा नहीं किया। मैं अपने आप को तुम दोनों के सामने बहुत छोटा महसूस करती हूं।"


     तभी फ्लाइट की अनाउंसमेंट हुई तो इशिता ने शरण्या के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "हमें जाना होगा। रूद्र को नहीं बताया मैंने कि मैं आज जा रही हूं। अच्छा हुआ तुम मिल गई। उसे बता देना प्लीज! और मुझे मौली की बिलकुल भी चिंता नहीं है। तुम हो ना उसके साथ। वह सच में तुम्हारी ही बेटी है और तुम अपनी बेटी को बहुत अच्छे से संभालोगी यह मैं जानती हूं।"


     इशिता उठी और अपने पति और बेटी के साथ वहां से चली गई। शरण्या ने अपना सर पकड़ लिया। इशिता के कहे सब अभी भी उसके बाद में घूम रहे थे और किसी हथौड़े की तरह वार कर रहे थे। आज अगर वो चली गयी होती तो रूद्र के साथ कितना बड़ा अन्याय करती यह सोच कर ही उसे रोना आ रहा था। रूद्र खामोश था। उसने एक बार भी शरण्या से शिकायत नहीं की। इस बात से शरण्या और भी ज्यादा परेशान थी सी। ये खामोशी कहीं आने वाले बड़े तूफान की आहट ना हो यह सोचकर ही उसका दिल बैठा जा रहा था। क्योंकि रूद्र का गुस्सा वो अच्छे से जानती थी। 


       रूद्र अपने हाथ में खाने की प्लेट लेकर आया और टेबल पर रखते हुए बोला, "आ बैठ मैं तुझे खिला दु।"


     शरण्या धीरे से उसके पास बैठते हुए बोली, "तु रहने दे, मैं खा लूंगी।" उसकी बात सुनकर भी रूद्र ने एक नजर उसे देखा नहीं और सख्ती से बोला,,मैंने कहा ना! मैं खिला रहा हूं!"


    शरण्या की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह रूद्र के किसी भी बात का विरोध करे। रूद्र ने एक एक निवाला शरण्या को खिलाना शुरू कर दिया तो शरण्या बोली, "तूने भी तो कुछ नहीं खाया है। तुझे भी तो भूख लग रही होगी। थोड़ा सा तू भी खा ले मेरे हाथ से।" कहते हुए उसने एक निवाला रूद्र की तरफ बढ़ाया तो रूद्र बोला, "मुझे भूख नहीं है। जब लगेगी तो खा लूंगा। यह सारा खाना मैं सिर्फ तेरे लिए लाया था।"


    शरण्या का मन उदासी से भर गया लेकिन रूद्र के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। शरण्या को खाना खिलाने के बाद रूद्र उठा और बाहर जाने को हुआ, उसी वक्त लावण्या उसके कमरे में आई और बोली, "क्या मैं मेरी बहन से अकेले में कुछ बात कर सकती हु?"


      रूद्र ने कुछ कहा नहीं और चुपचाप वहां से उठ कर चला गया। लावण्या ने शरण्या का हाथ पकड़ा और उसे जबरदस्ती बिस्तर पर बैठाते हुए बोली, "तेरा दिमाग खराब है क्या शरण्या? क्या तु सच में पागल हो गई है? तुझे एहसास भी है तूने क्या किया है? तेरे इस हरकत का क्या नतीजा हुआ है? क्या सोचकर तूने बिना किसी को कुछ बताए बिना किसी से इस बारे में बात किए रूद्र को छोड़कर जाने का फैसला लिया? किसके लिए किया तूने ये सब? एक बार भी यह ख्याल नहीं आया कि रूद्र पर क्या गुजरेगी? तुझे एहसास भी है जब रूद्र लौट कर वापस आया था तब कैसा था? जिंदगी का लेश मात्र भी उसमें नजर नहीं आता था। क्योंकि उसकी जिंदगी तो तू है। कोई कुछ भी कह दे उसे फर्क नहीं पड़ता था जैसे उसे कुछ महसूस ही नहीं होता हो। चुपचाप घरवालों के ताने, उनकी नफरत सहता रहा किसी से कोई शिकायत नहीं की। जिस रूद्र को मैं बचपन से देखती आई थी ये वो रूद्र था ही नहीं। कहीं किसी अंधेरे में गुम एक ऐसी दुनिया में जहां से अंधेरा ही अंधेरा था। तू आई और रूद्र भी वापस आया। एयरपोर्ट पर तो तूने चिल्ला चिल्ला कर पूरी दुनिया को बताया कि तू रूद्र के लिए क्या है तो फिर खुद कैसे भूल गई तू?"


       शरण्या ने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला लेकिन लावण्या उसे उंगली दिखाते हुए बोली, "चुप.......! बिलकुल चुप.......! कुछ नहीं बोलेगी तू! सिर्फ सुनेगी! तेरे चले जाने से हम सब को छोड़ो, रूद्र पर क्या गुजरती तुझे एहसास भी है? तेरा प्यार उसे जिंदा रखता है। तुझे देखकर वह जीता है। तू तो चली जाती लेकिन रूद्र एक बार फिर उन्हीं अंधेरों में गुम हो जाता हो जाता जहाँ से वो लौटकर आया था। देखा मैंने उसका चेहरा, बिल्कुल वैसा ही लग रहा है जैसे तेरे आने से पहले था। तुझसे दूर जाने का दर्द वह बर्दाश्त नहीं कर सकता शरण्या। तुझ में जीता है वह। तुझे अगर जाना है तो तू जा लेकिन इतना जान ले, तेरा रूद्र पूरी जिंदगी अकेला रह लेगा, तेरा इंतजार कर लेगा लेकिन अगर तुझे लगता है कि तेरे जाने से सब कुछ ठीक हो जाएगा तो यह बहुत बड़ी गलतफहमी है तेरी। तुझसे दूर होकर उसकी कोई जिंदगी है ही नहीं। अगर उसे आगे बढ़ना होता तो यह 8 साल बहुत होते हैं किसी भी इंसान के आगे बढ़ने के लिए लेकिन वह वहीं ठहर गया जहां तुम दोनों का साथ छूटा था। जब तक तेरी याददाश्त वापस नहीं आई थी, रूद्र डरा हुआ था। वो चाह कर भी हो खुश नहीं हो पा रहा था कि तू उसके पास है। अब जब तुझे सब कुछ याद आ गया तो तूने एकदम से उससे दूर जाने का फैसला कर लिया। एक बार उसे कहा तो होता वह खुद चला जाता तुझसे दूर। तुझे कहीं और जाने की जरूरत ही नहीं थी। शायद तुझे पता नहीं, मौली ने बताया था मुझे। बीमार है वो। तुझसे दूर जाकर सोया नही वो सालोँ से। जिस कारण धीरे धीरे उसके ऑर्गन्स अब डैमेज होने लगे थे। तेरे साथ होने से वो ठीक हो रहा था। अगर तु उसे मारना चाहती है तो बेशक चली जाना।"


     अपनी बात पूरी कर लावण्या कमरे से बाहर निकल गयी। पीछे खड़ी शरण्या रो पड़ी।