Chapter 36
humsafar 36
Chapter
36
चित्रा के दिल का दर्द आँसू बनकर आँखो से छलक रहा था। श्रेया ने उसे पीछे से थाम लिया मानो कह रही हो "मै हूँ न तुम्हारे साथ"। श्रेया को आज एहसास हुआ की चुलबुली सी दिखने वाली चित्रा के दिल मे कितना दर्द छुपा है। उसे रोता देख श्रेया अपना रोना भूल गयी। दोनो एक दूसरे के सहारे काफी देर तक यूँ ही खड़े उपर आसमान को निहारते रहे।
मित्तल मेंशन,
गाड़ी घर के इंट्रांस गेट से दाखिल हुई। अवनि ने देखा सब कुछ वैसा ही था जैसा कि वो फार्महाउस जहाँ से शादी हुई थी लेकिन उससे लगभग दोगुना बड़ा था। चारों और गार्डन और बीच मे घर। फूलों के रास्ते से होता हुआ घर तक का रास्ता जो फूलों से ढका हुआ था। दोनो तरफ से फूल के बेलो को कुछ इस तरह से लगाया गया था की उनसे धूप भी जमीन को ना छुये। एक ओर बड़ा सा फाउंटेन और उसके दूसरी ओर बास्केट बॉल कोर्ट। वो नजारा सच मे बहुत खूबसूरत था।
गाड़ी आकर घर के दरवाजे के सामने रुकी, सामने आठ दस नौकर पहले से मौजूद थे। एक नौकर भाग कर आगे वाली गाड़ी का दरवाजा खोला तो उसमे से सिया पहले नीचे उतरी और पीछे की कार की तरफ गयी। सिया को देख सारांश ने गाड़ी का दरवाजा खोला तो सिया ने रुकने का इशारा किया। एक नौकर थाल लेकर आगे आया तो सिया ने उससे दोनो की नज़र उतारी और सारांश को नीचे उतरने को कहा। सारांश नीचे उतरा और अपना बाया हाथ आगे कर अवनि को उतरने का इशारा किया।
अवनि के नाचाहते हुए भी उसके हाथ ने खुद बखुद सारांश का हाथ थाम लिया। अवनि नीचे उतरी तो पाया की नीचे सख्त जमीन न होकर रेड कारपेट बिछा है जिसे गुलाब की पंखुडियो से ढका गया था। अवनि सीधा खड़ा होने के कोशिश मे लडखडा गयी मगर सारांश ने उसे कमर से पकड़कर संभाल लिया।
सिया ने दोनो की आरती की और अवनि ने कलश गिराकर गृहप्रवेश किया। इस वक़्त तक सारांश ने अवनि का हाथ नही छोड़ा था। जानकी ने देखा तो छेड़ते हुए बोली, "अब तो हाथ छोड़ दो दुल्हे मियां, आपकी बीवी को कोई कही भगा के नही ले जायेगा।" यह सुन सारांश झेंप गया और अवनि का हाथ छोड़ दिया। दोनो ने मंदिर मे आरती की और माथा टेका फिर अपने पिता शरद की तस्वीर के आगे जाकर उनका आशीर्वाद लिया।
अंगूठी ढूँढने की रस्म मे जानकी ने दूध मे दो अँगूठिया डाल दी जो दोनो के ही हाथ लगी। "अब मिल गयी है तो पहना भी दो एक दूसरे को। लोग सगाई के बाद शादी करते है तुम दोनो शादी के बाद ही सगाई कर लो।" सिया ने मुस्कुरा कर कहा तो दोनो ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई। सारांश की छुअन अवनि को अंदर तक छु गयी।
सारी रस्मे निभाने के बाद सिया ने आराम करने को कहा तो सारांश अपने घर के रिवाज के मुताबिक अवनि को गोद मे उठाया और कमरे की ओर बढ़ गया। कमरे मे पहुँच कर वहाँ की डेकोरेसन देखा तो सारांश देखता रह गया और अवनि के होश उड़ गए। अवनि को महसूस हुआ की वो कमरा उसके पूरे घर के बराबर था। सारांश ने आगे बढ़कर बालकनी का दरवाजा खोल दिया। एक ठंडी हवा का झोंका पूरे कमरे को और महका गया।
काव्या कमरे की खिड़की पर खड़ी अपने आज और अतीत मे उलझी थी। सबकुछ भुला कर एक नई शुरुआत करने के लिए खुद को तैयार करने मे लगी थी। तभी कमरे के दरवाजे पर आहट हुई। काव्या ने पलट कर देखा तो सामने कार्तिक खड़ा था। वह धीरे से मुस्कुराते हुए उसके पास आया और उसका हाथ थामकर बोला, "मुझे पता है तुम किस लिए परेशान हो।"
