Chapter 10

Chapter 10

humsafar 10

Chapter

10  

  करीब एक घंटे के बाद अवनि की नींद खुली तो वह हड़बड़ा कर उठ बैठी। आस पास नज़र घुमा कर देखा मगर सारांश कहीं नही था। अवनि उठकर बाहर लिविंग एरिया मे सारांश किसी लड़की के साथ बैठा लैपटॉप पर कुछ देख रहा था। सारांश की नज़र जैसे ही अवनि पर पड़ी उसने लैपटॉप को साइड मे रखा और बोला, "अरे!! मिस् अवनि!! इनसे मिलो ये है डायना, द वेडिंग प्लानर और डायना ये है अवनि। अवनि!!आइये और देखकर बताइये कौन सा सही लगेगा।"

  अवनि और डायना ने एक दूसरे को हैलो बोला। अवनि धीरे से चलकर सोफे पर बैठी तो सारांश ने डिजाइंस् आगे कर दिये। अवनि ने देखा शादी के मंडप के एक से बढ़कर एक तस्वीरे थी। सारी तस्वीरे देखने के बाद अवनि ने दो डिजाइंस् को सेलेक्ट किया और फाइनल डिसीजन काव्या पर छोड़ दिया। "लेकिन पहले वेन्यु तय कर लेते तो ज्यादा अच्छा होता, वैसे क्या सोचा है आप ने वेन्यु के बारे मे?" अवनि ने मासुमियत से पूछा। 

   "उसकी चिंता आप मत कीजिये। मैंने सोच लिया है कहाँ जाना है। आप बस थोड़ा फ्रेश हो जाओ फिर निकलते है, आप को घर भी तो ड्रॉप करना है।" सारांश ने मुस्कुरा कर कहा। अवनि फ्रेश होने बाथरूम मे चली गयी और सारांश डायना को शादी के थिम्स के बारे मे डिस्कस करने लगा। कल एक बार अपने ऑफिस मे आने को बोल कर डायना वहाँ से चली गयी। थोड़ी ही देर मे अवनि बाहर आई, उसे देख सारांश ने टेबल पर से गाड़ी की चाबी उठाई और चलने का इशारा किया। 

    दरवाजे तक पहुँचने पर सारांश ने पीछे पलट कर देखा तो अवनि वही के वही खड़ी थी। उसके चेहरे पर हिचकिचाहट साफ झलक रही थी जिसे देख सारांश कंफ्यूज हो गया। अवनि सारांश को देखकर झेंप गयी और बोली, " सॉर्री!!!वो मेरी  आँख लग गयी थी, पता नही कैसे!!!! आप को मेरी वजह से इंतज़ार करना पड़ा........." लेकिन सारांश ने बीच मे ही अवनि को रोकते हुए कहा, "कोई बात नही, आप सॉर्री मत बोलो। सच कहु तो काम के प्रेशर मे पिछले कई रातों से ठीक से सोया नही था। आपको सोता देख मेरी भी आँख लग गयी और सच मे काफी फ्रेश और रिलैक्स फील कर रहा हु। मुझे तो आपको थैंक्स कहना चाहिए। थैंक यू।" 

   सारांश ने बड़े प्यार से  मुस्कुरा कर कहा और बाहर चला गया, अवनि भी उसके पीछे पीछे चल दी। करीब आधे घंटे ड्राईव् करने के बाद दोनो शहर से थोड़ी दूर एक जगह पहुँचे। अवनि को कुछ समझ नही आया, उसने सवालिया नजरो से सारांश को देखा। लेकिन जवाब देने की बजाय सारांश गाड़ी से उतरा और अवनि के साइड का दरवाजा खोल उसे भी उतरने को कहा। 

   "ये हमारा छोटा सा फार्म हाउस है। किसी और पर भरोसा करने से बेहतर है हम अपने लोगो से ही काम ले। इसीलिए मैंने सोचा है की शादी यही होगी। पहले एक बार आप भी देख लो फिर.... वरना कहीं और देख सकते है।" सारांश ने चलते चलते ही कहा। अवनि जो की सारांश के पीछे चल रही थी उस जगह को देख कर हैरान रह गयी। 

"अगर ये छोटा सा है तो फिर बड़ा क्या होता है!!! मेरे हिसाब से यहाँ तीन चार शादियाँ एक साथ हो सकती है" अवनि ने चारो ओर देखकर कहा। 

