Chapter 1
humsafar 1
Chapter
1
आज कॉलेज का आखिरी दिन था। अवनी अपने ही ख्यालो मे गुम उदास सी कैंटीन मे बैठी थी। तभी श्रेया उसे ढूंढते हुए वहाँ आ पहुँची। " तु यहाँ है, और तुझे ढूंढते हुए मेरे दो किलो वजन कम हो गए। तुझे पता भी है कितनी देर से ढूँढ रही हु तुझे, लेकिन तुझे क्या!!!! पता है वहाँ ऑडिटोरियम मे सारे गेस्ट आ चुके है, सारे स्टूडेंट्स वही पर है सिवाय तेरे! अब चल जल्दी" लेकिन अवनि को जैसे श्रेया की बातें सुनाई ही नही दे रही थी।
" क्या हुआ तुझे? तु सुन भी रही है मेरी बात!! " श्रेया ने अवनि के सामने हाथ हिलाते हुए कहा, तभी अवनि का फोन बजा। कॉलर का नाम देखते ही अवनि के चेहरे की कोई रौनक लौट आई। वह झट से फोन लेकर साइड मे चली गयी, " हैलो..... कहाँ थे कब से इंतज़ार कर रही थी,........ इतने बिजी हो की मुझे भी भूल गए..... जानते हो न तुम्हारी आवाज़ सुने बिना मेरा दिन शुरू नही होता...... "
अवनि की आवाज़ हालाँकि उस तक नही पहुँच रही थी लेकिन फिर भी श्रेया को समझते देर नही लगी की किसका फोन है। थोड़ी देर बाद जब अवनि ने फोन रखा तब श्रेया ने ताना मारते हुए कहा, " हो गया तेरा दिन शुरु!!!!, हो गया तेरा मूड ठीक!!!! अब चल जल्दी वरना तेरी वजह से सबसे लास्ट वाली सीट मिलेगी। " श्रेया अवनि को लगभग घसीटते हुए लेकर गयी। हॉल मे पहुँचते ही दोनो का सर चकरा गया। पूरे हॉल मे कही भी बैठने को जगह नही देख श्रेया ने अवनि को खा जाने वाली नज़रो से देखा तो अवनि ने हौले से सॉर्री कहा।
श्रेया ने गुस्से मे घूरा मानो उसे यही कच्चा चबा जायेगी, इतने मे उसके क्लास का हेड बॉय आया और पूछा, " तुम लोग यहाँ इस तरह खड़े क्यों हो? " मानव के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान देख श्रेया का पारा और चढ़ गया, " वो क्या है न आदिमानव हम लोग यहाँ योगासन कर रहे है 'स्तंभासन'(हाथ की मुद्रा बनाकर)... दिखता नही तुम्हे यहाँ कोई सीट खाली नज़र आ रही है क्या!!!!! आँखे दान कर आये हो क्या कही पर!!!!! " श्रेया का सारा गुस्सा बेचारे मानव पर उतरा।
" तो तु क्यों इतना चिल्ला रही है!!, अभी अगर किसी ने फोन कर दिया ना तो चिड़ियाघर वालो ने तुझे उठा ले जाना है।" मानव ने भी उसी भाषा मे जवाब दिया। "वो क्या है न मानव, हमे आने मे देर हो गयी और सारी सिटे फूल हो गयी है।" अवनि ने मानव को अपनी मजबूरी बताते हुए कहा। "चलो कोई नही मै इंतज़ाम करता हु। " कहकर मानव उन दोनो को लेकर आगे की ओर आया। अपने बगल वाली सीट पर बैठे लड़के के सर पर चपेड लगाई और कहा " दिखता नही लड़की खड़ी है, सीट दे बैठने को" यह सुन वो लड़का शराफत से उठा और साइड मे जा कर खडा हो गया। उस लड़के के जगह खाली करते ही मानव अवनि की ओर पलटा और इससे पहले उसे बैठने को कहता श्रेया झट से कुर्सी पर बैठ गयी।
श्रेया की हरकत देख मानव चिढ़ गया, " ये क्या बदतमीज़ी है?? अब मै कहाँ बैठूंगा, तेरे सर पे??" " मेरे सर पे इतनी जगह नही है, और वैसे भी दिखता नही लड़की खड़ी है अपनी सीट दे बैठने को" कहकर श्रेया ने तानो भरी मुस्कान के साथ मानव को देखा तो वह झुंझला उठा और साइड मे जा कर खडा हो गया। बेचारा मानव अवनि के साथ बैठने की उसकी इच्छा पर पानी जो फिर गया था। तुरंत ही प्रोग्राम शुरू हुआ और एक एक कर सारे प्रोफेसर और बाकी सब ने फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को बिदाई दी। उसके बाद प्रोफेसर और उनका ग्रुप सारे स्टूडेंट्स से बिदा ले कर निकल गए। उन लोगो के जाने की ही देरी थी की सब के सब अपने असली रंग मे आगये।