काव्या एक पल को घबरा गयी फिर जल्दी से खुदको नॉर्मल करते हुए बोली, "अच्छा!!! लगता है लोगो के मन की बात पढ़ने लगे हो।"
"सिर्फ आपका चेहरा मैडम!!! तुम अपने पापा को लेकर परेशान हो न! तुम अभी भी उनके लिए चिंता कर रही हो। वो अब बिलकुल ठीक है और हम कल जायेंगे ही उनसे मिलने। तो मेरी प्यारी बीवी अब तो मुस्कुरा दो, प्लीज!!प्लीज!!प्लीज!!!!" कहकर कार्तिक ने उसे गुदगुदी करनी शुरू की जिससे काव्या हँसते हँसते उसकी बाहों मे झूल गयी। कार्तिक ने उसे खीच कर गले लगाया तो काव्या ने उसे कसकर थाम लिया। वह बस अपने दिलोदिमाग से किसी भी तरह के ख्याल को निकाल फेकना चाहती थी।
"आज इस वक़्त मे सिर्फ तुम और मै। सिर्फ हम...... क्या इरादा है!!!" कार्तिक ने कहा तो काव्या ने उसे और मजबूती से थाम लिया।
अवनि धीरे से चलकर बालकनी की ओर गयी तो देखा सामने एक बहुत ही खूबसूरत सा गार्डन था जिसमे कई तरह के फूल लगे थे वो भी सब उसके पसंद के ही थे और बीच मे एक स्विमिंग पूल था। अवनि तो बस देखती रह गयी। उसके चेहरे पर कब मुस्कान फैल गयी उसे पता भी नही चला। उसे याद आया जब एक बार श्रेया के साथ उसने मंदिर मे भगवान के सामने कहा था की अगर भगवान सब की सुनते है तो उसे इतना बड़ा घर चाहिए जिसमे उसका खुदका बगीचा और पूल हो। तो क्या सच मे भगवान ने उसकी सुन ली थी या फिर किसी और ने?
अचानक कैमरे के क्लिक की आवाज़ से अवनि की तंद्रा टूटी। उसने देखा कैमरे का लेंस उसी की ओर था और कैमरा सारांश के हाथ मे,उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी झलक रही थी। सारांश अभी भी उसकी तस्वीरे लिए जा रहा था तो अवनि ने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा दिया। सारांश मुस्कुरा कर उसकी ओर बढ़ा और पीछे से उसे अपनी बाहों के घेरे मे लेकर कैमरा उसके सामने कर दिया। सारांश के करीब आने से हमेशा से ही उसकी धड़कन तेज हो जाती थी और इस वक़्त तो वह उसके बाहों के घेरे मे थी। वो एहसास बहुत ही खास और सबसे अलग था, अवनि मानो खो सी गयी। उसे यूँ खोया देख सारांश ने इशारे से कैमरे को ओर देखने को कहा। अवनि ने देखा तो उसे अपनी ही तस्वीरों पर यकीन नही हुआ। "क्या सच मे मैं इतनी खूबसूरत हूँ?" सोचकर अवनि उन तस्वीरों पर जैसे फिदा ही हो गयी।
"आँखे देखने वाले का नज़रिया होता है और कैमरे की नज़र फोटोग्राफर् की। मेरी नज़र से देखो तो आप इससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत हो।" सारांश ने उसके सिर पर अपना सिर टिका कर कहा। अवनि कैमरा अपने हाथ मे पकड़े कुछ देर उन तस्वीरों को देखती रही फिर अपना सर हल्का सा घूमा कर सारांश की ओर देखा। सारांश की नज़रे उससे हट ही नही रही थी। अवनि के लिए तो वो आँखे किसी गहरे समंदर से कम नही थी जिसमे ना चाहते हुए भी वह हर बार डूब जाती थी।
BGM
ओ रे मनवा तु तो बावरा है
तु ही जाने तु क्या सोचता है बावरे
क्यों दिखाये सपने तु सोते जागते
जो बरसे सपने बूंद बूंद नैनो को मूंद मूंद
कैसे मैं चलू देख न सकु अंजाने रास्ते!!