    चारो ओर ऊँची बाउंड्री जिसमे किनारे लगभग हर तरह के फूल लगे थे। फूलों के बीच से निकलता रास्ता जो सीधे दो मंजिला घर की ओर जाता था और पीछे खुली जगह जहाँ आराम से शादी की सारी तैयारिया की जा सकती थी। अवनि ने भी खुशी खुशी उस जगह को हाँ कर दिया और कुछ तस्वीरे लेकर काव्या को भेज दिया। लेकिन बारिश का मौसम था ऐसे मे खुले मे शादी की तैयारिया कैसे हो सकती थी। अवनि ने सारांश से इस बारे मे पूछा तो सारांश ने अपने उंगली से अवनि की ठुड्डी पकड़ उसका चेहरा उपर उठा दिया जिससे एक पल को अवनि ठिठकी लेकिन जब नजर उठा कर देखा तो पाया की पूरे एरिया मे ऊपर की ओर ग्रीलिंग की गयी थी जो की देखते ही देखते पूरी तरह कवर हो गयी। 

    "यहाँ कई ऐसे तरह के फूल है जो ज्यादा पानी मे मुरझा जाते है या फिर ज्यादा सूरज की तपिस् मे झुलस जाते है इसीलिए इस तरह का इंतज़ाम इन सब के लिए किया गया है। अब ऐसे मे बारिश आये या आंधी तूफान, जब तक हम इस बाउंड्री के अंदर है हमें कोई फर्क नही पड़ेगा।" सारांश ने बड़े आराम से अपनी समझाया। 

   "लेकिन अगर ऐसी ही बात थी आज पुरा दिन क्यों घुमाया। हम लोग सीधे सीधे यहाँ आ सकते थे।" अवनि ने सवाल किया।

   "फिर तुम्हारे साथ वक़्त कहाँ मिलता" सारांश ने हौले से कहा लेकिन अवनि ने सुन लिया, "जी?? कुछ कहा आपने?" सारांश अपनी सफाई देते हुए बोला "नही तो.... मै ये कह रहा था की मुझे वक़्त ही नही मिलता ये सब याद करने को। मुझे सच मे याद ही नही था इस जगह के बारे मे, वो तो मॉम मे कहा तब जाकर मुझे याद आया।"

    सारांश का जवाब सुनकर अवनि मन ही मन हँस दी 'बड़े लोगो की बड़ी बातें। शहर मे कितने घर है खुद को याद नही रहता।' सारांश अवनि को लेकर वहाँ से निकल गया। रास्ते भर अवनि उन तस्वीरों को देखती रही जिसे डायना ने जाने से पहले दिया था। सारांश ने भी डिस्टर्ब नही किया और ना ही कुछ बोला बस माहौल को हल्का करने के लिए म्युजिक ऑन कर दिया। 

    ट्रैफ़िक सिग्नल पर एक बच्ची ने सारांश को फूल बेचने की कोशिश की सारांश ने उस बच्ची से कुछ कहा और वो बच्ची वहाँ से चली गयी। अवनि ने सोचा ' ये अमीर लोग सिर्फ पैसों से अमीर होते है ' लेकिन तभी वह लड़की अपने साथ एक लड़के को ले आई जो की उसका भाई था और उसके साथ ही फूल बेचा करता था सारांश ने उस लड़के से सारे फूल लिए और उसे दो हजार का नोट और एक कार्ड पकड़ा कर कहा,"कल सुबह कभी भी जा कर जरूर मिल लेना, जरूरत है वहाँ।" उस लड़के ने धन्यवाद किया लेकिन पैसे ज्यादा होने के कारण वह सारांश का मुह देखने लगा, "छुट्टे नही है साहब" 

  "रख लो, अपनी गुड़िया के लिए कुछ ले लेना" और सिग्नल ग्रीन होने के कारण सारांश ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। 

    अवनि को कुछ समझ नही आया लेकिन कुछ पूछना सही नही लगा। बड़े लोगों की बड़ी बाते और अजीब शौक ' सोचकर अवनि चुप हो गयी। 

    थोड़ी ही देर मे गाड़ी अवनि के घर के बाहर आकर रुकी। अवनि ने अपना समान लिया और जैसे ही उतरने को हुई सारांश ने रोका और अपने जेब से एक डेबिट कार्ड निकाल कर उसकी ओर बढ़ा दिया। अवनि की समझ मे कुछ नही आया, वह बस सवालिया नजरो से सारांश को देखने लगी। सारांश ने कहा, "आपकी तीन महीने की एडवांस सैलरी है इस मे। आपको गिफ्ट लेना था न अपनी बहन के लिए। इसमे आपकी पूरी सैलरी है, रख लो। मै इसका पिन आपको मैसेज कर दूंगा। " 

   "थैंक्स" कहकर अवनि ने कार्ड ले लिया और गाड़ी से उतर गयी, सारांश भी वहाँ से निकल गया। अवनि कार्ड देख खुशी से झूम उठी, "मै कल ही जाकर माँ का हार ले आऊँगी"।अवनि अभी दो चार कदम बढ़ी ही थी की उसकी नजर सामने खड़ी श्रेया पर गयी जो आँखे फाड़े उसे ही घूर रही थी। 





क्रमश: