Chapter 91
सुन मेरे हमसफ़र 84
Chapter
84
काया जोर से चिल्लाई "कौन है? दिखता नहीं है, यह केबिन इंगेज है?"
लेकिन दरवाजे पर नॉक होना बंद नहीं हुआ। दोपहर का टाइम होने के कारण इस वक्त वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी। इसलिए उस सिंगल केबिन में काया ने कुछ देर आराम से ट्राई करने का सोचा था। लेकिन दरवाजे पर हुए इस उत्पात की वजह से ना चाहते हुए भी काया को दरवाजा खोलना पड़ा।
दरवाजे की सिटकनी खिलते ही कोई एकदम तूफान की तरह अंदर आया और अंदर आकर उसने दरवाजा बंद कर दिया। काया हैरानी से आंखें फाड़े उस इंसान को देखती रही जो उसकी तरफ पीठ किए खड़ा था। एक आदमी, वो भी लेडीज ट्रायल रूम में!! यह तो सीधे सीधे मोलेस्ट करने वाला काम था और इसके लिए उसे जेल भी भेजा जा सकता था।
काया चिल्लाई "कौन हो तुम? और इस तरह लेडीज रूम में घुसने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?"
काया की आवाज सुनकर वह लड़का एकदम से उसकी तरफ पलटा। दोनों की आंखें हैरानी से और चौड़ी हो गई। काया गुस्से में उस पर चिल्लाई "तुम......!! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहां आने की? इस तरह कोई लेडीज ट्रायल रूम में घुसता है क्या? तुम्हे रूल का पता नही क्या? मैं भी किससे बात कर रही हूं! तुम्हारे लिए तो यह सब मायने ही नहीं रखते। तुम्हें कहां समझ होगी इस सब की! रूल्स तो इंसानों के लिए है, तुम जैसे लोगों लफंगे के लिए नहीं, मिस्टर.........! बाय द वे, आज किस नाम से बुलाऊं मैं तुम्हें, ऋषभ या कार्तिक? नहीं! तुम्हारे पापा तो तुम्हें टिक्कू बुलाते हैं ना?"
सामने खड़ा ऋषभ पहले तो काया को देख कर चौक गया था। लेकिन जब उसकी बातें सुनी तो और ज्यादा हैरान रह गया। 'इस नकचढ़ी को ये सब कैसे पता?' लेकिन उसे समझते देर न लगी की काया कार्तिक से मिल चुकी है। ऐसे में उसे काया को परेशान करने का एक और बहाना मिल गया। वह एकदम से काया के ऊपर झुक गया।
काया घबराकर पीछे शीशे के दीवार से चिपक गई लेकिन ऋषभ से बच नहीं पाई। ऋषभ ने उसे अपने दोनों हाथों को शीशे पर रख काया को बीच में ब्लॉक किया और उसके करीब आकर बोला "ये तो तुम ही डिसाइड करो कि तुम्हें कौन ज्यादा पसंद है? तुम जो कहो, मैं वही बन कर रहूंगा।"
काया ने ऋषभ को थप्पड़ मारने की कोशिश की लेकिन ऋषभ के इतने करीब होने के कारण उसके हाथ बस ऋषभ के गाल तक ही पहुंचे और ऋषभ का चेहरा हल्के से दूसरी तरफ घूम गया। उसके चेहरे के दूसरी तरफ लिपस्टिक का निशान था जिसे देख काया हंसते हुए बोली "तुम जैसा घटिया इंसान! इसके अलावा और कर भी क्या सकता है। लेकिन यहां मॉल में? हो भी सकता है। तभी तो तुम इस तरह यहां लेडीज ट्रायल रूम में......…!! लेकिन यहां एक गलती हो रही है। यहां तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं, मैं हूं। छोड़ो मुझे, और मुझसे दूर रहो।"
ऋषभ ने एक हाथ से काया के दोनो गालों को पकड़ा और बोला, "और मैं ऐसा क्यों करू? मेरी गर्लफ्रेंड मुझे नहीं मिल रही तो क्यों न मैं तुमसे ही काम चला लूं?"
काया के हाथ पैर फूल गए। वो घबराते हुए बोली, "देखो! मैने कहा ना, मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं हूं। अगर तुम्हे चाहिए तो मैं एक काम करती हूं, मैं यहां से जाती हूं और किसी और को तुम्हारे लिए भेज देती हूं। उसके बाद तुम जो मर्जी करो, ठीक है?"
काया वहां से जाने को हुई लेकिन ऋषभ ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपने और करीब खींच लिया। काया अंदर तक कांप गई।
काया के ड्रेस का फैब्रिक थोड़ा हल्का था इसलिए ऋषभ के हाथ की गर्माहट काया साफ महसूस कर पा रही थी। अब यह ऋषभ के छूने का असर था या वहां के एसी की वजह से, काया के रोंगटे खड़े हो गए। वह घबराई हुई सी ऋषभ को देखने लगी जो उसे बड़े प्यार से देख रहा था।
काया कसमसाते हुए बोली "प्लीज! मुझे जाने दो। देखो, मेरी बहन सारी बाहर ही है। वो मुझे ढूंढते हुए किसी भी वक्त यहां सकती है। उन लोगों ने तुम्हें यहां मेरे साथ देख लिया तो........."
ऋषभ ने काया की कमर पर अपनी पकड़ थोड़ी और मजबूत की और बोला "देख लेने दो। आखिर उन्हें भी तो पता चलेगा कि उनकी बहन का एक बॉयफ्रेंड है जो इतना हैंडसम दिखता है।"
काया घबरा गई। इस वक्त इस बंद केबिन में सिर्फ वह दोनों थे और ऐसे में ऋषभ उसके साथ क्या कर सकता था, वह यह सोच भी नहीं सकती थी। काया गुस्से में बोली "तुम बड़े बेशर्म इंसान हो।"
ऋषभ के होठों पर एक बड़ी शरारत भरी स्माइल थी। उसने कहा "लेकिन मैं तो इंसान नहीं हूं। अकॉर्डिंग टू यू, मैं लफंगा हूं। तो लफंगे बेशर्म ही होते हैं मिस काया!"
काया उसे धमकाते हुए बोली "देखो, कार्तिक या ऋषभ, जो भी हो तुम, अगर....... अगर तुमने मेरे साथ बदतमीजी की मैं कुणाल जीजू को फोन करूंगी और तुम्हारी सारी हरकत के बारे में बताऊंगी। कल सबके सामने कितने शरीफ बन रहे थे तुम, और आज.....! मुझे पता था, तुम कभी नहीं सकते। छोड़ो मुझे वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
काया ने जबरदस्ती अपनी पूरी शक्ति लगाकर ऋषभ को खुद से दूर किया और एक झटके में दरवाजे की सिटकनी खोल दी। ऋषभ को बाहर से किसी की जानी पहचानी सी आवाज सुनाई दे रही थी इसलिए उसने भी तुरंत हरकत की और काया को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा।
बाहर खड़ी लड़की, जो ऋषभ को ही ढूंढ रही थी, उसकी नजर अंदर खड़े दो लोगों पर गई जिसमें से एक ऋषभ था। इससे पहले कि वह ऋषभ के पास जा पाती, ऋषभ ने एकदम से झुक कर काया को किस कर लिया। काया की आंखें हैरानी से और ज्यादा चौड़ी हो गई। पहले तो उसके दिमाग ने काम करना एकदम से बंद कर दिया, लेकिन जब उसे एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हो रहा है तो उसने ऋषभ को मारना शुरू कर दिया। लेकिन ऋषभ था कि उसे छोड़ नहीं रहा था। ना काया चिल्ला पा रही थी, और ना ही खुद को ऋषभ की पकड़ से छुड़ा पा रही थी।
उस लड़की ने जब ऋषभ को किसी और लड़की के साथ देखा तो पैर पटकती हुई वहां से निकल गई। उसके जाने के कुछ देर बाद ऋषभ ने एकदम से काया को छोड़ दिया। काया की आंखों में आंसू आ गए। उसने अपना चप्पल उतारा और उसी से ऋषभ की धुनाई शुरू कर दी। ऋषभ, पहले तो बचने की कोशिश करता रहा लेकिन फिर एकदम से काया के दोनों हाथ पकड़ कर उसे शीशे से सटा दिया। काया की चप्पल नीचे गिर गई। वो गुस्से में चिल्लाई "मैं तुम्हारी जान ले लूंगी!!!"
ऋषभ धीरे से उसकी तरफ झुका। काया को लगा, ऋषभ एक बार फिर ऐसी वैसी कोई हरकत करेगा इसलिए उसने अपना चेहरा जल्दी से दूसरी तरफ घुमा लिया। ऋषभ मुस्कुरा उठा और उसने धीरे से काया के कान में कहा "ले लो मेरी जान, तुम्हारी ही है। ट्रस्ट मी! मैं कुछ नहीं कहूंगा।"
ऋषभ की सांसे काया की गर्दन से टकरा रही थी और इससे काया को अपने अंदर कुछ अजीब सा एहसास हो रहा था। ऋषभ धीरे से काया से अलग हुआ और बाहर निकलते हुए बोला "आज के लिए थैंक यू, मुझे बचाने के लिए। और हां! इस ड्रेस में तुम कमाल लग रही हो।"