Chapter 144
YHAGK 143
Chapter
143
रूद्र मौली को लेकर हॉस्पिटल भागा। नेहा और रजत भी उसके साथ थे। रजत गाड़ी ड्राइव कर रहा था नेहा उसके बगल में बैठी हुई थी। रूद्र मौली को गोद में लिए पीछे बैठा था और शरण्या रूद्र को संभालने में लगी थी। रूद्र का चेहरा घबराहट से सफेद पड़ गया था। मानो जैसे किसी ने उसके अंदर का सारा खून निचोड़ दिया हो। मौली को इस तरह देख कर शरण्या भी रो पड़ी।
नेहा ने हॉस्पिटल फोन किया और इमरजेंसी वार्ड के साथ साथ चिल्ड्रन वार्ड को भी तैयार रहने को कहा। कुछ ही देर में सभी हॉस्पिटल पहुंचे। बाहर ही स्ट्रैचर लेकर एक वार्ड बॉय तैयार बैठा था। मौली को तुरंत इमरजेंसी रूम में ले जाया गया। कमरे का दरवाजा बंद होते ही रूद्र किसी जैसे बेजान पेड़ की तरह वही कुर्सी पर गिर पड़ा। इस वक्त उसे कुछ भी होश नहीं था। शरण्या उसकी हालत देख रही थी और साथ ही खुद को भी संभालने में लगी थी। जैसे ही उसने रूद्र के कंधे पर हाथ रखा, रूद्र उससे लिपट गया और फफक कर रो पड़ा।
"मेरी बच्ची को मैंने दुनिया की हर बुराई से दूर रखा। कभी एक आंच तक नहीं आने दी लेकिन आज......... आज इतना बड़ा हादसा हो गया उसके साथ और मैं इस सब से बेखबर था! इससे भी ज्यादा कुछ हो सकता था उसके साथ! अगर कुछ हो जाता तो मैं क्या करता? एक उसके लिए मैंने सब कुछ ठुकरा दिया था! सब कुछ छोड़ कर चला गया था मैं! अगर उसे कुछ.........!"
शरण्या उसके बाल सहलाते हुए बोली, "कुछ नहीं हुआ रूद्र! हमारी मौली बिल्कुल ठीक है। ना कुछ हुआ है ना कुछ होगा। देखना, डॉक्टर उसे एग्जामिन कर रहे हैं ना! तुम शांत हो जाओ! वह हमारी बच्ची है कुछ नहीं होगा उसे!"
रूद्र ने उसे कस कर पकड़े रखा और आंखें मूंद ली। कुछ देर बाद ही धनराज जी सब के साथ वहां पहुंचे।
बिहान मानसी मानव और राहुल को अपने साथ ले गया। वहाँ पहुँच कर विहान ने राहुल और मानव को कमरे में सोने के लिए भेज दिया और खुद भी हॉस्पिटल के लिए निकल गया। कमरे में आते ही मानव ने राहुल से कहा, "आई होप कि मौली ठीक हो। मुझे तो बहुत डर लग रहा है, उसे कुछ होगा तो नहीं?"
राहुल तंज कसते हुए बोला, "तूने उससे फ्रेंडशिप नहीं की होती तो उसकी ऐसी हालत होती ही नहीं!"
मानव बुरी तरह से चौंक गया और बोला, "मतलब मौली को तूने बेसमेंट में बंद किया था? वो तेरी वजह से हॉस्पिटल में है?"
राहुल मुस्कुरा दिया। मानव घबरा गया और उसने मानसी को आवाज लगाई, "मम्मी............!"
उसी वक्त राहुल ने कसकर उसका मुंह बंद करते हुए कहा, "खबरदार जो तूने अपनी जुबान से एक भी शब्द कहा तो! तेरा भी वही हाल होगा जो मैंने मौली का किया। उससे भी बुरा हाल होगा। उसके पापा ने तो उसे ढूंढ लिया लेकिन तेरे पापा तुझे ढूंढ नहीं पाएंगे! उससे बेहतर है कि तू अपना मुंह बंद रख अगर जिंदा रहना चाहता है तो!"
राहुल की बातें सुनकर मानव घबरा गया। उसकी चीख सुनकर मानसी कमरे में आई तो राहुल ने मानव को छोड़ दिया और साइड में खड़ा हो गया। मानसी ने पूछा, "क्या हुआ मानव? तुम ऐसे चिल्लाए क्यों?"
मानव कुछ कहता इससे पहले राहुल बोला, "कुछ नहीं आंटी! वह बस गलती से मेरा पैर उसके पैर पर पड़ गया इसलिए वह चिल्लाने लगा। यह मानव भी ना अजीब हो गया है, बिल्कुल लड़कियों की तरह बिहेव कर रहा है। ऐसी कोई बात नहीं है आंटी! वह गलती से हो गया था। सॉरी! आप सोने जाइए, हम लोग भी सो जाते हैं रात बहुत हो गई है ना! सुबह हम सब मौली को देखने हॉस्पिटल जाएंगे, है ना मानव?"
मानव राहुल की बातों से वैसे ही घबराया हुआ था। मौली जैसी दबंग लड़की को उसने इस हाल में पहुंचा दिया तो मानव फिर भी उसके सामने कमजोर था। यह सोचकर ही मानव घबरा गया और उसने मानसी से कुछ नहीं कहा। मानसी ने भी मुस्कुरा कर उन दोनों को गुड नाईट कहा और लाइट बंद कर अपने कमरे में चली गई।
हॉस्पिटल में एक-एक मिनट रूद्र पर भारी पड़ रहा था। नेहा ने पहले ही डॉ स्मिता को हॉस्पिटल बुला लिया था जो कि बच्चों की स्पेशलिस्ट थी। वह खुद भी डॉ स्मिता के साथ मौली को देख रही थी। बाहर रुद्र और शरण्या की हालत खराब थी और बाकी सब यही सोचने में लगे थे कि आखिर मौली के साथ ऐसा कौन कर सकता है? उन्हें जरा सा भी अहसास नहीं था कि इस सबके पीछे राहुल हो सकता है! मौली को इंडिया आए ज्यादा वक्त नहीं हुआ था ऐसे में किसी से भी दोस्ती या दुश्मनी की गुंजाइश ही नहीं थी तो फिर क्या यह किसी बिजनेस राइवल्ररी का नतीजा था? सभी का शक उसी ओर जा रहा था।
कमरे का दरवाजा खुला और डॉ स्मिता के साथ नेहा बाहर आई। दोनों को देखते हि रूद्र उठ खड़ा हुआ और पूछा, "कैसी है कैसी मेरी बेटी?"
डॉ स्मिता ने रूद्र से कुछ कहना चाहा लेकिन उसकी बेचैनी देख उनसे कुछ कहा नहीं गया। नेहा ने रूद्र के कंधे पर हाथ रखा और बोली, "घबराओ मत रूद्र! मौली ठीक है। बस थोड़ा सफोकेशन हो गया था उसे और घबरा गई थी, इसलिए बेहोश हो गई वरना कोई इंजरी नहीं है। अगर कोई इंटरनल इंजरी हो तो यह देखने के लिए डॉ स्मिता ने कुछ टेस्ट लिखे हैं, एक बार वो टेस्ट हो जाए तो उनके रिपोर्ट्स देख कर ही हम क्लीयरली कुछ कह पाएंगे। ऐसे तो सब कुछ नॉर्मल दिख रहा है। कुछ देर बाद या फिर सुबह तक उसे होश आ जाना चाहिए। घबराने वाली कोई बात नहीं है।"
रूद्र को तसल्ली मिली। उसने कहा, "मौली को क्लस्ट्रोफोबिया है। बंद कमरे में उसे घुटन होती है और वह सफोकेट हो जाती है। इसलिए मैं कभी उसे अकेला नहीं छोड़ता हु। हमेशा कोई ना कोई उसके साथ होता है। वो खुद ही कहीं ऐसी जगह नहीं जाती है और अकेले तो बिल्कुल भी नहीं! जरूर किसी की शरारत है या फिर कोई ऐसा शख्स है जिसे उसके बारे में पता है। लेकिन यहां उसे जानने वाला कोई नहीं तो फिर कौन कर सकता है ऐसे?"
धनराज जी रूद्र को संभालते हुए बोले, "उसका पता हम लगा लेंगे बेटा! इस वक्त सबसे बड़ी बात यह है कि हमारी बच्चे सही सलामत है। वो चाहे कोई भी हो, हम उसे जल्द से जल्द ढूंढ निकालेंगे। एक बार मौली को होश आ जाए तो वह बेहतर बता सकती है कि उसके साथ क्या हुआ था!"
रूद्र अपने पापा का हाथ पकड़ते हुए बोला, "पापा! आप सब लोग घर जाईए, मैं यहीं रुकूंगा। रात बहुत हो चुकी है और आप सबका यहां रुकना सही नहीं होगा, और ना ही यहां कोई आप लोगों को रूकने देगा। मैं रेहान को बोलता हूं आप सब को ले जाएगा।" कहते हुए उसने रेहान को आवाज लगाई, लेकिन रेहान वहां होता तो जवाब देता ना!
उसी वक्त विहान वहां आ पहुंचा तो रूद्र विहान से बोला, "विहान! तु सबको घर लेकर जा और शरण्या को भी अपने साथ लेकर चला जा। उसका देर रात तक जागना सही नहीं है।"
शरण्या बोली, "मैं कहीं नहीं जाऊंगी! मैं यहीं रहूंगी! मेरी बच्ची यहां हॉस्पिटल में एडमिट है और तुम्हें लगता है कि मैं घर जाकर आराम से सो जाऊंगी? तुम्हें लगता भी है कि मुझे नींद आएगी? घर जाऊंगी तो और ज्यादा बेचैन हो जाऊंगी! इसलिए बेहतर है कि मुझे यही रहने दो।"
विहान बोला, "रूद्र सही कह रहा है शरण्या! यहाँ एक से ज्यादा को अलाउ नहीं करेंगे। इसलिए बेहतर है तु मेरे साथ चल।
शरण्या ने कुछ कहा नहीं और एक नजर मौली को देखकर वहां से चली गई। इस वक्त बहस करके किसी तरह की कोई टेंशन नहीं बढ़ाना चाहती थी। रूद्र मौली के पास चला आया। उसका बीमार चेहरा देखकर वह एक बार फिर रो पड़ा। शरण्या बेमन से घर तो चली आई लेकिन नींद उसकी आंखों में कहां! वह और भी ज्यादा बेचैन हो उठी। नए साल के शुरुआत में इतना बड़ा हादसा आने वाले किसी अनहोनी की संकेत दे रहे थे।
इस सब से बेखबर रेहान घर पहुंचा और अपने कमरे का दरवाजा बंद करके सो गया। सुबह जब उसकी आंख खुली तब उसने लावण्या को अपनी बगल में पाया। पहले तो उसने लावण्या को खींचकर अपनी बाहों में भर लिया फिर एकदम से उससे मेल परफ्यूम की खुशबू आई, तब जाकर वह होश में आया और उसे याद आया कि लावण्या कल रात जतिन के साथ थी। लेकिन वह वापस लौटी कब? उसने ध्यान से लावण्या को देखा तो पाया कि उसने कपड़े नहीं पहन रखे थे। यह देख कर उसे और भी ज्यादा हैरानी हुई।
लावण्या की आंख खुली तो उसने अपना सर पकड़ लिया और कराहते हुए बोली, "आह्!!! मेरा सर! रेहान.........! प्लीज मेरा सर दबा दो!"
रेहान उससे दूर हटा और बोला, "तुम वापस घर कब आई?
लावण्या ने आंखें खोलकर रेहान को देखा और बोली, "तुम्हारे साथ ही तो आई! माना मुझे थोड़ी चढ़ गई थी इसका मतलब यह नहीं कि मुझे कुछ याद नहीं। धुंधला धुंधला सा कुछ याद है मुझे। तुम ही मुझे यहां लेकर आए थे और कल रात तुम्हें हो क्या गया था? तुम तो कभी इतने वाइल्ड ना थे! मेरे पेट में इस वक्त बहुत दर्द हो रहा है और पूरा बदन टूट रहा है। तुम भी ना रेहान! तुम से कंट्रोल नहीं होता!"
रेहान में सुना तो उसके होश उड़ गए और हैंगओवर पूरी तरह से उतर गया। कल रात लावण्या के साथ क्या हुआ लावण्या को इसका अहसास तक नहीं था। यह सोचकर ही उसकी आत्मा कांप गयी। लावण्या ने खुद को चादर में समेटा और लड़खड़ाते हुए बाथरूम में चली गई। रेहान वही फर्श पर गिर पड़ा।
बाथरूम में आते ही लावण्या के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी। उसने मन ही मन कहा, "तुम्हारी जितनी घटिया नहीं हूं मैं रेहान! इस तरह तुम्हें लगेगा कि मुझे किसी ने छुआ है। शायद अब तुम्हें मेरे दर्द का एहसास हो।"
"उस जतिन को तो मैं छोडूंगा नहीं! एक बार मिल जाए मुझे!" रेहान से वहां रुकना बर्दाश्त नहीं हुआ तो वहां से निकलकर जॉगिंग के बहाने बाहर चला गया।
लावण्या फ्रेश होकर बाहर निकली, तब तक रेहान वहां से जा चुका था। उसने खिड़की से रेहान को बाहर जाते हुए देखा और तसल्ली होने के बाद उसने अपना फोन उठाकर जतिन का नंबर डायल कर दिया। कुछ रिंग जाने के बाद उधर से जतिन ने फोन उठा लिया तो लावण्या बोली, "हैप्पी न्यू ईयर जतिन! थैंक यू सो मच कल रात मेरी हेल्प करने के लिए।"
उधर से जतिन बोला, "तुम्हे भी नई साल की शुभकामना और मुझे थैंक यू कहने की जरूरत नहीं है। मैंने बस वही किया जो एक दोस्त होने के नाते मुझे करना चाहिए था। वह डॉक्टर मेरी दोस्त है और उसने कहा है कि आईवीएफ के जरिये तुम्हें कंसीव करने मैं कोई परेशानी नहीं होगी। तुम्हारे और रेहान के लिए बहुत अच्छा होगा। मैं तो उससे बात भी नहीं कर पाया।"
लावण्या घबराकर बोल पड़ी, "नहीं जतिन! बेहतर होगा अगर तुम उससे बात ना करो तो! वैसे भी उसे तुमसे स्कूल से ही चिढ़ थी। हमेशा से ही वह तुम्हें नापसंद करते आया है। अब अगर तुमने उसे नया साल विश किया तो वह तुम्हारे ऊपर न भड़क जाए। इससे बेहतर है कि तुम उसे ना ही छेड़ो! वैसे आज तो तुम्हारी फ्लाइट है न?"
जितने भी उसकी बात पर सहमति जताई और बोला, "हाँ मैं इस वक्त एयरपोर्ट पर ही हु। तुम अपना ध्यान रखना।" कहते हुए उसने फोन रख दिया।
लावण्या मन ही मन बोली, "अगर जतीन और रेहान मिल जाते तो मेरा सारा प्लान फेल हो जाता। और रेहान को पता चल जाता कि कल रात कुछ नहीं हुआ। अभी उसे जो समझना है समझने दो। मजा तो तब आएगा जब मैं उसे ऐसा दर्द दूंगी जिससे वो उभर ना पाए।"