Chapter 83
YHAGK 82
Chapter
82
अमित की मौत हर किसी के लिए एक झटका ही था। किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था। अचानक से उसकी मौत को लेकर पुलिस इंक्वायरी भी बैठाई गई लेकिन सब कुछ इतने शातिर तरीके से हुआ था कि किसी को कुछ पता नहीं चला। यह एक नॉर्मल डेथ थी जो कि हैदराबाद से लौटते हुए गाड़ी की स्पीड को बैलेंस ना कर पाने की वजह से अमित का एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी। रूद्र का पहला शक विहान पर गया था लेकिन विहान ने इस बात से साफ इनकार कर दिया। उल्टा वो रूद्र पर ही गुस्सा हो गया। रूद्र को भी बुरा लगा कि वह अपने ही दोस्त पर इस तरह शक कैसे कर सकता है! जबकि वह अच्छे से जानता था कि विहान कैसा है। लेकिन मानसी का प्यार.......जिसके लिए वह कुछ भी कर सकता था!
रूद्र के शक की वजह वही बना लेकिन फिर अपने आप को ही समझाता हुआ वह विहान के घर से वापस चला गया। लेकिन रूद्र के दिल में शक था वह सच साबित हुआ। अमित की मौत के पीछे विहान का ही हाथ था लेकिन इस बारे में ना तो वो किसी को बता सकता था और ना ही कोई जानता था।
अमित की मौत के बाद मानसी एकदम से खामोश हो गई। नेहा ने उसे इस सदमें से बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन मानसी पर जैसे कुछ असर ही नहीं हो रहा था। बाहर वालों के लिए तो जितने मुंह उतनी बातें बनाने का मौका मिल गया। कईयों ने इसे हादसा बताया तो कईयों ने सोची समझी साजिश तो कुछ ने सीधे सीधे मानसी पर ही इल्जाम लगा दिया कि वह मनहूस है। शादी के अभी कुछ महीने ही बीते थे ऐसे में पति की मौत का इल्ज़ाम उसकी पत्नी के मत्थे मढ़ देना, यह कहां की समझदारी थी। लेकिन बोलने वालों को रोकना बहुत मुश्किल था।
नेहा के घर वालों ने मानसी का पूरा साथ दिया लेकिन इसके बावजूद लोगों की जुबान बंद नहीं हुई। अमित की तेरहवी के दिन जहां पूरा रॉय परिवार और सिंघाना परिवार मौजूद था वही नेहा के कुछ पड़ोसी भी वहां मौजूद थे। पूजा संपन्न होने के बाद एक बार फिर लोग आपस में कानाफूसी करने लगे। तेरहवीं का खाना खाते हुए लोग उसी घर की बुराई करने लगे और उस घर की बहू की भी। विहान को गुस्सा आ गया और वह सब पर चिल्लाया, "शर्म आनी चाहिए आप लोगों को......! जिस घर में मातम मनाने आए हैं उसी घर के जख्मों को कुरेदने में लगे हैं! जिन लोंगो के दर्द को बांटने आए हैं आप लोग उसी के घर की बुराई कर रहे हैं? उसी घर की बहू को मनहूस कह रहे हैं? कल को आप लोगों के घर में भी ऐसा कुछ हुआ तो आप सभी लोग मनहुस हो जाएंगे? इंसान जो भी करता है अपने कर्मों के हिसाब से उसे सजा मिलती है। अच्छा या बुरा जो भी होता है वह हमारे अपने कर्म होते हैं। जिसकी जिंदगी भगवान ने जितनी लिखी है उसे ज्यादा ना कोई जिया है और ना कोई जिएगा। भगवान ने करें किसी दिन आप लोगों के पति के साथ कुछ हो जाए तो क्या आपकी सास आप को घर से निकाल देगी?"
विहान की बातें सुन वहां मौजूद सभी खामोश तो हो गए लेकिन कब तक? यह बात विहान के मम्मी पापा अच्छे से समझते थे। उन्होंने विहान का हाथ पकड़ा और वहां से दूर ले गए। एक कोने में ले जाकर विहान के पापा उस पर गुस्साते हुए बोले, "हो क्या गया है तुम्हें? माना इस घर के लिए तुम्हारे मन में सिंपथी है, इन लोगों के लिए अपनापन है लेकिन इस तरह समाज के साथ लड़कर हम नहीं जी सकते। और कहने वाले तो कहते ही रहते हैं फिर चाहे इंसान कितना भी अच्छा क्यों ना हो! लोगों की बातों पर हम अगर इस तरह से रिएक्ट करते रहे तो फिर हमारी पूरी जिंदगी निकल जाएगी। किस किस का मुंह बंद करोगे तुम? इस दुनिया में अच्छा कहने वाले बहुत कम लोग होते हैं लेकिन किसी की एक जरा सी गलती को पहाड़ बनाकर चारों ओर ढिंढोरा पीटने वाले लोग एक ढूंढो तो हजारों मिल जाएंगे। इससे बेहतर है कि हम इन सब को नजरअंदाज करते रहे। जिन्हें जो कहना है वह कहते रहे, हमारा जो काम है हम वो करेंगे। हम कौन हैं कैसे हैं यह हम अच्छे से जानते हैं। दूसरे हमें नहीं जानते। हमारी अच्छाई कभी ना कभी लोगों के सामने आती ही है। फिर चाहे वह किसी भी रुप में हो।"
विहान बोला,"लेकिन पापा!!! किसी को तो इन्हें जवाब देना ही होगा ना। किसी को तो इन सबको चुप कराना ही होगा। आपने सुना नहीं कितनी बकवास बातें कर रहे हैं लोग! जो मर गया उसके गुँण गा रहे है और जो जिंदा है उसके लिए इतनी कड़वी बातें! अब इस सब में मानसी का क्या दोष? उसे क्यो टारगेट बनाया जा रहा है?" अचानक से विहान को याद आया कि उसने मानसी को उसके नाम से पुकारा है। उसने अपनी बात संभालते हुए कहा, "अमित की वाइफ का इस सब में क्या लेना देना है? जिस पर खुद इतनी बड़ी आफत गुजरी हैं, वह तो चुपचाप बैठी है। जो इंसान खुद सदमे में है उसके बारे में ही लोग इतना गलत कैसे कह सकते हैं?"
विहान के पापा ने जब देखा कि उनकी बातों का विहान पर कोई असर नहीं हो रहा तो वह उसे छोड़कर रूद्र के पास आए और उससे बोले, "रूद्र.....! तुम विहान को यहां से लेकर जाओ वरना वह यहां कोई हंगामा खड़ा कर देगा।"
रूद्र अच्छे से जानता था, विहान मानसी के लिए कितना इमोशनल है और वह यह भी समझ रहा था कि यहां के लोगों का जो कहना है वह कितना गलत है। उनकी सोच कितनी गलत है। वह भी खुलकर विहान का साथ देना चाहता था लेकिन इस वक्त अमित की तेरहवीं में वह ऐसा कोई हंगामा नहीं खड़ा करना चाहता था जिससे उस परिवार पर कोई असर करें। यह सारा काम सही से निपट जाए इसलिए उसने विहान को लेकर वहां से जाना ही सही समझा। उसने शरण्या को इशारा किया और वहां से चला गया।
विहान वहां से जाना नहीं चाहता था। वह काफी गुस्से में था। विहान खुद को छुड़ाते हुए बोला, "छोड़ मुझे! कहीं नहीं जाना है! तू भी मेरा साथ देने की बजाए उन्ही लोगों की बातों को सही कह रहा है! तुझे भी लगता है कि यह लोग सही है और मैं गलत हूं? जो इंसान मर जाए चाहे वह कितना भी कमी ना क्यों ना हो उसके बारे में सब अच्छा ही बोलेंगे लेकिन जिसके साथ गलत हुआ जो पीछे मरने के लिए छूट गया, उन लोगों के बारे में वो लोग ऐसी बातें करते हैं! यह समाज है हमारा...........? ऐसा समाज होता है क्या! जो मरे हुए की तारीफ करें और जो जिंदा है उन्हें मरने के लिए छोड़ दें या फिर उन्हें ताने दे देकर मरने के लिए मजबूर करते हैं!"
रूद्र बोला, "विहान.......! तेरा कहना भी सही है। उन लोगों को कोई हक नहीं बनता कि वह ऐसे मानसी पर उंगली उठाए। अबे यह लोग किसी के नहीं होते। उन्हें तब तक तकलीफ नहीं होती जब तक इनका अपना कोई इस दर्द से ना गुजरे या इनके साथ कोई हादसा ना हो जाए। इन्हें सिर्फ अपनी तकलीफ नजर आती है बाकी किसी की नहीं। इस सब में मानसी का क्या कसूर? जो कसूरवार था वह तो आसानी से छूट कर चला गया। अब हम लोग कुछ नहीं कर सकते सिवाय इसके कि मानसी की लाइफ को अब बेहतर बनाने के अलावा। बस कुछ वक्त और दें उसे, उसके बाद तू और मानसी एक बार फिर साथ होंगे। अपने प्यार पर अपनी मानसी पर और खुद पर भरोसा रख, सब ठीक हो जाएगा।"
विहान ने अपना हाथ छुड़ाया और चुपचाप जाकर गाड़ी में बैठ गया। रूद्र ने भी ड्राइविंग सीट संभाली और उसे लेकर घर चला गया। वह अच्छे से जानता था विहान को संभालना थोड़ा मुश्किल तो होगा लेकिन वो इस मामले में काफी समझदार है। एक तरह से देखा जाए तो इस सबसे फायदा यह हुआ कि मानसी के बारे में बातें फैलने से बच गई। अगर अमित को सजा होती तो कोर्ट में बाकी लड़कियों के साथ मानसी को भी खड़ा किया जाता और ऐसा वह दोनों ही नहीं चाहते थे। रुद्र विहान को घर लेकर गया और उसे अपनी बातों में उलझाने की कोशिश करने लगा लेकिन विहान का पूरा ध्यान तो सिर्फ मानसी पर था जिसने पिछले कुछ वक्त से चुप्पी ओढ़ रखी थी।
विहान के वहां से जाने के बाद मानसी अचानक से बेहोश हो गइ। शरण्या ने उसे संभाला और बिस्तर पर लिटा कर नेहा को बुलाने के लिए बाहर भागी। नेहा ने जैसे ही मानसी के बारे में सुना वह भागती हुई आई और बिस्तर पर पड़ी बेहोश मानसी को देखा। उसने सबसे पहले मानसी की नब्ज टटोली। कुछ देर बाद नेहा एकदम से चौंक पड़ी और उसकी आंखों से आंसू मानसी के हाथ पर जा गिरे। उसे रोता हुआ देख नेहा की मां ने सवाल किया, "क्या हुआ नेहा....? मानसी ठीक तो है, क्या हुआ है उसे? और तू रो क्यों रही है?"
नेहा अपने आंसुओं को रोकने की नाकाम कोशिश में लगी थी और हिचकते हुए बोली, "मां.....! भगवान हमारी परीक्षा क्यों लेते हैं? आखिर क्यों यह सब........! इस वक्त अगर भैया होते तो बात कुछ और ही होती। अगर वो इस वक्त यहां होते तो पूरा घर सर पर उठा लेते। माँ......! भाभी......... भाभी प्रेग्नेंट है, वो मां बनने वाली है।"
घर वालों ने जब सुना तो उन्हें समझ नहीं आया कि उन्हें क्या करना चाहिए। बेटे के जाने का गम मनाना चाहिए या एक नए मेहमान के आने की खुशी? सबकी आंखें नम हो चली। मानसी अभी भी बेहोश थी। नेहा उसे होश में लेकर आई और आराम से उसे बैठा दिया लेकिन कहा कुछ नहीं। नेहा उठी और वहां से बाहर चली गई। नेहा के मां पापा भी कमरे से बाहर निकल गए। मानसी को अजीब लगा। शरण्या उसके पास मौजूद थी तो उसने शरण्या से ही पूछा, "क्या हुआ शरण्या? मां पापा नेहा सब इस तरह क्यों देख रहे थे? मुझे क्या हुआ है? कुछ हुआ क्या? "
शरण्या उसके सामने बैठी और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोली, "नेहा ने बिल्कुल सही कहा भाभी। भगवान हमारी परीक्षा ले रहे हैं, खासकर आपकी। भाभी वक्त ही ऐसा है कि मुझे नहीं पता बात खुशी की है या गम की! शायद खुशी की ही हो सकती है। कितनी अजीब बात है ना, हम लोग यह भी तय नहीं कर पा रहे हैं। बस एक अमित भैया के ना होने से इतनी बड़ी खुशी को कोई समझ नहीं पा रहा। भाभी......! आप मां बनने वाली है।"
अपनी प्रेगनेंसी की खबर सुनकर मानसी के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे यकीन नहीं हुआ यह सब कुछ इस तरह से उसके सामने आएगा। उसे कभी नहीं लगा था कि वह प्रेग्नेंट भी हो सकती है। उसने कभी इस बारे मे सोचा नहीं था। लेकिन यह बच्चा था किसका था ये खुद उसे नहीं पता था तो वह किसी और को क्या बताती! अगर गलती से भी किसी को अमित की करतूतों के बारे में पता चल गया तो फिर कैसे किसी को यह कहेगी यह बच्चा अमित का है भी या नहीं, जब यह उसे खुद नहीं पता था।
मां बनने का एहसास हर औरत के लिए बहुत खूबसूरत होता है। एक नन्हीं सी जान को अपने अंदर महसूस करना अपने आप में ही किसी चमत्कार से कम नहीं होता लेकिन इस वक्त मानसी जो महसूस कर रही थी उसके बारे में किसी से कुछ कह नहीं सकती थी। जिस बच्चे को लेकर उसने कभी सपने देखे थे आज वही बच्चा उसके लिए नासूर की तरह चुभ रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह आखिर करे तो करे क्या? ना वह इस बच्चे को रख सकती थी नहीं उसे गिरा सकती थी। अपने आप से लड़ती हुई अपने ख्यालों में घिरी मानसी काफी देर तक बालकनी में खड़ी रही।
शाम के बाद नेहा जब उसके कमरे में आई तो उसे खड़ा देख कर बोली, "भाभी.....! ऐसी हालत में ज्यादा देर खड़े नहीं होते। आपको भी तकलीफ होगी और आपके अंदर पल रही उस नन्हीं सी जान को भी। इस समय आप को जितना हो सके उतना अपना ध्यान रखना होगा क्योंकि इस वक्त आप हम सब की उम्मीद है। ये बच्चा हम सबके लिए एक ही नई खुशियां लेकर आया है। भैया के जाने के बाद मां पापा का यही तो सहारा है। भैया होते तो आपका कितना ज्यादा ख्याल रख रहे होते, लेकिन इस वक्त आपको अकेले ही अपना ख्याल रखना है। मैं जानती हूं यह मुश्किल है लेकिन इस बात हम सबको हिम्मत से काम लेना होगा।" कुछ सोचते हुए मानसी का हाथ अपने पेट पर गया और उसका चेहरा सख्त हो गया।