सब ने मिलकर फेयरवेल को पूरी तरह से एंजॉय किया लेकिन अवनि का ध्यान तो कही और ही था। वह बारबार अपने फोन मे ही लगी रहती। " क्या कर रही है अवनि!!! ये हमारा आखिरी दिन है कॉलेज मे कम से कम आज तो ध्यान देदे। तु न किसी दिन पागल हो जायेगी उस लक्ष्य के प्यार मे, सिर्फ उसकी वजह से कोई तेरे पास नही आता और अब मै भी जा रही हु। " कहकर श्रेया गुस्से मे जाने लगी तो अवनि ने उसका हाथ पकड़ लिया, " श्रेया! श्रेया!! श्रेया!!! सॉर्री यार छोड़ न। चल चलते है वहाँ देख सब ग्रुप फोटो ले रहे है।" अवनि उसे खिचते हुए ले गयी। सब के साथ फोटो खिचवाने के बाद और ढेर सारी सेल्फी लेकर दोनो अपने अपने घर वापस पहुची।
"आ गया मेरा बच्चा!!! कैसा रहा कॉलेज का आखिरी दिन?" अवनि के पापा अखिल जी ने प्यार से अवनि को गले लगाते हुए पूछा।
" बहुत अच्छा पापा। सब ने बहुत इंजॉय किया।" अवनि ने चहकते हुए कहा।
" तो...... अब आगे क्या करने का इरादा है? अखिल जी ने पूछा।
" आगे क्या करना है? बस अब एक अच्छा सा लड़का देखकर इसे हाथ पीले करने है।" अवनि के मम्मी कंचन जी ने चाय की ट्रे टेबल पर रखते हुए कहा। शादी की बात सुनकर अवनि घबरा गयी।
" क्या आप भी कंचन जी!!!!! अब वो पहले वाला जमाना नही रहा। अब तो लड़कियो का अपने पैरो पर खडा होना सब से ज्यादा जरूरी है। इसीलिए पहले नौकरी फिर शादी।और वैसे भी अभी हम अपनी एक बेटी की शादी की तैयारी कर रहे है, दूसरी की बाद मे सोचेंगे। " अखिल जी ने अवनि की साइड लेते हुए कहा।
" हाँ...... और वैसे भी दी की शादी के बाद कोई तो होना चाहिए जो उनकी बुटीक को संभाले।" अवनि ने इठलाते हुए कहा।
" बिल्कुल भी नही, खबरदार जो किसी ने भी मेरे बुटीक की तरफ आँखे उठा कर भी देखा तो!!!! अगर करना है खुद के दम पर कुछ कर या फिर कोई जॉब ढूंढ, लेकिन जो भी कर खुद कर ताकि सारा क्रेडिट तुझे मिले। " काव्या ने हल्के गुस्से मे कहा तो अवनि का चेहरा उतर गया।
" ठीक है मै कुछ और सोचूँगी" अवनि ने कहा और अपने कमरे मे जाने को हुई तो काव्या ने रोकते हुए कहा, "अवनि!!!!!!"
" यस् दिदु.. ' अवनि ने किसी कमांडो की तरह जवाब दिया।
" आज से तुम्हारी कॉलेज खतम!!!"
" यस् दिदु.... "
" यानी आज से सारे बहाने भी खतम!!! "
" यस दिदु!!! अम्म....... मतलब दिदु????" अवनि ने सवालिया नज़रो से काव्या को देखा।
" मतलब ये की शादी की तैयारियो मे तुझे हाथ बटाना है। पापा मम्मा अकेले कितना करेंगे!! कल के कल जा कर केटरर्स को एडवांस दे आना और डेकोरेसन के लिए कल ही बुकिंग करनी होगी वरना शादियों सीजन शुरू हो रहा है एक भी नही मिलेगा। और बाकी के शॉपिंग के लिए हेल्प करनी होगी। और.... "
" बस! बस!!बस!!!...... कल से न... तो कल बात करते है न आज क्यों दिमाग खराब करना! अच्छा ठीक है" अवनि ने आँखे मटकाते हुए कहा और अपने कमरे मे चली गयी।
क्रमश: