Chapter 120
सुन मेरे हमसफ़र 113
Chapter
113
दूसरी तरफ कुणाल तैयार होकर मित्तल हाउस पहुंचा। आज के होलिका दहन में उसकी फैमिली भी इनवाइटेड थी और उसे तो किसी इनविटेशन की जरूरत भी नहीं थी। कुणाल अपना घर छोड़कर जाने को पूरी तरह तैयार था, लेकिन मिसेस रायचंद अपनी सारी जुगत लगाई और इमोशनल कार्ड खेलकर कुणाल को घर छोड़कर जाने से रोक लिया। इस बारे में किसी को भी कानों कान भनक नहीं लगी। यहां तक कि मिस्टर रायचंद को भी नहीं, लेकिन इस बारे में कुणाल की मां आखिर कब तक अपने पति से छुपा पाती! इसके लिए वह भी सही मौके की तलाश में थी।
कुणाल वैसे ही अपने घरवालों से नाराज था। इसलिए उन लोगों के आने से पहले ही वह मित्तल हाउस के लिए निकल चुका था। वहां कंपाउंड में पहुंचते ही कुणाल की नज़रों ने शिवि को तलाशना शुरू किया। उसे उम्मीद थी कि वो उसे जरूर नजर आएगी। उसने मन ही मन खुद से कहा 'आई होप कि वह हॉस्पिटल ना गई हो। क्या करूं किस से पूछू? अगर किसी से पूछा तो कई तरह के सवाल उठेंगे। कोई क्या सोचेगा? कुहू को छोड़कर मैं शिवि के बारे में पूछ भी तो नहीं सकता। लेकिन फिलहाल तो वह भी नजर नहीं आ रही। वो होती तो............! शायद अपने कमरे में होगी। किसी से पूछने की बजाए मैं खुद अंदर जाकर देखता हूं।'
कुणाल सोचता हुआ घर के अंदर दाखिल होने लगा लेकिन फिर एकदम से उसके कदम रुक गए। उसने खुद से सवाल किया 'अंदर जाकर भी मैं क्या ही कर लूंगा। अगर वह अपने कमरे में हुई तो मुझे कैसे पता चलेगा कि उसका कमरा कौन सा है? एक तो इस घर में इतने सारे लोग हैं, लगता जैसे कोई छोटा सा टाउन हो। कितने लोग रहते हैं यहां! ऊपर से कुहू की फैमिली भी यहीं पर मिलती है। वह सब छोड़ और आगे बढ़। अंदर जाकर कुछ जुगाड़ निकाल जिससे तू शिवि से बात कर सके। लेकिन इससे पहले मुझे कुहू को सारी सच्चाई बतानी होगी। उसे बिल्कुल भी एहसास नहीं होना चाहिए कि मैं उसकी बहन के लिए उससे सगाई चाहता हूं। बहुत बुरा लगेगा उसे, और शिवि को भी।'
कुणाल आगे बढ़ने को हुआ लेकिन सामने से चले आ रहे हैं लोगों को देख उसके पैर पर थम गए।
कुणाल ने देखा, शिविका समर्थ के साथ चली आ रही थी। लेकिन रास्ते में समर्थ का फोन बजा तो शिविका ने उसे चिढ़ाते हुए शरारती लहजे में कहा "क्या भाई! लगता है आप अभी से पराए हो गए। भाभी का ही फोन होगा, देख लो।"
समर्थ ने अपनी पॉकेट से फोन निकाला तो देखा उसके असिस्टेंट का कॉल था। समर्थ ने अपना फोन स्क्रीन शिवि के सामने किया और इशारे से उसका मजाक उड़ा कर कॉल अटेंड करने चला गया। शिवि वहां खड़े होकर उसका इंतजार नहीं कर सकती थी। उसे पता था कि तनु थोड़ी ही देर में वहां पहुंचने वाली है। इसलिए उसने सबसे पहले जाकर उसका वेलकम करने का सोचा ताकि समर्थ को थोड़ा सा और परेशान कर सके और तनु को समर्थ के खिलाफ थोड़ा सा भड़का सके। आठ दस बुराइयां तो उसने उंगलियों पर गिन कर रखी थी।
उन्हीं सारी बुराइयों को अपनी उंगलियों पर याद करते हुए शिवि दरवाजे की तरफ अपनी धुन में चली जा रही थी। दरवाजे के पास खड़ा कुणाल बेसुध होकर उसे देखे जा रहा था। उसकी आंखों ने सोते हुए यह नजारा न जाने कितनी बार देखा था, लेकिन आज खुली पलकों से उसे यह सब देखने को मिल रहा था। सब कुछ एक सपना समझ कर वह बस शिवि को देखने में मगन था।
शिवि अपनी धुन में चली जा रही थी। उसने यह बिल्कुल भी नहीं देखा कि सामने कुणाल खड़ा है और सीधे जाकर वह कुणाल के सीने से टकराई। कुणाल ने भी एकदम से चौक कर शिवि को अपनी बाहों में भर लिया। कुणाल की इस छुअन से शिवि बुरी तरह घबरा गई और एक झटके से कुणाल से दूर हुई।
कुणाल भी होश में आया और जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोला "हाय! हम दोनों फिर से मिल गए।"
शिवि के होठों पर थोड़ी भी मुस्कुराहट नहीं थी। उसने अपने मन में चल रहे सवालों को कंट्रोल किया और सपाट लहजे में बोली "आप शायद मेरे घर आए हैं। जाहिर सी बात है, ऐसे में हमारा मिलना इत्तेफाक नहीं हो सकता। वैसे आपको जिस से मिलना है, वो इस वक्त ऊपर कमरे में है। अगर आप मिलना चाहते हैं तो मिल सकते हैं।"
शिवि, कुणाल को इग्नोर कर वहां से जाने लगी। कुणाल समझ गया कि शिवि कुहू की बात कर रही है। उसने शिवि को रोकते हुए कहा "आपको नहीं लगता कि हमारा, आई मीन मेरा और कुहू का इस तरह घरवालों के बीच अकेले में बातें करना थोड़ा अजीब लगेगा? आई मीन, अगर किसी ने देख लिया तो........."
शिवि कुणाल की तरफ पलटी और उसकी आंखों में आंखें डाल कर जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोली "आप दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड नहीं हो और ना ही आप दोनों का रिश्ता घरवालों से छुपा हुआ है जो किसी के देख लेने का डर हो। आप दोनों की सगाई हो चुकी है और आप दोनों को एक साथ देखकर घरवालों को अच्छा ही लगेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। वैसे सच कहूं तो मुझे लगता है कि आप दोनों को एक साथ बैठकर काफी कुछ बातें क्लियर करने की जरूरत है। साथ बैठिए, एक दूसरे से बातें कीजिए और एक दूसरे के मन में जो भी है उसे कह दीजिए, आगे की जिंदगी आसान हो जाएगी।"
कुणाल की समझ में कुछ नहीं आया। उसने सवालिया नजरों से शिवि की तरफ देखा तो शिवि बोली "मिस्टर कुणाल रायचंद! मैं नहीं जानती आप के दिमाग में क्या चल रहा है और आपके दिल में क्या है। मैं बस अपनी बहन को जानती हूं। इसके अलावा मेरा आप से कोई लेना देना नहीं है। आप जो करते थे और जो आप कर रहे हैं, उसकी वजह से मेरी बहन काफी ज्यादा स्ट्रेस में है। उसके मन में बहुत सारे सवाल है। हो सके उन सारे सवालों के जवाब तैयार रखिएगा, वह भी इमानदारी से।"
अब जाकर कुणाल को समझ में आया। वह कुछ कह पाता, उससे पहले ही शिवि वहां से जा चुकी थी। यह सारा कुछ कुहू ऊपर रेलिंग पर खड़ी देख रही थी। दोनों को देख उसे बहुत अजीब सी फीलिंग आई। कुणाल जिस तरह से शिवि से बात कर रहा था, वह कुहू को थोड़ा सा नागवार गुजरा। दोनों के बीच क्या बातें हुई, यह तो कुहू ने सुना नहीं लेकिन जिस तरह शिवि कुणाल से टकराई थी और जिस तरह कुणाल ने उसे अपनी बाहों में था, वो देख कुहू को बहुत बुरा लगा।
उसने एक नजर अपने कपड़ों की तरफ डाला और एक नजर कुणाल की तरफ देखा। उन दोनों के कपड़ों में कोई मैच नहीं था। अब इससे इत्तफाक कहें या कुणाल ने जानबूझकर उसी कलर का कुर्ता पहना था जिस कलर की ड्रेस शिवि ने पहनी थी। दोनों जब खड़े होकर बात कर रहे थे तो उन्हें देख किसी को भी गलतफहमी हो जाती कि वह दोनों कपल है।
कुहू ने अपने सीने पर हाथ रखा और गहरी गहरी सांसे लेकर खुद को समझाने लगी। 'ऐसा कुछ नहीं है। यह सब सिर्फ मेरे मन का वहम है और कुछ नहीं। सब सही है ,और कुछ सही नहीं भी है, वो भी सब सही हो जाएगा।"