Chapter 26

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humsafar 26

Chapter

26


  अवनि कपड़ो से लदी सारांश की बाहों मे जा गिरी। घबराहट मे अवनि की चीख निकल गयी, उसने आँखे खोलकर देखा तो सारांश उसे देख मुस्कुराये जा रहा था। अवनि ने उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश की मगर सारांश ने अपना दूसरा हाथ भी उसकी कमर पर रख दिया जिससे उसकी पकड़ और मजबूत हो गयी। 

    अवनि के पसीने छूट गए मगर सारांश को तो मज़ा आ रहा था उसकी ऐसी हालत देखकर। उसने अवनि को अपनी ओर खिचा जिससे अवनि जमीन से दो इंच ऊपर उठ गयी। अब तो चाह कर भी अवनि हिल नही सकती थी, उसने घबरा कर अपनी सफाई देनी चाहि, "मै तो बस आप को थैंक यू बोलना चाहती थी, इसीलिए आपके लिए बुके भी बना कर लाई थी, आपने मेरे पापा का इतना ख्याल रखा इसीलिए। लेकिन आप अचानक से अंदर आ गए और मै डर गयी और यहाँ छुप गयी, मेरा कोई और इरादा नही था" अवनि सब एक साँस मे बोल गयी।

      सारांश को हँसी आ गयी, " गलती एक बार होती है, दो बार होती है लेकिन बार बार नही होती। तुम्हारा यू बार बार मेरे करीब आना.... कही कोई प्लानिंग तो नही कर रहा!!" अवनि घबरा कर बोली, "नही नही!! मैंने कुछ भी जानबुझ कर नही किया, न ही तब और न ही अब"

    "मैं कैसे मान लू? इन्हे खोलो... मुझे देखना है" सारांश ने उसके गर्दन से नीचे इशारा किया। अवनि की आँखे हैरत से फैल गयी। वह चिल्लाई, "कमज़र्फ़ इंसान.......छोड़ो मुझे वरना मै चिल्लाऊँगी"

   "ठीक है चिल्लाओ" सारांश ने बड़े आराम से कहा, "फिर  सब के सामने दिखाना पड़ेगा, सोच लो...... अकेले मे या सब के सामने!" अवनि डर से सफेद पड़ गयी, उसने अपने कुर्ती का कॉलर कस कर पकड़ लिया। यह देख सारांश ने गुस्से मे दाँत भीच लिए और अवनि को उसी वक़्त छोड़ दिया। ऐसे छोड़े जाने के कारण अवनि सीधे नीचे जा गिरी और उसे थोड़ी सी चोट लग गयी,"आउच्....... !"

   "लगी.....? मुझे भी ऐसे ही लगी। तुमने मुझे समझ क्या रखा है? मै बस तुम्हे हाथ दिखाने को कह रहा था जिनकी मुट्ठी बना रखी थी तुमने। मै तुमसे सिर्फ अपनी मुट्ठी खोलने को कह रहा था की कही तुम मेरी कोई जरूरी चीज तो नही ले जा रही!!!! कमज़र्फ मै नही आपकी सोच है मोहतरमा।" 

    अवनि को शर्मिंदगी हुई और उसने कुछ कहना चाहा मगर तभी चित्रा की चीख सुनाई दी साथ ही कार्तिक भी चिल्ला रहा था। "अब क्या हो गया???" सारांश झल्ला उठा और बाहर जाने को हुआ तो अवनि ने पिछे से टोका, "ऐसे बिना कपड़ो के जायेंगे क्या?" 

     सारांश को ध्यान आया की उसने टी शर्ट नही पहनी है। उसने अलमारी से एक शर्ट निकाली और बटन बंद करते हुए बाहर निकल आया, अवनि भी पीछे पीछे चली आई। जब दोनो कार्तिक के कमरे मे पहुँचे, वहाँ का नजारा देख अवनि हैरान रह गयी वहीं सारांश ने अपना सर पिट लिया। तब तक धानी और सिया भी चले आई। कार्तिक सिर्फ टॉवेल मे था और उसने चित्रा को पीछे से पकड़ कर जमीन से ऊपर उठा रखा था। 

    "क्या कर रहा है कार्तिक!! छोड़ उसे!!!" धानी ने कार्तिक को डाँट लगाई मगर कार्तिक कहाँ किसी की सुनने वाला था। उसने उल्टा अपनी माँ को सुना दिया, "आप ही ने इसे मेरे पीछे लगाया था न, मुझ पर नज़र रखने के लिए ! और ये...... इसने इतनी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाई की पूछिये मत! मैंने कहा था की मुझे नहाने जाना है, मेरे कमरे से निकल जाए मगर नही...... इसे तो अपनी ड्यूटी करनी थी तो अब करे..... चिल्ला क्यों रही है!!! और पता है इसने सबसे बड़ा जोक मारा..... इसने कहा की ये 'लड़की' है।" कार्तिक की बात सुन सारांश धानी और सिया की हँसी छूट गयी। 

     चित्रा ने बुरा सा मुह बनाया और कार्तिक से बोली, "तु मेरी शिकायत करेगी कम्मो!!!" चित्रा की बात सुन अवनि, जो कार्तिक की ऐसी हरकत देख शॉक मे थी, की हँसी छूट गयी। बेचारी चित्रा रुआंसि हो गयी और कार्तिक झेंप गया, उसे ऐसे देख सारांश ने कहा, "ला..... इसे मुझे दे" कार्तिक ने भी वैसे ही चित्रा को सारांश की ओर उछाल दिया। अब चित्रा सारांश की गोद मे थी, "तुझे किस बात का शॉक लगा जो तु खुद को लड़की समझने लगी। चल मै तुझे दवाई देता हु" कहकर सारांश चित्रा को लेकर वहाँ से निकल गया। धानी सिया और अवनि वहीं दरवाजे पर खड़े हँसे जा रहे थे। कार्तिक ने गुस्से मे दरवाजा बंद किया और नहाने चला गया। 

     

      काव्या अपने कमरे मे बन्द हो कर बैठी थी। एक ओर जहाँ सब खुश थे वहीं उसके चेहरे की उदासी कुछ और ही बयाँ कर रही थी। तभी अवनि कमरे मे दाखिल हुई, उसकी हँसी रोक नही रुक रही थी। काव्या ने अपनी उदासी छुपाते हुए उससे पूछा तो अवनि ने कार्तिक और चित्रा के बीच की सारी बातें बता दी जिसे सुन काव्या भी हँस पड़ी। थोड़ी ही देर मे पार्लर वाली का एक ग्रुप वहाँ आया और काव्या और अवनि दोनो को गौरी पूजन के लिए तैयार करने लगा। अवनि को समझ नही आया की उसे क्यों तैयार किया जा रहा है! 

     अवनि को तैयार करके बाहर भेज दिया गया और काव्या को थोड़ा वक़्त लगना था। "अजीब लोग है...., शादी तो शाम को है और ये लोग अभि से ही लग गए। गौरी पूजन के लिए भी कोई इतना मेक अप करता है क्या" अवनि ने खुद को आईने मे देखकर कहा फिर वह पूजा की तैयारी के लिए कंचन का हाथ बटाने चली गयी। 

     विशाल और नानु भी अपने वादे के अनुसार अब तक आ चुके थे। कंचन ने जब नानु को देखा तो वह उन्हे लेकर अखिल के कमरे मे चली गयी। "हम तो ये शादी कुछ वक़्त के लिए टालना चाहते मगर सारांश ने ही मना कर दिया" कंचन की बात सुन नानु के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, " बिल्कुल सही किया उसने, आज की शादी तुम्हारी दोनो बेटियो के लिए बहुत जरूरी है। आज उन दोनो की किस्मत का फैसला होना है।" 

    नानु की बात सुन कंचन बोली, " लेकिन आज काव्या की शादी है फिर अवनि की किस्मत इससे कैसे जुड़ी है?"

    "तुम शायद भूल रही हो की उन दोनो की कुंडलिया मैंने ही बनाई थी। उन दोनो की किस्मत लगभग एक जैसी ही है। मैंने कहा था शादी के पहले तक किस बात का ख्याल रखना है। जितनी जल्दी हो सके अवनि की भी शादी कर दो वरना उसकी जिंदगी नर्क हो सकती है। अब तक जो मुझे दिख रहा है उस हिसाब से सब ठीक है मगर हमारी किस्मत भी हमारे कर्म के आगे हार मान जाती है। शादी के बाद उन्हे बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, खास कर अवनि को मगर उसका जीवनसाथी उसके लिए हमेशा ढाल बनकर खडा होगा। 

     मैंने कहा था तुम्हे दो दामाद नही दो बेटे मिलेंगे लेकिन हो सकता है खुद के गलत फैसले से तुम्हारी एक बेटी तुमसे हमेशा के लिए दूर हो जाए। याद है तीन साल पहले मैंने तुम्हे कहा था की अवनि अपने कॉलेज के पहले दिन अपने जीवन साथी से मिलेगी!!!"

     "हाँ पिता जी! मुझे याद है। लेकिन इन तीन सालों मे कभी किसी तरह का कोई संकेत नही मिल हमें।" कंचन ने याद करते हुए कहा। 

   "आज वो दिन आ गया है जब वो सब के सामने तुमसे अवनि का हाथ मांगेगा। वो मौका जो वह पिछले तीन सालों से ढूँढ रहा है आज वो मौका उसे मिलेगा और वो अवनि ही देगी उसे। हो सके तो आज ही उसकी......! तुम समझ रहे हो न" कहकर नानु ने अखिल और कंचन की ओर देखा तो दोनो ने हाँ मे सर हिला दिया। 

      अवनि एक बार अखिल को देखने के जा रही थी मगर उसने नानु की बात सुन ली जब वो उसके जीवनसाथी की बात कर रहे थे। अवनि सोच मे पड़ गयी की लक्ष्य के तो एक्जामस् थे फिर वो कैसे आ सकता है आज! आ भी सकता है, उसका कोई भरोसा नही कब क्या कर जाए। अवनि मुस्कुरा उठी। 

क्रमश: