Chapter 143
YHAGK 141
Chapter
142
लावण्या के कदम भटकने पर उतारू थे। वही जतिन उसकी बात सुनकर हैरान रह गया उसके दिमाग में क्या चल रहा था इस सब से अनजान रेहान पार्टी इंजॉय करने में लगा हुआ था। पार्टी पूरे शबाब पर थी और किसी को भी किसी की कोई खबर नहीं थी। सभी अपनी अपनी मस्ती में लगे हुए थे।
काफी देर बाद अचानक से रेहान को होश आया और उसे एहसास हुआ कि लावन्या काफी देर से वहां उसे नजर नहीं आई थी। पहले तो उसे लगा था शायद वो कुछ अरेंजमेंट्स देखने गई होगी लेकिन जाने क्यों उसे ख्याल आया, और उसने जतिन को भी ढूंढना शुरू कर दिया। हैरानी की बात तो यह थी कि ना लावण्या पार्टी में थी और ना ही जतिन! दोनों एक साथ पार्टी से गायब थे!
रेहान वैसे ही जतिन के नाम से चिढ़ा हुआ था। ऐसे में दोनों का ही गायब होना उसके दिमाग में शक के बीज बो रहा था। पूरे पार्टी हॉल में जब लावण्या उसे कहीं नजर नहीं आई तब उसने पार्टी हॉल से बाहर जाकर उसे ढूंढा लेकिन लावण्या उसे कहीं नहीं मिली। रेहान ने पार्टी हॉल का कोना-कोना छान मारा लेकिन वह दोनों वहां होते तो नजर आते ना!
कहीं लावण्या घर वापस तो नहीं चली गई?" यह सोचकर उसने लावण्या को फोन लगाया। पिछले आधे घंटे से वो ना जाने कितनी ही बार लावण्या को फोन लगा चुका था लेकिन हर बार उसका फोन बंद ही आ रहा था। हार कर उसने घर के लैंडलाइन पर फोन लगाया। एक स्टाफ ने फोन उठाया तो रेहान ने उससे लावण्या के बारे में पूछा।
उस स्टाफ ने कहा, "नहीं सर! लावण्या मैडम यहां नहीं आई है। वह तो आपके साथ ही गई थी।"
रेहान ने झल्लाकर फोन काट दिया और जेब में रखते हुए सोचने लगा, "कहां जा सकती है वह? जतिन भी तो यहां नहीं है और ना ही जतिन का नंबर है मेरे पास! उसका नंबर तो सिर्फ लावण्या के पास था। अब मैं क्या करूं? किस से पूछू? आई होप लावण्या ठीक हो और वह किसी प्रॉब्लम में ना हो! वैसे यहां का माहौल देखकर लगता तो नहीं है कि कुछ गड़बड़ हुई होगी।" फिर भी कुछ सोचते हुए उसने अपने फोन में लावण्या की तस्वीर निकाली और मेन गेट पर बैठे गार्ड को दिखाते हुए पूछा, "आपने इस लड़की को यहां से जाते हुए देखा क्या?"
गार्ड ने लावण्या की तस्वीर ध्यान से देखी और कहा, "हां! मैं ने इनको यहां से जाते हुए देखा। किसी साहब के साथ निकली है वह गाड़ी से करीब एक घंटा पहले!"
लावण्या के किसी आदमी के साथ जाने की बात सुनकर रेहान के माथे पर बल पड़ गए। उसने पार्टी में खींची हुई तस्वीरों में से कुछ तस्वीर निकाल कर गार्ड को दिखाते हुए बोला, "इनमें से कोई था क्या उसके साथ जिसके साथ वो गई है?"
उस गार्ड ने तस्वीर को अच्छे से देखा और फिर जतिन की तरफ उंगली उठाते हुए बोला, "यह साहब थे! इनके साथ गई है वह। लेकिन आप यह क्यों पूछ रहे हैं? आप कौन हैं?"
रेहान अपना फोन बंद करते हुए बोला, "मैं उस लड़की का पति हूं!"
गार्ड हैरान होकर बोला, "मुझे लगा वह साहब उनके हस्बैंड है। जिस तरह उन्होंने उन साहब के कंधे पर सर रखा हुआ था उससे तो यही लग रहा था।"
रेहान के होश उड़ गए। लावण्या ऐसा भी कुछ करेगी उसे उम्मीद नहीं थी। आखिर ऐसा क्या हो गया जो वह अचानक से इतनी बदल गई। पिछले काफी टाइम से ऑफिस के प्रॉब्लम्स की वजह से उन दोनों के रिलेशन मैं थोड़े प्रॉब्लम्स चल रहे थे लेकिन अब तक तो सब कुछ ठीक था। जतिन के आते ही ऐसे अचानक उसका जतिन से इतना करीब होना और इतनी देर रात उसके साथ अकेले जाना रेहान को खटक रहा था। वह मन मसोसकर पार्टी हॉल में वापस आ गया। फिर भी उसका दिल बार-बार लावण्या को याद कर रहा था। ना चाहते हुए भी उसकी उंगलियां लावण्या का नंबर डायल कर देती लेकिन बदले में जवाब वही मिलता। रेहान सब से दूर एक कोने में बैठ गया।
रात के 12:00 बज चुके थे और सब ने एक दूसरे को नए साल की बधाईयां दी लेकिन रेहान इस सब से दूर उन सारे नए साल के यादों को याद कर रहा था जब वह और लावण्या एक साथ थे। शायद यह पहला मौका था जब वह दोनों इस तरह एक दूसरे से दूर थे। शिखा जी ने सभी बच्चों को अपने पास बुलाया और उन्हें कुछ गिफ्ट देने लगी। सभी बच्चे वहां थे लेकिन मौली वहां नहीं थी। शिखा जी ने राहुल और मानव से मौली के बारे में पूछा तो राहुल ने एकदम से अपने कंधे उसका दिए और अपना गिफ्ट लेकर वहां से चला गया।
मानव ने कहा, "दादी! मौली तो अभी कुछ देर पहले मेरे पास ही थी, पता नहीं एकदम से कहां गायब हो गई? मैं उसे ढूंढ कर आता हूं।" कहकर मानव वहां से चला गया। उसने चारों ओर मौली को ढूंढा लेकिन मौली उसे कहीं नहीं मिली। हर तरफ से ढूंढने के बाद मानव शिखा जी के पास आया और बोला, "दादी! पता नहीं मौली कहां चली गई है! वह कहीं नहीं मिल रही!"
शिखा जी बोली, "तुध्यान से देख यही कही होगी! वह अभी कुछ देर पहले यही थी तो फिर अचानक से कहां जा सकती है? वह उन बच्चों में से नहीं है!"
मानव वहां से भागता हुआ विहान के पास आया और बोला, "पापा! मौली मिसिंग है! वह मुझे कहीं नहीं मिल रही! 12:00 बजे जब लाइट ऑन हुआ तब से वह मुझे नहीं दिख रही। उससे पहले तक हम दोनों साथ में खेल रहे थे। रूद्र अंकल ने कहा था कि मैं उसका ध्यान रखु और मौली ने भी कहा था कि वह इस पार्टी हॉल से बाहर कहीं नहीं जाएगी लेकिन वो कहीं नहीं मिल रही। मौली अपना प्रॉमिस नहीं तोड़ती। वह भी आपने पापा को दिया प्रॉमिस तो बिल्कुल भी नहीं! मैंने बाथरूम में भी चेक किया वहां भी नहीं है।"
विहान को पहले तो लगा कि मौली यहीं कहीं होगी लेकिन मानव की बातों में लॉजिक था इसलिए वह मौली को लेकर थोड़ा परेशान हो गया। उसने भी मौली को ढूंढना शुरू किया। उसे परेशान देख रजत ने उसे टोका तो विहान बोला, "रजत मौली कहीं नजर नहीं आ रही। मानव का कहना है कि अभी कुछ देर पहले वह उसी के साथ थी। लाइट ऑफ होने के पहले तक मानव और मौली एक साथ थे लेकिन लाइट ऑन होने के बाद से मौली कहीं नहीं मिल रही।"
अब तो रजत भी परेशान हो उठा। क्योंकी यह आदत मौली में बिल्कुल भी नहीं थी। ऐसे बिना बताए गायब हो जाना मौली की आदत थी ही नहीं। कहीं कुछ गड़बड़ ना हुई हो यह सोचकर ही रजत बेचैन हो गया और उसने भी मौली को ढूंढना शुरू किया लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद मौली का कहीं कुछ पता नहीं चला। रजत बुरी तरह से घबरा गया और बोला, "अब तो एक ही उपाय है। आर एस को बुलाना होगा। एक वही है जो मौली को ढूंढ सकते हैं।"
मौली को समझा-बुझाकर रूद्र शरण्या के साथ पार्टी से बाहर चला गया था। आज की रात के उसके भी कुछ प्लान थे। जैसा कि उसने पहले किया था। वह सब कुछ बिल्कुल उसी तरह दोहरा रहा था जैसा पहले हो चुका था ताकि शरण्या की सारी यादें वापस आ जाए। शरण्या भी रूद्र के सरप्राइज से काफी हैरान थी। उसे सब कुछ जाना पहचाना लग रहा था लेकिन उसने रुद्र के सामने यह बात जाहिर नहीं होने दी।
नशरण्या के साथ गुजारे उन खूबसूरत लम्हों को एक बार फिर जीते हुए रूद्र बहकने लगा था। यह वाइन का सुरूर था या शरण्या के साथ का नशा जो रूद्र धीरे धीरे सब कुछ भूल कर बेकाबू होने लगा था। शरण्या ने भी उसे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की। उसके विपरीत उसने रूद्र को बहकाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। उसी वक्त रूद्र का फोन बजने लगा। पहले तो शरण्या ने फोन काट दिया लेकिन जब फोन की घंटी दुबारा बजी तब रूद्र ने शरण्या के हाथ से फोन छीन लिया और शरण्या से अलग होते हुए उसने फोन कान पर लगाकर बोला, "हेलो रजत! क्या हुआ सब ठीक तो है?"
रजत घबराते हुए बोला, "सर! सर मौली मेम कहीं मिल नहीं रही। हम सब ने उन्हें चारों ओर ढूंढा लेकिन वह कहीं नहीं है।" कहते हुए रजत ने मानव की कहीं सारी बातें बता दी। अब तो रूद्र भी परेशान हो उठा। मौली का ऐसे अचानक गायब होना उसे बेचैन कर गया। वो जल्दी से उठा और अपने कपड़े ठीक करते हुए बोला, "मौली कहीं मिल नहीं रही, हमें वापस जाना होगा।"
मौली के बारे में सुनते हि शरण्या ने भी जल्दी से खुद को संभाला और वह दोनों गाड़ी लेकर वहां से पार्टी हॉल के लिए निकल पड़े। वह जगह तकरीबन 1 घंटे की दूरी पर था। रूद्र ने इतनी तेजी में गाड़ी चलाई कि वह 1 घंटे का रास्ता आधे घंटे के अंदर उसने तय कर लिया। पार्टी हॉल पहुंचते ही रूद्र ने गाड़ी पार्क करने की बजाय चाबी सीधे सिक्योरिटी गार्ड की ओर उछाल दी और भागते हुए अंदर पहुंचा।
शिखा जी रो रही थी और रजत और विहान मौली को ढूंढने में लगे हुए थे। रूद्र जैसे ही पहुंचा उसने सबसे पहले रजत को आवाज लगाई। रजत भागता हुआ रूद्र के पास आया और बोला, "सर हमने यहां का कोना-कोना छान मारा है लेकिन हमें कहीं नजर नहीं आ रही। यहां तक कि सिक्योरिटी कैमरा भी मौली के बारे में कुछ नहीं बता रही। ना ही वो बाहर गई है और ना ही अंदर है तो फिर वह जा कहाँ सकती है? कहीं किसी ने उसे किडनैप.......!"
रूद्र एकदम से बोला, "अगर किडनैप किया होता तो यहां से कोई गाड़ी बाहर जरूर जाती और कम से कम सिक्योरिटी गार्ड को तो इस बारे में पता होता ही। मौली इतनी कमजोर नहीं है कि कोई भी उसे उठाकर ले जाए। ना ही उसे बाहर जाते देखा गया और ना ही वह अंदर है तो इसका मतलब यही कहीं है। सबसे पहले तो पूरा एरिया सील करवाओ और सारे लाइट्स म्यूजिक बंद करो। मुझे यहां एकदम सन्नाटा चाहिए, पूरा सन्नाटा।"
रजत ने रूद्र के कहे अनुसार सारे दरवाजे बंद करवा दिए ताकि कोई बाहर ना जा सके और सारे लाइट्स में बंद करवा दिए। रूद्र ने अपनी कलाई में बंधे घड़ी को देखा और उसका एक बटन दबा दिया। उस बटन के दबाते ही पूरे हॉल में एक मद्धम सी आवाज सुनाई दी जो किसी सिग्नल की थी। हर कोई अपने आसपास देखने लगा।
रूद्र ने उस आवास का पीछा किया तो पता चला कि वह हॉल के ठीक पीछे एक सीढ़ी थी जो बेसमेंट की तरफ जाती थी। आवाज वहीं से आ रही थी। रूद्र ने धक्का देकर उस बेसमेंट के दरवाजे को खोला और सीढ़ियों से नीचे की तरफ भागा। आवाज अभी भी चालू थी। अंधेरे में उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था तो रूद्र ने अपने फोन की लाइट ऑन की और मौली को ढूंढने लगा। उस बेसमेंट में बने एक कमरे के कोने में मौली बेहोश पड़ी हुई थी। अपनी बेटी को इस हालत में देख रूद्र के पसीने छूट गए और दिल धक से रह गया। उसने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि उसकी बेटी उसे इस हालत में मिलेगी।
आंखों में आंसू लिए रूद्र ने जल्दी से मौली को उठाया और बाहर की तरफ भागा। रूद्र की गोद में बेहोश मौली को देखकर सबके होश उड़ गए। आखिर ऐसी हरकत कौन कर सकता था? सब यही सोच रहे थे। मानव परेशान था। विहान ने पार्टी के खत्म होने की अनाउंसमेंट की तो एक एक कर सभी मेहमान अपने अपने घर चले गए। रजत रूद्र के साथ ही हॉस्पिटल के लिए निकला
शिखा जी और धनराज जी जब जाने लगे तो मिस्टर रॉय और अनन्या जी ने उनसे कहा, "हम भी साथ चलेंगे!"
धनराज जी को इस बात से कोई एतराज नहीं था। वह लोग साथ में ही निकले। रह गया तो अकेला रेहान! उस पार्टी में एक कोने में शराब के नशे में धुत रेहान इस सबसे बेखबर बेहोश पड़ा हुआ था। जब सभी लोग चले गए तो सिक्योरिटी गार्ड ने उसे जगाते हुए कहा, "सर! पार्टी खत्म हो चुकी है और सब घर जा चुके हैं! आपको भी घर जाना चाहिए।"
रेहान ने बड़ी मुश्किल से होश में आया और लड़खड़ाते कदमों से अपने घर के लिए निकल गया।