अवनि उन आँखों मे यूँ खो डूब गयी की उसे पता ही नही चला की कब सारांश ने उसे गोद मे उठाकर बेड पर बैठा दिया। सारांश नीचे घुटने पर बैठ गया और उसके पाँव को अपने हाथ मे ले लिया। अवनि को मानो झटका सा लगा, उसने फ़ौरन अपना पाँव खीच लिया ,"ये आप क्या कर रहे है? आप मेरा पैर नही छु सकते"
मगर सारांश ने एक बार फिर उसके पाँव को अपने हाथ मे लेकर बोला, "जब भगवान के सामने हम दोनो ही बराबर है तो मै तुम्हारे पैर क्यो नही छु सकता!!!" कहकर उसने अवनि के पैरों मे पाजेब पहना दी और कुछ देर यूँ ही उन्हे निहारता रहा फिर झुककर उन पैरों को चूम लिया। अवनि को जैसे करंट सा लगा। उसने इस बात की उम्मीद बिलकुल भी नही की थी। जिसके सामने न जाने कितने ही लोग झुकते है आज वो खुद उसके पैरों मे झुका उसे प्यार से देख रहा था।
अवनि की आँखों मे आँसू आ गये, उसने सारांश के कंधे पर हाथ रख उसे आगे बढ़ने से रोकना चाहा तो सारांश ने उसका हाथ पकड़ लिया। "आपने अब तक नही दिखाया न, क्या इन हाथों मे कुछ ऐसा है जो मेरा है?" सारांश ने उस हथेली को भी प्यार से चूम लिया। अवनि की दिल की धड़कन कुछ यू तेज हो गयी मानो दिल अभी बाहर निकल जायेगा।
"आप को पता था हमेशा से? आप जानते थे?" अवनि ने हैरानी से पूछा।
"मुझे तो तभी पता चल गया था जब अंजाने मे ही सही पर आप ने खुद मेरा नाम लिखने को कहा था जब आप का ध्यान मेरे उपर था!!!।" सारांश ने शरारत से कहा तो अवनि गुस्सा हो गयी।
"मतलब इतने वक़्त से आप जानबूझ कर मुझे परेशान कर रहे थे?" अवनि बोली यो सारांश ने मासूमियत से हाँ मे गर्दन हिला दिया। अवनि का दिल किया अभी उसका गला दबा दे लेकिन उसकी भोली सूरत देख अवनि पिघल गयी। सारांश ने भी हँसते हुए उसे देखा और बाथरूम से अटैचड् चेंजिंग रूम की तरफ दिखा कर बोला, "आप चेंज कर लो, आपके सारे कपड़े अंदर ही रखे है।"
अवनि को बस वहाँ से भागने का मौका चाहिए था तो वह जल्दी से जाकर चेन्जिंग रूम मे घुस गयी और उसके पाजेब की झंकार पूरे कमरे मे गूंज उठी। सारांश बस इस बात पर यकीन करने की कोशिश कर रहा था की अब ये उसका और अवनि का कमरा है, वो अवनि जिसे पाने के लिए नाजाने कितना इन्तज़ार किया था।
क्रमश: